इसरो का स्पैडेक्स मिशन: भारत का अंतरिक्ष डॉकिंग में पहला कदम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हमेशा से अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयों को छूने का सपना देखा है। आज, इसरो एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित करने के लिए तैयार है। स्पैडेक्स (SPADEX – Space Docking Experiment) मिशन भारत का पहला प्रयास है अंतरिक्ष में डॉकिंग प्रक्रिया का प्रदर्शन करने का। यह मिशन न केवल भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में तकनीकी क्षमता को दर्शाता है, बल्कि यह भविष्य में मानव अंतरिक्ष उड़ानों और अन्य अंतरिक्ष मिशनों के लिए नींव भी तैयार करता है।

स्पैडेक्स मिशन का उद्देश्य

स्पैडेक्स मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष यान के बीच डॉकिंग और अनडॉकिंग प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम देना है। इसमें दो मॉड्यूल शामिल होंगे, जिन्हें पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit) में लॉन्च किया जाएगा। ये मॉड्यूल एक-दूसरे के साथ स्वायत्त रूप से जुड़ेंगे और अलग होंगे। यह तकनीक अंतरिक्ष में ईंधन भरने, मॉड्यूलर अंतरिक्ष स्टेशनों का निर्माण और यहां तक कि ग्रहों के अन्वेषण के लिए आवश्यक है।

स्पैडेक्स मिशन की विशेषताएं

  1. दो मॉड्यूल का उपयोग: स्पैडेक्स मिशन में दो छोटे उपग्रह मॉड्यूल शामिल होंगे जो स्वायत्त डॉकिंग और अनडॉकिंग प्रक्रिया को प्रदर्शित करेंगे।
  2. स्वायत्त प्रणाली: इस मिशन में अत्याधुनिक नेविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम का उपयोग किया जाएगा। यह सिस्टम मॉड्यूल्स को स्वायत्त रूप से एक-दूसरे के करीब लाने, संरेखित करने और डॉक करने में सक्षम बनाता है।
  3. तकनीकी परीक्षण: इसरो इस मिशन के माध्यम से अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक, सटीक प्रक्षेपण, और कक्षीय गतिशीलता जैसी प्रक्रियाओं को परखना चाहता है।

भारत के लिए स्पैडेक्स मिशन का महत्व

  1. मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम: स्पैडेक्स मिशन भारत के गगनयान मिशन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। मानवयुक्त अंतरिक्ष यान को अंतरिक्ष स्टेशन या अन्य मॉड्यूल्स के साथ डॉक करने की क्षमता आवश्यक है।
  2. अंतरिक्ष में दीर्घकालिक उपस्थिति: यह मिशन भारत के लिए अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मौजूदगी सुनिश्चित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
  3. अंतरराष्ट्रीय सहयोग: सफलतापूर्वक डॉकिंग तकनीक विकसित करने से भारत को अन्य देशों और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग करने में मदद मिलेगी।

अंतरिक्ष डॉकिंग की प्रक्रिया क्या है?

अंतरिक्ष डॉकिंग वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा दो अंतरिक्ष यान या मॉड्यूल एक-दूसरे के साथ जुड़ते हैं। यह प्रक्रिया कई चरणों में पूरी होती है:

  1. शुरुआती नज़दीकी: डॉकिंग प्रक्रिया का पहला चरण होता है जब दो अंतरिक्ष यान या मॉड्यूल्स एक-दूसरे के करीब लाए जाते हैं।
  2. सटीक संरेखण: इसके बाद, दोनों मॉड्यूल्स को एक सटीक स्थिति में संरेखित किया जाता है ताकि वे सुरक्षित रूप से जुड़ सकें।
  3. जुड़ाव और लॉकिंग: अंतिम चरण में, मॉड्यूल्स आपस में जुड़ते हैं और लॉकिंग मैकेनिज्म के माध्यम से स्थिरता सुनिश्चित की जाती है।

डॉकिंग प्रक्रिया में उच्च स्तर की सटीकता और विश्वसनीयता की आवश्यकता होती है, और इसरो इसे स्वायत्त तकनीक के माध्यम से प्रदर्शित करेगा।

अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में स्पैडेक्स मिशन

अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक का विकास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण माना जाता है। अमेरिका, रूस, और चीन जैसे देशों ने पहले ही इस क्षेत्र में उन्नत तकनीक विकसित की है।

