इंदौर में 70 घंटे बाद खत्म हुआ MPPSC के छात्रों का प्रदर्शन, CM मोहन से भोपाल में मिलेंगे स्टूडेंट

Indore Mppsc Protestइंदौर में पिछले 70 घंटे से चल रहा MPPSC के छात्रों का प्रदर्शन आखिरकार खत्म हो गया. बताया जा रहा है कि अब छात्र भोपाल में सीएम मोहन यादव से मुलाकात करेंगे.

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इंदौर में MPPSC के छात्रों का प्रदर्शन हुआ खत्म

इंदौर शहर में चल रहा मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के छात्रों का प्रदर्शन आखिरकार खत्म हो गया. रविवार की सुबह पांच बजे छात्रों ने प्रदर्शन खत्म कर दिया. करीब 70 घंटे चले प्रदर्शन के बाद शनिवार और रविवार की रात में 3 बजे इंदौर के कलेक्टर ने छात्रों से मुलाकात की और कई बातों पर सहमति बनाई गी, जिसके बाद इस प्रदर्शन में शामिल प्रदेशभर के करीब 2 हजार से ज्यादा छात्रों ने प्रदर्शन खत्म किया, बता दें कि दो अभ्यर्थी आमरण अनशन पर बैठ गए थे, जिनसे कई नेताओं ने भी मुलाकात की थी. वहीं अब छात्र सीएम मोहन यादव से मुलाकात करने के लिए भोपाल के लिए रवाना हो गए हैं. 

इंदौर कलेक्टर ने की मुलाकात 

इंदौर में छात्रों के प्रदर्शन के दौरान इंदौर के कलेक्टर मौके पर पहुंचे और उन्होंने छात्रों से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) ने छात्रों की मांगों को मान लिया है. छात्रों और कलेक्टर के बीच करीब ढाई घंटे तक बातचीत चली उसके बाद मांगों पर सहमति बनी और प्रदर्शन को खत्म किया गया. वहीं छात्रों का छात्रों का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से भोपाल में मुलाकात करेगा और अपनी मांगों से उन्हें अवगत कराएगा. बता दें कि कड़कड़ाती ठंड के बावजूद छात्र जमे हुए थे. छात्र अरविंद सिंह भदौरिया और राधे जाट आमरण अनशन पर बैठे थे, जहां अरविंद सिंह भदौरिया की हालत शनिवार को बिगड़ गई थी, उसके बाद उन्हें ड्रिप भी चढ़ाया गया था. 

इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह और प्रशासन के अधिकारियों ने छात्रों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगें मानी जाएगी. आश्वासन मिलने के बाद ही छात्र प्रदर्शन समाप्त करने पर तैयार हुए. बता दें कि इससे पहले देर रात मुख्यालय पर भारी पुलिसबल भी तैनात कर दिया गया था. लेकिन बाद में कलेक्टर ने छात्रों से मुलाकात करके उन्हें आश्वासन दिया. वहीं बताया जा रहा है कि छात्रों की कुछ मांगें फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन हैं जिन पर आयोग बैठक करेगा और जल्द ही फैसला करेगा. वहीं प्रदर्शन खत्म होने के बाद छात्रों ने प्रदर्शन स्थल को खाली कर दिया है. 

शनिवार की रात को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी यहां आए थे, जिन्होंने स्टूडेंट्स से मुलाकात करके उनकी मांगों का समर्थन किया था. उमंग सिंघार ने मौके पर मौजूद एडीएम रोशन राय से भी बात की थी. इसके अलावा धार के मनावर से कांग्रेस विधायक डॉ. हिरालाल अलावा और रतलाम के सैलाना से भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायक कमलेश्वर डोडियार ने भी छात्रों की मांगों का समर्थन किया था. वहीं आज उनकी मुलाकात सीएम मोहन यादव से हो सकती है. 

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MPPSC Students Protest: इंदौर के कलेक्टर ने नाराज छात्रों से बातचीत की और कई मुद्दों पर सहमति बनाई गई. उन्होंने बताया कि तीन मांगों पर राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव सहमत हुए हैं.

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) राज्य स्तरीय परीक्षाओं का संचालन करता है। हाल के वर्षों में, इन परीक्षाओं में अनियमितताओं और परिणामों में देरी ने छात्रों को विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर कर दिया।

विरोध के कारण

1. अनियमितताएं

एमपीपीएससी परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक, गलत उत्तर कुंजी और पारदर्शिता की कमी प्रमुख समस्याएं रही हैं।

2. परिणामों में देरी

परिणाम घोषित करने में बार-बार देरी ने छात्रों के करियर पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

3. पारदर्शिता की कमी

अभ्यर्थियों को लगता है कि उत्तर कुंजी और परिणाम प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।

छात्रों की मुख्य मांगें

1. समय पर परिणाम

छात्र चाहते हैं कि परिणाम बिना देरी के घोषित किए जाएं।

2. निष्पक्ष जांच प्रक्रिया

उत्तर कुंजी और चयन प्रक्रिया में निष्पक्षता हो।

3. उत्तरदायी प्रशासन

छात्र प्रशासन से जिम्मेदार और पारदर्शी व्यवहार की मांग कर रहे हैं।

विरोध का स्वरूप और प्रभाव

1. शांतिपूर्ण विरोध

छात्रों ने अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किए हैं।

2. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जागरूकता

सोशल मीडिया ने छात्रों की आवाज को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाया है।

3. व्यापक प्रभाव

इन विरोधों ने समाज और प्रशासन पर दबाव बनाया है कि वे भर्ती प्रक्रियाओं को सुधारें।

विरोध से संबंधित प्रमुख सवाल

1. छात्रों की प्रमुख शिकायतें क्या हैं?

मुख्य शिकायतें अनियमितताएं, देरी, और जवाबदेही की कमी हैं।

2. प्रशासन की प्रतिक्रिया क्या रही है?

प्रशासन ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन छात्रों के अनुसार, यह पर्याप्त नहीं है।

3. छात्रों ने अब तक क्या उपलब्धियां हासिल की हैं?

कई मामलों में प्रशासन ने समस्याओं को सुलझाने के लिए कदम उठाए हैं।

एमपीपीएससी प्रक्रिया के सुधार

1. पारदर्शी प्रक्रियाएं

ई-गवर्नेंस और तकनीकी सुधार पारदर्शिता में सुधार कर सकते हैं।

2. तकनीकी सुधार

ऑनलाइन पोर्टल और डिजिटल तकनीक का उपयोग सुधार में सहायक हो सकता है।

3. जवाबदेही बढ़ाने के उपाय

स्वतंत्र निगरानी तंत्र की स्थापना से जवाबदेही बढ़ाई जा सकती है।प्रशासन ने कई सुधारात्मक कदम उठाने का दावा किया है।

MPPSC Student Protest Ends: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के सामने छात्रों का प्रदर्शन रविवार (22 दिसंबर) को खत्म हो गया है. इंदौर के कलेक्टर ने नाराज छात्रों से बातचीत की और कई मुद्दों पर सहमति बनाई गई. इसके बाद करीब 70 घंटे से चल रहे प्रदर्शन को खत्म करने पर छात्र राजी हुए. इस धरना-प्रदर्शन में राज्य के 2 हजार से अधिक छात्र शामिल हुए थे.

इंदौर प्रशासन और प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच करीब ढाई घंटे तक बातचीत हुई. इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह छात्रों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुनते हुए समहति बनाई और फिर छात्र मान गए. इंदौर के कलेक्टर ने जानकारी देते हुए बताया है कि तीन मांगों पर राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव सहमत हुए हैं. 

तीन मांगों पर CM मोहन यादव सहमत

  • 87% के सारे रिजल्ट दिखाए जाएंगे
  • मेन्स परीक्षा की कॉपी दिखाएंगे
  • प्री के पेपर में नहीं होंगी गलतियां

सीएम मोहन यादव से करेंगे मुलाकात

बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग छात्रों की मांगों को लेकर कमेटी गठित करेगी. शनिवार को आमरण अनशन पर बैठे छात्र अरविंद सिंह भदौरिया की तबीयत बिगड़ गई थी. हालांकि ड्रिप लगाने के बाद उनकी हालत में सुधार देखी गई. फिलहाल प्रदर्शन खत्म होने के बाद एक प्रतिनिधि मंडल के सदस्य अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात करने वाले हैं.

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा (State Service Examination) के परिणामों में देरी के विरोध में इंदौर में MPPSC के छात्रों ने 70 घंटे तक धरना दिया। प्रदर्शन 2023 में शुरू हुआ और 2024 में समाप्त हुआ। छात्रों ने परीक्षा परिणामों में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि आयोग परीक्षा के लिए एक नई समयरेखा निर्धारित करे।

प्रदर्शन का इतिहास

MPPSC राज्य सेवा परीक्षा मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों के लिए सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है। परीक्षा में हजारों उम्मीदवार शामिल होते हैं और परिणाम आमतौर पर परीक्षा के कुछ महीनों बाद घोषित किए जाते हैं। हालांकि, 2023 में, MPPSC ने परीक्षा परिणामों की घोषणा में देरी की। इससे छात्रों में भ्रम और निराशा पैदा हुई।

छात्रों ने आयोग पर परीक्षा परिणामों को रोकने का आरोप लगाया ताकि कुछ उम्मीदवारों को लाभ मिल सके। उन्होंने आयोग से परीक्षा परिणामों की जांच करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की।

छात्रों ने 2023 में इंदौर में MPPSC कार्यालय के बाहर धरना देना शुरू किया। उन्होंने परीक्षा परिणामों की घोषणा तक धरना जारी रखने की कसम खाई। धरना कई महीनों तक चला और इसमें सैकड़ों छात्र शामिल हुए।

प्रदर्शन का अंत

2024 में, MPPSC ने आखिरकार परीक्षा परिणाम घोषित किए। परिणामों ने दिखाया कि छात्रों के आरोप निराधार थे। परीक्षा निष्पक्ष और पारदर्शी थी।

छात्रों ने धरना समाप्त करने का फैसला किया, लेकिन उन्होंने आयोग से परीक्षा प्रक्रिया में सुधार करने की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि आयोग भविष्य में परीक्षा परिणामों की घोषणा में देरी न करे।

प्रदर्शन का प्रभाव

MPPSC के छात्रों का प्रदर्शन मध्य प्रदेश में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसने आयोग पर दबाव डाला और परीक्षा प्रक्रिया में सुधार किया। इसने छात्रों को अपनी आवाज उठाने और अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

MPPSC छात्रों का विरोध: निष्पक्षता और सुधार की मांग

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) लंबे समय से प्रतिष्ठित सरकारी पदों के लिए एक प्रवेश द्वार रहा है, जो हर साल हजारों अभ्यर्थियों को आकर्षित करता है। हालांकि, हाल ही में एमपीपीएससी छात्रों के विरोध प्रदर्शनों ने भर्ती प्रक्रिया में व्याप्त प्रणालीगत समस्याओं की ओर राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है। यह ब्लॉग छात्रों के संघर्ष की प्रेरणाओं, मांगों और व्यापक प्रभावों का विश्लेषण करता है।

विरोध का कारण

एमपीपीएससी परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताओं, परिणामों में देरी, और पारदर्शिता की कमी के आरोपों के चलते इसकी कड़ी आलोचना हुई है। जब कई परीक्षा चक्रों में परिणामों की घोषणा में देरी, उत्तर कुंजी में विसंगतियां, और आयोग की जवाबदेही की कमी देखी गई, तो छात्रों का गुस्सा चरम पर पहुंच गया। ये समस्याएं न केवल असंख्य छात्रों की आकांक्षाओं को खतरे में डालती हैं बल्कि प्रणाली में सार्वजनिक विश्वास को भी कमजोर करती हैं।

मुख्य शिकायतों में समय पर अधिसूचनाओं और निर्धारित कार्यक्रमों का पालन न करना शामिल है। अभ्यर्थी अक्सर इन प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी में वर्षों लगाते हैं, व्यक्तिगत और पेशेवर अवसरों का त्याग करते हैं। देरी उनके करियर की योजनाओं को बाधित करती है, जिससे भावनात्मक और आर्थिक तनाव होता है। कई छात्रों के लिए यह विरोध केवल तत्काल चिंताओं के बारे में नहीं है बल्कि समग्र प्रणाली की अखंडता और दक्षता के बारे में भी है।

विरोध प्रदर्शन: एकजुट आवाज

विरोध प्रदर्शनों में सामाजिक, आर्थिक और क्षेत्रीय विभाजनों को पार करते हुए विभिन्न समूहों के छात्रों ने भाग लिया है। यह एकता उन साझा निराशाओं को रेखांकित करती है जो अपने अधिकारों से वंचित महसूस कर रहे अभ्यर्थियों में है। प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों को व्यक्त करने के लिए सड़कों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और प्रेस कॉन्फ्रेंस का सहारा लिया है। डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग उनके संदेश को तेज कर रहा है और देश भर से समर्थन प्राप्त कर रहा है।

प्रदर्शनकारियों द्वारा सामना की गई चुनौतियां

हालांकि विरोध प्रदर्शन ने गति पकड़ी है, लेकिन यह चुनौतियों से अछूता नहीं है। छात्रों को अक्सर अधिकारियों से प्रतिरोध और नीति निर्माताओं से तत्काल कार्रवाई की कमी का सामना करना पड़ता है। शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को कभी-कभी पुलिस हस्तक्षेप का सामना करना पड़ा है, जिससे स्थिति और जटिल हो जाती है। इसके अलावा, लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन का वित्तीय और भावनात्मक प्रभाव भारी हो सकता है, विशेष रूप से वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए।

इस मुद्दे को उजागर करने में मीडिया की भूमिका दोधारी तलवार रही है। जबकि कुछ आउटलेट्स ने व्यापक कवरेज प्रदान किया है, अन्य ने प्रदर्शनों को कम महत्व दिया या अलग-अलग घटनाओं पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकता है। मीडिया कथा में यह असंगति छात्रों के लिए व्यापक समर्थन प्राप्त करने में एक अतिरिक्त बाधा उत्पन्न करती है।

व्यापक प्रभाव

एमपीपीएससी छात्रों का विरोध केवल परीक्षाओं और परिणामों के बारे में नहीं है; यह भारतीय शिक्षा और भर्ती प्रणालियों में गहरे मुद्दों को दर्शाता है। शिकायतें उन प्रणालीगत अक्षमताओं की ओर इशारा करती हैं जो लाखों भारतीय युवाओं को स्थिर सरकारी नौकरियों की तलाश में प्रभावित करती हैं। इन चिंताओं को संबोधित करने के लिए अस्थायी समाधान से अधिक की आवश्यकता है; यह निष्पक्षता, दक्षता और जवाबदेही को प्राथमिकता देने वाले संरचनात्मक सुधारों की मांग करता है।

विरोध प्रदर्शन सामूहिक कार्रवाई की शक्ति को भी उजागर करते हैं। छात्रों, जिन्हें अक्सर व्यक्तिगत आकांक्षाओं के साथ एक विखंडित समूह के रूप में देखा जाता है, ने प्रणालीगत खामियों को चुनौती देने के लिए एकजुटता दिखाई है। यह एकता इस बात की याद दिलाती है कि जब लोग एक सामान्य उद्देश्य के पीछे खड़े होते हैं तो परिवर्तन की संभावना होती है।

आगे का रास्ता

एमपीपीएससी छात्रों द्वारा उठाए गए मुद्दों को हल करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

  1. तत्काल कार्रवाई: सरकार और एमपीपीएससी को छात्रों की तत्काल चिंताओं को दूर करने के लिए लंबित परिणाम जारी करने, विसंगतियों को सुधारने और आगामी परीक्षाओं के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
  2. सिस्टम में सुधार: दीर्घकालिक समाधान में प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण, सख्त समय सीमा लागू करना, और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र निगरानी तंत्र की स्थापना शामिल है।
  3. संवाद: अधिकारियों को छात्रों के प्रतिनिधियों के साथ सीधे जुड़ना चाहिए, उनकी चिंताओं को समझना चाहिए और समाधान की दिशा में मिलकर काम करना चाहिए।
  4. जागरूकता: छात्रों और कार्यकर्ताओं को अपने कारण के लिए जागरूकता बढ़ाने और सार्वजनिक समर्थन बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग जारी रखना चाहिए।

एमपीपीएससी छात्रों का विरोध उनके लचीलेपन और न्याय की मांग के प्रति दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। उनका संघर्ष एक ऐसी भर्ती प्रक्रिया की आवश्यकता को रेखांकित करता है जो पारदर्शिता, निष्पक्षता और दक्षता के मूल्यों को बनाए रखे। उनकी मांगों को संबोधित करके, सरकार और एमपीपीएससी के पास प्रणाली में विश्वास बहाल करने और देश भर में इसी तरह के मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक मिसाल स्थापित करने का अवसर है।
 

mppsc students protest over cm mohan yadav full fill demands

विस्तार

इंदौर में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) मुख्यालय के सामने चार दिनों से चल रहा छात्रों का प्रदर्शन रविवार सुबह समाप्त हो गया। कलेक्टर आशीष सिंह के आश्वासन के बाद छात्रों ने आंदोलन वापस लिया। देर रात ही छात्रों का एक दल मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिलने के लिए भोपाल भी रवाना हो गया। लगभग 89 घंटे तक चले इस आंदोलन में प्रदेशभर के 2,000 से अधिक छात्र शामिल हुए। 

सुबह 5 बजे समाप्त हुआ आंदोलन
अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे इन छात्रों में से दो अभ्यर्थी, अरविंद सिंह भदौरिया और राधे जाट, आमरण अनशन पर बैठे थे। गुरुवार रात से अनशन कर रहे अरविंद सिंह भदौरिया की हालत शनिवार को बिगड़ गई, जिसके चलते उन्हें चिकित्सा सहायता दी गई। छात्रों की कुछ मांगों को प्रशासन द्वारा स्वीकार कर लिया गया है। आधी रात को कलेक्टर आशीष सिंह और प्रशासन के अन्य अधिकारी प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच पहुंचे और लगभग ढाई घंटे तक चर्चा की। प्रशासन ने छात्रों को उनकी मांगों पर समाधान का आश्वासन दिया, जिसके बाद सुबह 5 बजे आंदोलन समाप्त हो गया। 

कुछ मांगें कोर्ट में होने के कारण पूरी नहीं हो सकती
प्रदर्शन स्थल पर तैनात भारी पुलिस बल और प्रशासन की सक्रियता के बावजूद छात्रों ने ठंड में डटे रहकर अपनी एकजुटता दिखाई। प्रशासन के आश्वासन के बाद छात्रों ने मुख्यालय के बाहर से अपना धरना समाप्त कर दिया। छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल अब मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए भोपाल रवाना हो चुका है। छात्रों से कहा गया कि मुख्यमंत्री सभी मांगों पर लिखित सहमति देंगे। वह खुद इसके बारे में जानकारी जारी करेंगे। प्रदर्शन के दौरान आयोग ने कुछ मांगों पर सहमति जताई, जबकि कुछ मांगे कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण उनके संबंध में बाद में निर्णय लिया जाएगा। इन मांगों को पूरा करने के लिए भी आयोग बैठक करेगा। 

कोर्ट वाले मामलों में हम कुछ नहीं कर सकते- आयोग
एमपीपीएससी के ओएसडी डॉ. रवींद्र पंचभाई ने कहा कि हम लगातार स्टूडेंट के संपर्क में हैं। जो विषय हमारे हाथ में है उस पर विचार कर रहे हैं। जो शासन के अधीन है उसे वहां फॉरवर्ड कर दिया है। ऐसे विषय जो हाई कोर्ट में विचाराधीन हैं उस पर हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।

FAQs

सवाल 1: एमपीपीएससी में परीक्षा प्रक्रिया कितनी पारदर्शी है?
एमपीपीएससी परीक्षा प्रक्रिया में कई सुधार हुए हैं, लेकिन अभी भी पारदर्शिता में सुधार की आवश्यकता है।

सवाल 2: हालिया विरोधों का क्या परिणाम रहा?
छात्रों ने कई मामलों में प्रशासन को उनके मुद्दों पर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया है।

सवाल 3: छात्रों की क्या-क्या मांगें हैं?
छात्र समय पर परिणाम, निष्पक्षता, और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।

सवाल 4: प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाए गए?
प्रशासन ने डिजिटल प्रक्रियाओं को लागू करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं।

सवाल 5: इन विरोधों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
इन विरोधों ने भर्ती प्रक्रियाओं में सुधार की मांग को बल दिया है और युवाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया है।

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यह भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे का निपटान करने का पांचवां प्रयास है, जहां 1984 में गैस रिसाव के कारण 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग बीमार हो गए थे।

भोपाल गैस त्रासदी के बचे लोगों ने पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के स्थानीय लोगों के साथ मिलकर सरकार की उस योजना का विरोध किया है जिसमें यूनियन कार्बाइड के अपशिष्ट को पीथमपुर भस्मक संयंत्र में निपटाने की बात कही गई है। उनका कहना है कि इससे औद्योगिक क्षेत्र और प्रदूषित होगा।

अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री, जहां से जहरीली गैस लीक हुई थी, जिसके कारण 1984 में भोपाल गैस त्रासदी हुई थी। (पीटीआई फोटो)
अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री, जहां से जहरीली गैस लीक हुई थी, जिसके कारण 1984 में भोपाल गैस त्रासदी हुई थी।

यह भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान का पांचवां प्रयास है, जहां 1984 में गैस रिसाव के कारण 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग बीमार हो गए थे।अब अपनी रुचियों से मेल खाने वाली कहानियाँ खोजें—खास तौर पर आपके लिए! यहाँ पढ़ें

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य सरकार और पर्यावरण मंत्रालय ने पीथमपुर में री-सस्टेनेबिलिटी लिमिटेड द्वारा संचालित सुविधा में कचरे के निपटान की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी है।

पीथमपुर बचाओ संघर्ष समिति के विरोध प्रदर्शन को समर्थन देते हुए भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, “यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को जलाने के बारे में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की तकनीकी प्रस्तुति के अनुसार, 337 मीट्रिक टन कचरे को जलाने के बाद 900 टन अवशेष निकलेंगे। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि इन 900 टन कचरे में ज़हरीले भारी धातुओं की मात्रा बहुत ज़्यादा होगी। पीथमपुर में तथाकथित सुरक्षित लैंडफिल पिछले कुछ सालों से ज़हरीले रिसाव कर रहे हैं। अधिकारियों के पास यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि 900 टन कचरे से निकलने वाले ज़हरीले तत्व पीथमपुर और उसके आस-पास के जल स्रोतों को दूषित न करें।”

यह भी पढ़ें: भोपाल त्रासदी से सबक

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा ने कहा कि इस तरह के निपटान से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा हो सकती है, इस संदेह के साथ कि “भोपाल से निकलने वाले खतरनाक कचरे को जलाने का काम साढ़े तीन महीने तक चलेगा। इतनी लंबी अवधि तक भस्मक से निकलने वाले वायुजनित जहर और कण पदार्थों के संपर्क में आने वाली आबादी की संख्या एक लाख से भी ज़्यादा है। यह जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा पैदा करने जैसा है”, ढींगरा ने कहा।

प्रश्न: किस भारतीय शहर में जीवन स्तर सर्वोत्तम है?दिल्लीmumbai

पीथमापुर के स्थानीय निवासी संदीप रघुवंशी ने बताया कि राज्य सरकार ने जहरीले कचरे को जर्मनी और भारत के अन्य राज्यों में निपटाने की कोशिश की थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण योजना को छोड़ दिया गया।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अब राज्य सरकार ने पीथमपुर के निवासियों के जीवन को खतरे में डालने का फैसला किया है।’’

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित नवाब खान ने कहा कि पर्यावरण मंत्री के रूप में भाजपा नेता जयंत मलैया और गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के मंत्री के रूप में बाबूलाल गौर ने कई बैठकों में भोपाल के कचरे को पीथमपुर में जलाने की योजना का विरोध किया था।

उन्होंने कहा, “गैस राहत आयुक्त ने वास्तव में पीथमपुर में आग लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। हम अब इन तथ्यों को सार्वजनिक कर रहे हैं ताकि पीथमपुर को धीमी गति वाले भोपाल में बदलने की प्रक्रिया में लगे अधिकारी बाद में यह न कह सकें कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।”

हालांकि, राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि निपटान मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर के निर्देशानुसार सभी अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए किया जाएगा।

3 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन की खंडपीठ ने भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी अभी तक डंप किए गए जहरीले कचरे को हटाने के लिए उठाए गए कदमों पर राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी थी।

उच्च न्यायालय के निर्देश सरकार के इस दावे पर आधारित हैं कि सार्वजनिक स्वास्थ्य या पर्यावरण को कोई खतरा पहुंचाए बिना कचरे के निपटान का सफल परीक्षण किया गया है।

वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने यूसीआईएल साइट पर पड़े कचरे को जलाने और उसके पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन करने का आदेश दिया था। इस निर्देश के तहत अगस्त 2015 में पीथमपुर औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन प्राइवेट लिमिटेड (पीआईडब्लूएमपीएल) के उपचार, भंडारण और निपटान सुविधा (टीएसडीएफ) में 10 मीट्रिक टन यूसीआईएल कचरे के निपटान के लिए ट्रायल रन किए गए थे।

भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “अदालत में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी), एमपीपीसीबी और मध्य प्रदेश सरकार (जीओएमपी) की निगरानी में परीक्षण किए गए थे। परीक्षण के नतीजों से पुष्टि हुई है कि भस्मक के सभी पैरामीटर निर्धारित मानदंडों के अनुरूप हैं और लोगों के जीवन के लिए कोई खतरा नहीं है।”

विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा, “प्रक्रिया मानदंडों के अनुसार शुरू हुई। हम कचरे के निपटान के लिए बहुत उच्च मानक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन कर रहे हैं। हम 6 जनवरी को उच्च न्यायालय को स्थिति रिपोर्ट देंगे।”

2-3 दिसंबर, 1984 की मध्य रात्रि को यूनियन कार्बाइड संयंत्र से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हो गई , जिसने बड़े पैमाने पर आवासीय क्षेत्रों को अपनी चपेट में ले लिया, 22,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई और पांच लाख से अधिक लोग जन्मजात विकृतियों से पीड़ित होकर अपंग हो गए।

भोपाल गैस पीड़ितों और पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने यूनियन कार्बाइड कचरे के खिलाफ प्रदर्शन किया

भोपाल गैस त्रासदी 1984 में हुई थी, जब यूनियन कार्बाइड कारखाने में मिथाइल आइसोसायनेट (MIC) लीक हो गया था। इस दुर्घटना में हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग घायल हुए। पीड़ितों को अभी भी शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हैं, और वे न्याय की मांग कर रहे हैं।

2024 में, भोपाल गैस पीड़ितों और पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने यूनियन कार्बाइड कचरे के खिलाफ प्रदर्शन किया। कचरा पीथमपुर में एक साइट पर संग्रहित है, और यह स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा है।

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि कचरे को सुरक्षित रूप से निपटाया जाए और पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यूनियन कार्बाइड को अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दुर्घटना के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

प्रदर्शन एक सफलता था। प्रदर्शनकारियों ने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया और अपनी आवाज सुनी गई। प्रदर्शन के बाद, मध्य प्रदेश सरकार ने कचरे को निपटाने के लिए एक योजना की घोषणा की।

यह प्रदर्शन भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए न्याय की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह दिखाता है कि वे हार नहीं मान रहे हैं और वे अपने अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखेंगे।

यहां कुछ तथ्य दिए गए हैं जो आपको भोपाल गैस त्रासदी के बारे में जानने चाहिए:

  • यह 1984 में भारत के भोपाल में हुआ था।
  • यह रासायनिक दुर्घटना इतिहास में सबसे घातक दुर्घटनाओं में से एक है।
  • अनुमानित 15,000 से 20,000 लोग मारे गए और लाखों लोग घायल हुए।
  • दुर्घटना के लिए यूनियन कार्बाइड कंपनी को जिम्मेदार ठहराया गया था।
  • पीड़ितों को अभी भी शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हैं।
  • वे न्याय और मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

यहां कुछ तथ्य दिए गए हैं जो आपको पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरे के बारे में जानने चाहिए:

  • कचरा पीथमपुर में एक साइट पर संग्रहित है।
  • यह स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा है।
  • पीड़ितों और स्थानीय लोग कचरे को सुरक्षित रूप से निपटाने की मांग कर रहे हैं।
  • वे यूनियन कार्बाइड को अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दुर्घटना के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

भोपाल गैस त्रासदी एक भयानक त्रासदी थी जिसने हजारों लोगों के जीवन को तबाह कर दिया। पीड़ितों को न्याय और मुआवजा मिलना चाहिए। यूनियन कार्बाइड को अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दुर्घटना के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के समर्थन में आप क्या कर सकते हैं:

  • आप भोपाल गैस पीड़ितों के समर्थन में दान दे सकते हैं।
  • आप भोपाल गैस त्रासदी के बारे में जागरूकता फैला सकते हैं।
  • आप अपने स्थानीय प्रतिनिधियों से संपर्क कर सकते हैं और उन्हें भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के समर्थन में कार्रवाई करने के लिए कह सकते हैं।

यूनियन कार्बाइड का 337 टन कचरा जलाने से कितना खतरा? पहले 10 टन ने 8 किमी तक किया था असर – BHOPAL GAS TREGEDY WASTE

भोपाल यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा जलाने में 126 करोड़ रु होंगे खर्च. पहले 10 टिन ने 8 किमी का भूजल दूषित किया था.

