Indore Beggar Free Policy: इंदौर प्रशासन भिखारियों को भीख देने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. यह नया नियम शहर में 1 जनवरी से लागू होगा. इसे लेकर पुलिस शहर में जागरूकता अभियान भी चला रही है.

इंदौर में भीख देने वालों पर होगी कार्रवाई
Indore Beggar Rule: मध्य प्रदेश के इंदौर में भिखारियों को भीख देना महंगा पड़ सकता है. भीख देने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी. यह नया नियम 1 जनवरी से लागू होगा. इंदौर पुलिस ने शहर को भिखारियों से निजात दिलाने के लिए यह नियम बनाए हैं. इसके तहत इंदौर में भीख मांगने पर प्रतिबंद लगाने का आदेश जारी किया गया है. इसे लेकर पुलिस फिलहाल शहर में जागरूकता अभियान चला रही है, जो कि दिसंबर अंत तक चलेगा.
पुलिस ने जानकारी दी है कि 1 जनवरी के बाद अगर व्यक्ति भीख देते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी. जिला कलेक्टर ने इंदौरवासियों से अपील की है कि लोग भी देकर पाप के भागीदार न बनें. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने बीते कुछ महीनों में लोगों को भीख मांगने के लिए मजबूर करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है.
केंद्र सरकार ने जारी किया आदेश
गौरलतब है कि केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से देश के 10 शहरों को भिखारियों से निजात दिलाने के लिए के पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इन शहरों की लिस्ट में इंदौर का नाम भी शामिल है. इसके बाद इंदौर जिला प्रशासन इस आदेश को अमल में लाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है.
इस कड़ी में बीते दिनों इंदौर पुलिस ने शहर के भिखारियों से मुक्त बनाने के लिए टीम गठित कर 14 भिखारियों को पकड़ा है. इस अभियान के तहत एक हैरान करने वाली भी सामने आई. पुलिस की ओर से पकड़े गए भिखारियों में से राजवाड़ा के शनि मंदिर के पास भीख मांग रही एक महिला के पास से 75 हजार रुपये बरामद हुए. पुलिस का कहना है कि यह महज 10-12 दिनों में जमा किए गए पैसे थे..
इंदौर में भिखारियों को भीख देना पड़ेगा महंगा, 1 जनवरी से शहर में लागू होगा ये नया नियम
इंदौर शहर में 1 जनवरी से भिखारियों को भीख देना महंगा पड़ेगा। शहर में एक नया नियम लागू किया गया है, जिसके तहत भिखारियों को भीख देने पर जुर्माना लगाया जाएगा।
नए नियम के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी भिखारी को भीख देता है तो उस पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। अगर जुर्माना नहीं चुकाया जाता है तो 10 दिनों के लिए जेल की सजा हो सकती है।
यह नियम इंदौर नगर निगम द्वारा बनाया गया है। निगम का मानना है कि यह नियम शहर को भिखारियों से मुक्त करने में मदद करेगा।
नए नियम का स्वागत किया जा रहा है। लोग मानते हैं कि यह नियम शहर को साफ-सुथरा रखने में मदद करेगा। हालांकि, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि यह नियम भिखारियों के साथ अन्याय है।
नए नियम के कई फायदे हैं। कुछ फायदे इस प्रकार हैं:
- यह शहर को भिखारियों से मुक्त करने में मदद करेगा।
- यह शहर को साफ-सुथरा रखने में मदद करेगा।
- यह भिखारियों को काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।
नए नियम के नुकसान
नए नियम के कुछ नुकसान भी हैं। कुछ नुकसान इस प्रकार हैं:
- यह भिखारियों के साथ अन्याय है।
- यह भिखारियों को भूखे मरने पर मजबूर कर सकता है।
क्या आप नए नियम का समर्थन करते हैं?