  • अमेरिका: नासा ने अपने अपोलो और स्पेस शटल कार्यक्रमों के दौरान डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल की।
  • रूस: सोवियत संघ और रूस ने मीर और आईएसएस जैसे अंतरिक्ष स्टेशनों पर डॉकिंग तकनीक का उपयोग किया।
  • चीन: हाल ही में चीन ने अपने तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन के माध्यम से इस तकनीक को विकसित किया है।

स्पैडेक्स मिशन इसरो को इस विशिष्ट क्लब में शामिल करेगा, जिससे भारत वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी स्थिति को मजबूत करेगा।

स्पैडेक्स मिशन के लिए चुनौतियां

हर नया मिशन अपनी चुनौतियों के साथ आता है, और स्पैडेक्स भी इससे अलग नहीं है।

  1. तकनीकी जटिलता: डॉकिंग प्रक्रिया में उच्च स्तर की सटीकता और स्वायत्तता की आवश्यकता होती है। नेविगेशन और गाइडेंस सिस्टम को त्रुटि रहित होना चाहिए।
  2. संचार प्रणाली: अंतरिक्ष में मॉड्यूल्स के बीच प्रभावी संचार सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
  3. पर्यावरणीय कारक: अंतरिक्ष का वातावरण कठोर होता है, जिसमें तापमान में तेजी से बदलाव और माइक्रोमेटियोराइट्स का खतरा शामिल है।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए इसरो ने अत्याधुनिक तकनीकों और उपकरणों का उपयोग किया है।

इसरो के अन्य भविष्यगत मिशन

स्पैडेक्स के अलावा, इसरो के पास कई महत्वाकांक्षी परियोजनाएं हैं, जो भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का वादा करती हैं। इनमें शामिल हैं:

  1. गगनयान मिशन: भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम।
  2. आदित्य-एल1: सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत का पहला सोलर ऑब्जर्वेटरी मिशन।
  3. चंद्रयान-3: चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करने के लिए एक अन्वेषण मिशन।
  4. नाविक विस्तार: भारत का क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम, जिसे और अधिक सटीक और विश्वसनीय बनाने की योजना है।

स्पैडेक्स मिशन की सफलता का प्रभाव

स्पैडेक्स मिशन की सफलता भारत के लिए कई दरवाजे खोलेगी। यह न केवल अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में भारत की विशेषज्ञता को साबित करेगा, बल्कि भविष्य में अंतरिक्ष स्टेशनों के निर्माण और गहरे अंतरिक्ष मिशनों के लिए भारत को तैयार भी करेगा।

  • शोध और विकास: स्पैडेक्स मिशन से प्राप्त तकनीकी जानकारी से अन्य वैज्ञानिक परियोजनाओं में योगदान होगा।
  • औद्योगिक विकास: निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहन मिलेगा।
  • वैश्विक नेतृत्व: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति मजबूत होगी, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नए सहयोग के अवसर मिलेंगे।

स्पैडेक्स मिशन भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक ऐतिहासिक पहल है। यह मिशन इसरो की तकनीकी विशेषज्ञता को दर्शाता है और आने वाले वर्षों में भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में नए आयाम जोड़ने का वादा करता है।

इस ऐतिहासिक मिशन के साथ, भारत ने अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में एक मजबूत आधार स्थापित करने का प्रयास किया है, जो न केवल देश के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए एक प्रेरणादायक कदम है।

स्पैडेक्स मिशन यह संदेश देता है कि भारत अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक में अपने सपनों को साकार करने के लिए तैयार है। यह केवल एक शुरुआत है, और भविष्य में इसरो हमें और भी बड़ी सफलताओं का गवाह बनाएगा।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. स्पैडेक्स मिशन क्या है? स्पैडेक्स (Space Docking Experiment) मिशन इसरो का एक प्रायोगिक मिशन है, जिसका उद्देश्य अंतरिक्ष में दो मॉड्यूल्स के बीच स्वायत्त डॉकिंग और अनडॉकिंग प्रक्रियाओं का प्रदर्शन करना है।

2. स्पैडेक्स मिशन का महत्व क्या है? स्पैडेक्स मिशन भविष्य के मानवयुक्त मिशनों, अंतरिक्ष स्टेशनों और गहरे अंतरिक्ष अभियानों के लिए आवश्यक डॉकिंग तकनीक के विकास में मदद करेगा।