BHOPAL GAS TREGEDY WASTE

पीथमपुर में जलाया जाएगा यूनियन कार्बाइड का कचरा (ETV Bharat)

भोपाल: राजधानी में 40 साल पहले यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिससे हजारों लोग काल के गाल में समा गए थे. वहीं लाखों लोग इससे संक्रमित हुए और आज भी इसका दंश झेल रहे हैं. गैस कांड की वजह से बच्चे कई गंभीर बीमारियों के साथ पैदा होते हैं. वहीं अब इसके 337 मीट्रिक टन कचरे को जलाने की खबरों से लोग दहशत में हैं. दरअसल, 2015 में सरकार ने इसके 10 टन खतरनाक कचरे को बतौर ट्रायल जलाता था, इससे पैदा हुई 40 टन राख को इंदौर जिले के पीथमुर में दफनाया गया था लेकिन इससे 8 किमी क्षेत्र का भूजल दूषित हो गया था.

वहीं अब सरकार यहां पड़े 337 मीट्रिक टन कचरे को जलाकर डिस्पोज करेगी. हालांकि, इसका क्या असर होगा, ये कह पाना मुश्किल है. यही वजह है कि जिस जगह पर यह जहरीला कचरा जलाया जाना है, वहां के लोग विरोध पर उतर आए हैं.

गैस पीड़ित संगठनों ने किया विरोध (ETV Bharat)

‘तीन गुना बढ़ेगा जहरीला कचरा’

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा “यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के भस्मीकरण से पर्यावरण और वन मंत्रालय की तकनीकी प्रस्तुति के अनुसार, भस्मीकरण के बाद 900 मीट्रिक टन अवशेष बनेगा. यानी अभी जो कचरा जलाने जा रहे हैं, अवशेष उसका तीन गुना बचेगा. वहीं यह ध्यान रखने योग्य है कि इस 900 मीट्रिक टन में जहरीली धातुओं की बहुत अधिक मात्रा होगी. इधर, पीथमपुर में तथाकथित सुरक्षित लैंडफिल से पिछले कुछ सालों से जहरीला रिसाव जारी है. अधिकारियों के पास यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि 900 मीट्रिक टन अवशेषों से निकलने वाला जहर पीथमपुर और उसके आसपास के भूजल को प्रदूषित न करे.”

‘यूनियन कार्बाइड कंपनी अमेरिका ले जाए कचरा’

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा “सरकारी योजनाओं के अनुसार, भोपाल से निकलने वाले खतरनाक कचरे को साढ़े तीन महीने तक जलाया जाना है. इतने लंबे समय तक भस्मक से निकलने वाले धुएं में जहर और पार्टिकुलेट मैटर के चपेट में आने वाली आबादी की संख्या एक लाख से भी अधिक है. वर्तमान में जो काम जारी है वह जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक हादसा पैदा करने से कम नहीं है.”

रचना ढ़ींगरा ने कहा कि “यदि सरकार इस कचरे को इंदौर में जलाती है, तो वहां भी वायु और जल प्रदूषण बढ़ेगा. इससे अच्छा ये है कि या तो सरकार उस कचरे को वहीं पड़ा रहने दे या फिर यूनियन कार्बाइड कंपनी के प्रबंधन को यह जहरीला कचरा अमेरिका ले जाने का दबाव बनाए.”

पूर्व मंत्री बाबूलाल गौर और जयंत मलैया ने किया था विरोध

यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को पीथमपुर में जलाने के विरोध के लंबे इतिहास पर बोलते हुए भोपाल गैस पीड़ित महिला-पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने कहा “पर्यावरण मंत्री के तौर पर जयंत मलैया और गैस राहत मंत्री के तौर पर बाबूलाल गौर ने कई सरकारी बैठकों में भोपाल के कचरे को पीथमपुर में जलाने की योजना का विरोध किया था. गैस राहत आयुक्त ने तो कचरे को पीथमपुर में जलाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा तक दाखिल किया था.

हम ये तथ्य अब सबके सामने इसलिए ला रहे हैं ताकि पीथमपुर को धीमी गति से हो रहे भोपाल हादसे में बदलने की प्रक्रिया में लगे अधिकारी बाद में यह न कह सकें कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी.”

एक किलो कचरा जलाने पर आएगी 3000 रु की लागत

रचना ढींगरा ने बताया, “सरकार 337 मीट्रिक टन कचरे को जलाने में 126 करोड़ रु खर्च कर रही है. यह आंकड़ा पूरे विश्व में सबसे मंहगा है. जहां प्रति टन कचरा जलाने पर करीब 27 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे. यानी एक किलो कचरा जलाने की लागत 3 हजार रुपये प्रति किलो से अधिक है.” रचना ने बताया, “इससे पहले 2010 से 2015 के बीच पीथमपुर संयंत्र में जहरीले कचरे के निपटान के सात में से छह परीक्षण विफल रहे. क्योंकि इससे डाइऑक्सिन और फ्यूरान की मात्रा स्वीकार्य सीमा से 16 गुना अधिक हो गई थी.”

Bhopal gas tragedy : गैस पीड़ितों के समूह और पीथमपुर के लोगों ने यूनियन कार्बाइड कचरे के खिलाफ किया प्रदर्शन

Bhopal भोपाल: भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों और पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने पीथमपुर भस्मक में यूनियन कार्बाइड के ऊपर के कचरे के निपटान की सरकार की योजना का विरोध किया है और कहा है कि इससे औद्योगिक क्षेत्र और प्रदूषित होगा। यह भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने में कचरे के निपटान का पांचवां प्रयास है, जहां 1984 में गैस रिसाव के कारण 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग बीमार हो गए थे।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर, राज्य सरकार और पर्यावरण मंत्रालय ने पीथमपुर में री-सस्टेनेबिलिटी लिमिटेड द्वारा संचालित सुविधा में कचरे के निपटान की प्रक्रिया फिर से शुरू की है। पीथमपुर बचाओ संघर्ष समिति के विरोध को समर्थन देते हुए, भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, “यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे के भस्मीकरण पर पर्यावरण और वन मंत्रालय की तकनीकी प्रस्तुति, 337 मीट्रिक टन के भस्मीकरण के बाद 900 टन अवशेष उत्पन्न होंगे। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन 900 टन में जहरीली भारी धातुओं की बहुत अधिक मात्रा होगी। पिछले कुछ सालों से पीथमपुर में तथाकथित सुरक्षित लैंडफिल से ज़हरीला पानी निकल रहा है। अधिकारियों के पास यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि 900 टन अवशेषों से निकलने वाले ज़हरीले तत्व पीथमपुर और उसके आस-पास के जल स्रोतों को दूषित न करें।”

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा ने कहा कि इस बात का संदेह है कि निपटान से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा हो सकती है, उन्होंने कहा, “भोपाल से निकलने वाले ख़तरनाक कचरे को जलाने का काम साढ़े तीन महीने तक चलेगा। इतनी लंबी अवधि तक भस्मक से निकलने वाले वायुजनित ज़हर और कण पदार्थों के संपर्क में आने वाली आबादी की संख्या एक लाख से ज़्यादा है। यह जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा पैदा करने से कम नहीं है”, ढींगरा ने कहा।

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के समूह और पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने यूनियन कार्बाइड द्वारा छोड़े गए कचरे के खिलाफ प्रदर्शन किया है। यह प्रदर्शन पीथमपुर में आयोजित किया गया था, जहां यूनियन कार्बाइड का कचरा संग्रहीत है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कचरा स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा है। उन्होंने मांग की है कि कचरे को सुरक्षित तरीके से निपटाया जाए और पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाए। साथ ही, उन्होंने यूनियन कार्बाइड से इस दुर्घटना के लिए माफी की भी मांग की है।

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यूनियन कार्बाइड का कचरा: पीथमपुर में प्रदर्शन, भोपाल गैस पीड़ितों का विरोध,पीथमपुर में कचरे के खिलाफ आंदोलन

यह भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे का निपटान करने का पांचवां प्रयास है, जहां 1984 में गैस रिसाव के कारण 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई

सुकन्या समृद्धि योजना(Sukanya Samridhi Yojana): एक सुरक्षित भविष्य की ओर,बेटियों के भविष्य को संवारें

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सुकन्या समृद्धि योजना(Sukanya Samridhi Yojana)

भारत सरकार द्वारा लॉन्च की गई सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) एक लंबी अवधि की बचत योजना है, विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा और विवाह के लिए डिज़ाइन की गई है। यह योजना माता-पिता/अभिभावकों को अपनी बेटियों के भविष्य के लिए सुरक्षित और लाभदायक निवेश करने में सहायता करती है।

योजना की प्रमुख विशेषताएं:

  • लक्ष्य: लड़कियों की शिक्षा और विवाह के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • योग्यता: केवल 10 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के लिए।
  • खाता खोलने की अवधि: लड़की के जन्म से 10 वर्ष की आयु तक।
  • निवेश सीमा: न्यूनतम 250 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये प्रति वर्ष।
  • ब्याज दर: सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित की जाती है और त्रैमासिक आधार पर जमा राशि पर देय होती है।
  • परिपक्वता अवधि: 21 वर्ष।
  • कर लाभ: निवेश पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कर लाभ उपलब्ध है।

योजना के लाभ:

  • लंबी अवधि का निवेश: लंबी अवधि के निवेश के कारण उच्च रिटर्न की संभावना।
  • सरकारी समर्थन: सरकार द्वारा समर्थित योजना, जो निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करती है।
  • कर लाभ: निवेश पर कर लाभ मिलने से निवेशकों को अधिक बचत करने में मदद मिलती है।
  • लड़कियों के लिए विशेष: लड़कियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक विशेष योजना।

खाता कैसे खोलें:

  • योग्यता: लड़की का जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता/अभिभावक के पहचान प्रमाण पत्र।
  • बैंक/डाकघर: अधिकृत बैंकों या डाकघरों में खाता खोला जा सकता है।
  • आवेदन पत्र: आवेदन पत्र भरकर जमा करें।
  • न्यूनतम जमा राशि: खाता खोलते समय न्यूनतम 250 रुपये जमा करें।

निवेश कैसे करें:

  • नकद: नकद जमा करके।
  • चेक/ड्राफ्ट: चेक या बैंक ड्राफ्ट द्वारा।
  • ऑनलाइन: नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से।

निकासी नियम:

  • आंशिक निकासी: परिपक्वता से पहले आंशिक निकासी की अनुमति है, लेकिन कुछ शर्तों के अधीन।
  • पूरी तरह से निकासी: परिपक्वता पर पूरी तरह से निकासी की अनुमति है।

योजना की समीक्षा:

सुकन्या समृद्धि योजना एक उत्कृष्ट बचत विकल्प है, विशेष रूप से उन माता-पिता/अभिभावकों के लिए जो अपनी बेटियों के भविष्य के लिए दीर्घकालिक निवेश की योजना बना रहे हैं। योजना की उच्च ब्याज दर, कर लाभ और सरकारी समर्थन इसे एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं।

नोट:

  • योजना की नियम और शर्तें समय-समय पर बदल सकती हैं।
  • निवेश करने से पहले कृपया संबंधित बैंक/डाकघर से नवीनतम जानकारी प्राप्त करें।

Disclaimer:

यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है और वित्तीय सलाह नहीं है। निवेश निर्णय लेने से पहले कृपया एक योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।

सुकन्या समृद्धि योजना(Sukanya Samriddhi Yojana): स्कीम के बेनिफिट्स, इंटरेस्ट रेट, ऐज लिमिट, प्लान, ऑनलाइन फॉर्म, सारी डिटेल्स जानिए

सुकन्या समृद्धि योजना Sukanya scheme यानी कि SSY भारत सरकार की एक बचत योजना है. बेटी पढाओ, बेटी बचाओ योजना के तहत केंद्र सरकार की तरफ से शुरू की गई योजना है. सुकन्या समृद्धि योजना का उद्देश्य है कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में जन्म लेने वाली बच्चियों को भविष्य में आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़े.

हाइलाइट्स

  • सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत वैसे तो परिवार की केवल दो बेटियों को ही लाभार्थी बनाया जा सकता है. लेकिन कुछ मामलों में यह संख्या बढ़ सकती है.
  • यदि परिवार में पहले से एक बेटी है और फिर जुड़वां या इससे ज्यादा बच्चियों का जन्म एक साथ होता है तो उन्हें भी योजना का लाभार्थी बनाया जाएगा.
  • पहले से जुड़वां या दो से ज्यादा बच्चियों के एक साथ जन्म के मामले में बाद में जन्म लेने वाली बच्ची इस योजना के अंतर्गत पात्र नहीं होगी.
  • क़ानूनी रूप से गोद ली हुई बच्ची को भी योजना का लाभ दिया जाएगा.

नई दिल्ली: बेटी पढाओ, बेटी बचाओ योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana ) की शुरुआत की. SSY की शुरुआत इसलिए की गई जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में जन्म लेने वाली बच्चियों को भविष्य में आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़े. Sukanya एक छोटी बचत योजना है, जो लंबी अवधि के लिए संचालित की जाती है. सुकन्या योजना में माता-पिता अपनी बेटियों के नाम पर निवेश करते हैं. SSY में निवेश पर उन्हें इनकम टैक्स में छूट भी मिल सकती है. साथ ही इसमें बेटियों के नाम एक बड़ा फंड एकत्रित हो जाता है. सुकन्या समृद्धि योजना में बेटियों की उम्र 10 वर्ष पूरी होने से पहले निवेश किया जाता है.

योजना का नामसुकन्या समृद्धि योजना
किसके द्वारा शुरू की गईकेंद्र सरकार
सुकन्या समृद्धि योजना का उद्देश्यबच्चियों के भविष्य को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना. उनकी शादी और पढ़ाई के लिए रकम एकत्रित करना
पात्रताबच्चियों की उम्र 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए.
कितनी बच्चियों को मिलेगा लाभपरिवार की दो बेटियों को लाभार्थी बनाया जाएगा.
उद्देश्यबच्चियों की शादी तथा उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक मजबूती प्रदान करना

सुकन्या समृद्धि योजना की खास बातें (Sukanya Samriddhi Yojana)

इस योजना के अंतर्गत माता-पिता या अभिभावक बच्चियों के नाम पर खाता खोलते हैं. ताकि उनकी शादी या उच्च शिक्षा हासिल करने में उन्हें आर्थिक सहायता मिल सके. सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana ) के अंतर्गत खोले गए खाते में कम से कम 15 साल का निवेश करना जरुरी होता है. खाते में किये गए निवेश पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 7.6% की दर से ब्याज दिया जा रहा है. यदि निवेशकर्ता सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत एक साल में 1.5 लाख रुपये या इससे अधिक का निवेश करते हैं तो उन्हें टैक्स में छूट भी मिलती है. इसीलिए निवेशकों को भविष्य में अपनी बेटियों के लिए बड़ी रकम एकत्रित करने के लिए इस योजना में निवेश की सलाह दी जाती है.

परिवार की कितनी बेटियों को मिलेगा लाभ

  • सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत वैसे तो परिवार की केवल दो बेटियों को ही लाभार्थी बनाया जा सकता है. लेकिन कुछ मामलों में यह संख्या बढ़ सकती है.
  • यदि परिवार में पहले से एक बेटी है और फिर जुड़वां या इससे ज्यादा बच्चियों का जन्म एक साथ होता है तो उन्हें भी योजना का लाभार्थी बनाया जाएगा.
  • पहले से जुड़वां या दो से ज्यादा बच्चियों के एक साथ जन्म के मामले में बाद में जन्म लेने वाली बच्ची इस योजना के अंतर्गत पात्र नहीं होगी.
  • क़ानूनी रूप से गोद ली हुई बच्ची को भी योजना का लाभ दिया जाएगा.

सुकन्या समृद्धि योजना के फायदे

  • यह एक सरकारी सेविंग स्कीम है. जिसे केन्द्रीय सरकार द्वारा बेटियों के भविष्य को उज्जवल बनाने से उद्देश्य से शुरू किया गया है.
  • यह एक सरकारी योजना है इसीलिए इसमें बाजार जोखिम नहीं है. यानी गारंटीड रिटर्न मिलता है.
  • सुकन्या समृद्धि योजना एक लंबी अवधि के लिए शुरू की गई छोटी बचत योजना है. जिसमें वार्षिक कंपाउडिंग का लाभ मिलता है. यानी कम निवेश में भी अच्छा रिटर्न प्राप्त होता है.
  • गोद ली हुई बच्ची यानी दत्तक पुत्री को भी इसमें शामिल किया जाता है.
  • परिवार की केवल दो बेटियों को योजना का लाभ मिलेगा.
  • सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत निवेशक अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार निवेश कर सकता है. इसमें एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 250 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक निवेश किये जा सकते हैं.
  • कन्या की उम्र 18 साल की हो जाने या कक्षा दसवीं उत्तीर्ण करने के बाद भी खाते से कुछ राशि निकाली जा सकती है. लेकिन आप एक साल में केवल एक बार ही खाते से निकासी कर सकते हैं.
  • सुकन्या समृद्धि योजना को भारत सरकार ने करमुक्त रखा है. इसमें निवेश की गई राशि, उस पर प्राप्त ब्याज के साथ ही साथ मैच्युरिटी पर मिलने वाली राशि भी टैक्स फ्री होती है. यानी सुकन्या समृद्धि योजना निवेशकों को बचत के साथ ही टैक्स बेनिफिट भी देती है.
  • जरूरत पड़ने पर खाते को एक पोस्ट ऑफिस से दूसरे पोस्ट ऑफिस या एक बैंक से दूसरे बैंक में आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है. लेकिन यह तभी किया जाता है जब खाता धारक मूल जगह से कहीं और चला गया हो. ऐसे मामले में उन्हें शिफ्ट होने का प्रूफ दिखाना होगा. जिसके बाद सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत खोले गए खाते का ट्रांसफर हो जाएगा.

सुकन्या समृद्धि योजना की आयु सीमा

10 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के नाम पर माता-पिता या परिवार का कोई भी सदस्य सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत खाता खुलवा सकते हैं. इस योजना के अंतर्गत 15 साल तक निवेश करना अनिवार्य है. इसकी परिपक्वता अवधि 21 साल होती है.

सुकन्या समृद्धि योजना ब्याज दरें

इस छोटी बचत योजना पर मिलने वाले ब्याज की दर सरकार द्वारा तय की जाती है. ब्याज दर 8.4% से घटाकर 7.6% कर दिया गया है. इस पर मिलने वाला ब्याज अब पूरी तरह से करमुक्त है.

वित्तीय वर्षब्याज दरें
वित्तीय वर्ष 2022-23 – पहली तिमाही, अप्रैल से जून 20227.6%
वित्तीय वर्ष 2021-22 – चौथी तिमाही, जनवरी से मार्च 2022 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2021-22 – तीसरी तिमाही, अक्टूबर से दिसंबर 2021 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2021-22 – दूसरी तिमाही, जुलाई से सितंबर 2021 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2021-22 – पहली तिमाही, अप्रैल से जून 2021 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2020-21 – चौथी तिमाही, जनवरी से मार्च 2021 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2020-21 – तीसरी तिमाही, अक्टूबर से दिसंबर 2020 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2020-21 – दूसरी तिमाही, जुलाई से सितंबर 2020 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2020-21 – पहली तिमाही, अप्रैल से जून 2020 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2019-20 – चौथी तिमाही, जनवरी से मार्च 2020 तक8.4%
वित्तीय वर्ष 2019-20 – तीसरी तिमाही, अक्टूबर से दिसंबर 2019 तक8.4%
वित्तीय वर्ष 2019-20 – दूसरी तिमाही, जुलाई से सितंबर 2019 तक8.4%
वित्तीय वर्ष 2019-20 – पहली तिमाही, अप्रैल से जून 2019 तक8.5%
वित्तीय वर्ष 2018-19 – चौथी तिमाही, जनवरी से मार्च 2019 तक8.5%
वित्तीय वर्ष 2018-19 – तीसरी तिमाही, अक्टूबर से दिसंबर 2018 तक8.5%
वित्तीय वर्ष 2018-19 – दूसरी तिमाही, जुलाई से सितंबर 2018 तक8.1%
वित्तीय वर्ष 2018-19 – पहली तिमाही, अप्रैल से जून 2018 तक8.1%

सुकन्या समृद्धि योजना में खाता खोलने की प्रक्रिया

  1. बेटियों के नाम पर सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana ) में अकाउंट खोलने के लिए माता-पिता का अभिभावक को बैंक या पोस्ट ऑफिस से योजना का आवेदन फॉर्म प्राप्त करना होगा.
  2. आवेदन पत्र में पूछी गई सभी जानकारी जैसे माता-पिता या अभिभावक का नाम, बच्ची का नाम, उम्र जैसी जानकारियों को अच्छे से पढ़कर भरें.
  3. आवेदन फॉर्म के साथ कई दस्तावेज भी जमा करने होंगे. जैसे माता-पिता का आय प्रमाण पत्र, बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र.
  4. जिस बैंक या पोस्ट ऑफिस से आपने आवेदन फॉर्म प्राप्त किया था वहीं जाकर उसे जमा कराए.
  5. इस पूरी प्रक्रिया के बाद सुकन्या समृद्धि योजना में आवेदन हो जाएगा.

सुकन्या समृद्धि योजना में अकाउंट बैलेंस कैसे चेक करें

आप घर बैठे भी सुकन्या समृद्धि योजना के खाते का बैलेंस चेक कर सकते हैं. लेकिन आपको आप लॉगिन क्रैडेंशियल्स होना चाहिए. लॉगिन क्रैडेंशियल्स बैंक द्वारा प्रदान किया जाता है. हालांकि सभी बैंकों में यह सुविधा नहीं है. इसीलिए सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत खाता खुलवाने से पहले बैंक के लॉगिन क्रैडेंशियल्स की भी जानकारी जरुर लें. बैंक से लॉगिन क्रैडेंशियल्स लेने के बाद बैंक के इंटरनेट बैंकिंग पोर्टल पर जाएं. इसमें होम पेज पर ही बैलेंस चेक करने के बारे में विकल्प आ जाएगा. जिसे क्लिक करते ही आप सुकन्या समृद्धि खाते का बैलेंस देख पाएंगे.

सुकन्या समृद्धि योजना में जमा पैसा निकालने का नियम

योजना के परिपक्व हो जाने यानी सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत खाता खुलवाने के 21 साल बाद या बालिका के 18 वर्ष के होने पर खाते से राशि निकाली जा सकती है. या फिर बच्ची के कक्षा दसवीं उत्तीर्ण करने के बाद आगे की शिक्षा के लिए भी पचास प्रतिशत राशि निकाली जा सकती है. लाभार्थी चाहे तो निकासी एक साथ कर सकता है या फिर किस्तों में. पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में खाते में जो भी शेष राशि बचती है उसके अधिकतम 50 प्रतिशत की निकासी की जा सकती है.

सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana ) में कब बंद कर सकते हैं खाता

वैसे तो सुकन्या समृद्धि योजना में 15 साल तक निवेश करना जरुरी ही है. लेकिन कुछ स्थिति में खाते को समय से पहले बंद किया जा सकता है.

  1. बच्ची की मृत्यु की दशा में – जिस बच्ची के नाम पर सुकन्या समृद्धि योजना में खाता खोला गया है उसकी मृत्यु हो जाती है तो खाते बंद कर दिया जाता है.
  2. अभिभावक की मृत्यु होने पर – खाते का संचालन जिस भी अभिभावक के द्वारा किया जाता है उसकी मृत्यु होने पर भी खाता बंद किया जा सकता है.
  3. जानलेवा बीमारी से ग्रसित होने पर – खाताधारक को कोई जानलेवा बीमारी हो जाने पर भी खाते को समय से पहले बंद किया जा सकता है.
  4. विदेश में बस जाने या शादी हो जाने पर – यदि बच्ची विदेश में बस जाती है. या विदेश में उसकी शादी 21 साल की होने से पहले हो जाती है तो भी खाते को बंद कर दिया जाएगा.
  5. कमजोर आर्थिक स्थिति होने पर – कई बार ऐसे मामले भी सामने आये हैं कि अभिभावकों की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा कमजोर हो जाती है कि वी निवेश की राशि का भुगतान नहीं कर पाते. ऐसी दशा में भी खाते को बंद किया जा सकता है.

सुकन्या समृद्धि योजना में इनकम टैक्स बेनिफिट

बेटियों के लिए शुरू की गई सुकन्या समृद्धि योजना इसीलिए भी ख़ास है क्योंकि इससे निवेशकों को कई तरह से टैक्स बेनिफिट मिलता है. सबसे पहले तो योजना में निवेश की गई राशि, मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी राशि करमुक्त होती है. इतना ही नहीं इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80C के अंतर्गत निवेश की गई मूल राशि पर निवेशक हर साल 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं.

सुकन्या समृद्धि योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन

आप आरबीआई की वेबसाइट या अन्य कुछ संस्थानों की आधिकारिक साईट से भी सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत खाता खुलवाने के लिए आवेदन पत्र डाउनलोड कर सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक की आधिकारिक साईट के अलावा, द इंडिया पोस्ट की आधिकारिक वेबसाईट एसबीआई, पीएनबी, बीओबी जैसी सार्वजनिक क्षेत्रों की आधिकारिक वेबसाईट, एक्सिस बैंक, ICICI बैंक जैसे योजना में शामिल निजी क्षेत्र के बैंकों की आधिकारिक वेबसाईट के माध्यम से भी आवेदन फॉर्म डाउनलोड किये जा सकते हैं.

सुकन्या समृद्धि योजना कैलकुलेटर

कैलकुलेटर के माध्यम से उस राशि की गणना की जाती है जो आवेदक को मैच्योरिटी पर दी जाती है. इसमें यह मानकर गणना की जाती है कि प्रत्येक बार की किश्त एक जैसी ही थी. इसमें 15वें से 21 वें वर्ष में कोई भी निवेश की आवश्यकता नहीं होती. पुराने निवेश के आधार पर ही गणना होती है. सुकन्या समृद्धि योजना में मैच्योरिटी पर प्राप्त होने वाली राशि कैलकुलेटर के माध्यम से ज्ञात करने के लिए बच्ची की आयु और योगदान की राशि बतानी होगी. जिसके लिए एक फ़ॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है.

सुकन्या समृद्धि योजना कैलकुलेशन का फ़ॉर्मूला – A=P(1+r/n)^n

जिसमें A का मतलब चक्रवृद्धि ब्याज, P का मतलब मूल निवेश राशि, R का मतलब निवेश पर मिलने वाली ब्याज दर, N का मतलब एक वर्ष में ब्याज में चक्रवृद्धि और T का मतलब अवधि यानी कुल वर्षों की संख्या

इस फ़ॉर्मूले के अनुसार यदि आप हर साल सुकन्या समृद्धि योजना में 1000 रुपये का निवेश करते हैं तो 14 साल में निवेश की कुल राशि 14000 रुपये हो जाएगी. जिस पर आपको 21 वर्ष में मेच्योरिटी राशि लगभग 46,821 रुपये मिलेगी. हर साल 2000 रुपये का निवेश करने पर मेच्योरिटी की राशि दोगुनी से भी ज्यादा 93,643 हो जाएगी. यानी इसमें आपको चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ मिलेगा.

सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत आप एक साल में 1 लाख रुपये का निवेश कर रहे हैं. निवेश की अवधि 15 साल है. यानी आपका कुल निवेश 15 लाख रुपये का किया. 7.6% ब्याज दर के अनुसार 21 साल बाद आपको लगभग 3,10,454.12 रुपये का ब्याज मिलेगा. यानी मैच्योरिटी के समय आपको 43,95,380.96 रुपये मिलेंगे. जो करमुक्त होंगे.

सुकन्या समृद्धि योजना के लिए जरूरी डॉक्यूटमेंट्स

  • बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र,
  • बच्ची का पहचान पप्रमाण पत्र,
  • बच्ची एवं अभिभावकों का आधार कार्ड,
  • जुड़वा या तिड़वा बच्चियां होने की दशा में अभिभावक का एफिडेविड
  • माता-पिता या अभिभावकों की पासपोर्ट साइज फोटो
  • स्थाई पता
  • बैंक या पोस्ट ऑफिस द्वारा मांगे जाने वाले अन्य सभी दस्तावेज

सुकन्या समृद्धि योजना में बदलाव

  • कोई भी लड़की 18 वर्ष की होने पर अब खाते का संचालन कर पाएगी. शुरुआत में यह उम्र 10 वर्ष रखी गई थी. हालाँकि अभी भी 18 वर्ष की उम्र में बच्चियों के हाथ में संचालन जाने को लेकर बहस छिड़ी हुई है.
  • पहले आपको सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत एक साल में कम से कम 250 रुपये जमा कराने ही होते थे. ऐसा नहीं करने पर योजना के अंतर्गत डिफाल्टर घोषित किया जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. यदि आप किसी कारणवश 250 रुपये भी जमा नहीं कर पाते हैं तो ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं होगा और न ही आपको डिफाल्टर घोषित किया जाएगा.
  • समय से पूर्व खाता बंद करने के लिए पहले केवल दो कारण थे. पहला बच्ची की अचानक मृत्यु हो जाने और दूसरा बेटी के एनआरआई हो जाने पर. लेकिन अब किसी जानलेवा खतरनाक बीमारी होने और माता-पिता या अभिभावक की मृत्यु होने पर भी सुकन्या समृद्धि योजना के खाते को बंद किया जा सकता है.

सुकन्या समृद्धि योजना

देय ब्याज दरें, आवधिकता आदि .
खाता खोलने के लिए न्यूनतम राशि और अधिकतम शेष राशि जिसे बरकरार रखा जा सकता है
ब्याज दर 7.6% प्रति वर्ष(01.01.2023 से प्रभावी), वार्षिक चक्रवृद्धि एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 250 रूपये और अधिकतम 1,50,000 रूपये. बाद में 50 रूपये के गुणक में जमा करें. एकमुश्त जमा किया जा सकता है. एक महीने या एक वित्तीय वर्ष में जमा की संख्या पर कोई सीमा नहीं है.
अभिदान/खाता खोलने के केन्द्र: – सभी शाखाओं के द्वारामोबाइल बैंकिंग एवं इन्टरनेट बैंकिंग.
प्रमुख विशेषताएं
(ए) कौन खोल सकता है?:-
-> अभिभावक द्वारा 10 वर्ष से कम आयु की कन्या के नाम पर.
-> भारत में बालिका के नाम पर डाकघर या किसी भी बैंक में केवल एक ही खाता खोला जा सकता है.-> यह खाता एक परिवार में अधिकतम दो लड़कियों के लिए खोला जा सकता है. किन्तु जुडवां/एक साथ तीन बच्चियों के जन्म के मामले में दो से अधिक खाते खोले जा सकते हैं​(बी) जमा :-
(i) 250 रूपये की न्यूनतम प्रारंभिक जमा राशि के साथ खाता खोला जा सकता है.

 
(ii) एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 250 रूपये और अधिकतम 1.5 लाख रूपये तक राशि जमा की जा सकती है. यह राशि एकमुश्त या कई किश्तों में जमा की जा सकती है  .
(iii) खाते में खाता खोलने की तारीख से अधिकतम 15 वर्ष पूरे होने तक जमा किया सकता है .
(iv) यदि किसी वित्तीय वर्ष में किसी खाते में न्यूनतम राशी 250 रूपये जमा नहीं किया जाता, तो खाते को चूक कर्ता खाते के रूप में माना जाएगा.
(v) चूक कर्ता खाते को प्रत्येक चूक कर्ता वर्ष के लिए न्यूनतम 250 रूपये + 50 रूपये का भुगतान करके खाता खोलने की तारीख से 15 वर्ष पूरा होने से पहले पुनः चालू किया जा सकता है
(vi) जमा आयकर अधिनियम की धरा 80सी के तहत कटौती के लिए अर्हता प्राप्त हैं .(सी) ब्याज :-
(i) ब्याज दर तिमाही आधार पर वित्त मंत्रालय द्वारा अधिसूचित अनुसार लागू होगी.
(ii) ब्याज की गणना कैलेंडर माह के लिए पांचवे दिन की समाप्ति और महीने के अंत के बीच खाते में सबसे कम शेष राशि पर की जाएगी .
(iii) ब्याज प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में खाते में जमा किया जाएगी.
(iii) वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर खाते की स्थिति देखते हुए ही ब्याज प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में खाते में जमा किया जाएगी. (यानि बैंक से दूसरे बैंक/पीओ या इसके विपरीत खाते के हस्तांतरण मामले में)
(iv) अर्जित ब्याज आयकर अधिनियम के तहत कर मुक्त है .(डी) खाते का संचालन :–> बालिका के वयस्क(18 वर्ष) होने तक खाता अभिभावक द्वारा संचालित किया जाएगा​(इ) निकासी :-
(i)बालिका के 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने या 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद खाते से निकासी की जा सकती है .
(ii) निकासी पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में उपलब्ध शेष राशि का 50% तक लिया जा सकता है .
(iii)निकासी एकमुश्त या किश्तों में की जा सकती है, किन्तु प्रति वर्ष एक से अधिक नहीं, अधिकतम पांच वर्षों के लिए, निर्दिष्ट सीमा के अधीन और शुल्क/अन्य शुल्कों की वास्तविक आवश्यकता के अधीन.
(एफ) समयपूर्व समापन :-
(i) निम्नलिखित शर्तों पर खाता खोलने के 5 साल बाद समय से पहले खाता बंद किया जा सकता है : –>खाताधारक की मृत्यु पर(मृत्यु की तिथि से भुगतान की तिथि तक पीओ बचत खाता ब्याज दर लागू होगी).-> अत्यंत सहानुभूति के आधार पर(i) खाताधारक की जानलेवा बीमारी .
(ii) अभिभावक की मृत्यु जिसके द्वारा खाता संचालित किया गया .
(iii) इस तरह के निपटारे के लिए पूर्ण दस्तावेज और आवेदन आवश्यक है .
(vi)खाते को समय से पहले बंद करने के लिए संबंधित शाखा में पासबुक के साथ निर्धारित आवेदन पत्र जमा करें ..
​(जी) परिपक्वता पर समापन:-
(i) खाता खोलने की तारीख से 21 साल बाद.
(ii) या 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद बालिका के विवाह के समय(शादी की तारीख से 1 महीने पहले या 3 महीने बाद).नोट: चूंकि यह भारत सरकार की योजना है. इसलिए उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे योजना में नवीनतम निर्देशों/सुधारों के लिए आरबीआई/सरकारी वेबसाइट पर जाएं.

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  1. सुकन्या समृद्धि योजना के खाते पर लोन लिया जा सकता है ?
    • नहीं, इसमें ऐसा कोई भी विकल्प नहीं दिया गया है. एक बार खाता खुलवाने के बाद बच्ची के 18 वर्ष की होने या कक्षा दसवीं उत्तीर्ण करने की दशा में ही 50 प्रतिशत राशि खाते से निकाली जा सकती है.
  2. सुकन्या समृद्धि योजना बेटों के लिए भी है ?
    • केंद्र सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत केवल बेटियों के लिए की है.
  3. क्या जातीय आधार पर सुकन्या समृद्धि योजना की उम्र सीमा में कोई छूट दी जाती है?
    • नहीं, सुकन्या समृद्धि योजना का लाभ केवल तभी उठाया जा सकता है जब बच्ची की उम्र 10 साल से कम हो.
  4. सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत एक बच्ची के नाम पर कितने खाते खोले जा सकते हैं ?
    • केवल एक, सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत बच्ची के नाम पर केवल एक ही खाता खोला जा सकता है. माता या पिता अलग-अलग या फिर कोई अन्य अभिभावक अलग से खाता नहीं खोल सकते.
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कैट परिणाम 2024

IIM कलकत्ता ने CAT 2024 का रिजल्ट घोषित कर दिया है। CAT 2024 का रिजल्ट और स्कोरकार्ड परीक्षा की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है और लॉगिन लिंक भी एक्टिवेट कर दिया गया है। IIM कलकत्ता द्वारा CAT 2024 टॉपर्स का डेटा भी जारी किए जाने की उम्मीद है। 14 उम्मीदवारों ने 100 पर्सेंटाइल स्कोर किया है, जिनमें से 1 महिला उम्मीदवार है। 29 उम्मीदवारों ने 99.99 पर्सेंटाइल स्कोर किया है, जिनमें से 2 उम्मीदवार महिला हैं और 30 उम्मीदवारों ने 99.98 पर्सेंटाइल स्कोर किया है, जिनमें से 1 महिला है।

CAT 2024 परीक्षा 24 नवंबर, 2024 को आयोजित की गई थी। यह परीक्षा पूरे भारत में 385 से अधिक परीक्षा केंद्रों पर तीन पालियों में आयोजित की गई थी। IIM कलकत्ता ने 3 दिसंबर को अनंतिम CAT 2024 उत्तर कुंजी और 16 दिसंबर, 2024 को अंतिम CAT 2024 उत्तर कुंजी जारी की। आधिकारिक CAT उत्तर कुंजी 2024 के खिलाफ लगभग 405 आपत्तियाँ उठाई गईं, लेकिन उनमें से किसी को भी वैध नहीं माना गया।

नवीनतम शैक्षणिक घटनाओं के बारे में अपडेट रहना बस एक क्लिक दूर हैमोबाइल नंबर दर्ज करेंअभी पंजीकरण करें

CAT 2024 परिणाम कैसे डाउनलोड करें?

CAT  2024 का परिणाम केवल ऑनलाइन मोड में जारी किया गया है। हालाँकि, कुछ उम्मीदवार लॉगिन पेज नहीं देख पा रहे हैं। उम्मीदवारों को CAT परिणाम 2024 डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करना होगा:

  • iimcat.ac.in वेबसाइट पर जाएं
  • होमपेज पर दिए गए ‘स्कोरकार्ड डाउनलोड’ विकल्प पर क्लिक करें
  • लॉगिन करने के लिए CAT 2024 आईडी और पासवर्ड दर्ज करें
  • CAT 2024 स्कोरकार्ड विंडो का पता लगाएँ
  • स्कोरकार्ड को पीडीएफ के रूप में डाउनलोड करें

CAT 2024 परिणाम डेटा

आईआईएम कलकत्ता द्वारा आज जारी किए गए कैट 2024 परिणाम डेटा नीचे देखें। 

CAT 2023 परिणाम टॉपर सूची (पिछले वर्ष)

सुविधा के लिए हमने पिछले साल के CAT परीक्षा के टॉपर्स की सूची साझा की है। टॉपर का नाम और उनके द्वारा प्राप्त अंक देखें। 

कैट टॉपर का नामकैट टॉपर स्कोर
निशाकर कुमार99.83
श्रीमंत सिंगी99.28
ऋतिक शर्मा98.27
कैट टॉपर्सलिंग और 
अनुशासन
राज्य
100
प्रतिशतक 14 – संख्या 
महिला – 1
 पुरुष – 13
 इंजीनियरिंग – 13
 नॉन-इंजीनियरिंग – 1
आंध्र प्रदेश 1
दिल्ली 2
हरियाणा 1
केरल 1
महाराष्ट्र 5
ओडिशा 1
राजस्थान 1
तेलंगाना 2
99.99
प्रतिशत 29 – संख्या
महिला – 2
 पुरुष – 27
 इंजीनियरिंग – 25
 नॉन-इंजीनियरिंग – 4
चंडीगढ़ 1
दिल्ली 4
गुजरात 2
हरियाणा 1
कर्नाटक 3
केरल 1
मध्य प्रदेश 1
महाराष्ट्र 5
ओडिशा 1
पंजाब 1 राजस्थान
3
तमिलनाडु 1 तेलंगाना
1
उत्तर प्रदेश 1
उत्तराखंड 1
पश्चिम बंगाल 2
99.98
प्रतिशत 30-संख्या
महिला – 1
पुरुष – 29
 इंजीनियरिंग – 20
 नॉन-इंजीनियरिंग -10
बिहार 1
दिल्ली 2
गुजरात 2
हरियाणा 4
कर्नाटक 4
मध्य प्रदेश
3 महाराष्ट्र 3
तमिलनाडु 2
तेलंगाना 3
उत्तर प्रदेश 2
पश्चिम बंगाल 4

आईआईएम कैट कट ऑफ 2024

कैट 2024 कट ऑफ जनवरी 2025 में पीआई शॉर्टलिस्टिंग के समय जारी की जाएगी। यहां देखें अपेक्षित आईआईएम कट ऑफ 2024: 

आईआईएमअपेक्षित CAT कटऑफ 2024 (प्रतिशत)
आईआईएम अहमदाबाद99-100
आईआईएम बैंगलोर99-100
आईआईएम कलकत्ता99
आईआईएम लखनऊ97-99
आईआईएम इंदौर97-99
आईआईएम कोझिकोड97-98
आईआईएम अमृतसर95-96
आईआईएम नागपुर95-96
आईआईएम संबलपुर95-96
आईआईएम त्रिची94-95
आईआईएम रायपुर94-95
आईआईएम रांची94-95
आईआईएम काशीपुर94-95
आईआईएम विजाग92-94
आईआईएम उदयपुर92-94
आईआईएम बोधगया92-94
आईआईएम शिलांग90-94
आईआईएम सिरमौर90-94
आईआईएम रोहतक95-97
आईआईएम नागपुर90-94
आईआईएम जम्मू90-94
आईआईएम मुंबई90-94

CAT 2024 परिणाम देखने के लिए सीधा लिंक

उम्मीदवार CAT 2024 स्कोरकार्ड डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए सीधे लिंक की जांच कर सकते हैं

CAT 2024 स्कोर कार्ड आधिकारिक लिंक

CAT परिणाम 2024 (लिंक आउट) – अब चेक करें अपना स्कोर!

CAT 2024 के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं! उम्मीदवार अब आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपना स्कोरकार्ड देख सकते हैं।

यहां बताया गया है कि आप अपना CAT परिणाम कैसे देख सकते हैं:

  1. आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: CAT की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
  2. लॉगिन करें: अपने लॉगिन क्रेडेंशियल्स (रजिस्ट्रेशन नंबर और पासवर्ड) का उपयोग करके लॉगिन करें।
  3. परिणाम देखें: अपना स्कोरकार्ड डाउनलोड करें और प्रिंट आउट लें।

CAT 2024 के परिणामों का विश्लेषण:

  • कट-ऑफ: कट-ऑफ मार्क्स आमतौर पर बाद में घोषित किए जाते हैं।
  • आईएमआई प्रवेश प्रक्रिया: CAT स्कोर के आधार पर आईएमआई द्वारा शॉर्टलिस्टिंग की जाएगी। इसके बाद ग्रुप डिस्कशन (GD), ग्रुप एक्सरसाइज (GE) और पर्सनल इंटरव्यू (PI) के दौर होंगे।

अगला कदम:

  • आईएमआई प्रवेश प्रक्रिया के लिए तैयारी करें: GD-PI राउंड के लिए अच्छी तरह से तैयारी करें।
  • अन्य MBA परीक्षाओं पर ध्यान दें: यदि आपने अन्य MBA परीक्षाओं के लिए भी आवेदन किया है, तो उनकी तैयारी जारी रखें।

ध्यान दें: यह एक संक्षिप्त ब्लॉग पोस्ट है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया आधिकारिक CAT वेबसाइट देखें।

अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है। कृपया आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें।

CAT परिणाम सह स्कोरकार्ड 2024 में उल्लिखित विवरण

CAT स्कोरकार्ड डाउनलोड करने योग्य PDF के रूप में उपलब्ध है। इसमें निम्नलिखित जानकारी शामिल है:

– पंजीकरण संख्या या उपयोगकर्ता आईडी

– उम्मीदवार का नाम, जन्मतिथि, श्रेणी और लिंग

– परीक्षा की तिथि, सत्र और समय

– उम्मीदवार का संपर्क विवरण और ईमेल पता

– समग्र CAT स्केल्ड स्कोर

– सेक्शन-वार CAT स्कोर

– सेक्शन-वार CAT प्रतिशत अंक

– समग्र CAT प्रतिशत स्कोर

और पढ़ें: CAT कटऑफ – IIM और अन्य शीर्ष MBA कॉलेजों के लिए CAT परीक्षा कटऑफ

CAT पर्सेंटाइल की गणना कैसे की जाती है?

CAT परीक्षा में, आपका पर्सेंटाइल यह दर्शाता है कि आपने अन्य उम्मीदवारों की तुलना में कैसा प्रदर्शन किया है। यह इस प्रकार काम करता है:

  1. सबसे पहले, आपके कच्चे अंकों की गणना ग्रेडिंग नियमों के आधार पर की जाती है: आपको प्रत्येक सही उत्तर के लिए 3 अंक मिलते हैं, और प्रत्येक गलत उत्तर के लिए आपको 1 अंक का नुकसान होता है। यदि आप किसी ऐसे प्रश्न का उत्तर देते हैं जो बहुविकल्पीय नहीं है, तो आपको गलत उत्तर के लिए कोई अंक नहीं खोना पड़ेगा।

अधिक पढ़ें –  अपनी CAT उत्तर कुंजी और प्रतिक्रिया पत्रक डाउनलोड करने के लिए सीधा लिंक यहां देखें

  1. आपके रॉ स्कोर का पता लगने के बाद, अगला चरण आपके पर्सेंटाइल की गणना करना है। इसमें कुछ मुख्य चरण शामिल हैं:

   – आपको इस आधार पर अंक मिलते हैं कि आपने कितने प्रश्न सही या गलत किए।

   – आपके कुल स्कोर की गणना प्रत्येक सही उत्तर के लिए 3 अंक जोड़कर और प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 1 अंक घटाकर की जाती है।

   – प्रत्येक अनुभाग के स्कोर और आपके समग्र स्कोर को एक स्केल स्कोर बनाने के लिए समायोजित किया जाता है।

   – अंत में, इन समायोजित अंकों को प्रतिशत में बदल दिया जाता है, जिसे आप अपने CAT स्कोरकार्ड पर देखेंगे।

संक्षेप में, प्रतिशत रैंक यह दर्शाता है कि आप अपने प्रदर्शन के आधार पर सभी परीक्षार्थियों के बीच कहां खड़े हैं।

और पढ़ें: CAT 2024 विश्लेषण – अपेक्षित कटऑफ, कठिनाई स्तर

CAT सामान्यीकरण प्रक्रिया क्या है?

CAT परीक्षा तीन अलग-अलग सत्रों में आयोजित की जाती है, और प्रत्येक सत्र में अलग-अलग प्रश्न होते हैं। इस वजह से, कुछ सत्र दूसरों की तुलना में आसान या कठिन हो सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी उम्मीदवारों के साथ उचित व्यवहार किया जाए, CAT अधिकारी समान अवसर बनाने के लिए स्कोर समायोजित करते हैं। इस प्रक्रिया को सामान्यीकरण कहा जाता है, और इसमें निम्न कारकों पर विचार किया जाता है:

  1. उच्चतम स्कोर
  2. सबसे कम स्कोर
  3. औसत स्कोर
  4. मध्यमान स्कोर
  5. शीर्ष 10 प्रतिशत
  6. सबसे कम 10 प्रतिशत

CAT परिणाम 2024 के बाद क्या होगा?

CAT के नतीजे घोषित होने के बाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) लिखित योग्यता परीक्षा (WAT) और GDPI राउंड के लिए उम्मीदवारों का चयन करेंगे। प्रत्येक IIM अपना न्यूनतम स्कोर तय करेगा जिसे उम्मीदवारों को पूरा करना होगा। यदि आप इस न्यूनतम से अधिक स्कोर करते हैं, तो आपको IIM की आधिकारिक वेबसाइट पर एक फॉर्म भरना होगा जिसे आपने अपने आवेदन में चुना था।

चयन के लिए विचार किए जाने हेतु इस फॉर्म को अंतिम तिथि तक जमा करना महत्वपूर्ण है। आपका चयन आपके CAT स्कोर और कक्षा 10 और कक्षा 12 में आपके शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर होगा।

आईआईएम द्वारा जनवरी 2025 में एमबीए/पीजीपी कार्यक्रमों के लिए शॉर्टलिस्ट जारी करने की उम्मीद है। पीआई राउंड मार्च और अप्रैल में होंगे और अंतिम परिणाम मई 2025 तक घोषित किए जाएंगे।

2025-2027 एमबीए/पीजीपी बैच के लिए अंतिम चयन का निर्धारण करने के लिए, आईआईएम कई कारकों पर विचार करेगा, जिसमें आपका कैट स्कोर, शैक्षणिक इतिहास, कार्य अनुभव, शैक्षणिक और लिंग में विविधता, साथ ही डब्ल्यूएटी और पीआई में आपका प्रदर्शन भी शामिल है।

और पढ़ें: CAT स्कोर बनाम पर्सेंटाइल
CAT GDPI की तैयारी करें – CAT GDPI में महारत हासिल करने के लिए 10 टिप्स
भारत में शीर्ष MBA कॉलेज – भारत में सर्वश्रेष्ठ MBA कॉलेजों की पूरी सूची

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: CAT परिणाम 2024

  1. CAT का परिणाम कब घोषित होगा? 

2024 के लिए CAT परिणाम दिसंबर 2025 के मध्य तक जारी होने की उम्मीद है।

  1. मैं अपना CAT परिणाम कैसे देख सकता हूँ?