मुझे उम्मीद है कि आप इस ब्लॉग पोस्ट को पसंद करेंगे। कृपया मुझे कमेंट करके बताएं कि आप नए नियम का समर्थन करते हैं या नहीं।
अन्य जानकारी
- आप इंदौर नगर निगम की वेबसाइट पर नए नियम के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
- आप इंदौर पुलिस से भी नए नियम के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इंदौर: 1 जनवरी से भिखारियों को पैसे देने वालों पर FIR दर्ज होगी। केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत इंदौर को भिखारी मुक्त बनाने की कोशिश हो रही है। जिला प्रशासन ने भिक्षावृत्ति पर पहले ही रोक लगा दी है। यह अभियान 10 शहरों में चलाया जा रहा है। प्रशासन ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे भी किए हैं। एक संगठन भिखारियों को छह महीने तक आश्रय और काम दिलाने में मदद करेगा।
देश का सबसे स्वच्छ शहर है इंदौर
इंदौर, जिसे भारत का सबसे स्वच्छ शहर कहा जाता है, अब भिखारी-मुक्त बनने की राह पर है। इसके लिए प्रशासन ने एक सख्त कदम उठाया है। 1 जनवरी से, जो भी व्यक्ति भिखारियों को पैसे देगा, उसके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी।
जागरूकता अभियान चलेगा
कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि प्रशासन ने पहले ही इंदौर में भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि भिक्षावृत्ति के खिलाफ हमारा जागरूकता अभियान इस महीने के अंत तक जारी रहेगा। एक जनवरी से अगर कोई भी व्यक्ति भीख मांगते पाया गया तो उसके खिलाफ भी FIR दर्ज की जाएगी। उन्होंने इंदौर के सभी निवासियों से अपील की कि वे भिखारियों को पैसे देकर इस पाप के भागीदार न बनें।
देश के 10 शहर पायलट प्रोजेक्ट में शामिल
इस प्रोजेक्ट में 10 शहर शामिल हैं: दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना और अहमदाबाद। भिक्षावृत्ति विरोधी अभियान के दौरान, इंदौर प्रशासन ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए। प्रोजेक्ट अधिकारी दिनेश मिश्रा ने कहा कि जब हम रिपोर्ट तैयार करते हैं, तो हम पाते हैं कि कुछ भिखारियों के पास पक्का मकान है। साथ ही कुछ के बच्चे बैंक में काम करते हैं।
भिखारी ने बनाया इसे पेशा
एक बार हमने एक भिखारी के पास 29,000 रुपए पाए। एक और भिखारी पैसे उधार देता था और ब्याज लेता था। एक गिरोह बच्चों के साथ राजस्थान से यहां भीख मांगने आया था। उन्हें एक होटल से बचाया गया जहां वे रुके हुए थे।
भिखारियों को काम दिलाने में मदद
मध्य प्रदेश के सामाजिक कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने कहा कि इंदौर का एक संगठन सरकार के इस प्रयास में मदद के लिए आगे आया है। यह संगठन उन्हें छह महीने तक आश्रय प्रदान करेगा और उनके लिए काम खोजने की कोशिश करेगा। हम लोगों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। यह एक सराहनीय पहल है जो इंदौर को वास्तव में भिखारी-मुक्त शहर बनाने में मदद कर सकती है। लेकिन इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग प्रशासन का कितना सहयोग करते हैं।उन्होंने कहा कि अगर लोग भिखारियों को पैसे देना बंद नहीं करेंगे, तो यह योजना पूरी तरह से सफल नहीं हो पाएगी। साथ ही, यह सुनना भी ज़रूरी है कि जिन लोगों को बचाया जा रहा है, उनके पुनर्वास की व्यवस्था ठीक से हो। उन्हें रोजगार के अवसर और रहने की उचित सुविधा मिलनी चाहिए।
इंदौर ही नहीं, उत्तराखंड के इस शहर में भी भीख देना पाप है! लाठी लेकर दौड़ा लेती है ‘खाकी’
Indore Beggar Free: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर को भिखारियों से मुक्त करने की तैयारी चल रही है. प्रशासन ने इसको लेकर आदेश भी जारी कर दिया है और कहा है कि अगर 1 जनवरी 2025 से कोई भीख मांगता पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
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Indore Beggar Free: इसी साल जुलाई में इंदौर प्रशासन ने ऐलान किया था कि बच्चों का भीख मांगना और उनसे सामान खरीदना जुर्म है. अब नया आदेश जारी किया गया है कि 1 जनवरी 2025 से ना सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों को भी भीख मांगते पकड़ा जाता है तो उनके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी. साथ ही अगर किसी व्यक्ति को भीख देते हुए पकड़ा जाता है उस पर भी कार्रवाई की जाएगी. कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि यह कदम इंदौर को भिखारी मुक्त शहर बनाने के प्रशासन के मिशन का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि इस महीने लोगों को भीख देने के नकारात्मक प्रभावों के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.