3. इस मिशन में कौन-कौन सी तकनीकें इस्तेमाल की जाएंगी? इस मिशन में स्वायत्त नेविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम, सटीक प्रक्षेपण तकनीक और संचार प्रणालियों का उपयोग किया जाएगा।

4. स्पैडेक्स मिशन के लाभ क्या हैं? यह मिशन भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में तकनीकी आत्मनिर्भरता प्रदान करेगा, अंतरराष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहन देगा, और भारत की अंतरिक्ष क्षमता को वैश्विक स्तर पर मजबूत करेगा।

5. इसरो का अगला मिशन कौन सा है? स्पैडेक्स के बाद इसरो का गगनयान, चंद्रयान-3, और आदित्य-एल1 जैसे महत्वाकांक्षी मिशनों पर ध्यान केंद्रित है।

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दुर्घटना का संदर्भ: दक्षिण कोरिया में इस बोइंग 737-800 विमान ने निर्धारित समय पर टेक-ऑफ किया, लेकिन लैंडिंग के दौरान यह एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गया। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, विमान के पायलट ने एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) से संपर्क किया और लैंडिंग के दौरान समस्या की जानकारी दी।

29 दिसंबर 2024 को दक्षिण कोरिया के मुआन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जेजू एयर की उड़ान संख्या 2216 एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हुई, जिसमें 179 यात्रियों की मृत्यु हो गई और केवल दो लोग जीवित बचे।

दुर्घटना का विवरण:

यह बोइंग 737-800 विमान बैंकॉक से उड़ान भरकर मुआन हवाई अड्डे पर स्थानीय समयानुसार सुबह 9:07 बजे लैंडिंग का प्रयास कर रहा था। लैंडिंग के दौरान, विमान का लैंडिंग गियर ठीक से काम नहीं कर रहा था, जिससे यह रनवे से फिसलकर एक कंक्रीट की दीवार से टकरा गया और तुरंत आग की लपटों में घिर गया।

यात्रियों की स्थिति:

विमान में कुल 181 लोग सवार थे, जिनमें 175 यात्री और 6 चालक दल के सदस्य शामिल थे। यात्रियों में से 173 दक्षिण कोरियाई नागरिक थे, जबकि दो थाईलैंड के थे। दुर्घटना में 179 लोगों की मृत्यु हो गई, जबकि दो लोग गंभीर रूप से घायल अवस्था में जीवित पाए गए।

संभावित कारण:

प्रारंभिक जांच के अनुसार, विमान के लैंडिंग गियर में खराबी और पक्षियों के झुंड से टकराना दुर्घटना के प्रमुख कारण हो सकते हैं। लैंडिंग से कुछ समय पहले, कंट्रोल टॉवर ने पक्षियों के टकराने की चेतावनी जारी की थी। पायलट ने आपातकालीन लैंडिंग का प्रयास किया, लेकिन लैंडिंग गियर की विफलता के कारण विमान रनवे से फिसल गया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

प्रतिक्रिया और बचाव कार्य:

दुर्घटना के तुरंत बाद, हवाई अड्डे के अग्निशमन और बचाव दल मौके पर पहुंचे और आग बुझाने तथा जीवित बचे लोगों की तलाश में जुट गए। दो जीवित बचे यात्रियों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।

जांच और आगे की कार्रवाई:

दक्षिण कोरिया के परिवहन मंत्रालय ने दुर्घटना की विस्तृत जांच के लिए एक समिति का गठन किया है, जो विमान के ब्लैक बॉक्स और अन्य साक्ष्यों की जांच करेगी ताकि दुर्घटना के सही कारणों का पता लगाया जा सके। इसके अलावा, जेजू एयर की सभी उड़ानों की सुरक्षा जांच की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

सुरक्षा उपाय और विमानन उद्योग पर प्रभाव:

इस दुर्घटना ने विमानन उद्योग में सुरक्षा मानकों की पुनः समीक्षा की आवश्यकता को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि लैंडिंग गियर की नियमित जांच और पक्षियों के टकराने से बचने के लिए हवाई अड्डों पर विशेष उपाय किए जाने चाहिए। इसके अलावा, पायलटों के लिए आपातकालीन स्थितियों में त्वरित निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिए अतिरिक्त प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता पर भी जोर दिया जा रहा है।

पीड़ितों के परिवारों के लिए सहायता:

दुर्घटना में मारे गए यात्रियों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए, जेजू एयर और दक्षिण कोरियाई सरकार ने मुआवजा और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने की घोषणा की है। इसके तहत, प्रत्येक पीड़ित के परिवार को वित्तीय सहायता के साथ-साथ परामर्श सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।

इस दुखद घटना के संदर्भ में अधिक जानकारी के लिए, आप निम्नलिखित वीडियो देख सकते हैं:


मुख्य कारणों की जांच:

  1. तकनीकी समस्या:
    • प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि विमान के इंजन या लैंडिंग गियर में तकनीकी खराबी हो सकती है।
    • बोइंग 737-800 में पहले भी हाइड्रोलिक सिस्टम और ऑटो-पायलट में समस्याओं की रिपोर्ट की गई है।
  2. मानवीय चूक:
    • पायलट और सह-पायलट के बीच संचार में समस्या हो सकती है।
    • अत्यधिक दबाव या थकान के कारण निर्णय लेने में देरी भी दुर्घटना का कारण बन सकती है।
  3. मौसम संबंधी कारक:
    • दुर्घटना के समय क्षेत्र में तेज बारिश और खराब मौसम की स्थिति थी।
    • रनवे पर फिसलन के कारण लैंडिंग में कठिनाई आई।
  4. एटीसी की भूमिका:
    • एटीसी ने पायलट को खराब मौसम के कारण वैकल्पिक रनवे का उपयोग करने की सलाह दी थी।
    • हो सकता है कि यह चेतावनी समय पर नहीं दी गई या पायलट ने इसे अनदेखा किया।

दुर्घटना के प्रभाव:

  • यात्रियों पर प्रभाव: दुर्घटना में कई यात्रियों की जान गई और कई घायल हो गए।
  • विमानन उद्योग पर प्रभाव: इस घटना ने बोइंग 737-800 मॉडल की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं।
  • सरकारी जांच: दक्षिण कोरियाई सरकार ने इस दुर्घटना की गहन जांच के आदेश दिए हैं।

बचाव और सुधार के उपाय:

  1. तकनीकी जांच:
    • विमान के प्रत्येक हिस्से की जांच की जानी चाहिए।
    • किसी भी संभावित डिजाइन खामियों को सुधारना आवश्यक है।
  2. पायलट प्रशिक्षण:
    • पायलटों को खराब मौसम और आपातकालीन परिस्थितियों में प्रशिक्षण देने पर जोर दिया जाना चाहिए।
  3. एटीसी के साथ बेहतर समन्वय:
    • एटीसी और पायलट के बीच संचार को अधिक प्रभावी और स्पष्ट बनाने की जरूरत है।
  4. मौसम निगरानी:
    • लैंडिंग और टेक-ऑफ के दौरान मौसम की स्थिति पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए।

दक्षिण कोरिया विमान दुर्घटना: सामान्य प्रश्न (FAQs)

1. दुर्घटना कब और कहां हुई?

दक्षिण कोरिया के मुआन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर 29 दिसंबर 2024 को यह दुर्घटना हुई।


2. दुर्घटना में कितने लोग प्रभावित हुए?

विमान में कुल 181 लोग सवार थे, जिनमें 175 यात्री और 6 चालक दल के सदस्य शामिल थे। इस दुर्घटना में 179 लोगों की मृत्यु हुई और केवल 2 लोग जीवित बचे।


3. यह विमान किस एयरलाइन का था?

यह विमान जेजू एयर का था और इसका मॉडल बोइंग 737-800 था।


4. विमान किस रूट पर उड़ान भर रहा था?

विमान बैंकॉक से उड़ान भरकर मुआन हवाई अड्डे पर लैंडिंग का प्रयास कर रहा था।


5. दुर्घटना का संभावित कारण क्या था?

प्रारंभिक जांच के अनुसार, विमान का लैंडिंग गियर ठीक से काम नहीं कर रहा था। इसके अलावा, पक्षियों के झुंड से टकराने को भी एक संभावित कारण माना जा रहा है।


6. क्या सभी यात्री दक्षिण कोरियाई थे?

नहीं, अधिकांश यात्री (173) दक्षिण कोरियाई थे, जबकि 2 यात्री थाईलैंड के नागरिक थे।


7. क्या कोई जीवित बचा?

हां, दो लोग गंभीर रूप से घायल अवस्था में जीवित बचे हैं।


8. बचाव कार्य कैसे किया गया?