आप अपना CAT रिजल्ट आधिकारिक CAT वेबसाइट iimcat.ac.in पर जाकर देख सकते हैं। बस अपनी आईडी और पासवर्ड से लॉग इन करें, फिर अपना स्कोरकार्ड डाउनलोड करें।

  1. मुझे अपना CAT परिणाम जांचने के लिए क्या जानकारी चाहिए?

अपने स्कोरकार्ड तक पहुँचने के लिए, आपको अपने CAT लॉगिन आईडी और पासवर्ड की आवश्यकता होगी। सुनिश्चित करें कि वे आपके पास हों!

  1. CAT स्कोरकार्ड में क्या विवरण शामिल हैं?  

आपके CAT स्कोरकार्ड में आपका नाम, पंजीकरण संख्या, श्रेणी, समग्र स्कोर, अनुभागीय स्कोर और प्रतिशत सहित अन्य महत्वपूर्ण विवरण प्रदर्शित होंगे।

  1. CAT प्रतिशत की गणना कैसे की जाती है? 

आपके पर्सेंटाइल की गणना अन्य उम्मीदवारों की तुलना में आपके प्रदर्शन के आधार पर की जाती है। यह आपके कच्चे अंकों पर विचार करता है, जिन्हें पर्सेंटाइल में बदलने से पहले स्केल किए गए स्कोर बनाने के लिए समायोजित किया जाता है।

  1. CAT परिणामों के लिए सामान्यीकरण प्रक्रिया क्या है? 

सामान्यीकरण का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि CAT परीक्षा कई सत्रों में अलग-अलग प्रश्नों के सेट के साथ आयोजित की जाती है। यह प्रक्रिया सभी उम्मीदवारों के प्रदर्शन के आधार पर स्कोर समायोजित करके निष्पक्षता सुनिश्चित करने में मदद करती है।

यदि आपके पास CAT परिणाम या अन्य संबंधित विषयों के बारे में कोई और प्रश्न हों तो बेझिझक पूछें!

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CAT 2024 का रिजल्ट जारी कर दिया गया है। 24 नवंबर को परीक्षा देने वाले उम्मीदवार अपना रिजल्ट iimcat.ac.in वेबसाइट पर देख सकते हैं। CAT रिजल्ट 2024 लाइव अपडेट, डाउनलोड लिंक,

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Rail roko Andolan in Punjab today Kisan andolan all update in Hindi
मोहाली में रेल ट्रेक पर बैठे किसान – फोटो : संवादReactions

विस्तार

पंजाब-हरियाणा की सीमा पर शंभू-खनौरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों के हक में आज पूरे पंजाब में रेलें रोकी गई हैं। हर जिले में किसान दोपहर 12 बजे से रेल पटरियों पर बैठ गए हैं। 

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन को 22 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार अभी तक किसानों से बात नहीं की। मोदी सरकार किसानों के मुद्दों को डीरेल करना चाहती है।

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पंधेर ने कहा कि कुछ मीडिया वालों की तरफ से किसानों की दोनों यूनियनों को अलग-अलग बताया जा रहा है, जोकि सरासर झूठी अफवाहें फैला रहे हैं। किसान एकजुट हैं और मिलकर लड़ाई लड़ रहे हैं। पंधेर ने आरोप लगाया कि विपक्ष किसानों की आवाज संसद में नहीं उठा रहा है, जिससे किसानों की समस्याएं अनसुनी हो रही हैं। पंधेर ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी सवाल उठाया और पूछा कि वे किसानों के लिए क्या कर रहे हैं?

पंजाब में आज यहां रोकी जाएंगी ट्रेनें

  • जिला मोगा का जितवाल, डगरू, मोगा स्टेशन
  • जिला फरीदकोट का फरीदकोट स्टेशन
  • जिला गुरदासपुर का प्लेटफॉर्म कादियां, फतेहगढ़ चूड़ियां, बटाला प्लेटफॉर्म
  • जिला जालंधर का लोहियां खास, फिल्लौर, जालंधर कैंट, ढिल्लवां
  • जिला पठानकोट का परमानंद प्लेटफॉर्म
  • जिला होशियारपुर का टांडा, दसूहा, होशियारपुर प्लेटफॉर्म, मडियाला और माहिलपुर
  • जिला फिरोज़पुर का मखू, मलां वाला, तलवंडी भाई, बस्ती टैंकां वाली, जगराांव
  • जिला लुधियाना का साहनेवाल
  • जिला पटियाला कारेलवे स्टेशन पटियाला, शंभू स्टेशन
  • जिला मोहाली का रेलवे स्टेशन फेस 11 मोहाली
  • जिला संगरूर का सुनाम
  • जिला मलैरकोटला का अहमदगढ़
  • जिला मानसा का मानसा मेन, बरेटा
  • जिला रूपनगर का रेलवे स्टेशन रूपनगर
  • जिला अमृतसर का देवीदासपुरा, ब्यास, पंधेर कलां, काठू नंगल, रमदास, जहानगीर, झंडे
  • जिला फाजिल्का का रेलवे स्टेशन फाजिल्का
  • जिला तरनतारन का पट्टी, खेमकरण, रेलवे स्टेशन तरनतारन
  • जिला नवांशहर का बहराम
  • जिला बठिंडा का रामपुरा
  • जिला कपूरथला का हमीरा, सुल्तानपुर, लोदी और फगवाड़ा
  • जिला मुक्तसर का मलोट

कमेटी की ओर से बुलाई बैठक में जाने से किसानों का इनकार

शंभू बार्डर खोलने को लेकर किसानों से सीधी वार्ता करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई कमेटी के साथ बैठक करने से किसानों ने साफ इनकार कर दिया है। कमेटी की ओर से बुधवार को बैठक बुलाई गई थी। कमेटी को भेजे पत्र में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने लिखा है कि पहले से ही अंदेशा था कि कमेटियां सिर्फ खानापूर्ति के लिए बनाई जाती हैं। बावजूद इसके आप सभी का सम्मान करते हुए किसानों का प्रतिनिधिमंडल चार नवंबर को कमेटी के मेंबरों से मिला। लेकिन इतनी गंभीर स्थिति होने के बावजूद कमेटी अब तक शंभू व खनाैरी बार्डरों पर जाने का समय नहीं निकाल सकी। इतनी देरी के बाद कमेटी सक्रिय हो सकी है, यह देखकर काफी दुख हो रहा है। क्या कमेटी उनकी मृत्यु का इंतजार कर रही थी। अपनी मेडिकल स्थिति व शंभू बार्डर पर दिल्ली कूच करने के समय घायल किसानों की हालत को देखते हुए दोनों मोर्चों ने फैसला लिया है कि किसान कमेटी के साथ बैठक करने में असमर्थ हैं। अब किसानों की ओर से अपनी मांगों को लेकर केवल केंद्र सरकार के साथ ही सीधी बातचीत की जाएगी।

पंजाब में सर्वाधिक MSP फिर भी असंतोष, क्या किसान आंदोलन राजनीति से है प्रेरित?

Farmers Protest Inside Story: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किसान एक बार फिर सड़क पर उतरे हैं। पंजाब के कुछ किसान संगठनों ने 13 फरवरी से ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन शुरू किया। उनकी डिमांड एमएसपी कानून और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की है। हालांकि, आंदोलन की टाइमिंग समेत कई ऐसे मुद्दे हैं जिससे सवाल उठ रहा कि कहीं ये प्रोटेस्ट राजनीति से प्रेरित तो नहीं।

हाइलाइट्स

  • किसानों के आंदोलन को लेकर उठ रहे सवाल
  • क्या राजनीति से प्रेरित है किसानों का ये प्रदर्शन
  • पंजाब के किसानों को मिला सबसे ज्यादा MSP
  • फिर भी आंदोलन के लिए सड़क पर उतरे किसान
kisan

नई दिल्ली : पंजाब और हरियाणा के कुछ किसान संगठन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी वाले कानून की मांग को लेकर केंद्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पंजाब के किसानों को धान और गेहूं की फसल के लिए उनकी उत्पादन लागत पर सबसे अधिक रिटर्न मिलता है? सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सीजन में पंजाब में धान की 99 फीसदी फसल और गेहूं की 74 फीसदी फसल की खरीद एमएसपी पर की गई थी। पंजाब में चावल की सरकारी खरीद देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक 12.3 मिलियन टन थी। यानी देश के सभी राज्यों से चावल की खरीद में सबसे ज्यादा 22 फीसदी की हिस्सेदारी पंजाब की थी जबकि पंजाब का देश में चावल उत्पादन में हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है। वहीं 2023-24 पंजाब में एमएसपी पर गेहूं की खरीद देश में सबसे अधिक लगभग 40 फीसदी था। इस नए सीजन में पंजाब में गेहूं की खरीद भी 25 प्रतिशत बढ़ी है।

इसलिए उठ रहे किसान आंदोलन पर सवाल

सरकारी रिपोर्ट की मानें तो पंजाब के किसानों के लिए फसलों का एमएसपी रिटर्न देश में सबसे अच्छा है। एमएसपी पर फसलों के रिटर्न की गणना तीन मापदंडों पर की जाती है। एक तो उत्पादन की कुल लागत (जीवीओ), ए2 जो फसल की वृद्धि, उत्पादन और रखरखाव के साथ रसायन, उर्वरक, बीज और श्रमिक के खर्च को दर्शाता है। इसके साथ ही ए2+एफएल में वास्तविक और इसकी ढुलाई से लेकर हर तरह की लागत शामिल होती है। इन तीनों के योग पर एमएसपी की गणना की जाती है।

पंजाब में किसानों को सबसे ज्यादा MSP

धान के एमएसपी पर खरीद के मामले में पंजाब इन तीनों मामलों में शीर्ष पर है। ऐसे में धान की खेती में पंजाब के लिए उच्चतम उत्पादन की कुल लागत 1,36,636 रुपये प्रति हेक्टेयर है। पंजाब में मूंग का जीवीओ सबसे अधिक 1,02,047 रुपये प्रति हेक्टेयर था। कपास में भी जीवीओ पंजाब में 1,42,239 रुपये प्रति हेक्टेयर सबसे अधिक था। वहीं धान की खेती में ए2 और ए2+एफएल प्रति हेक्टेयर की लागत पर रिटर्न पंजाब के लिए सबसे अधिक 88,287 रुपये और 82,037 रुपये था। मूंग में भी यही हाल है जहां ए2 और ए2+एफएल प्रति हेक्टेयर रिटर्न पंजाब के लिए क्रमशः 75,256 रुपये और 72,719 रुपये।

कपास के मामले में ए2 और ए2+एफएल प्रति हेक्टेयर लागत पर रिटर्न पंजाब में 89,474 रुपये और 81,582 रुपये था, जो सबसे अधिक था। एक अन्य एमएसपी पैमाने पर नजर डालें तो अनुमानित सीओपी ए+एफएल पर पंजाब में धान और गेहूं दोनों के लिए एमएसपी मार्जिन सबसे अधिक है। सरकारी रिपोर्ट की मानें तो पंजाब में अनुमानित सीओपी ए+एफएल की तुलना में सबसे अधिक एमएसपी मार्जिन धान पर (173.5 फीसदी) के साथ-साथ गेहूं पर (152.6 फीसदी) था। गेहूं के लिए सबसे अधिक जीवीओ हरियाणा के बाद पंजाब में 1,01,905 रुपये प्रति हेक्टेयर है।

आंदोलन की टाइमिंग को लेकर भी सवाल

देश के शीर्ष पांच गेहूं उत्पादक राज्यों में से, पंजाब और हरियाणा का रिटर्न पूरे देश में औसत से अधिक था। पंजाब में प्रति किसान धान की खरीद का औसत देखा जाए तो यह 11.9 टन है, जो देश में सबसे अधिक है। पिछले सीजन में पंजाब से एमएसपी पर लगभग 184 लाख टन धान की खरीद की गई थी, जो पंजाब में कुल किसानों के अनुपात पर देखा जाए तो इसमें लाभार्थी किसानों की हिस्सेदारी भी 100 प्रतिशत से अधिक थी। वहीं अभी चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के मुख्य नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को यह कहते भी सुना गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘ग्राफ को नीचे लाने’ के लिए यह विरोध प्रदर्शन हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद से पीएम मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ काफी ऊपर है।

हरियाणा-यूपी के किसान संघ शामिल नहीं!

ऐसे में अब इस किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर सवाल उठ रहा है कि क्या मौजूदा विरोध प्रदर्शन को आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का मौन राजनीतिक समर्थन प्राप्त है? अभी जो किसान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे हैं, उनमें मुख्य रूप से पंजाब के किसान शामिल हैं। इसमें हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान संघ शामिल नहीं हैं, जो 2020 में इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे। गुरनाम सिंह चारुनी और बलबीर सिंह राजेवाल जैसे किसान संघ के नेता इसमें शामिल नहीं हैं।

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आंदोलन

पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के राजधानी में प्रवेश करने और विरोध करने के इरादों का समर्थन कर रही है। लेकिन, प्रदर्शनकारी किसानों को पंजाब में रोकने या बवाना स्टेडियम को अस्थायी जेल में बदलने के केंद्र के अनुरोध को ठुकरा दिया। बीजेपी की तरफ से कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए किसानों के साथ आकर खड़ी हो गई है। जिससे लोकसभा चुनाव में उनको इन सीटों पर फायदा मिल सके और यहां पंजाब में अकाली दल और भाजपा को इन 13 सीटों पर नुकसान हो।

आम आदमी पार्टी तो पंजाब में अपनी लोकसभा सीटों को भी बढ़ाने की मंशा के तहत यह कर रही है। आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को ईडी का समन मिल रहा है और उन्हें अदालत और ईडी दोनों ने तलब किया है। वहीं बीजेपी नेताओं का कहना है कि पंजाब के किसानों के पास इस विरोध प्रदर्शन के लिए कोई वजह नहीं है, जबकि उन्हें स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों से भी बेहतर लाभ मिल रहा है। ऐसे में क्या इस विरोध प्रदर्शन के लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक मायने हैं? सवाल तो यही उठ रहा है।

पंजाब के आंदोलन से हरियाणा के किसानों ने क्यों किया किनारा? पढ़िए शंभू बॉर्डर का पूरा घटनाक्रम

हरियाणा के किसान संगठनों ने पंजाब के किसानों के दिल्ली कूच से किनारा कर लिया है। भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) भारतीय किसान यूनियन संयुक्त किसान मोर्चा ने भी दूरी बना ली है। इधर सोनीपत में भी 20 गांवों के सरपंच दिल्ली कूच के विरोध में उतर आए। शंभू बॉर्डर पर किसान और हरियाणा पुलिस व अर्ध सैनिक बल के जवानों के बीच तनातनी देखने को मिली।

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किसानों की मांगों का समर्थन, लेकिन आंदोलन से किया किनारा।

किसानों की मांगों का समर्थन, लेकिन आंदोलन से किया किनारा।

  1. सोनीपत में 20 गांवों के सरपंच बोले- नहीं लगाने देंगे टेंट, जबरदस्ती की तो करेंगे विरोध।
  2. पंजाब बॉर्डर से सटे हरियाणा के गांवों के किसान नहीं शामिल हुए दिल्ली कूच में।

जागरण टीम, अंबाला/हिसार। शंभू बॉर्डर पर दिल्ली कूच के लिए निकले पंजाब के किसानों को हरियाणा के किसान संगठनों ने किनारा कर लिया है। किसान नेताओं का कहना है कि मांगों का समर्थन करते हैं लेकिन आंदोलन में साथ नहीं है। भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी), भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान मोर्चा ने भी दूरी बना ली।

इधर, सोनीपत में भी 20 गांवों के सरपंच दिल्ली कूच के विरोध में उतर आए। उनका कहना था कि किसी भी हालत में किसानों को हरियाणा में टेंट नहीं लगाने देंगे। वहीं, शंभू बॉर्डर पर किसान और हरियाणा पुलिस व अर्ध सैनिक बल के जवानों के बीच तनातनी से हरियाणा सीमाओं पर नाकाबंदी कर दी गई। इससे राहगीरों को परेशानी हुई। अंबाला के 11 गांवों में इंटरनेट सेवा बंद होने से लोग परेशान रहे।

किसान की मांगों का समर्थन, आंदोलन से दूरी

भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के दिल्ली कूच को लेकर शुरू किए गए आंदोलन से अलग हैं। इस आंदोलन में शामिल किसान संगठनों ने उन्हें इसमें शामिल नहीं किया है।

यह विडियो भी देखें

हालांकि वह इन किसानों की ओर से उठाई जा रही किसान हित की मांगों का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि इन किसानों से बातचीत करे और बातचीत से इसका हल निकाला जाए। इधर, किसान सभा भी दिल्ली कूच में शामिल नहीं हुई।

किसान सभा हिसार के जिला प्रधान शमशेर सिंह नंबरदार ने कहा कि किसानों की मांगों का समर्थन करते हैं लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा से अभी दिल्ली कूच के लिए कोई नहीं गया। वहीं, टीकरी बॉर्डर को सील करने के लिए तैयारी हो गई।

यदि किसान यहां तक आते हैं तो उन्हें आगे जाने से रोकने के लिए इंतजाम किए हैं। दिल्ली पुलिस की ओर से कंटेनर, बैरिकेड्स, मिट्टी की बोरियां सब जुटा ली गईं। ओवरहेड पर लाउड स्पीकर लगा दिए गए।

दिन भर पुलिस के तंबू लगते रहे। अभी यहां कोई तैनाती नहीं है। किसानों के जत्थे हरियाणा में प्रवेश करते ही टीकरी बॉर्डर को सील कर दिया जाएगा। टीकरी बॉर्डर पर ही हरियाणा पुलिस भी निगरानी कर रही है।

कांग्रेसी सांसद ने संसद भवन परिसर में किया प्रदर्शन

हरियाणा के कांग्रेस सांसदों ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित संसद भवन के परिसर में किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। कांग्रेस सांसद हाथों में तख्तियां लिए हुए थे और नारों के माध्यम से केंद्र सरकार से आग्रह कर रहे थे कि आंदोलनकारी किसानों से बातचीत की जाए।

सांसदों का कहना था कि किसान अपनी बात कहने के लिए दिल्ली जाना चाहते हैं। पहले उन्हें ट्रैक्टर-ट्रालियों से जाने से रोका गया, लेकिन अब किसान पैदल दिल्ली कूच करना चाह रहे हैं, मगर सरकार ने उन्हें जाने से रोक दिया। यह लोकतंत्र नहीं है।

नई दिल्ली स्थित संसद के परिसर में रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, अंबाला के सांसद वरुण मुलाना, हिसार के सांसद जयप्रकाश जेपी और सोनीपत के सांसद सतपाल ब्रह्मचारी ने प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार पर किसानों से बातचीत करने का दबाव बनाया।

सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा इन प्रदर्शनकारी सांसदों के साथ नजर नहीं आई, हालांकि सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद जरूर कांग्रेस के चारों सांसदों के साथ किसानों के समर्थन में नारे लगाते हुए देखे गए। हरियाणा के कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं।

वे भी इस प्रदर्शन के दौरान मौजूद नहीं थे। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का वादा कर आंदोलन खत्म कराया था, लंबे समय के इंतजार के बाद भी किसानों को एमएसपी की गारंटी नहीं दी जा रही है।

दिल्ली में जंतर मंतर पर देश भर से लोग अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए आंदोलन करने आते हैं।

नायब सैनी ने भगवंत मान को दी सलाह

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन में हरियाणा के नहीं, बल्कि पंजाब के किसान ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा के किसानों के लिए हमारी सरकार बहुत कुछ कर रही है। राज्य के किसानों की सौ प्रतिशत फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी जा रही हैं।

नायब सैनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को सलाह दी कि वे अपने राज्य के किसानों की समस्याओं का समाधान करें। उन्हें हरियाणा की तरह एमएसपी दें व धरना स्थल पर किसानों के बीच जाकर उनकी बात को सुनें।

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने चंडीगढ़ में प्रशासनिक बैठकों के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हरियाणा सरकार किसानों के लिए बहुत कुछ कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फसलों पर एमएसपी बढ़ाई है।

कांग्रेस सरकार पांच रुपये क्विंटल एमएसपी बढ़ाती थी, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने इसे सैकड़ों रुपये में बढ़ाया है। कांग्रेस व आम आदमी पार्टी को यह शोभा नहीं देता कि वे अपने राजनीतिक फायदे के लिए किसानों के कंधों का इस्तेमाल करें। हरियाणा सरकार किसानों को निरंतर मजबूत कर रही है।

यह भी लगाए आरोप

नायब सैनी ने कहा कि किसी भी राज्य में किसानों के खराब हालात के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। विपक्ष के सांसद तख्तियां तो उठा रहे हैं, लेकिन उनको उन तख्तियों पर अपने कार्यकाल की भी जानकारी देनी चाहिए थी कि जब वे राज में थे, तब किसानों पर किस तरह से अत्याचार किया करते थे और किस तरह से एक से दो रुपये तक फसल खराबे के मुआवजे के रूप में देते थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को बताना चाहिए कि उनकी सरकार के दौरान किसानों का कितना सुधार हुआ है।

‘दिल्ली कूच के आंदोलन से मोर्चा का सीधा संबंध नहीं’

भारतीय किसान यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष जोगेंद्र नैन ने कहा कि पंजाब के किसानों के दिल्ली जाने के आंदोलन से वैसे तो संयुक्त किसान मोर्चे का सीधा संबंध नहीं है, लेकिन किसान की इस लड़ाई में सबकी मांगें साझी हैं।

आंदोलन को लेकर संयुक्त किसान मोर्चे की राष्ट्रीय स्तर की वीडियो कांफ्रेस में आगामी रणनीति के में बारे विचार-विमर्श किया जाएगा। उस समय तक पंजाब के किसानों के दिल्ली कूच और सरकार की कार्रवाई के निचोड़ का भी पता लग जाएगा।

किसानों की मांगों का समर्थन, लेकिन आंदोलन से किया किनारा।

दातासिंह वाला बॉर्डर पर शांति

दातासिंहवाला बॉर्डर पर शांति है। किसानों के पैदल कूच के फैसले को देखते हुए बॉर्डर पुलिस व अर्धसैनिक बल तैनात है। दिल्ली-पटियाला मार्ग पर बैरिकेडिंग की गई है। पंजाब की तरफ से हरियाणा आने के लिए उझाना गांव में रास्ता है। यहां भी पुलिस तैनात है।

नरवाना में सिरसा ब्रांच जींद रोड पर भी नाका लगाया गया है। अब दातासिंहवाला बॉर्डर के अलावा दो अन्य जगह नाकेबंदी की हुई है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि पहले किसानों को पैदल जाने के लिए कहा जा रहा था, अब इससे भी रोका जा रहा है। किसानों का सिर्फ शंभू बॉर्डर से ही आगे बढ़ने का कार्यक्रम है।

आंदोलनकारी किसानों को जीटी रोड पर नहीं लगाने देंगे टेंट

राई ब्लाक के सरपंचों, कुंडली नपा पार्षदों और ब्लाक समिति के पदाधिकारियों ने आंदोलनकारी किसानों के विरोध का फैसला लिया है।राई स्थित पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह में संयुक्त बैठक में सरपंचों ने स्पष्ट किया कि आंदोलनकारी अगर दिल्ली में प्रवेश नहीं कर पाए तो उन्हें कुंडली में टेंट लगाकर बैठने नहीं दिया जाएगा और उनसे वापस लौटने का आग्रह करेंगे।अगर किसी किसान संगठन के पदाधिकारी जबरदस्ती बैठने का प्रयास करेंगे तो सरपंचों की अगुवाई में ग्रामीण एकजुट होकर आंदोलनकारियों को हटाने का काम करेंगे।ब्लाक सरपंच एसोसिएशन प्रधान बिल्लू, नवीन के पदाधिकारियों ने दैनिक जागरण को बताया कि पिछली बार दिल्ली पुलिस की ओर से किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोक दिया था। इसके बाद किसान कुंडली बॉर्डर पर बैठ गए थे, जिससे क्षेत्र में काम धंधे सब ठप हो गए थे।

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Indore Beggar Free Policy: इंदौर प्रशासन भिखारियों को भीख देने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. यह नया नियम शहर में 1 जनवरी से लागू होगा. इसे लेकर पुलिस शहर में जागरूकता अभियान भी चला रही है.

Indore Beggar News Free City policy rule ban FIR will be lodged for giving alms to beggars Indore Beggar: इंदौर में भिखारियों को भीख देना पड़ेगा महंगा, 1 जनवरी से शहर में लागू होगा ये नया नियम
इंदौर में भीख देने वालों पर होगी कार्रवाई

इंदौर में भीख देने वालों पर होगी कार्रवाई

Indore Beggar Rule: मध्य प्रदेश के इंदौर में भिखारियों को भीख देना महंगा पड़ सकता है. भीख देने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी. यह नया नियम 1 जनवरी से लागू होगा. इंदौर पुलिस ने शहर को भिखारियों से निजात दिलाने के लिए यह नियम बनाए हैं. इसके तहत इंदौर में भीख मांगने पर प्रतिबंद लगाने का आदेश जारी किया गया है. इसे लेकर पुलिस फिलहाल शहर में जागरूकता अभियान चला रही है, जो कि दिसंबर अंत तक चलेगा.