पायलट प्रोजेक्ट में शामिल है इंदौर
आशीष सिंह ने चेतावनी दी,’1 जनवरी से हम उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे जो लगातार भीख मांगते रहेंगे.’ उन्होंने कहा कि बीएनएस की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया जाएगा, जिसमें नाबालिगों और बड़ों को भीख देने पर रोक लगाई जाएगी. इंदौर उन 10 शहरों में से एक है जिन्हें केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भीख मांगने को खत्म करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना है.
उन्होंने कहा,’हम इस मुद्दे को हल करने के लिए पहले ही महत्वपूर्ण कदम उठा चुके हैं, जिसमें भीख मांगने वालों की पहचान और पुनर्वास शामिल है.’ इस साल जुलाई में जिला प्रशासन ने बीएनएस की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया, जिसमें भीख मांगने और नाबालिगों से सामान खरीदने दोनों पर रोक लगाई गई. यह आदेश 14 सितंबर को समाप्त हो गया और इलाके में काम करने वाली टीमें नाबालिगों को भीख देने वाले किसी भी व्यक्ति को पकड़ने या FIR दर्ज करने में नाकाम रही है.
शेल्टर होम में शिफ्ट किए जा रहे भिखारी
उन्होंने बताया कि इस अवधि के दौरान 35 से अधिक बच्चों को भीख मांगने में शामिल महिला और बाल विकास विभाग की टीमों ने बचाया और उन्हें सरकारी शेल्टर होम में रखा. पिछले हफ्ते एक मंदिर के बाहर भीख मांगते हुए महिला और बाल विकास विभाग द्वारा बचाई गई एक बुजुर्ग महिला के एक हफ्ते में करीब 75,000 रुपये की भीख मिलने के बाद सख्त कार्रवाई की जरूरत महसूस की गई. 60 वर्षीय महिला को उज्जैन के सेवाधाम आश्रम में आश्रय दिया गया है और उसके परिवार के सदस्यों से संपर्क किया जा रहा है.
महिला भिखारी पर मिली बेशुमार दौलत
भीख मांगने वालों पर कार्रवाई इस साल फरवरी में शुरू हुई थी, जब एक महिला को लवकुश चौराहे पर अपने बच्चों को भीख मांगने के लिए मजबूर करते हुए पकड़ा गया था. अधिकारी यह जानकर हैरान रह गए कि उसने भीख मांगने से इतना पैसा इकट्ठा कर लिया था कि उसके पास एक ज़मीन का टुकड़ा, एक दो मंज़िला घर, एक मोटरसाइकिल और एक स्मार्टफ़ोन भी है. अधिकारियों के मुताबिक उसने खुलासा किया कि उसने सिर्फ़ छह महीनों में भीख मांगकर लगभग 2.5 लाख रुपये कमाए थे.