हवाई अड्डे की अग्निशमन और बचाव टीम ने तुरंत दुर्घटनास्थल पर पहुंचकर आग बुझाने और जीवित बचे लोगों को बचाने का कार्य किया।


9. जांच प्रक्रिया किसने शुरू की?

दक्षिण कोरिया के परिवहन मंत्रालय ने एक विशेष जांच समिति का गठन किया है, जो विमान के ब्लैक बॉक्स और अन्य तकनीकी साक्ष्यों का विश्लेषण कर रही है।


10. जेजू एयर पर क्या कार्रवाई की गई है?

जेजू एयर की सभी उड़ानों की सुरक्षा समीक्षा शुरू की गई है। यह सुनिश्चित करने के लिए जांच की जा रही है कि भविष्य में इस तरह की दुर्घटनाओं को रोका जा सके।


11. पीड़ितों के परिवारों को क्या सहायता प्रदान की जा रही है?

जेजू एयर और दक्षिण कोरियाई सरकार ने पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने और मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रदान करने की घोषणा की है।


12. यह दुर्घटना कैसे टाली जा सकती थी?

विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित लैंडिंग गियर निरीक्षण, पक्षियों के टकराने से बचाव के उपाय और आपातकालीन लैंडिंग प्रशिक्षण से इस दुर्घटना को रोका जा सकता था।


13. यह दुर्घटना विमानन उद्योग को कैसे प्रभावित करेगी?

यह घटना विमानन सुरक्षा मानकों की समीक्षा और सुधार के लिए एक नई चेतावनी साबित होगी। हवाई अड्डों पर पक्षियों के टकराने से बचने के लिए विशेष उपायों और पायलट प्रशिक्षण पर जोर दिया जाएगा।


14. क्या इस तरह की दुर्घटनाएं पहले भी हुई हैं?

दक्षिण कोरिया में ऐसी दुर्घटनाएं दुर्लभ हैं, लेकिन वैश्विक स्तर पर पक्षियों के टकराने और लैंडिंग गियर की विफलता के कारण पहले भी कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।


15. क्या विमान का ब्लैक बॉक्स मिल गया है?

हां, ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया है और इसे जांच के लिए विशेषज्ञों को भेजा गया है।


16. इस दुर्घटना पर सरकार की प्रतिक्रिया क्या है?

दक्षिण कोरियाई सरकार ने इस दुर्घटना को “राष्ट्रीय आपदा” घोषित किया है और हवाई यात्रा की सुरक्षा को लेकर तत्काल कदम उठाने का वादा किया है।


17. क्या भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है?

हां, तकनीकी निरीक्षण, बेहतर पायलट प्रशिक्षण, और पक्षियों के टकराने से बचाव के लिए हवाई अड्डों पर उन्नत प्रणालियों के उपयोग से ऐसी दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है।


18. इस दुर्घटना की रिपोर्ट कब तक पूरी होगी?

जांच समिति ने कहा है कि रिपोर्ट को पूरा करने में कुछ हफ्तों का समय लग सकता है। प्रारंभिक निष्कर्ष जल्दी ही जारी किए जाएंगे।


19. दुनिया भर में इस घटना की क्या प्रतिक्रिया हुई है?

वैश्विक स्तर पर विमानन सुरक्षा विशेषज्ञों और अधिकारियों ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की है और हवाई यात्रा की सुरक्षा बढ़ाने के उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया है।


20. मीडिया और लोगों की प्रतिक्रिया क्या है?

मीडिया ने इस घटना को व्यापक रूप से कवर किया है। पीड़ितों के परिवार और आम लोग जेजू एयर और संबंधित अधिकारियों से जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।

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जब भी हम भारतीय रेलवे की बात करते हैं, IRCTC (Indian Railway Catering and Tourism Corporation) एक महत्वपूर्ण नाम बनकर सामने आता है। यह वेबसाइट लाखों यात्रियों को आसानी से ट्रेन टिकट बुक करने की सुविधा प्रदान करती है। लेकिन, कई बार IRCTC वेबसाइट या ऐप डाउन हो जाने की समस्या सामने आती है। इससे यात्री असुविधा महसूस करते हैं और उनकी यात्रा योजनाएँ प्रभावित होती हैं। इस ब्लॉग में, हम IRCTC डाउन होने के पीछे के कारणों, इसके प्रभावों, और इसे हल करने के तरीकों पर चर्चा करेंगे। यह ब्लॉग एक शुरुआती गाइड के रूप में लिखा गया है ताकि आप इस समस्या को बेहतर तरीके से समझ सकें।


IRCTC का महत्व: क्यों है यह इतना जरूरी?