पुलिस ने जानकारी दी है कि 1 जनवरी के बाद अगर व्यक्ति भीख देते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी. जिला कलेक्टर ने इंदौरवासियों से अपील की है कि लोग भी देकर पाप के भागीदार न बनें. उन्होंने कहा कि प्रशासन ने बीते कुछ महीनों में लोगों को भीख मांगने के लिए मजबूर करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. 

केंद्र सरकार ने जारी किया आदेश

गौरलतब है कि केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की ओर से देश के 10 शहरों को भिखारियों से निजात दिलाने के लिए के पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इन शहरों की लिस्ट में इंदौर का नाम भी शामिल है. इसके बाद इंदौर जिला प्रशासन इस आदेश को अमल में लाने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहा है.

इस कड़ी में बीते दिनों इंदौर पुलिस ने शहर के भिखारियों से मुक्त बनाने के लिए टीम गठित कर 14 भिखारियों को पकड़ा है. इस अभियान के तहत एक हैरान करने वाली भी सामने आई. पुलिस की ओर से पकड़े गए भिखारियों में से राजवाड़ा के शनि मंदिर के पास भीख मांग रही एक महिला के पास से 75 हजार रुपये बरामद हुए. पुलिस का कहना है कि यह महज 10-12 दिनों में जमा किए गए पैसे थे..

इंदौर में भिखारियों को भीख देना पड़ेगा महंगा, 1 जनवरी से शहर में लागू होगा ये नया नियम

इंदौर शहर में 1 जनवरी से भिखारियों को भीख देना महंगा पड़ेगा। शहर में एक नया नियम लागू किया गया है, जिसके तहत भिखारियों को भीख देने पर जुर्माना लगाया जाएगा।

नए नियम के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति किसी भिखारी को भीख देता है तो उस पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। अगर जुर्माना नहीं चुकाया जाता है तो 10 दिनों के लिए जेल की सजा हो सकती है।

यह नियम इंदौर नगर निगम द्वारा बनाया गया है। निगम का मानना है कि यह नियम शहर को भिखारियों से मुक्त करने में मदद करेगा।

नए नियम का स्वागत किया जा रहा है। लोग मानते हैं कि यह नियम शहर को साफ-सुथरा रखने में मदद करेगा। हालांकि, कुछ लोग यह भी मानते हैं कि यह नियम भिखारियों के साथ अन्याय है।

नए नियम के फायदे

नए नियम के कई फायदे हैं। कुछ फायदे इस प्रकार हैं:

  • यह शहर को भिखारियों से मुक्त करने में मदद करेगा।
  • यह शहर को साफ-सुथरा रखने में मदद करेगा।
  • यह भिखारियों को काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

नए नियम के नुकसान

नए नियम के कुछ नुकसान भी हैं। कुछ नुकसान इस प्रकार हैं:

  • यह भिखारियों के साथ अन्याय है।
  • यह भिखारियों को भूखे मरने पर मजबूर कर सकता है।

क्या आप नए नियम का समर्थन करते हैं?

मुझे उम्मीद है कि आप इस ब्लॉग पोस्ट को पसंद करेंगे। कृपया मुझे कमेंट करके बताएं कि आप नए नियम का समर्थन करते हैं या नहीं।

अन्य जानकारी

  • आप इंदौर नगर निगम की वेबसाइट पर नए नियम के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • आप इंदौर पुलिस से भी नए नियम के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

इंदौर: 1 जनवरी से भिखारियों को पैसे देने वालों पर FIR दर्ज होगी। केंद्र सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत इंदौर को भिखारी मुक्त बनाने की कोशिश हो रही है। जिला प्रशासन ने भिक्षावृत्ति पर पहले ही रोक लगा दी है। यह अभियान 10 शहरों में चलाया जा रहा है। प्रशासन ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे भी किए हैं। एक संगठन भिखारियों को छह महीने तक आश्रय और काम दिलाने में मदद करेगा।


देश का सबसे स्वच्छ शहर है इंदौर

इंदौर, जिसे भारत का सबसे स्वच्छ शहर कहा जाता है, अब भिखारी-मुक्त बनने की राह पर है। इसके लिए प्रशासन ने एक सख्त कदम उठाया है। 1 जनवरी से, जो भी व्यक्ति भिखारियों को पैसे देगा, उसके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी।


जागरूकता अभियान चलेगा

कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि प्रशासन ने पहले ही इंदौर में भिक्षावृत्ति पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी कर दिया है। उन्होंने कहा कि भिक्षावृत्ति के खिलाफ हमारा जागरूकता अभियान इस महीने के अंत तक जारी रहेगा। एक जनवरी से अगर कोई भी व्यक्ति भीख मांगते पाया गया तो उसके खिलाफ भी FIR दर्ज की जाएगी। उन्होंने इंदौर के सभी निवासियों से अपील की कि वे भिखारियों को पैसे देकर इस पाप के भागीदार न बनें।


देश के 10 शहर पायलट प्रोजेक्ट में शामिल

इस प्रोजेक्ट में 10 शहर शामिल हैं: दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, इंदौर, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना और अहमदाबाद। भिक्षावृत्ति विरोधी अभियान के दौरान, इंदौर प्रशासन ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए। प्रोजेक्ट अधिकारी दिनेश मिश्रा ने कहा कि जब हम रिपोर्ट तैयार करते हैं, तो हम पाते हैं कि कुछ भिखारियों के पास पक्का मकान है। साथ ही कुछ के बच्चे बैंक में काम करते हैं।


भिखारी ने बनाया इसे पेशा

एक बार हमने एक भिखारी के पास 29,000 रुपए पाए। एक और भिखारी पैसे उधार देता था और ब्याज लेता था। एक गिरोह बच्चों के साथ राजस्थान से यहां भीख मांगने आया था। उन्हें एक होटल से बचाया गया जहां वे रुके हुए थे।


भिखारियों को काम दिलाने में मदद

मध्य प्रदेश के सामाजिक कल्याण मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने कहा कि इंदौर का एक संगठन सरकार के इस प्रयास में मदद के लिए आगे आया है। यह संगठन उन्हें छह महीने तक आश्रय प्रदान करेगा और उनके लिए काम खोजने की कोशिश करेगा। हम लोगों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। यह एक सराहनीय पहल है जो इंदौर को वास्तव में भिखारी-मुक्त शहर बनाने में मदद कर सकती है। लेकिन इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि लोग प्रशासन का कितना सहयोग करते हैं।उन्होंने कहा कि अगर लोग भिखारियों को पैसे देना बंद नहीं करेंगे, तो यह योजना पूरी तरह से सफल नहीं हो पाएगी। साथ ही, यह सुनना भी ज़रूरी है कि जिन लोगों को बचाया जा रहा है, उनके पुनर्वास की व्यवस्था ठीक से हो। उन्हें रोजगार के अवसर और रहने की उचित सुविधा मिलनी चाहिए।

इंदौर ही नहीं, उत्तराखंड के इस शहर में भी भीख देना पाप है! लाठी लेकर दौड़ा लेती है ‘खाकी’

Indore Beggar Free: मध्य प्रदेश के इंदौर शहर को भिखारियों से मुक्त करने की तैयारी चल रही है. प्रशासन ने इसको लेकर आदेश भी जारी कर दिया है और कहा है कि अगर 1 जनवरी 2025 से कोई भीख मांगता पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. 

इंदौर ही नहीं, उत्तराखंड के इस शहर में भी भीख देना पाप है! लाठी लेकर दौड़ा लेती है 'खाकी'

Indore Beggar Free: इसी साल जुलाई में इंदौर प्रशासन ने ऐलान किया था कि बच्चों का भीख मांगना और उनसे सामान खरीदना जुर्म है. अब नया आदेश जारी किया गया है कि 1 जनवरी 2025 से ना सिर्फ बच्चों बल्कि बड़ों को भी भीख मांगते पकड़ा जाता है तो उनके खिलाफ FIR दर्ज की जाएगी. साथ ही अगर किसी व्यक्ति को भीख देते हुए पकड़ा जाता है उस पर भी कार्रवाई की जाएगी. कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि यह कदम इंदौर को भिखारी मुक्त शहर बनाने के प्रशासन के मिशन का हिस्सा है. उन्होंने कहा कि इस महीने लोगों को भीख देने के नकारात्मक प्रभावों के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा.

पायलट प्रोजेक्ट में शामिल है इंदौर

आशीष सिंह ने चेतावनी दी,’1 जनवरी से हम उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे जो लगातार भीख मांगते रहेंगे.’ उन्होंने कहा कि बीएनएस की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया जाएगा, जिसमें नाबालिगों और बड़ों को भीख देने पर रोक लगाई जाएगी. इंदौर उन 10 शहरों में से एक है जिन्हें केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने भीख मांगने को खत्म करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना है. 

उन्होंने कहा,’हम इस मुद्दे को हल करने के लिए पहले ही महत्वपूर्ण कदम उठा चुके हैं, जिसमें भीख मांगने वालों की पहचान और पुनर्वास शामिल है.’ इस साल जुलाई में जिला प्रशासन ने बीएनएस की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी किया, जिसमें भीख मांगने और नाबालिगों से सामान खरीदने दोनों पर रोक लगाई गई. यह आदेश 14 सितंबर को समाप्त हो गया और इलाके में काम करने वाली टीमें नाबालिगों को भीख देने वाले किसी भी व्यक्ति को पकड़ने या FIR दर्ज करने में नाकाम रही है. 

शेल्टर होम में शिफ्ट किए जा रहे भिखारी

उन्होंने बताया कि इस अवधि के दौरान 35 से अधिक बच्चों को भीख मांगने में शामिल महिला और बाल विकास विभाग की टीमों ने बचाया और उन्हें सरकारी शेल्टर होम में रखा. पिछले हफ्ते एक मंदिर के बाहर भीख मांगते हुए महिला और बाल विकास विभाग द्वारा बचाई गई एक बुजुर्ग महिला के एक हफ्ते में करीब 75,000 रुपये की भीख मिलने के बाद सख्त कार्रवाई की जरूरत महसूस की गई. 60 वर्षीय महिला को उज्जैन के सेवाधाम आश्रम में आश्रय दिया गया है और उसके परिवार के सदस्यों से संपर्क किया जा रहा है. 

महिला भिखारी पर मिली बेशुमार दौलत

भीख मांगने वालों पर कार्रवाई इस साल फरवरी में शुरू हुई थी, जब एक महिला को लवकुश चौराहे पर अपने बच्चों को भीख मांगने के लिए मजबूर करते हुए पकड़ा गया था. अधिकारी यह जानकर हैरान रह गए कि उसने भीख मांगने से इतना पैसा इकट्ठा कर लिया था कि उसके पास एक ज़मीन का टुकड़ा, एक दो मंज़िला घर, एक मोटरसाइकिल और एक स्मार्टफ़ोन भी है. अधिकारियों के मुताबिक उसने खुलासा किया कि उसने सिर्फ़ छह महीनों में भीख मांगकर लगभग 2.5 लाख रुपये कमाए थे.

देहरादून में पहले से जारी है मुहिम

इससे पहले उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया था. यहां पर भी प्रशासन टूरिस्ट्स के लिए वादियों को और खूबसूरत बनाने के मकसद से भीख मांगने पर पाबंदी है. प्रशासन ने प्रशासन लगातार ऐसे बच्चों और लोगों की मदद करता है जो भीख मांगने पर मजबूर होते थे. देहरादून में बाल भिक्षावृत्ति रोकने के लिए कई अभियान चलाए गए हैं. 

Indore में भिखारी के पास मिले इतने रुपए, भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान में इतने भिखारियों का हुआ रेस्क्यू

Beggar Free Campaign Indore: पिछले दिनों इंदौर कलेक्टर ने मीटिंग लेकर स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि यह मुहिम अभी लगातार चलेगी और इसके अंतर्गत कड़ी कार्यवाहियां भी की जाएगी. आगामी दिनों में न केवल भीख लेने वाले बल्कि भीख देने वालों के विरुद्ध भी कार्यवाही होगी और उनके विरुद्ध FIR दर्ज कराई जाएगी. अभियान के अंतर्गत महिला बाल विकास, श्रम विभाग होमगार्ड, नगर निगम, एनजीओ आदि की टीम संयुक्त रूप से कार्यवाही कर रही है.

Indore में भिखारी के पास मिले इतने रुपए, भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान में इतने भिखारियों का हुआ रेस्क्यू

Beggar Free Campaign: मध्य प्रदेश के इंदौर (Indore) शहर में लगातार भिक्षावृत्ति मुक्त अभियान (Bhiksha Mukt Bharat) चलाया जा रहा है जिसके अंतर्गत हर चौराहों, तिराहे पर मौजूद सभी ऐसे लोग जो भिक्षा मांगते हैं उन्हें रेस्क्यू कर पुनर्वास भेजा जा रहा है. यह अपने आप में एक अनोखी पहल है जिसमें सड़क किनारे रह रहे लोगों को रेस्क्यू कर एक बेहतर जीवन देने का प्रयास किया जा रहा है. वही इस कड़ी में बीते दिन बुधवार को एक चौंकाने वाला मामला सामने है जहां पर एक भिक्षा मांगने वाली महिला के पास से 75000 रुपए बरामद हुए. महिला बाल विकास की टीम द्वारा लगातार चल रहे भिक्षावृत्ति के विरोध अभियान में अभी तक टीम के द्वारा लगभग 300 से अधिक भिखारी को रेस्क्यू कर उज्जैन के सेवा धाम में पुनर्वासित किया गया है. इस रेस्क्यू अभियान के तहत बीते दिन एक चौंकाने वाले वाक्या सामने आया.

शनि मंदिर के सामने कई वर्षों से मांग रही थी भिक्षा

इंदौर कलेक्टर के द्वारा चलाए जा रहे अभियान के अंतर्गत जिला कार्यक्रम अधिकारी रामनिवास बुधौलिया के निर्देश पर महिला बाल विकास के दिनेश मिश्रा एवं उनकी टीम ने बड़ा गणपति एवं राजवाड़ा में रेस्क्यू अभियान चलाया. इस दौरान एक महिला जो शनि मंदिर के सामने भिक्षा वृत्ति कई दिनों से कर रहीं थीं उसे पकड़ा गया. महिला की जांच करने के बाद उसके पास से 74768 रुपए बरामद हुए. पूछताछ करने पर महिला ने बताया कि यह उसकी पिछले एक सप्ताह की कमाई है और लगभग इतना ही हर 10 या 15 दिन में कलेक्शन हो जाता है.

4 भिखारियों की देखभाल के लिए 8 कर्मचारी:खाली पड़ा है इंदौर में भिक्षुक केंद्र, बुजुर्गों को शिप्रा फेंकने की बजाय यहां आसरा दे सकते थे

इंदौर4 वर्ष पहले

भिक्षुक केंद्र - Dainik Bhaskar

भिक्षुक केंद्र

स्वच्छता और सुंदरता के नाम पर बुजुर्गों को इंदौर शहर से बाहर फेंकने के मामले ने सभी को शर्मसार कर दिया। इसके बाद भी नगर निगम के जिम्मेदार सवालों के घेरे में हैं। निगम अधिकारी गलती मानने को तैयार नहीं हैं। निगम के कुछ जिम्मेदारों ने बचने के लिए यह भी कहा कि जिन्हें शहर से बाहर ले जाया जा रहा था, वह सभी भिखारी थे। अगर ऐसा है तो इंदौर के परदेशीपुरा में भिक्षुक केंद्र भी है, इन्हें वहां क्यों नहीं रखा गया। दैनिक भास्कर ने इस भिक्षुक केंद्र को ढूंढा तो देखा कि यहां वर्तमान में चार भिखारी रह रहे हैं, जिनकी देखभाल के लिए 8 कर्मचारियों का स्टाफ है।

इंदौर के परदेशीपुरा में सामाजिक न्याय विभाग का भिक्षुक केंद्र है। यह इसलिए बनाया गया था कि सड़क पर भीख मांगने वालों को वहां रखा जा सके। भिक्षुक केंद्र में इलाज के लिए मेडिकल सुविधाएं भी हैं। भिक्षुकों स्वावलंबी बनाने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि वे दोबारा भीख न मांगें। यहां लाए गए भिखारियों से गार्डनिंग कराई जाती है। प्रिटिंग प्रेस भी है, जिसमें उन्हें प्रशिक्षण देकर पैसा दिया जाता था। कुटीर उद्योग का प्रशिक्षण दिया जाता है। संचालनालय सामाजिक न्याय विभाग से भारी-भरकम बजट मिलता है। नगर निगम के अधिकारियों ने तर्क दिया कि जिन्हें शिप्रा ले जाया जा रहा था, वो भिखारी थे, तो अब बड़ा सवाल यही है कि उन्हें भिक्षुक केंद्र में क्यों नहीं रखा गया।

भिक्षुक केंद्र के प्रभारी सहायक संचालक बी.सी. जैन हैं। एक नर्स, एक मेट्रेंस, एक क्लर्क, चार हेल्पर, एक चपरासी सहित लगभग आठ लोगों का स्टाफ है। भिक्षुक केंद्र परिसर में पर्याप्त जगह है। लगभग आठ कर्मचारियों के स्टाफ पर फिलहाल सिर्फ चार भिक्षुक मिले। सरकार हर भिक्षुक के लिए एक हजार रुपए महीना आवंटित करती है। खाने-पीने के लिए अलग से बजट आता है, पिछले वर्ष कुल 17 भिक्षुक इस केंद्र में लाए गए थे अब मात्र चार ही हैं।

न्यायालय की अनुमति लेना जरूरी

सहायक संचालक बी.सी.जैन का कहना है कि जब भी त्योहारों का समय आता है, तब हमारी टीम शहर में जाकर इन भिक्षुकों का रेस्क्यू करती है, लेकिन इस केंद्र में केवल पुरुषों को ही रखा जाता है। बच्चों और महिलाओं को यहां रखने की अनुमति नहीं है। बच्चों और महिलाओं को रखने का क्षेत्राधिकार महिला एवं बाल विकास के अंतर्गत आता है। यदि भिक्षुको में कोई 18 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति को रेस्क्यू किया जाता है तो उसे न्यायालय के समक्ष पेश करके केंद्र में रखने की अनुमति लेना होती है।

दो दिन पूर्व इंदौर में भिक्षुकों को शिप्रा छोड़ने की घटना पर जब जैन से बात की गई तो उनका कहना था कि मानवीय आधार पर नगर निगम उन्हें यहां पर छोड़ सकती थी। कई बार रेस्क्यू में लाए हुए कई लोग कुछ दिनों के लिए हम इस केंद्र में रखते हैं। नगर निगम के पास कई रेन बसेरे तो हैं भिक्षुकों वहां पर भी छोड़ा जा सकता था, लेकिन यह घटना क्यों हुई इस बारे में मैं कुछ नहीं कह पाऊंगा।

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दिसंबर महीना IPO के लिहाज से काफी व्यस्त रहा है और आने वाले हफ्ते में भी यह तेजी जारी रहेगी। कई कंपनियां इस हफ्ते शेयर बाजार में डेब्यू करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इनमें से कई कंपनियां प्रौद्योगिकी, फाइनेंस, रियल एस्टेट और अन्य सेक्टर से हैं।

IPO क्या है?

Initial Public Offering (IPO) का मतलब है जब कोई निजी कंपनी पहली बार अपने शेयर आम जनता को बेचती है। यह कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर होता है, क्योंकि इससे उन्हें बड़ी मात्रा में पूंजी जुटाने का मौका मिलता है। इस पूंजी का इस्तेमाल कंपनी अपने कारोबार को बढ़ाने, नए प्रोडक्ट या सेवाएं लॉन्च करने, या कर्ज चुकाने में कर सकती है।

IPO का प्रोसेस

  1. DRHP फाइलिंग: कंपनी को SEBI (Securities and Exchange Board of India) को एक ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) फाइल करना होता है। इस डॉक्यूमेंट में कंपनी के फाइनेंशियल परफॉर्मेंस, बिजनेस मॉडल, और फ्यूचर प्लान्स के बारे में जानकारी होती है।
  2. SEBI अप्रूवल: SEBI DRHP को रिव्यू करता है और अगर सबकुछ ठीक है तो उसे अप्रूव कर देता है।
  3. प्राइस बैंड का निर्धारण: कंपनी और इन्वेस्टमेंट बैंक मिलकर शेयरों के प्राइस बैंड का ऐलान करते हैं। यह वह रेंज होती है जिसमें शेयरों की कीमत हो सकती है।
  4. पब्लिक ऑफर: आम जनता को शेयर खरीदने का मौका दिया जाता है। यह प्रोसेस कुछ दिनों तक चलता है।
  5. अलॉटमेंट: शेयरों का अलॉटमेंट होता है। जिन लोगों ने अप्लाई किया था, उन्हें उनके अप्लाई किए गए शेयरों में से कुछ शेयर अलॉट हो सकते हैं।
  6. लिस्टिंग: शेयर मार्केट में कंपनी के शेयर लिस्ट हो जाते हैं। अब आम लोग इन शेयरों को खरीद-बेच सकते हैं।

IPO में निवेश करने के फायदे

  • उच्च रिटर्न की संभावना: अगर कंपनी का परफॉर्मेंस अच्छा रहा तो निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
  • पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन: IPO में निवेश करने से आप अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं।
  • कंपनी के ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा बनना: आप कंपनी के ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा बन जाते हैं।

IPO में निवेश करने के रिस्क

  • मार्केट वोलेटिलिटी: शेयर मार्केट में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, इसलिए IPO में निवेश करने से नुकसान भी हो सकता है।
  • कंपनी के परफॉर्मेंस का जोखिम: अगर कंपनी का परफॉर्मेंस अच्छा नहीं रहा तो शेयर की कीमत गिर सकती है।
  • ओवरवैल्यूएशन: कई बार IPO में शेयरों की कीमत ओवरवैल्यूड हो जाती है, जिससे निवेशकों को नुकसान हो सकता है।

IPO में निवेश करने से पहले क्या ध्यान दें?

  • कंपनी का फंडामेंटल विश्लेषण: कंपनी के फाइनेंशियल परफॉर्मेंस, बिजनेस मॉडल, और मैनेजमेंट टीम को अच्छे से समझें।
  • मार्केट सेंटीमेंट का आकलन: मार्केट में किस तरह का माहौल है, उसे ध्यान में रखें।
  • अपने फाइनेंशियल गोल का निर्धारण: अपने फाइनेंशियल गोल के हिसाब से निवेश करें।
  • पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन: अपने पूरे पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन रखें।
  • लॉन्ग-टर्म पर्सपेक्टिव: IPO में निवेश करते समय लॉन्ग-टर्म पर्सपेक्टिव रखें।

IPO में निवेश करने के लिए स्टेप-बाय-स्टेप गाइड

  1. डीमैट अकाउंट खोलें: एक डीमैट अकाउंट आपके शेयरों को डिजिटल रूप से स्टोर करने के लिए जरूरी है।
  2. ब्रोकरेज अकाउंट खोलें: एक ब्रोकरेज अकाउंट आपको शेयरों को खरीदने-बेचने की सुविधा देता है।
  3. IPO के लिए अप्लाई करें: अपने ब्रोकरेज अकाउंट के माध्यम से IPO के लिए अप्लाई करें। आपको आवेदन फॉर्म भरना होगा और आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे।
  4. अलॉटमेंट की जांच करें: IPO खत्म होने के बाद, आप अपने ब्रोकरेज अकाउंट या SEBI की वेबसाइट पर जाकर अलॉटमेंट स्टेटस चेक कर सकते हैं।
  5. शेयरों की लिस्टिंग और ट्रेडिंग: अगर आपको शेयर अलॉट हुए हैं, तो वे शेयर मार्केट में लिस्ट हो जाएंगे। आप अपने ब्रोकरेज अकाउंट के माध्यम से इन शेयरों को खरीद-बेच सकते हैं।

IPO में निवेश करने के टिप्स

  • रिसर्च करें: कंपनी के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें।
  • डायवर्सिफाई करें: अपने पोर्टफोलियो में विभिन्न कंपनियों के शेयर शामिल करें।
  • भावनाओं में न आएं: भावनात्मक निर्णय लेने से बचें।
  • लॉन्ग-टर्म प्लानिंग करें: एक लंबी अवधि के लिए निवेश करें।
  • पेशेवर सलाह लें: एक फाइनेंशियल सलाहकार से परामर्श लें।

निष्कर्ष

IPO में निवेश करना एक अच्छा मौका हो सकता है, लेकिन इसमें रिस्क भी है। इसलिए, किसी भी IPO में निवेश करने से पहले अच्छे से रिसर्च करें और अपने फाइनेंशियल सलाहकार से सलाह लें।

नोट: यह सूची समय-समय पर बदल सकती है। नवीनतम जानकारी के लिए कृपया SEBI की वेबसाइट या अपने ब्रोकर से संपर्क करें।

महत्वपूर्ण तिथियों के साथ आगामी IPOs की सूची:

कंपनी का नामओपन डेटक्लोज डेटलिस्टिंग डेटइश्यू प्राइस (रुपये)इश्यू साइज (करोड़ में)लॉट साइजएक्सचेंज
International Gemmological Institute (India) Limited IPO13 दिसंबर, 202417 दिसंबर, 202420 दिसंबर, 2024397.00 से 417.004225.0035BSE, NSE
Hamps Bio Limited IPO13 दिसंबर, 202417 दिसंबर, 202420 दिसंबर, 202451.006.222,000BSE SME
Inventurus Knowledge Solutions Limited IPO12 दिसंबर, 202416 दिसंबर, 202419 दिसंबर, 20241265.00 से 1329.002497.9211BSE, NSE
Yash Highvoltage Limited IPO12 दिसंबर, 202416 दिसंबर, 202419 दिसंबर, 2024138.00 से 146.00110.011,000BSE SME
Purple United Sales Limited IPO11 दिसंबर, 202413 दिसंबर, 202418 दिसंबर, 2024126.0032.811,000NSE SME
Vishal Mega Mart Limited IPO11 दिसंबर, 202413 दिसंबर, 202418 दिसंबर, 202474.00 से 78.008000.00190BSE, NSE
Sai Life Sciences Limited IPO11 दिसंबर, 202413 दिसंबर, 202418 दिसंबर, 2024522.00 से 549.003042.6227BSE, NSE
Supreme Facility Management Limited IPO11 दिसंबर, 202413 दिसंबर, 202418 दिसंबर, 202472.00 से 76.0050.001,600NSE SME
One Mobikwik Systems Limited IPO11 दिसंबर, 202413 दिसंबर, 202418 दिसंबर, 2024279.00572.0053BSE, NSE

Export to Sheets

अन्य आगामी IPOs (तारीखें अभी घोषित नहीं हुई हैं):

  • DAM Capital Advisors Limited
  • Indo Farm Equipment Limited
  • Avanse Financial Services Limited
  • Mamata Machinery Limited
  • Transrail Lighting Limited
  • और कई अन्य

IPO में निवेश करने से पहले क्या ध्यान रखें?