देहरादून में पहले से जारी है मुहिम
इससे पहले उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया था. यहां पर भी प्रशासन टूरिस्ट्स के लिए वादियों को और खूबसूरत बनाने के मकसद से भीख मांगने पर पाबंदी है. प्रशासन ने प्रशासन लगातार ऐसे बच्चों और लोगों की मदद करता है जो भीख मांगने पर मजबूर होते थे. देहरादून में बाल भिक्षावृत्ति रोकने के लिए कई अभियान चलाए गए हैं.
Indore में भिखारी के पास मिले इतने रुपए, भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान में इतने भिखारियों का हुआ रेस्क्यू
Beggar Free Campaign Indore: पिछले दिनों इंदौर कलेक्टर ने मीटिंग लेकर स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि यह मुहिम अभी लगातार चलेगी और इसके अंतर्गत कड़ी कार्यवाहियां भी की जाएगी. आगामी दिनों में न केवल भीख लेने वाले बल्कि भीख देने वालों के विरुद्ध भी कार्यवाही होगी और उनके विरुद्ध FIR दर्ज कराई जाएगी. अभियान के अंतर्गत महिला बाल विकास, श्रम विभाग होमगार्ड, नगर निगम, एनजीओ आदि की टीम संयुक्त रूप से कार्यवाही कर रही है.

Beggar Free Campaign: मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore) शहर में लगातार भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान (Bhiksha Mukt Bharat) चलाया जा रहा है जिसके अंतर्गत हर चौराहों, तिराहे पर मौजूद सभी ऐसे लोग जो भिक्षा मांगते हैं उन्हें रेस्क्यू कर पुनर्वास भेजा जा रहा है. यह अपने आप में एक अनोखी पहल है जिसमें सड़क किनारे रह रहे लोगों को रेस्क्यू कर एक बेहतर जीवन देने का प्रयास किया जा रहा है. वही इस कड़ी में बीते दिन बुधवार को एक चौंकाने वाला मामला सामने है जहां पर एक भिक्षा मांगने वाली महिला के पास से 75000 रुपए बरामद हुए. महिला बाल विकास की टीम द्वारा लगातार चल रहे भिक्षावृत्ति के विरोध अभियान में अभी तक टीम के द्वारा लगभग 300 से अधिक भिखारी को रेस्क्यू कर उज्जैन के सेवा धाम में पुनर्वासित किया गया है. इस रेस्क्यू अभियान के तहत बीते दिन एक चौंकाने वाले वाक्या सामने आया.
शनि मंदिर के सामने कई वर्षों से मांग रही थी भिक्षा
इंदौर कलेक्टर के द्वारा चलाए जा रहे अभियान के अंतर्गत जिला कार्यक्रम अधिकारी रामनिवास बुधौलिया के निर्देश पर महिला बाल विकास के दिनेश मिश्रा एवं उनकी टीम ने बड़ा गणपति एवं राजवाड़ा में रेस्क्यू अभियान चलाया. इस दौरान एक महिला जो शनि मंदिर के सामने भिक्षा वृत्ति कई दिनों से कर रहीं थीं उसे पकड़ा गया. महिला की जांच करने के बाद उसके पास से 74768 रुपए बरामद हुए. पूछताछ करने पर महिला ने बताया कि यह उसकी पिछले एक सप्ताह की कमाई है और लगभग इतना ही हर 10 या 15 दिन में कलेक्शन हो जाता है.