IRCTC भारतीय रेलवे का आधिकारिक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो रोजाना लाखों यात्रियों को ट्रेन टिकट बुक करने, सीटें चेक करने, खानपान सेवाओं का ऑर्डर देने, और टूर पैकेज बुक करने की सुविधा प्रदान करता है। यह न केवल समय बचाने में मदद करता है, बल्कि यात्रियों को लंबे समय तक कतार में खड़े रहने की परेशानी से भी बचाता है।

लेकिन IRCTC के महत्व के साथ-साथ, इसके डाउन होने पर यात्रियों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आइए अब जानें कि आखिर यह वेबसाइट क्यों डाउन होती है।


1. सर्वर पर अधिक लोड: मुख्य समस्या क्या है?

IRCTC पर हर दिन लाखों यूजर्स लॉग इन करते हैं, खासकर त्योहारों, छुट्टियों और विशेष अवसरों के दौरान। जब बड़ी संख्या में लोग एक ही समय पर वेबसाइट का उपयोग करते हैं, तो सर्वर पर अत्यधिक लोड पड़ता है।

कैसे होता है यह?

  • एक साथ लाखों टिकट बुकिंग के प्रयास से सर्वर पर दबाव बढ़ जाता है।
  • कई बार Tatkal टिकट बुकिंग के दौरान यह समस्या अधिक गंभीर हो जाती है।

क्या किया जा सकता है?

  • IRCTC को अपने सर्वर की क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है।
  • क्लाउड कंप्यूटिंग का उपयोग करके स्केलेबिलिटी सुनिश्चित की जा सकती है।

2. तकनीकी खामियां: सिस्टम की विफलता

तकनीकी खामियां IRCTC के डाउन होने का एक और बड़ा कारण हैं। कोडिंग एरर, डेटाबेस क्रैश, और हार्डवेयर फेलियर जैसी समस्याएँ वेबसाइट को अस्थायी रूप से ठप कर सकती हैं।

उदाहरण:

  • अचानक सॉफ़्टवेयर अपडेट के दौरान glitches आ सकते हैं।
  • डेटाबेस में गड़बड़ी से वेबसाइट का response time बढ़ सकता है।

समाधान:

  • नियमित सॉफ़्टवेयर परीक्षण और अपडेट प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना चाहिए।
  • एक मजबूत बैकअप सिस्टम तैयार करना चाहिए।

3. साइबर अटैक: सुरक्षा का खतरा

साइबर अटैक, जैसे DDoS (Distributed Denial of Service) अटैक, IRCTC जैसी बड़ी वेबसाइटों के लिए एक गंभीर खतरा हो सकते हैं।

क्यों होता है यह?

  • IRCTC का उपयोग लाखों लोग करते हैं, जिससे यह साइबर अपराधियों के लिए आकर्षक लक्ष्य बन जाता है।
  • कमजोर सुरक्षा उपायों से वेबसाइट vulnerable हो जाती है।

कैसे रोकें?

  • वेबसाइट पर उन्नत फायरवॉल और एंटी-वायरस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करें।
  • समय-समय पर सुरक्षा ऑडिट करें।

4. मेंटेनेंस और अपग्रेड्स: क्या होता है जब IRCTC बंद होता है?

IRCTC को समय-समय पर मेंटेनेंस और अपग्रेड्स की जरूरत होती है। हालांकि, इन कार्यों के लिए वेबसाइट को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ सकता है।

इसका प्रभाव:

  • यात्रियों को इसकी जानकारी न होने पर असुविधा होती है।
  • अंतिम समय पर टिकट बुकिंग करने वालों को अधिक समस्या होती है।

बेहतर क्या हो सकता है?