  • कंपनी का फंडामेंटल: कंपनी के फाइनेंशियल परफॉर्मेंस, बिजनेस मॉडल, और मैनेजमेंट टीम को अच्छे से समझें।
  • मार्केट सेंटीमेंट: मार्केट में किस तरह का माहौल है, उसे ध्यान में रखें।
  • अपने फाइनेंशियल गोल: अपने फाइनेंशियल गोल के हिसाब से निवेश करें।
  • डायवर्सिफिकेशन: अपने पूरे पोर्टफोलियो में डायवर्सिफिकेशन रखें।
  • लॉन्ग टर्म पर्सपेक्टिव: IPO में निवेश करते समय लॉन्ग टर्म पर्सपेक्टिव रखें।

IPO स्टेटस कैसे चेक करें?

आप SEBI की वेबसाइट या अपने डीमैट अकाउंट के जरिए IPO स्टेटस चेक कर सकते हैं।

निष्कर्ष

IPO में निवेश करना एक अच्छा मौका हो सकता है, लेकिन इसमें रिस्क भी है। इसलिए, किसी भी IPO में निवेश करने से पहले अच्छे से रिसर्च करें और अपने फाइनेंशियल सलाहकार से सलाह लें।

Latest IPO News:

विशाल मेगा मार्ट का IPO अलॉटमेंट आज!

विशाल मेगा मार्ट के IPO के लिए आवेदन करने वाले निवेशकों के लिए बड़ी खबर है। आज, 16 दिसंबर 2024 को, शेयरों का अलॉटमेंट किया जाएगा।

अलॉटमेंट स्टेटस कैसे चेक करें:

आप निम्नलिखित प्लेटफॉर्म पर अपना अलॉटमेंट स्टेटस चेक कर सकते हैं:

विशाल मेगा मार्ट IPO के प्रमुख बिंदु:

  • प्राइस बैंड: 74-78 रुपये प्रति शेयर
  • लॉट साइज: 190 शेयर
  • ओवर्सब्सक्रिप्शन: IPO 27.28 गुना अधिक सब्सक्राइब हुआ था।

अन्य आगामी IPOs:

आने वाले हफ्तों में कई अन्य IPO भी लॉन्च होने वाले हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • वन मोबिक्विक सिस्टम्स लिमिटेड
  • साई लाइफ साइंसेज लिमिटेड
  • सुप्रीम फैसिलिटी मैनेजमेंट लिमिटेड
  • पर्पल यूनाइटेड सेल्स लिमिटेड

इन और अन्य आगामी IPOs के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया वित्तीय समाचार वेबसाइटों और अपने ब्रोकर के अपडेट देखें।

डिसक्लेमर: यह जानकारी सामान्य ज्ञान और सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है, और यह वित्तीय सलाह नहीं है। किसी भी निवेश निर्णय लेने से पहले वित्तीय सलाहकार से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।

Mobikwik IPO: एक विस्तृत जानकारी

Mobikwik का IPO हाल ही में खत्म हुआ है और अब निवेशकों को अपने शेयर अलॉटमेंट स्टेटस की जांच करने का इंतजार है।

Mobikwik IPO के बारे में

  • IPO का उद्देश्य: कंपनी ने IPO के माध्यम से 572 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था।
  • सब्सक्रिप्शन: IPO को निवेशकों से जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला और यह 125 गुना से अधिक सब्सक्राइब हुआ।
  • प्राइस बैंड: IPO का प्राइस बैंड 265-279 रुपये प्रति शेयर था।

Mobikwik IPO अलॉटमेंट स्टेटस कैसे चेक करें?

आप निम्नलिखित दो तरीकों से अपना Mobikwik IPO अलॉटमेंट स्टेटस चेक कर सकते हैं:

1. लिंक इनटाइम वेबसाइट:

  • स्टेप 1: लिंक इनटाइम की वेबसाइट पर जाएं: https://linkintime.co.in/initial_offer/
  • स्टेप 2: ड्रॉपडाउन मेनू से “One Mobikwik Systems Limited” का चयन करें।
  • स्टेप 3: अपना पैन नंबर, आवेदन नंबर, या डीपी क्लाइंट आईडी डालें।
  • स्टेप 4: “सबमिट” बटन पर क्लिक करें।

2. BSE वेबसाइट:

  • स्टेप 1: BSE की वेबसाइट पर जाएं: https://www.bseindia.com/investors/appli_check.aspx
  • स्टेप 2: “इक्विटी” बॉक्स को चेक करें।
  • स्टेप 3: अपना पैन नंबर, आवेदन नंबर, या डीपी क्लाइंट आईडी डालें।
  • स्टेप 4: “सबमिट” बटन पर क्लिक करें।

अलॉटमेंट की स्थिति जानने के अन्य तरीके:

  • SMS: यदि आपको शेयर अलॉट हुए हैं, तो आपको अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एक SMS मिलेगा।
  • ईमेल: आपके रजिस्टर्ड ईमेल आईडी पर भी एक ईमेल भेजा जाएगा।
  • डीमैट अकाउंट: आप अपने डीमैट अकाउंट में भी अलॉटमेंट की जानकारी चेक कर सकते हैं।

ध्यान दें:

  • शेयर अलॉटमेंट की प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है।
  • यदि आपको शेयर अलॉट नहीं हुए हैं, तो आपका पैसा आपके बैंक खाते में वापस कर दिया जाएगा।
  • Mobikwik के शेयर 18 दिसंबर 2024 को शेयर बाजार में लिस्ट हो जाएंगे।

अगर आपको कोई समस्या आती है तो आप अपने ब्रोकर या डीपी से संपर्क कर सकते हैं।

IPO की बौछार: इस हफ्ते 9 कंपनियां उठाएंगी 3500 करोड़ रुपये से अधिक का फंड

दिसंबर महीना IPO के लिहाज से काफी व्यस्त रहा है और आने वाले हफ्ते में भी यह तेजी जारी रहेगी।

कई कंपनियां इस हफ्ते शेयर बाजार में डेब्यू करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इनमें से कई कंपनियां प्रौद्योगिकी, फाइनेंस, रियल एस्टेट और अन्य सेक्टर से हैं।

आने वाले हफ्ते में लॉन्च होने वाले प्रमुख IPOs:

  1. International Gemmological Institute (IGI): IGI, एक वैश्विक रत्न विज्ञान संस्थान, 13 दिसंबर को अपना IPO खोल रहा है।
  2. Hamps Bio: एक बायोटेक्नोलॉजी कंपनी, 13 दिसंबर को अपना IPO लॉन्च कर रही है।
  3. Inventurus Knowledge Solutions: एक एड-टेक कंपनी, 12 दिसंबर को अपना IPO लॉन्च कर रही है।
  4. Yash Highvoltage: एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कंपनी, 12 दिसंबर को अपना IPO लॉन्च कर रही है।
  5. Purple United Sales: एक रिटेल कंपनी, 11 दिसंबर को अपना IPO लॉन्च कर रही है।
  6. Vishal Mega Mart: एक रिटेल कंपनी, 11 दिसंबर को अपना IPO लॉन्च कर रही है।
  1. Sai Life Sciences: एक फार्मास्युटिकल कंपनी, 11 दिसंबर को अपना IPO लॉन्च कर रही है।
  2. Supreme Facility Management: एक फैसिलिटी मैनेजमेंट कंपनी, 11 दिसंबर को अपना IPO लॉन्च कर रही है।
  3. One Mobikwik Systems: एक फिनटेक कंपनी, 11 दिसंबर को अपना IPO लॉन्च कर रही है।

इन IPOs के माध्यम से कुल मिलाकर 3500 करोड़ रुपये से अधिक का फंड जुटाया जाएगा।

निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे इन IPOs में निवेश करने से पहले पूरी तरह से रिसर्च करें और अपने फाइनेंशियल सलाहकार से परामर्श लें।

IPO में निवेश करने के फायदे और जोखिम:

फायदे:

  • उच्च रिटर्न: IPO में निवेश करने से उच्च रिटर्न की संभावना होती है।
  • पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन: IPO में निवेश करने से पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई किया जा सकता है।
  • कंपनी के ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा बनना: IPO में निवेश करने से आप कंपनी के ग्रोथ स्टोरी का हिस्सा बन सकते हैं।

जोखिम:

  • मार्केट वोलेटिलिटी: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव होते रहते हैं, इसलिए IPO में निवेश करने से नुकसान भी हो सकता है।
  • कंपनी के परफॉर्मेंस का जोखिम: अगर कंपनी का परफॉर्मेंस अच्छा नहीं रहा तो शेयर की कीमत गिर सकती है।
  • ओवरवैल्यूएशन: कई बार IPO में शेयरों की कीमत ओवरवैल्यूड हो जाती है, जिससे निवेशकों को नुकसान हो सकता है।

निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे IPO में निवेश करने से पहले पूरी तरह से रिसर्च करें और अपने फाइनेंशियल सलाहकार से परामर्श लें।

IPO से जुड़े सामान्य प्रश्न:

  • IPO क्या है? – एक निजी कंपनी द्वारा पहली बार शेयर जनता को बेचना।
  • IPO में निवेश के फायदे? – उच्च रिटर्न, पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन, कंपनी के ग्रोथ में हिस्सेदारी।
  • IPO में निवेश के जोखिम? – मार्केट वोलेटिलिटी, कंपनी के परफॉर्मेंस का जोखिम, ओवरवैल्यूएशन।
  • IPO में निवेश के लिए क्या जरूरी है? – डीमैट और ब्रोकरेज अकाउंट, पैन कार्ड, आधार कार्ड।
  • IPO में निवेश की प्रक्रिया? – अकाउंट खोलें, IPO के लिए अप्लाई करें, अलॉटमेंट चेक करें, शेयरों की लिस्टिंग और ट्रेडिंग।
  • IPO में निवेश से पहले क्या ध्यान दें? – कंपनी का फंडामेंटल विश्लेषण, मार्केट सेंटीमेंट, फाइनेंशियल गोल, पोर्टफोलियो डाइवर्सिफिकेशन, लॉन्ग-टर्म पर्सपेक्टिव।
  • सलाह: IPO में निवेश से पहले रिसर्च करें और फाइनेंशियल सलाहकार से परामर्श लें।
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आधार, भारत सरकार द्वारा जारी किया गया एक अनूठा पहचान पत्र है, जो पूरे देश में नागरिकों की पहचान को प्रमाणित करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह 12 अंकों का एक अद्वितीय नंबर है, जिसे भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी किया गया है। आधार का उपयोग न केवल पहचान प्रमाण के रूप में किया जाता है, बल्कि यह विभिन्न सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ उठाने के लिए भी आवश्यक है।

आधार अपडेट क्यों जरूरी है?

आधार में व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, पता, फोन नंबर, जन्म तिथि इत्यादि शामिल होते हैं। समय के साथ, यह जानकारी बदल सकती है। उदाहरण के लिए, विवाह के बाद नाम बदलना, स्थान परिवर्तन, या अन्य कारणों से जानकारी को अपडेट करने की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए, आधार को सही और अद्यतन रखना जरूरी है।

फ्री अपडेट की सुविधा

यूआईडीएआई ने आधार धारकों को अपनी जानकारी को अपडेट करने के लिए एक विशेष अवसर प्रदान किया है। पहले, आधार अपडेट के लिए कुछ शुल्क लिया जाता था, लेकिन हाल ही में सरकार ने इसे मुफ्त करने का निर्णय लिया। यह सुविधा सभी आधार धारकों के लिए उपलब्ध है, ताकि वे अपनी जानकारी को सही समय पर अपडेट कर सकें।

नई अंतिम तिथि

UIDAI ने आधार डीटेल फ्री अपडेट (Free Aadhaar Update) की डेडलाइन (Deadline) को फिर से बढ़ा दिया है. अभी तक इसकी आखिरी तारीख 14 दिसंबर थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 14 जून 2025 कर दिया गया है. यानी आपको अब सीधे-सीधे करीब 6 महीने का वक्त मिल गया है, जिस दौरान आप अपनी आधार डीटेल्स फ्री में अपडेट करवा सकेंगे.

आधार अपडेट कैसे करें?

आधार अपडेट करना बेहद आसान है। निम्नलिखित चरणों का पालन करके आप अपनी जानकारी को अपडेट कर सकते हैं:

  1. UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: सबसे पहले, UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट (https://uidai.gov.in) पर जाएं।
  2. सर्विसेज़ सेक्शन में जाएं: वेबसाइट पर ‘सर्विसेज़’ सेक्शन में जाएं और ‘आधार अपडेट’ विकल्प चुनें।
  3. आधार नंबर दर्ज करें: अपने 12 अंकों के आधार नंबर को दर्ज करें और ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) प्राप्त करें।
  4. आवश्यक जानकारी अपडेट करें: ओटीपी दर्ज करने के बाद, आप अपनी जानकारी को अपडेट करने के लिए फॉर्म भर सकते हैं।
  5. दस्तावेज़ अपलोड करें: यदि आवश्यक हो, तो आपको अपने दस्तावेज़ों की स्कैन की गई कॉपी अपलोड करनी होगी।
  6. सबमिट करें: सभी जानकारी भरने के बाद, फॉर्म को सबमिट करें और अपडेट स्टेटस की जांच करने के लिए ट्रैकिंग नंबर प्राप्त करें।

ध्यान देने योग्य बातें

  • आधार अपडेट करते समय सुनिश्चित करें कि सभी जानकारी सही और सटीक हो।
  • अपडेट की प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है, इसलिए धैर्य रखें।
  • यदि आपको किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना करना पड़ता है, तो आप UIDAI के हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।

आधार एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, और इसे अद्यतन रखना आपके लिए बेहद जरूरी है। सरकार द्वारा दी गई मुफ्त अपडेट की सुविधा का लाभ उठाएं और अपनी जानकारी को समय पर सही करें। याद रखें, आपसे यह उम्मीद की जाती है कि आप अपनी पहचान को सही तरीके से प्रमाणित करें, ताकि आप सभी सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ उठा सकें।

इसलिए, यदि आपने अभी तक अपने आधार को अपडेट नहीं किया है, तो 14 जून 2025 तक का समय आपके लिए एक सुनहरा अवसर है। समय का सही उपयोग करें और सुनिश्चित करें कि आपकी जानकारी हमेशा सही और अद्यतन रहे।

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार कार्ड को मुफ्त में अपडेट करने की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। पहले यह सेवा सीमित समय के लिए उपलब्ध थी, लेकिन अब सरकार ने इस अवधि को बढ़ा दिया है।

नई अंतिम तिथि:

UIDAI ने आधार कार्ड को मुफ्त में अपडेट करने की नई अंतिम तिथि की घोषणा की है। यदि आप अपने आधार में किसी भी प्रकार का परिवर्तन या अपडेट करना चाहते हैं, तो आप नई तिथि तक यह सेवा प्राप्त कर सकते हैं।

अपडेट करने की प्रक्रिया:

  1. ऑनलाइन अपडेट: आप UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपने आधार को ऑनलाइन अपडेट कर सकते हैं।
  2. ऑफलाइन अपडेट: आप नजदीकी आधार केंद्र पर जाकर भी अपने आधार में आवश्यक बदलाव करवा सकते हैं।

आधार कार्ड में नया अपडेट: क्या है और आपको क्यों जानना चाहिए?

UIDAI ने हाल ही में आधार कार्ड से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण अपडेट्स की घोषणा की है। ये अपडेट आधार कार्ड धारकों के लिए कई सुविधाएं और सुरक्षा लाभ लेकर आए हैं। आइए जानते हैं इन अपडेट्स के बारे में विस्तार से:

1. आधार कार्ड का डिजिटल रूप:

  • mAadhaar: UIDAI ने mAadhaar ऐप को और अधिक उपयोगकर्ता-मित्र बनाया है। अब आप अपने आधार कार्ड का डिजिटल रूप इस ऐप के माध्यम से आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।
  • e-KYC: e-KYC प्रक्रिया को और तेज़ और सुरक्षित बनाया गया है। अब आप अपने आधार कार्ड का डिजिटल रूप का उपयोग करके ऑनलाइन सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।

2. सुरक्षा में सुधार:

  • फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन: UIDAI ने फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित बनाया है। अब आपका बायोमेट्रिक डेटा और भी सुरक्षित है।
  • डेटा प्राइवेसी: UIDAI ने डेटा प्राइवेसी को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। आपके आधार कार्ड का डेटा पूरी तरह सुरक्षित है और किसी के साथ साझा नहीं किया जाता है।

3. नई सुविधाएं:

  • आधार कार्ड का उपयोग विभिन्न सेवाओं के लिए: अब आप आधार कार्ड का उपयोग विभिन्न सरकारी और निजी सेवाओं के लिए कर सकते हैं, जैसे कि ट्रेन टिकट बुकिंग, होटल बुकिंग, आदि।
  • आधार कार्ड के साथ डिजिटल साइन: आप अपने आधार कार्ड का उपयोग करके डिजिटल दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।

आपको क्या करना चाहिए?

  • अपना आधार कार्ड अपडेट रखें: सुनिश्चित करें कि आपका आधार कार्ड पर दर्ज जानकारी सही और अद्यतित है।
  • mAadhaar ऐप डाउनलोड करें: इस ऐप का उपयोग करके आप अपने आधार कार्ड का डिजिटल रूप डाउनलोड कर सकते हैं और विभिन्न सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।
  • सुरक्षा के लिए जागरूक रहें: अपने आधार कार्ड नंबर को किसी के साथ साझा न करें और हमेशा सुरक्षित वेबसाइटों पर ही अपना आधार कार्ड का उपयोग करें।

इन नए अपडेट्स के साथ, आधार कार्ड और भी अधिक उपयोगी और सुरक्षित हो गया है। इन अपडेट्स का लाभ उठाने के लिए अपने आधार कार्ड को अपडेट रखें और सुरक्षित रखें।

कृपया ध्यान दें: यह जानकारी सामान्य जानकारी के लिए है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट या निकटतम आधार केंद्र से संपर्क करें।

आधार कार्ड: एक संपूर्ण जानकारी

आधार कार्ड भारत सरकार द्वारा जारी किया गया एक 12 अंकों का यूनिक पहचान संख्या (UID) है। यह भारतीय नागरिकों के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बन गया है, जिसका उपयोग विभिन्न सरकारी और निजी सेवाओं के लिए किया जाता है।

आधार कार्ड का महत्व

  • सरलीकृत पहचान प्रक्रिया: आधार कार्ड एक सरल और सुरक्षित तरीका है, जिससे आपकी पहचान की पुष्टि की जा सकती है।
  • सरकारी सेवाओं में सुगमता: विभिन्न सरकारी योजनाओं और सेवाओं के लिए आवेदन करते समय आधार कार्ड की आवश्यकता होती है, जिससे प्रक्रिया आसान हो जाती है।
  • बैंक खाता खोलना: आधार कार्ड बैंक खाता खोलने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
  • मोबाइल सिम कार्ड खरीदना: मोबाइल सिम कार्ड खरीदने के लिए आधार कार्ड की आवश्यकता होती है।
  • पैन कार्ड लिंक करना: आयकर रिटर्न भरने के लिए पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक करना अनिवार्य है।

आधार कार्ड के लाभ

  • पारदर्शिता और जवाबदेही: आधार कार्ड के माध्यम से सरकारी सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है।
  • धोखाधड़ी में कमी: आधार कार्ड का उपयोग करके धोखाधड़ी और पहचान चोरी को कम किया जा सकता है।
  • वित्तीय समावेशन: आधार कार्ड के माध्यम से वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बढ़ती है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
  • सब्सिडी और लाभ का सीधा हस्तांतरण: आधार कार्ड के माध्यम से सब्सिडी और लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में ट्रांसफर किए जाते हैं, जिससे दुरुपयोग कम होता है।

आधार कार्ड कैसे प्राप्त करें?

  1. आधार केंद्र पर जाएं: अपने नजदीकी आधार केंद्र पर जाएं।
  2. आवेदन फॉर्म भरें: आवेदन फॉर्म में अपनी व्यक्तिगत जानकारी भरें।
  3. दस्तावेज जमा करें: आवश्यक दस्तावेज जैसे जन्म प्रमाण पत्र, राशन कार्ड, पासपोर्ट, आदि जमा करें।
  4. बायोमेट्रिक जानकारी दें: आधार केंद्र पर अपने फिंगरप्रिंट और आईरिस स्कैन करवाएं।
  5. आधार नंबर प्राप्त करें: कुछ दिनों बाद, आपको आधार नंबर प्राप्त होगा, जिसे आप SMS या ईमेल के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।

आधार कार्ड को कैसे अपडेट करें?

आधार कार्ड को ऑनलाइन या ऑफलाइन तरीके से अपडेट किया जा सकता है।

ऑनलाइन अपडेट:

  1. माय आधार पोर्टल पर जाएं: https://uidai.gov.in/en/ पर जाएं।
  2. लॉगिन करें: अपने आधार नंबर और OTP का उपयोग करके लॉगिन करें।
  3. अपडेट का चयन करें: “Update Demographics Data” विकल्प चुनें।
  4. जानकारी भरें: आवश्यक जानकारी जैसे नाम, पता, मोबाइल नंबर, आदि भरें।
  5. दस्तावेज अपलोड करें: अपडेट के लिए आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें।
  6. सबमिट करें: सबमिट बटन पर क्लिक करें।

ऑफलाइन अपडेट:

  1. आधार केंद्र पर जाएं: अपने नजदीकी आधार केंद्र पर जाएं।
  2. अपडेट फॉर्म भरें: अपडेट फॉर्म भरें और आवश्यक दस्तावेज जमा करें।
  3. फीस का भुगतान करें: कुछ मामलों में, अपडेट के लिए शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है.

आधार कार्ड से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

  • बायोमेट्रिक अपडेट: हर 10 साल में एक बार आधार कार्ड का बायोमेट्रिक अपडेट करवाना आवश्यक है।
  • डुप्लिकेट आधार कार्ड: आधार कार्ड खो जाने पर आप UIDAI की वेबसाइट से डुप्लिकेट आधार कार्ड का ऑर्डर कर सकते हैं।
  • आधार कार्ड का सुरक्षित रखें: आधार कार्ड को सुरक्षित रखें और किसी के साथ साझा न करें।
  • UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट: अधिक जानकारी के लिए UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: https://uidai.gov.in/en/

आधार कार्ड के सुरक्षा उपाय

  • सुरक्षित वेबसाइटों पर ही जानकारी साझा करें: हमेशा सुरक्षित और विश्वसनीय वेबसाइटों पर ही अपना आधार कार्ड नंबर और अन्य व्यक्तिगत जानकारी साझा करें।
  • पासवर्ड का उपयोग करें: अपने आधार कार्ड के लिए एक मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें और इसे नियमित रूप से बदलें।
  • जाली वेबसाइटों से सावधान रहें: जाली वेबसाइटों से सावधान रहें जो आपकी व्यक्तिगत जानकारी चोरी करने का प्रयास कर सकती हैं।
  • अपने आधार कार्ड को सुरक्षित रखें: अपने आधार कार्ड को सुरक्षित रखें और इसे किसी के साथ साझा न करें।

आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। यदि आपके कोई और प्रश्न हैं, तो कृपया UIDAI के हेल्पलाइन नंबर या आधिकारिक वेबसाइट पर संपर्क करें।

Aadhar Card: आधार कार्ड बनवाना और भी आसान, UIDAI ने इतने ऑनलाइन स्लॉट बढ़ाए… आपको घंटों लाइन में नहीं लगना पड़ेगा

आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया अब और भी आसान हो गई है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आगरा में ऑनलाइन स्लॉट की संख्या 500 से बढ़ाकर 800 कर दी है। आवेदक अब ऑनलाइन अपॉइंटमेंट लेकर अपना आधार कार्ड बनवा सकते हैं। इसके अलावा सीधे केंद्र पर पहुंचने वाले लोगों के लिए भी 200 से 250 आधार कार्ड बनाए जाएंगे।

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UIDAI ने 500 की जगह 800 ऑनलाइन स्लॉट कर दिए हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर) जागरण।

HighLights

  1. भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण ने 500 की जगह 800 की संख्या
  2. 200 से 250 लोग सीधें केंद्र पर पहुंच बनवा सकते हैं आधार कार्ड

जागरण संवाददाता, आगरा। आधार कार्ड (Aadhar Card) बनवाने के लिए अब लंबी कतार से कुछ राहत मिलने की उम्मीद है। भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने अब ऑनलाइन 500 की जगह 800 स्लॉट देने की व्यवस्था कर दी है। आवेदक अपना अपॉइंटमेंट करा सकते हैं।

केंद्र की क्षमता एक हजार की है, लेकिन कार्य की गति बढ़ा 200 से 300 अतिरिक्त बनाने की सुविधा दी जा सकती है। खंदारी बाइपास सर्विस रोड पर भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण कार्यालय पर रोज आधार कार्ड बनवाने के लिए भीड़ जुटती है।

इसके बाद भी काफी लोगों को नंबर नहीं आने के कारण निराश होना पड़ता है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के डाक घरों में सुविधा है, लेकिन इसके बाद भी सभी आवेदकों को सुविधा नहीं मिल पा रही है। स्कूलों में प्रवेश से लेकर विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता है। नाम संशोधन कराने वालों की भी बड़ी संख्या होती है।

इसे भी पढ़ें- Aadhaar Card Update: फिर बढ़ी फ्री में आधार कार्ड अपडेट करने की तारीख, अब इस तारीख तक उठा सकते हैं फायदा

भीड़ के दबाव को घटाने और लोगों को सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रतिदिन के स्लॉट की संख्या बढ़ा दी गई है। अभी तक 500 स्लॉट प्रतिदिन थे, लेकिन अब 800 होने से लोगों को केंद्र पर समय बर्बाद नहीं करना होगा। वे ऑनलाइन अपॉइंटमेंट करा अपना स्लॉट बुक करा सकेंगे।

केंद्र पर पहुंचने वालों की संख्या में भी वृद्धि

इसके साथ ही केंद्र पर सीधे पहुंचने वालों की संख्या में भी वृद्धि होती है। केंद्र की क्षमता कुल एक हजार की है, लेकिन सीधे पहुंचने वाले में 200 से 250 और इससे अधिक के भी आधार कार्ड बनाए जाते हैं।

भारतीय विशिष्ठ पहचान प्राधिकरण के मीडिया पर्सन अकरम ने बताया कि 16 काउंटर के माध्यम से खंदारी में आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। लोगों की आवश्यकता और सुविधा को ध्यान में रखकर 300 स्लॉट बढ़ाए गए हैं। ऑनलाइन अपॉइंटमेंट के माध्यम से लोग इसका लाभ ले सकते हैं।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):

  1. क्या मैं आधार में नाम, पता आदि को मुफ्त में अपडेट कर सकता हूँ?
  • हाँ, UIDAI ने निर्धारित अवधि के भीतर आधार में जानकारी मुफ्त में अपडेट करने की सुविधा प्रदान की है।
  1. मुझे अपडेट के लिए क्या दस्तावेज़ चाहिए?
  • आपको आवश्यक दस्तावेज़ जैसे पहचान पत्र, पते का प्रमाण आदि की आवश्यकता होगी।
  1. क्या आधार अपडेट करने में कोई समय लगेगा?
  • ऑनलाइन अपडेट आमतौर पर तात्कालिक होते हैं, जबकि ऑफलाइन अपडेट में कुछ समय लग सकता है।
  1. यदि मैंने अपनी अंतिम तिथि को पार कर लिया, तो क्या मुझे शुल्क देना होगा?
  • हाँ, यदि आप अंतिम तिथि को पार कर लेते हैं, तो आपको आधार अपडेट करने के लिए शुल्क देना पड़ सकता है।
  1. क्या मैं अपनी जानकारी को बार-बार अपडेट कर सकता हूँ?
  • हाँ, आप अपनी जानकारी को बार-बार अपडेट कर सकते हैं, लेकिन कुछ नियम और सीमाएँ लागू हो सकती हैं।

अधिक जानकारी के लिए, आप UIDAI की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।

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कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (CSE) आज के डिजिटल युग में सबसे महत्वपूर्ण और तेज़ी से विकसित होने वाले क्षेत्रों में से एक है। यह क्षेत्र न केवल तकनीकी विकास को बढ़ावा देता है, बल्कि इसके माध्यम से कई नए नवाचार, समाधान और अवसर उत्पन्न होते हैं। अगर आप एक ऐसी दिशा में कदम रखना चाहते हैं जो न केवल भविष्य की जरूरतों को पूरा करे, बल्कि आपको उन अवसरों तक पहुँचने का मौका दे, जो आज के समय में अनगिनत हैं, तो कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग आपके लिए सबसे सही विकल्प हो सकता है।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग क्या है?