4 भिखारियों की देखभाल के लिए 8 कर्मचारी:खाली पड़ा है इंदौर में भिक्षुक केंद्र, बुजुर्गों को शिप्रा फेंकने की बजाय यहां आसरा दे सकते थे
इंदौर4 वर्ष पहले

स्वच्छता और सुंदरता के नाम पर बुजुर्गों को इंदौर शहर से बाहर फेंकने के मामले ने सभी को शर्मसार कर दिया। इसके बाद भी नगर निगम के जिम्मेदार सवालों के घेरे में हैं। निगम अधिकारी गलती मानने को तैयार नहीं हैं। निगम के कुछ जिम्मेदारों ने बचने के लिए यह भी कहा कि जिन्हें शहर से बाहर ले जाया जा रहा था, वह सभी भिखारी थे। अगर ऐसा है तो इंदौर के परदेशीपुरा में भिक्षुक केंद्र भी है, इन्हें वहां क्यों नहीं रखा गया। दैनिक भास्कर ने इस भिक्षुक केंद्र को ढूंढा तो देखा कि यहां वर्तमान में चार भिखारी रह रहे हैं, जिनकी देखभाल के लिए 8 कर्मचारियों का स्टाफ है।
इंदौर के परदेशीपुरा में सामाजिक न्याय विभाग का भिक्षुक केंद्र है। यह इसलिए बनाया गया था कि सड़क पर भीख मांगने वालों को वहां रखा जा सके। भिक्षुक केंद्र में इलाज के लिए मेडिकल सुविधाएं भी हैं। भिक्षुकों स्वावलंबी बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि वे दोबारा भीख न मांगें। यहां लाए गए भिखारियों से गार्डनिंग कराई जाती है। प्रिटिंग प्रेस भी है, जिसमें उन्हें प्रशिक्षण देकर पैसा दिया जाता था। कुटीर उद्योग का प्रशिक्षण दिया जाता है। संचालनालय सामाजिक न्याय विभाग से भारी-भरकम बजट मिलता है। नगर निगम के अधिकारियों ने तर्क दिया कि जिन्हें शिप्रा ले जाया जा रहा था, वो भिखारी थे, तो अब बड़ा सवाल यही है कि उन्हें भिक्षुक केंद्र में क्यों नहीं रखा गया।

भिक्षुक केंद्र के प्रभारी सहायक संचालक बी.सी. जैन हैं। एक नर्स, एक मेट्रेंस, एक क्लर्क, चार हेल्पर, एक चपरासी सहित लगभग आठ लोगों का स्टाफ है। भिक्षुक केंद्र परिसर में पर्याप्त जगह है। लगभग आठ कर्मचारियों के स्टाफ पर फिलहाल सिर्फ चार भिक्षुक मिले। सरकार हर भिक्षुक के लिए एक हजार रुपए महीना आवंटित करती है। खाने-पीने के लिए अलग से बजट आता है, पिछले वर्ष कुल 17 भिक्षुक इस केंद्र में लाए गए थे अब मात्र चार ही हैं।
न्यायालय की अनुमति लेना जरूरी
सहायक संचालक बी.सी.जैन का कहना है कि जब भी त्योहारों का समय आता है, तब हमारी टीम शहर में जाकर इन भिक्षुकों का रेस्क्यू करती है, लेकिन इस केंद्र में केवल पुरुषों को ही रखा जाता है। बच्चों और महिलाओं को यहां रखने की अनुमति नहीं है। बच्चों और महिलाओं को रखने का क्षेत्राधिकार महिला एवं बाल विकास के अंतर्गत आता है। यदि भिक्षुको में कोई 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को रेस्क्यू किया जाता है तो उसे न्यायालय के समक्ष पेश करके केंद्र में रखने की अनुमति लेना होती है।
दो दिन पूर्व इंदौर में भिक्षुकों को शिप्रा छोड़ने की घटना पर जब जैन से बात की गई तो उनका कहना था कि मानवीय आधार पर नगर निगम उन्हें यहां पर छोड़ सकती थी। कई बार रेस्क्यू में लाए हुए कई लोग कुछ दिनों के लिए हम इस केंद्र में रखते हैं। नगर निगम के पास कई रेन बसेरे तो हैं भिक्षुकों वहां पर भी छोड़ा जा सकता था, लेकिन यह घटना क्यों हुई इस बारे में मैं कुछ नहीं कह पाऊंगा।
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