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग इंजीनियरिंग की एक शाखा है जो सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर सिस्टम्स को डिज़ाइन, कार्यान्वित और प्रबंधित करने पर केंद्रित है। यह वास्तविक जीवन की समस्याओं को हल करने और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के सिद्धांतों को जोड़ता है। अध्ययन के मुख्य क्षेत्र हैं:

  • प्रोग्रामिंग और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट
  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग
  • डेटा साइंस और बिग डेटा एनालिटिक्स
  • साइबर सुरक्षा और क्रिप्टोग्राफी
  • कंप्यूटर नेटवर्क्स और IoT

CSE पेशेवर स्वास्थ्य सेवा, वित्त, शिक्षा, और मनोरंजन जैसी उद्योगों को चलाने वाले नवाचारपूर्ण समाधानों पर काम करते हैं।

  • प्रोग्रामिंग और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट: एक गहन मार्गदर्शिका

आज की डिजिटल दुनिया में, प्रोग्रामिंग और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। चाहे मोबाइल एप्लिकेशन हों, वेबसाइट्स, या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित सिस्टम, ये सभी प्रोग्रामिंग और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट की नींव पर आधारित हैं। यह ब्लॉग आपको प्रोग्रामिंग और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट की मूलभूत जानकारी, इसके लाभ, प्रमुख कौशल, और करियर संभावनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।


प्रोग्रामिंग क्या है?

प्रोग्रामिंग वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक कंप्यूटर को निर्देश दिए जाते हैं कि वह क्या और कैसे करना चाहिए। इसमें कोडिंग भाषाओं का उपयोग कर समस्याओं का समाधान विकसित किया जाता है।

प्रोग्रामिंग भाषाएं

  1. पायथन (Python): उपयोग में आसान और डेटा साइंस, मशीन लर्निंग में प्रमुख।
  2. जावा (Java): एप्लिकेशन डेवलपमेंट और एंटरप्राइज सॉफ़्टवेयर के लिए उपयुक्त।
  3. सी++ (C++): उच्च प्रदर्शन वाली एप्लिकेशन जैसे गेम और सिस्टम प्रोग्रामिंग।
  4. जावास्क्रिप्ट (JavaScript): वेब डेवलपमेंट में व्यापक उपयोग।
  5. रूबी (Ruby): वेब एप्लिकेशन के लिए तेजी से प्रोटोटाइप विकसित करने में मददगार।

सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट क्या है?

सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट वह प्रक्रिया है जिसमें सॉफ़्टवेयर सिस्टम को डिज़ाइन, विकसित, परीक्षण और बनाए रखा जाता है। यह कई चरणों में किया जाता है जिसे सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट लाइफ साइकल (SDLC) कहा जाता है।

सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट लाइफ साइकल (SDLC) चरण

  1. आवश्यकताओं का विश्लेषण (Requirement Analysis): क्लाइंट की आवश्यकताओं को समझना।
  2. डिज़ाइन (Design): सिस्टम आर्किटेक्चर और इंटरफ़ेस का निर्माण।
  3. कोडिंग (Coding): सॉफ़्टवेयर को प्रोग्रामिंग भाषाओं में विकसित करना।
  4. परीक्षण (Testing): सिस्टम की गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
  5. डिप्लॉयमेंट (Deployment): सॉफ़्टवेयर को उपयोगकर्ताओं के लिए जारी करना।
  6. रखरखाव (Maintenance): अपडेट्स और बग फिक्सिंग।

प्रोग्रामिंग और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट के लाभ

  1. उच्च मांग: तकनीक-आधारित दुनिया में इन कौशलों की भारी मांग है।
  2. विविध करियर विकल्प: वेब डेवलपर, मोबाइल ऐप डेवलपर, गेम डेवलपर, और डेटा वैज्ञानिक जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अवसर।
  3. उच्च वेतन: प्रोग्रामर और डेवलपर्स को आकर्षक वेतन मिलता है।
  4. नवाचार का अवसर: नई तकनीकों और समाधानों का निर्माण।
  5. दूरस्थ कार्य के अवसर: घर से काम करने के विकल्प।

प्रोग्रामिंग और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट के लिए आवश्यक कौशल

  1. तकनीकी कौशल:
  • डेटा संरचना और एल्गोरिदम की समझ।
  • प्रमुख प्रोग्रामिंग भाषाओं में दक्षता।
  • डेटाबेस प्रबंधन (SQL, NoSQL)।
  1. समस्या समाधान:
  • जटिल समस्याओं को हल करने की क्षमता।
  • तार्किक और विश्लेषणात्मक सोच।
  1. सॉफ्ट कौशल:
  • टीमवर्क और संचार कौशल।
  • समय प्रबंधन।

करियर संभावनाएँ

प्रमुख भूमिकाएँ और उनकी औसत सैलरी:

  1. वेब डेवलपर: ₹3-8 लाख प्रति वर्ष।
  2. मोबाइल ऐप डेवलपर: ₹4-10 लाख प्रति वर्ष।
  3. गेम डेवलपर: ₹5-12 लाख प्रति वर्ष।
  4. डेटा वैज्ञानिक: ₹6-15 लाख प्रति वर्ष।
  5. सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट: ₹15-30 लाख प्रति वर्ष।

भविष्य की संभावनाएँ

प्रोग्रामिंग और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लॉकचेन, और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में तेजी से प्रगति हो रही है।


निष्कर्ष

प्रोग्रामिंग और सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट केवल एक कौशल नहीं है, यह नवाचार और करियर के असीमित अवसरों का द्वार है। यदि आप तकनीक के प्रति रुचि रखते हैं और जटिल समस्याओं को हल करने का जुनून रखते हैं, तो यह क्षेत्र आपके लिए आदर्श है। अपनी यात्रा शुरू करें और इस रोमांचक दुनिया का हिस्सा बनें!

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) तकनीकें आज के समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मानव बुद्धि की नकल करने वाली मशीनों का विकास है, जो खुद से निर्णय ले सकती हैं और समस्याओं को हल कर सकती हैं। वहीं, मशीन लर्निंग एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कंप्यूटर सिस्टम खुद को अनुभव से सुधारता है और बिना किसी स्पष्ट प्रोग्रामिंग के सीखता है। इन तकनीकों का उपयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, वित्त, एंटरटेनमेंट और अन्य क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है, जिससे कार्यों की गति और गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। AI और ML के संयोजन से भविष्य में कई नई संभावनाएँ और चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।

डेटा साइंस और बिग डेटा एनालिटिक्स:
डेटा साइंस एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें बड़े पैमाने पर डेटा का विश्लेषण करके उससे महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की जाती है। यह तकनीक डेटा के पैटर्न, ट्रेंड्स और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी को पहचानने में मदद करती है, जो निर्णय लेने में सहायक होती है। बिग डेटा एनालिटिक्स बड़े, जटिल और विविध डेटा सेट्स का विश्लेषण करने के लिए उपयोग की जाती है, जिसे पारंपरिक डेटा प्रोसेसिंग टूल्स द्वारा संभालना मुश्किल होता है। डेटा साइंस और बिग डेटा एनालिटिक्स का उपयोग विभिन्न उद्योगों में किया जाता है, जैसे स्वास्थ्य, वित्त, खुदरा और सरकारी सेवाओं में, जिससे व्यवसायों को बेहतर निर्णय लेने और भविष्य की रणनीतियाँ तय करने में मदद मिलती है।

साइबर सुरक्षा और क्रिप्टोग्राफी:
साइबर सुरक्षा वह प्रक्रिया है, जो कंप्यूटर सिस्टम, नेटवर्क और डेटा को अनधिकृत पहुँच, हमलों और क्षति से बचाने के लिए अपनाई जाती है। यह तकनीक डिजिटल डेटा की सुरक्षा, पहचान प्रबंधन और खतरों से बचाव के लिए महत्वपूर्ण है। क्रिप्टोग्राफी, साइबर सुरक्षा का एक अहम हिस्सा है, जो जानकारी को सुरक्षा के उद्देश्य से एन्क्रिप्ट और डिक्रिप्ट करने की प्रक्रिया है। इसके माध्यम से संवेदनशील डेटा को चोरी या अनधिकृत एक्सेस से बचाया जाता है। साइबर हमलों के बढ़ते खतरों के बीच, साइबर सुरक्षा और क्रिप्टोग्राफी के क्षेत्र में निरंतर अनुसंधान और नवाचार किया जा रहा है, ताकि डिजिटल दुनिया को सुरक्षित रखा जा सके।

कंप्यूटर नेटवर्क्स और IoT:
कंप्यूटर नेटवर्क्स वह प्रणाली है, जो विभिन्न कंप्यूटरों और अन्य उपकरणों को आपस में जोड़ने के लिए कार्य करती है, ताकि वे एक-दूसरे से डेटा और संसाधन साझा कर सकें। नेटवर्क्स का उपयोग इंटरनेट, व्यापारिक संचार, और दूरसंचार जैसी सेवाओं में किया जाता है। वहीं, IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) एक तकनीकी अवधारणा है, जिसमें भौतिक उपकरणों और वस्तुओं को इंटरनेट से जोड़ा जाता है, ताकि वे एक-दूसरे के साथ डेटा साझा कर सकें और स्वचालित रूप से कार्य कर सकें। IoT का उपयोग स्मार्ट होम, स्वास्थ्य देखभाल, परिवहन और अन्य क्षेत्रों में किया जाता है, जिससे जीवन को अधिक स्मार्ट और कनेक्टेड बनाया जा रहा है। दोनों क्षेत्रों में निरंतर विकास हो रहा है, जिससे नए अवसर और चुनौतियाँ उत्पन्न हो रही हैं।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के लाभ

  1. उच्च कौशल की मांग:
    तकनीक-चालित दुनिया में कंप्यूटर इंजीनियरों की भारी मांग है। उनके कौशल IT, बैंकिंग, ई-कॉमर्स और गेमिंग जैसे उद्योगों में अपरिहार्य हैं।
  2. विविध करियर के अवसर:
    CSE की डिग्री से सॉफ़्टवेयर डेवलपर, डेटा साइंटिस्ट, सिस्टम एनालिस्ट, AI विशेषज्ञ और अन्य भूमिकाओं के द्वार खुलते हैं।
  3. नवाचार और रचनात्मकता:
    CSE नवाचार और रचनात्मकता की स्वतंत्रता प्रदान करता है, जिससे पेशेवर स्वायत्त वाहन, स्मार्ट डिवाइस और ब्लॉकचेन सिस्टम जैसी परिवर्तनकारी तकनीकों का विकास कर सकते हैं।
  4. वैश्विक अवसर:
    कंप्यूटर इंजीनियरों की मांग वैश्विक है, जिससे बहुराष्ट्रीय कंपनियों और स्टार्टअप्स के साथ काम करने के अवसर मिलते हैं।
  5. आकर्षक सैलरी:
    CSE पेशेवर सबसे अधिक भुगतान पाने वाले इंजीनियरों में से हैं, जो नौकरी बाजार में उनके कौशल की महत्ता को दर्शाता है।
  6. उद्यमशीलता की संभावना:
    प्रोग्रामिंग और तकनीकी ज्ञान की मजबूत नींव के साथ, CSE स्नातक अपने स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं, तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र में योगदान कर सकते हैं।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में सैलरी संभावनाएं

CSE में सैलरी की संभावना इस क्षेत्र के सबसे आकर्षक पहलुओं में से एक है। विभिन्न भूमिकाओं के लिए औसत सैलरी का एक झलक:

  • सॉफ़्टवेयर डेवलपर: 4-10 लाख प्रति वर्ष (प्रारंभिक स्तर) | 15-30 लाख प्रति वर्ष (अनुभवी)
  • डेटा साइंटिस्ट: 6-12 लाख प्रति वर्ष (प्रारंभिक स्तर) | 20-50 लाख प्रति वर्ष (अनुभवी)
  • AI/ML इंजीनियर: 6-15 लाख प्रति वर्ष (प्रारंभिक स्तर) | 25-60 लाख प्रति वर्ष (अनुभवी)
  • साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ: 5-12 लाख प्रति वर्ष (प्रारंभिक स्तर) | 20-40 लाख प्रति वर्ष (अनुभवी)
  • सिस्टम आर्किटेक्ट: 10-20 लाख प्रति वर्ष (प्रारंभिक स्तर) | 30-70 लाख प्रति वर्ष (अनुभवी)

ये आंकड़े संकेतात्मक हैं और स्थान, नियोक्ता, और विशेषज्ञता जैसे कारकों के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।

CSE का भविष्य

CSE का भविष्य अत्यंत आशाजनक है, जैसे क्षेत्रों में प्रगति के साथ क्वांटम कंप्यूटिंग, AI नैतिकता, और स्थायी प्रौद्योगिकियां। जैसे-जैसे तकनीक विकसित होती है, CSE पेशेवर डिजिटल परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग पर लेख का विस्तृत परिचय

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (CSE) आज के युग में सबसे प्रमुख और आकर्षक शैक्षणिक व करियर विकल्पों में से एक बन चुका है। यह क्षेत्र न केवल तकनीकी ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि रचनात्मकता और नवाचार के अनगिनत अवसर भी प्रदान करता है। CSE कंप्यूटर, प्रोग्रामिंग, सॉफ़्टवेयर डिज़ाइन, और हार्डवेयर-सॉफ़्टवेयर इंटरफ़ेस के अध्ययन पर आधारित है। यह छात्रों को तकनीकी चुनौतियों का समाधान निकालने, नए उत्पाद और सेवाएँ विकसित करने, और उद्योग की नई आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयार करता है। वर्तमान समय में, जब लगभग हर उद्योग डिजिटल बदलाव के दौर से गुजर रहा है, CSE विशेषज्ञों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग क्या है?

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग एक बहुआयामी क्षेत्र है, जो कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के सिद्धांतों का संयोजन है। यह हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर दोनों पहलुओं का अध्ययन करता है और नए सॉफ़्टवेयर सिस्टम को डिज़ाइन, विकसित और प्रबंधित करने की दक्षता प्रदान करता है। इसमें प्रोग्रामिंग, डेटा संरचना, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, साइबर सुरक्षा, और नेटवर्किंग जैसे प्रमुख विषयों का समावेश होता है। इस क्षेत्र के पेशेवर स्वास्थ्य सेवा, वित्त, शिक्षा, और ई-कॉमर्स जैसे उद्योगों में तकनीकी समस्याओं का समाधान निकालने और नई तकनीकों को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के लाभ

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के कई लाभ हैं, जो इसे अन्य क्षेत्रों से अलग और आकर्षक बनाते हैं। सबसे पहले, इस क्षेत्र में उच्च कौशल की मांग है, क्योंकि तकनीक-आधारित दुनिया में कंप्यूटर इंजीनियरों की आवश्यकता हर क्षेत्र में होती है। यह विविध करियर विकल्प प्रदान करता है, जैसे सॉफ़्टवेयर डेवलपर, डेटा वैज्ञानिक, AI/ML इंजीनियर, और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ। इसके अलावा, यह क्षेत्र नवाचार और रचनात्मकता के लिए भरपूर अवसर देता है, जहाँ आप स्मार्ट डिवाइस, स्वायत्त वाहन, और ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का निर्माण कर सकते हैं। CSE आपको वैश्विक स्तर पर अवसर प्रदान करता है, जहाँ आप बहुराष्ट्रीय कंपनियों और स्टार्टअप्स के साथ काम कर सकते हैं। आकर्षक सैलरी और उद्यमशीलता की संभावना इसे और भी अधिक फायदेमंद बनाती है।

सैलरी संभावनाएँ

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग में सैलरी के अवसर इस क्षेत्र की सबसे बड़ी विशेषताओं में से एक हैं। प्रारंभिक स्तर पर सॉफ़्टवेयर डेवलपर की सैलरी 4-10 लाख रुपये प्रति वर्ष होती है, जबकि अनुभवी पेशेवर 15-30 लाख रुपये कमा सकते हैं। इसी तरह, डेटा वैज्ञानिक और AI/ML इंजीनियर जैसे क्षेत्रों में भी आकर्षक वेतन मिलता है, जो 6-15 लाख रुपये प्रति वर्ष से शुरू होकर अनुभव के अनुसार 25-60 लाख रुपये प्रति वर्ष तक जा सकता है। स्थान, अनुभव और विशेषज्ञता के आधार पर सैलरी में भिन्नता हो सकती है, लेकिन यह क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से अत्यधिक लाभकारी है।

भविष्य की संभावनाएँ

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग का भविष्य अत्यंत उज्ज्वल और प्रेरणादायक है। जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी में नवाचार हो रहे हैं, CSE का क्षेत्र भी विस्तृत हो रहा है। क्वांटम कंप्यूटिंग, AI नैतिकता, और स्थायी तकनीकों जैसे क्षेत्रों में उन्नति के साथ, इस क्षेत्र में नए अवसर उत्पन्न हो रहे हैं। भविष्य में, डिजिटल दुनिया को आकार देने में CSE पेशेवरों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाएगी।

निष्कर्ष

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग केवल एक करियर विकल्प नहीं है; यह नवाचार, रचनात्मकता, और वित्तीय स्वतंत्रता का मार्ग है। इसके व्यापक अनुप्रयोग, उच्च मांग, और आकर्षक सैलरी इसे छात्रों और पेशेवरों के लिए एक आदर्श क्षेत्र बनाते हैं। जो लोग प्रौद्योगिकी, समस्या समाधान, और नई खोजों के प्रति जुनून रखते हैं, उनके लिए CSE एक ऐसा मंच है, जो उन्हें व्यक्तिगत और पेशेवर रूप से उत्कृष्टता प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।

यदि आप तकनीकी दुनिया में अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प हो सकता है।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के बारे में विस्तृत जानकारी

शीर्षक (Title):

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग: करियर विकल्प, लाभ, और सैलरी की पूरी जानकारी

मेटा विवरण (Meta Description):

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के क्षेत्र में करियर बनाने के फायदे, संभावनाएं, और सैलरी की जानकारी। जानें CSE का महत्व, इसके प्रमुख क्षेत्र, और भविष्य की संभावनाएं।


कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग क्या है?

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग (CSE) आज की डिजिटल दुनिया में सबसे अधिक मांग वाले करियर विकल्पों में से एक है। यह क्षेत्र हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर के डिज़ाइन, विकास, और प्रबंधन के साथ-साथ डेटा और सिस्टम्स को अधिक प्रभावी बनाने पर केंद्रित है। इसमें प्रोग्रामिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डेटा साइंस, साइबर सुरक्षा, और IoT जैसी आधुनिक तकनीकों का अध्ययन शामिल है।


CSE क्यों चुनें? (Why Choose CSE?)

1. करियर के ढेरों विकल्प

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग आपको सॉफ़्टवेयर डेवलपर, डेटा साइंटिस्ट, AI विशेषज्ञ, और सिस्टम एनालिस्ट जैसे कई करियर विकल्प प्रदान करता है।

2. उच्च वेतन (High Salary)

CSE पेशेवरों को उद्योग में उच्चतम वेतन मिलता है। प्रारंभिक स्तर पर 4-10 लाख रुपये सालाना और अनुभवी स्तर पर 15-30 लाख रुपये तक कमाई की जा सकती है।

3. रचनात्मकता और नवाचार

CSE में रचनात्मकता के लिए भरपूर जगह है। आप नई तकनीकों का निर्माण कर सकते हैं जैसे AI-पावर्ड डिवाइस, स्मार्टफोन एप्स, और स्वायत्त वाहन।

4. वैश्विक अवसर

इस क्षेत्र में आपको केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काम करने के अवसर मिलते हैं।


मुख्य क्षेत्र (Key Areas in CSE)

  • आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML): स्वचालित प्रणालियां विकसित करना।
  • डेटा साइंस और बिग डेटा: बड़ी मात्रा में डेटा को प्रबंधित करना।
  • साइबर सुरक्षा: डिजिटल सिस्टम्स को सुरक्षित बनाना।
  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): स्मार्ट डिवाइस और कनेक्टेड सिस्टम्स का निर्माण।
  • सॉफ़्टवेयर इंजीनियरिंग: सॉफ़्टवेयर का डिज़ाइन और विकास।

CSE में सैलरी संभावनाएं (Salary Prospects in CSE)

मुख्य भूमिकाएं और औसत वेतन:

  • सॉफ़्टवेयर डेवलपर: ₹4-10 लाख प्रति वर्ष (शुरुआती स्तर), ₹15-30 लाख प्रति वर्ष (अनुभवी)।
  • डेटा वैज्ञानिक: ₹6-12 लाख प्रति वर्ष (शुरुआती स्तर), ₹20-50 लाख प्रति वर्ष (अनुभवी)।
  • AI/ML इंजीनियर: ₹6-15 लाख प्रति वर्ष (शुरुआती स्तर), ₹25-60 लाख प्रति वर्ष (अनुभवी)।
  • साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ: ₹5-12 लाख प्रति वर्ष (शुरुआती स्तर), ₹20-40 लाख प्रति वर्ष (अनुभवी)।
  • सिस्टम आर्किटेक्ट: ₹10-20 लाख प्रति वर्ष (शुरुआती स्तर), ₹30-70 लाख प्रति वर्ष (अनुभवी)।


CSE का भविष्य (Future of CSE)

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। जैसे-जैसे तकनीकी उन्नति हो रही है, वैसे-वैसे इस क्षेत्र में नई संभावनाएं उत्पन्न हो रही हैं। AI नैतिकता, क्वांटम कंप्यूटिंग, और सतत प्रौद्योगिकियां जैसे क्षेत्र CSE के भविष्य को और भी रोमांचक बनाते हैं।


निष्कर्ष (Conclusion)

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग आज के समय का सबसे प्रगतिशील और लाभकारी करियर विकल्प है। यह न केवल तकनीकी ज्ञान प्रदान करता है, बल्कि रचनात्मकता और वित्तीय स्वतंत्रता का अवसर भी देता है। अगर आप तकनीक के क्षेत्र में रुचि रखते हैं और नई चुनौतियों को हल करने का जुनून रखते हैं, तो CSE आपके लिए आदर्श विकल्प है।

सीखने की बात:

क्वांटम कंप्यूटर, पारंपरिक कंप्यूटरों से बिल्कुल अलग होते हैं और कंप्यूटिंग की दुनिया में एक क्रांतिकारी परिवर्तन लेकर आए हैं। जबकि सामान्य कंप्यूटर बाइनरी बिट्स (0 और 1) का उपयोग करते हुए डेटा को प्रोसेस करते हैं, क्वांटम कंप्यूटर क्वांटम बिट्स या “क्यूबिट्स” का उपयोग करते हैं। क्यूबिट्स की खासियत यह है कि वे एक समय में 0 और 1 दोनों स्थितियों में रह सकते हैं, जो इसे “सुपरपोजिशन” कहते हैं। इसके अलावा, क्वांटम कंप्यूटर में “एंटैंगलमेंट” नामक एक विशेष गुण होता है, जिसके तहत दो क्यूबिट्स आपस में इस तरह जुड़ सकते हैं कि एक क्यूबिट की स्थिति का प्रभाव दूसरे पर तुरंत पड़ता है, चाहे वे कितनी भी दूरी पर हों। ये दोनों गुण—सुपरपोजिशन और एंटैंगलमेंट—क्वांटम कंप्यूटर को बेहद शक्तिशाली बनाते हैं, क्योंकि वे पारंपरिक कंप्यूटरों की तुलना में बहुत अधिक तेजी से जटिल गणनाएँ कर सकते हैं क्वांटम कंप्यूटर का उपयोग कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है, जैसे कि चिकित्सा, वित्त, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और सामग्री विज्ञान। उदाहरण के लिए, क्वांटम कंप्यूटरों के माध्यम से हमें नए और अधिक प्रभावी दवाओं की खोज में मदद मिल सकती है, क्योंकि वे बहुत कम समय में बड़े-बड़े आणविक मॉडल्स का विश्लेषण कर सकते हैं। इसके अलावा, फाइनेंसियल मॉडलिंग, जो पारंपरिक कंप्यूटरों के लिए बेहद जटिल होती है, क्वांटम कंप्यूटर से हल की जा सकती है, जिससे निवेश और जोखिम मूल्यांकन में सुधार होगा।हालाँकि, क्वांटम कंप्यूटर अभी भी विकासशील अवस्था में हैं और इन्हें व्यावसायिक रूप से उपलब्ध कराने में कुछ साल और लग सकते हैं, लेकिन उनके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले अवसरों के कारण, पूरी दुनिया में वैज्ञानिक और इंजीनियर इस दिशा में अनुसंधान और विकास कर रहे हैं। इन कंप्यूटरों की पूरी क्षमता को समझना और उन्हें प्रभावी तरीके से उपयोग में लाना आने वाले वर्षों में एक बड़ी चुनौती होगी, लेकिन जब यह पूरा हो जाएगा, तो क्वांटम कंप्यूटर न केवल कंप्यूटिंग के क्षेत्र में, बल्कि हमारे दैनिक जीवन में भी एक बड़ा बदलाव लाएंगे।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

प्र. कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए कौन-कौन से कौशल जरूरी हैं?
उत्तर: गणित, प्रोग्रामिंग, और समस्या समाधान की कुशलता।

प्र. CSE में कौन-कौन से प्रमुख कोर्स होते हैं?
उत्तर: प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, डेटा स्ट्रक्चर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, और साइबर सुरक्षा।

प्र. क्या CSE में नौकरी के अवसर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिलते हैं?
उत्तर: हां, CSE में वैश्विक स्तर पर ढेरों नौकरियां उपलब्ध हैं।


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PF कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ग्राहकों को बैंकिंग जैसी सेवाएं प्रदान करने की योजना पर काम कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, नए प्रावधानों के तहत भविष्य निधि (PF) की कुल जमा राशि का 50% एटीएम जैसे कार्ड से निकाल सकेंगे।

केंद्रीय श्रम सचिव सुमिता डावरा ने इस सेवा के अगले साल से शुरू किए जाने की संभावना जताई है। केंद्रीय श्रम सचिव डावरा ने शुक्रवार को बताया कि नए सिस्टम में ऐसे EPFO सब्सक्राइबर जिनका निधन हो चुका है, उनके वारिस भी ATM के जरिए क्लेम सेटलमेंट के बाद ATM से पैसे निकाल सकते हैं।

नौकरी जाने पर एक माह के बाद निकाल सकेंगे PF का 75% पैसा PF विड्रॉल के नियम के तहत अगर किसी मेंबर की नौकरी चली जाती है तो वह 1 माह के बाद PF अकाउंट से 75% पैसा निकाल सकता है। इससे वह बेरोजगारी के दौरान अपनी जरूरतें पूरी कर सकता है। PF में जमा बाकी 25% हिस्से को जॉब छूटने के दो महीने बाद निकाला जा सकता है।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO)

PF निकासी इनकम टैक्स के नियम कर्मचारी को यदि किसी कंपनी में सेवाएं देते 5 साल पूरे हो जाते हैं और वो PF निकालता है तो उस पर इनकम टैक्स की कोई लायबिलिटी नहीं होती। 5 साल की अवधि एक या इससे ज्यादा कंपनियों को मिलाकर भी हो सकती है। एक ही कंपनी में 5 साल पूरे करना जरूरी नहीं। कुल अवधि कम से कम 5 साल होना जरूरी होता है। अगर कर्मचारी नौकरी में 5 साल पूरे होने से पहले PF खाते से 50 हजार रुपए से ज्यादा राशि निकालता है तो उसे 10% TDS चुकाना होगा। वहीं अगर आपके पास पैन कार्ड नहीं है तो आपको 30% TDS देना होगा। हालांकि, अगर कर्मचारी फॉर्म 15G/15H सबमिट कराता है तो कोई TDS नहीं काटा जाता है।

EPFO का नया नियम: ATM से PF का पैसा निकालने के लिए मिलेगा स्पेशल कार्ड, PF नॉमिनी भी निकाल सकेगा पैसा

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ATM से निकाल सकेंगे PF का 50% पैसा:

साल 2025 से ईपीएफओ सदस्यों को एटीएम के जरिए पीएफ का पैसा निकालने की सुविधा मिल सकती है। इसके लिए सरकार काम कर रही है। इसके लिए ईपीएफओ की ओर से लाभार्थियों को एक डेडिकेटेड या स्पेशल कार्ड दिया जाएगा। मौजूदा व्यवस्था के तहत ईपीएफओ सदस्यों को अपने ऑनलाइन क्लेम के सेटलमेंट के लिए 7-10 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है।

नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने सदस्यों को एटीएम के जरिए भविष्य निधि (पीएफ) का पैसा निकालने की सुविधा देने जा रहा है। इसके लिए ईपीएफओ की ओर से लाभार्थियों को एक समर्पित या विशेष कार्ड दिया जाएगा। केंद्रीय श्रम मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा ने कहा कि पीएफ से जुड़े दावे के निपटान के बाद ही लाभार्थी सीधे एटीएम से पैसा निकाल सकेंगे।

ऑनलाइन दावे के निपटान के लिए 7-10 दिन का इंतजार

मौजूदा व्यवस्था के तहत ईपीएफओ सदस्यों को अपने ऑनलाइन दावे के निपटान के लिए 7-10 दिन तक इंतजार करना पड़ता है। इसके बाद यह पैसा सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेज दिया जाता है। डावरा ने कहा कि ईपीएफओ अपने सात करोड़ से अधिक सदस्यों को बैंकों की तरह पीएफ सेवाएं देने पर विचार कर रहा है।

हम पिछले कुछ महीनों से आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर में लगातार सुधार कर रहे हैं- मंत्री

उन्होंने कहा कि फिलहाल हमारा ध्यान सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने पर है। हम पिछले कुछ महीनों से लगातार सुधार कर रहे हैं। हार्डवेयर अपडेट होने के बाद जनवरी 2025 में और सुधार देखने को मिलेंगे।

यह सुविधा ईपीएफओ द्वारा प्रदान की जाती है

डावरा ने कहा कि प्रणालीगत सुधार लाने के प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि प्रक्रियाओं को और अधिक आसान और कुशल बनाया जा सके। पीएफ के अलावा ईपीएफओ अपने सदस्यों को चिकित्सा स्वास्थ्य कवरेज, पेंशन और विकलांगता के मामले में वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है।

एटीएम से निकलेगा पीएफ का पैसा

सुमिता डावरा ने यह भी कहा कि उम्मीद की जा सकती है कि साल 2025 से ईपीएफओ सदस्यों को एटीएम के जरिए पीएफ का पैसा निकालने की सुविधा मिलने लगेगी। इसके लिए सरकार काम कर रही है। ईपीएफओ की बेहतर सेवा को लेकर उन्होंने कहा कि हम पीएफ प्रावधान के लिए आईटी सिस्टम को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले भी ईपीएफओ की सेवा में कई सुधार किए गए हैं। इन सुधारों में क्लेम में तेजी और सेल्फ क्लेम शामिल हैं।

क्या है ईपीएफओ का निकासी नियम

  • ईपीएफओ के नियमों के अनुसार, सदस्य काम करते हुए पूरी रकम नहीं निकाल सकते।
  • यदि कोई व्यक्ति एक महीने तक बेरोजगार रहता है तो वह 75 प्रतिशत राशि निकाल सकता है।
  • यदि आप दो महीने तक बेरोजगार रहते हैं तो आप अपने पीएफ फंड से पूरी रकम निकाल सकते हैं।

भविष्य निधि (Provident Fund) एक ऐसा वित्तीय सुरक्षा तंत्र है जो कर्मचारियों को उनके भविष्य के लिए बचत करने में मदद करता है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) समय-समय पर नए नियम और सुविधाएं लाता है ताकि कर्मचारियों को उनके फंड तक आसान पहुंच मिल सके। अब EPFO एक नई सुविधा लाने की योजना बना रहा है, जिसके तहत कर्मचारी अपने PF खाते से 50% पैसा सीधे ATM से निकाल सकेंगे। यह सुविधा अगले साल से लागू हो सकती है।


क्या है यह नई सुविधा?

EPFO द्वारा प्रस्तावित नई सुविधा के तहत कर्मचारी अपने PF खाते का 50% हिस्सा ATM के माध्यम से निकाल सकेंगे। यह सुविधा खासतौर पर आपातकालीन स्थितियों में फंड तक जल्दी पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है।

  • सीधी पहुंच: PF खाते से पैसे निकालने के लिए अब ऑनलाइन फॉर्म भरने या लंबी प्रक्रिया से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी।
  • आपातकालीन मदद: जरूरतमंद समय में यह सुविधा त्वरित सहायता प्रदान करेगी।
  • डिजिटल सशक्तिकरण: ATM निकासी की सुविधा PF फंड तक डिजिटल पहुंच को और मजबूत करेगी।

इस सुविधा का उद्देश्य

EPFO का यह कदम कर्मचारियों की आर्थिक जरूरतों को समय पर पूरा करने और फंड के इस्तेमाल को आसान बनाने के लिए उठाया गया है। इसके मुख्य उद्देश्य हैं:

  1. आर्थिक संकट में सहायता: मेडिकल आपातकाल, बच्चों की शिक्षा, या अन्य वित्तीय जरूरतों के समय तत्काल धनराशि उपलब्ध कराना।
  2. प्रक्रिया को सरल बनाना: ATM से निकासी की सुविधा से कर्मचारियों को लंबी प्रक्रियाओं से मुक्ति मिलेगी।
  3. डिजिटल प्रणाली को बढ़ावा: डिजिटल बैंकिंग और ATM नेटवर्क का उपयोग बढ़ाना।
  4. सुरक्षा और पारदर्शिता: यह सुविधा सुनिश्चित करेगी कि निकासी प्रक्रिया सुरक्षित और पारदर्शी हो।

ATM से PF निकालने की प्रक्रिया

जब यह सुविधा लागू होगी, तो EPFO द्वारा इसे उपयोग में लाने के लिए एक निर्धारित प्रक्रिया बनाई जाएगी। संभावित प्रक्रिया इस प्रकार हो सकती है:

  1. ATM कार्ड लिंक करना: कर्मचारी को अपना EPFO खाता बैंक खाते और ATM कार्ड से लिंक करना होगा।
  2. OTP सत्यापन: निकासी के दौरान कर्मचारी के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर OTP भेजा जाएगा।
  3. सीमित निकासी: कर्मचारी अपने PF खाते का अधिकतम 50% हिस्सा ही निकाल सकेंगे।
  4. डिजिटल रसीद: हर निकासी के बाद एक डिजिटल रसीद कर्मचारी के खाते में भेजी जाएगी।

इस सुविधा के लाभ

1. तत्काल सहायता

ATM से PF निकासी की सुविधा कर्मचारियों को उनके फंड तक तुरंत पहुंच प्रदान करेगी। यह विशेष रूप से आपातकालीन स्थितियों में उपयोगी होगी।

2. समय की बचत

ऑनलाइन आवेदन और दस्तावेज़ सत्यापन की लंबी प्रक्रिया से बचने के लिए यह सुविधा समय बचाने में सहायक होगी।

3. सरल और सुरक्षित प्रक्रिया

ATM निकासी प्रक्रिया को डिजिटल और सुरक्षित बनाया जाएगा, जिससे कर्मचारियों को अपने फंड पर अधिक नियंत्रण मिलेगा।

4. डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा

इस कदम से डिजिटल बैंकिंग और फिनटेक सेवाओं को बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा।


संभावित चुनौतियां

हालांकि यह सुविधा कर्मचारियों के लिए कई फायदे लाएगी, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियां भी हो सकती हैं:

1. तकनीकी समस्याएं

ATM और EPFO खातों को लिंक करने की प्रक्रिया में तकनीकी खामियां आ सकती हैं।

2. डिजिटल साक्षरता की कमी

ग्रामीण और अनपढ़ कर्मचारियों के लिए डिजिटल प्रक्रिया को समझना कठिन हो सकता है।

3. सुरक्षा चिंताएं

ATM निकासी प्रणाली में धोखाधड़ी या साइबर अपराध का जोखिम हो सकता है।

4. सीमित नेटवर्क कवरेज

सभी क्षेत्रों में पर्याप्त ATM नेटवर्क न होने से कर्मचारियों को निकासी में समस्या हो सकती है।


EPFO के सुधारात्मक कदम

EPFO इन चुनौतियों से निपटने के लिए निम्नलिखित उपाय कर सकता है:

  1. डिजिटल साक्षरता अभियान: कर्मचारियों को डिजिटल सेवाओं का उपयोग सिखाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना।
  2. सुरक्षा उपाय: OTP सत्यापन और मल्टी-लेयर सुरक्षा प्रणाली लागू करना।
  3. ATM नेटवर्क विस्तार: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में ATM नेटवर्क का विस्तार करना।
  4. सहायता केंद्र: कर्मचारियों की शिकायतों और समस्याओं के समाधान के लिए EPFO सहायता केंद्र स्थापित करना।

निष्कर्ष

EPFO द्वारा प्रस्तावित ATM से PF निकासी की सुविधा कर्मचारियों के लिए एक बड़ा कदम है। यह न केवल उनकी आर्थिक जरूरतों को समय पर पूरा करेगा, बल्कि डिजिटल इंडिया अभियान को भी मजबूती देगा। हालांकि, इस सुविधा का पूरा लाभ उठाने के लिए तकनीकी खामियों को दूर करना और कर्मचारियों को डिजिटल प्रक्रिया के प्रति जागरूक करना आवश्यक है।

यह नई सुविधा कर्मचारियों के जीवन में वित्तीय स्थिरता और आत्मनिर्भरता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

नए गणना नियम: ब्याज की गणना ईपीएफ दावा निपटान तिथि तक की जाती है

ईपीएफओ (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) ने हाल ही में अपने ब्याज गणना नियमों में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। नए नियमों के तहत अब ईपीएफ ब्याज की गणना उस दिन तक की जाएगी, जब तक दावा का निपटान किया जाता है। इसका मतलब है कि यदि कोई सदस्य अपने ईपीएफ खाते से निकासी के लिए आवेदन करता है, तो निकासी की प्रक्रिया पूरी होने तक खाते में जमा राशि पर ब्याज दिया जाएगा।

पहले और अब के नियमों में अंतर:

  1. पुराना नियम: पहले, ईपीएफ खाते में ब्याज की गणना उस वित्तीय वर्ष के अंत तक की जाती थी, जिसमें दावा किया गया होता था। इसका मतलब है कि अगर कोई दावा अप्रैल में करता था, तो भी ब्याज केवल 31 मार्च तक की राशि पर मिलता था।
  2. नया नियम: अब, ब्याज की गणना निकासी के वास्तविक निपटान की तारीख तक की जाएगी। इससे सदस्य को अधिक लाभ मिलेगा क्योंकि दावा प्रक्रिया के दौरान भी उसकी राशि पर ब्याज जमा होता रहेगा।

नए नियम के लाभ:

  1. अधिक पारदर्शिता: इस बदलाव से ईपीएफओ की प्रक्रिया अधिक पारदर्शी हो गई है। सदस्य को यह सुनिश्चित होता है कि उसकी पूरी राशि ब्याज के साथ प्राप्त होगी।
  2. लंबी प्रक्रिया के दौरान फायदा: कभी-कभी तकनीकी समस्याओं या दस्तावेज़ीय खामियों के कारण दावे की प्रक्रिया में देरी हो जाती है। नए नियम के तहत सदस्य को इस देरी के दौरान भी ब्याज का लाभ मिलेगा।
  3. न्यायसंगत व्यवस्था: यह बदलाव सदस्यों के लिए न्यायसंगत है, क्योंकि उनकी राशि ईपीएफओ के खाते में जमा रहती है, और वे इसका उपयोग नहीं कर सकते। इस पर ब्याज दिया जाना उचित है।

ब्याज गणना का तरीका:

ईपीएफओ हर साल ब्याज दर तय करता है, जो कि केंद्रीय न्यासी बोर्ड (Central Board of Trustees) द्वारा अनुमोदित होती है। ब्याज की गणना मासिक आधार पर होती है, लेकिन इसे वार्षिक रूप से खाते में जोड़ा जाता है।

उदाहरण:

मान लीजिए कि:

  • किसी सदस्य के खाते में 1,00,000 रुपये जमा हैं।
  • ब्याज दर 8% है।
  • सदस्य ने 15 जनवरी को दावा किया और 31 जनवरी को दावा निपटान हुआ।

पुराने नियमों के तहत ब्याज की गणना केवल 31 मार्च तक होती थी। लेकिन नए नियमों के तहत 31 जनवरी तक के दिनों का ब्याज भी जोड़ा जाएगा।

चुनौतियां और सुधार की आवश्यकता:

  1. तकनीकी अद्यतन: ईपीएफओ को अपने सॉफ़्टवेयर को नए नियम के अनुसार अपडेट करना होगा ताकि ब्याज की गणना सही तरीके से हो सके।
  2. सदस्यों को जानकारी देना: यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि सभी सदस्य इस बदलाव से अवगत हों। ईपीएफओ को अपने पोर्टल और अन्य माध्यमों से जागरूकता फैलानी चाहिए।

निष्कर्ष:

ईपीएफ ब्याज गणना के इस नए नियम से ईपीएफओ की छवि और मजबूत होगी और सदस्यों को अधिक वित्तीय सुरक्षा मिलेगी। यह कदम न केवल लाभकारी है, बल्कि यह ग्राहकों की संतुष्टि और विश्वास को भी बढ़ाएगा।

अगर आपको इस विषय पर अधिक जानकारी चाहिए, तो आप EPFO की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।

भविष्य निधि (PF) दावा निपटान में नियम परिवर्तन: क्या कार्या बदलाव आपके लिए महत्वपूर्ण है?

भविष्य निधि (Provident Fund) भारत में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण वित्तीय सुरक्षा तंत्र है। यह एक ऐसा फंड है जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों मासिक अंशदान करते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य कर्मचारियों को उनकी सेवा अवधि के दौरान बचत का लाभ देना और रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा प्रदान करना है।हाल ही में, भविष्य निधि दावा निपटान प्रक्रिया में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इन परिवर्तनों का उद्देश्य प्रक्रिया को सरल बनाना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना, और कर्मचारियों को त्वरित सेवा प्रदान करना है। इस ब्लॉग में, हम इन परिवर्तनों का विश्लेषण करेंगे और यह समझने का प्रयास करेंगे कि यह बदलाव कर्मचारियों और नियोक्ताओं पर कैसे प्रभाव डालते हैं।


PF दावा निपटान प्रक्रिया क्या है?

PF दावा निपटान प्रक्रिया का तात्पर्य कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के माध्यम से कर्मचारियों के द्वारा जमा किए गए फंड को निकालने की प्रक्रिया से है। यह प्रक्रिया निम्नलिखित परिस्थितियों में लागू हो सकती है:

  1. सेवानिवृत्ति पर: जब कर्मचारी अपनी सेवा से रिटायर होते हैं।
  2. नौकरी बदलने पर: यदि कर्मचारी नई नौकरी में EPF खाता ट्रांसफर करना चाहते हैं।
  3. आर्थिक संकट में: चिकित्सा आपातकाल, बच्चों की शादी, या घर खरीदने जैसे विशेष कारणों के लिए आंशिक निकासी।
  4. मृत्यु के मामले में: कर्मचारी की मृत्यु के बाद उनके नामित व्यक्ति को फंड का दावा करने का अधिकार है।

नए नियम क्या हैं?

सरकार और EPFO ने PF दावा निपटान प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और सरल बनाने के लिए कई बदलाव किए हैं। यहां कुछ प्रमुख बदलावों का विवरण दिया गया है:

1. ऑनलाइन दावा निपटान प्रक्रिया का विस्तार

अब PF दावा निपटान के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया को प्राथमिकता दी गई है। इसके तहत:

  • कर्मचारी UMANG ऐप या EPFO की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से दावा कर सकते हैं।
  • यह प्रक्रिया दस्तावेज़ीकरण को कम करती है और दावों को तेजी से निपटाने में मदद करती है।
  • दावा निपटान के लिए अब भौतिक फॉर्म भरने की आवश्यकता नहीं है।

2. दावा निपटान की समय सीमा कम की गई

EPFO ने PF दावों की निपटान प्रक्रिया की समय सीमा को 20 दिन से घटाकर 10 दिन कर दिया है। इससे कर्मचारियों को उनकी धनराशि जल्दी प्राप्त होगी।

3. आधार्त केसों के लिए सार्टिफ़ेकेशन

विशेष परिस्थितियों में जैसे चिकित्सा आपातकाल, EPFO ने दावा प्रक्रिया को त्वरित करने के लिए अलग से प्रावधान बनाए हैं। ऐसे मामलों में प्राथमिकता के आधार पर दावा निपटान किया जाएगा।

4. KYC अपडेट अनिवार्य

दावे की प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाने के लिए KYC (Know Your Customer) को अपडेट रखना अनिवार्य किया गया है। बिना KYC के दावा निपटान संभव नहीं होगा। KYC में निम्नलिखित दस्तावेजों को शामिल किया गया है:

  • आधार कार्ड
  • बैंक खाता विवरण
  • पैन कार्ड

5. सभी दावों का डिजिटलीकरण

अब सभी प्रकार के दावों को डिजिटलीकृत किया जा रहा है। इससे डेटा की ट्रैकिंग और सत्यापन में आसानी होती है।

6. EPFO पोर्टल पर ई-नॉमिनेशन की सुविधा

EPFO ने नॉमिनेशन प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है। कर्मचारी अपने नामित व्यक्तियों को ऑनलाइन जोड़ या बदल सकते हैं। यह सुविधा मृत्यु के बाद क्लेम की प्रक्रिया को सरल बनाती है।


इन बदलावों के लाभ

कर्मचारियों के लिए:

  1. समय की बचत: ऑनलाइन प्रक्रियाओं के कारण दावों की समय सीमा में कमी आई है।
  2. पारदर्शिता: डिजिटलीकरण से प्रक्रिया अधिक पारदर्शी बनती है।
  3. तत्काल सहायता: आर्थिक आपातकाल में तेज़ी से दावा निपटान संभव हो गया है।
  4. डॉक्यूमेंटेशन की सुविधा: KYC प्रक्रिया से दावा सत्यापन आसान और सुरक्षित हो गया है।

नियोक्ताओं के लिए:

  1. कम प्रशासनिक कार्य: ऑनलाइन प्रक्रिया से दस्तावेजों को संभालने का बोझ कम हो गया है।
  2. बेहतर ट्रैकिंग: EPFO पोर्टल पर सभी दावों का रिकॉर्ड डिजिटल रूप में उपलब्ध है।

इन परिवर्तनों की चुनौतियां

हालांकि ये बदलाव कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए फायदेमंद हैं, लेकिन इनके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियां भी हैं:

  1. डिजिटल साक्षरता की कमी: सभी कर्मचारी ऑनलाइन प्रक्रियाओं को नहीं समझ सकते।
  2. तकनीकी समस्याएं: EPFO पोर्टल पर सर्वर डाउन होने की समस्या से प्रक्रियाएं बाधित हो सकती हैं।
  3. KYC अपडेट की जटिलता: सभी कर्मचारियों के लिए KYC अपडेट करना हमेशा संभव नहीं होता।
  4. ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की समस्या: ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले कर्मचारियों को ऑनलाइन प्रक्रिया अपनाने में कठिनाई हो सकती है।

EPFO द्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदम

EPFO ने उपरोक्त चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित उपाय किए हैं:

  1. सहायता केंद्रों की स्थापना: EPFO ने कर्मचारियों की सहायता के लिए देशभर में सहायता केंद्र स्थापित किए हैं।
  2. डिजिटल साक्षरता अभियान: EPFO ऑनलाइन प्रक्रिया को समझाने के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित कर रहा है।
  3. ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच: EPFO ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाओं का विस्तार करने के लिए विशेष कदम उठाए हैं।
  4. EPFO हेल्पलाइन: कर्मचारियों की शिकायतों और प्रश्नों के लिए 24×7 हेल्पलाइन शुरू की गई है।

निष्कर्ष

PF दावा निपटान प्रक्रिया में किए गए ये बदलाव कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों के लिए सकारात्मक हैं। यह न केवल प्रक्रिया को तेज और पारदर्शी बनाते हैं, बल्कि वित्तीय संकट के समय कर्मचारियों को त्वरित सहायता प्रदान करने में भी सहायक हैं। हालांकि, इन परिवर्तनों का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए डिजिटल साक्षरता बढ़ाने और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की आवश्यकता है।

आने वाले समय में, यदि इन बदलावों को सही तरीके से लागू किया गया, तो यह कर्मचारियों के जीवन में वित्तीय स्थिरता लाने और भविष्य निधि प्रणाली में विश्वास बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।