  • यात्रियों को पहले से मेंटेनेंस शेड्यूल की जानकारी दें।
  • बैकअप सर्वर का उपयोग करें।

IRCTC डाउन होने के प्रभाव: यात्रियों की समस्याएँ

IRCTC के डाउन होने का सबसे बड़ा प्रभाव यात्रियों पर पड़ता है।

1. असुविधा और देरी:

  • यात्री टिकट बुकिंग नहीं कर पाते हैं, जिससे उनकी यात्रा योजनाएँ प्रभावित होती हैं।

2. वित्तीय नुकसान:

  • IRCTC और रेलवे को संभावित राजस्व हानि होती है।
  • यात्री अन्य महंगे विकल्पों की ओर रुख करते हैं।

3. ग्राहक सेवा पर दबाव:

  • शिकायतों और कॉल्स की संख्या में भारी वृद्धि होती है।

समाधान: IRCTC को और बेहतर कैसे बनाएं?

  1. सर्वर क्षमता बढ़ाएं: IRCTC को अपने सर्वर इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना चाहिए।
  2. सुरक्षा उपायों को उन्नत करें: साइबर हमलों से बचने के लिए AI आधारित सुरक्षा लागू करें।
  3. बेहतर डिज़ाइन: वेबसाइट और ऐप को यूज़र फ्रेंडली बनाएं।
  4. समय पर जानकारी दें: मेंटेनेंस की स्थिति में यूजर्स को पहले से अलर्ट करें।
  5. डिजास्टर रिकवरी सिस्टम: अप्रत्याशित समस्याओं के लिए एक मजबूत रिकवरी प्लान तैयार करें।

यात्रियों के लिए सुझाव: समस्या से बचाव के तरीके

  1. IRCTC ऐप का उपयोग करें: कई बार ऐप बेहतर तरीके से काम करता है।
  2. विकल्प तैयार रखें: रेलवे काउंटर या अधिकृत एजेंट का सहारा लें।
  3. पहले से बुकिंग करें: अंतिम समय पर टिकट बुक करने से बचें।

निष्कर्ष: IRCTC को और उपयोगी बनाने की जरूरत

IRCTC वेबसाइट और ऐप भारतीय रेलवे की डिजिटल क्रांति का हिस्सा हैं। हालांकि, इसके डाउन होने की समस्या यात्रियों के लिए असुविधाजनक होती है। लेकिन उचित तकनीकी सुधार और यात्रियों की सतर्कता से इस समस्या को कम किया जा सकता है।

About IRCTC

IRCTC (भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम) भारतीय रेलवे की सहायक इकाई है, जो मुख्य रूप से ऑनलाइन टिकट बुकिंग, खानपान सेवा और पर्यटन सुविधाएं प्रदान करती है। इसकी स्थापना 27 सितंबर 1999 को हुई थी और इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। IRCTC की वेबसाइट और मोबाइल ऐप के माध्यम से यात्री रेलवे टिकट बुक कर सकते हैं, ट्रेनों की स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और पर्यटन पैकेज का लाभ उठा सकते हैं। यह विशेष रूप से ई-टिकटिंग में अग्रणी है, जिससे यात्रा अधिक सुविधाजनक हो गई है। IRCTC का उद्देश्य ग्राहकों को गुणवत्तापूर्ण सेवा प्रदान करना है।


FQs

1. IRCTC डाउन क्यों होता है?

IRCTC वेबसाइट डाउन होने के पीछे मुख्य कारणों में सर्वर पर अत्यधिक लोड, तकनीकी समस्याएँ, साइबर अटैक, और मेंटेनेंस या सॉफ़्टवेयर अपडेट शामिल हैं।

2. IRCTC डाउन होने पर क्या करें?

यदि IRCTC डाउन हो, तो कुछ समय बाद पुनः कोशिश करें, IRCTC मोबाइल ऐप का उपयोग करें, या रेलवे काउंटर से टिकट बुक करने का प्रयास करें।

3. IRCTC सर्वर लोड से कैसे बचें?

सर्वर लोड से बचने के लिए, Tatkal टिकट बुकिंग के समय जैसे व्यस्त समय से पहले या बाद में बुकिंग करें। सुबह जल्दी या देर रात में कोशिश करना बेहतर हो सकता है।

4. क्या IRCTC के लिए कोई वैकल्पिक विकल्प है?

हाँ, IRCTC के अलावा अधिकृत ट्रैवल एजेंट्स, रेलवे टिकट काउंटर, और मोबाइल वॉलेट ऐप जैसे Paytm या RailYatri से भी टिकट बुक की जा सकती है।

5. IRCTC पर टिकट बुकिंग में त्रुटि होने पर क्या करें?

यदि टिकट बुकिंग के दौरान किसी प्रकार की त्रुटि हो, तो IRCTC की हेल्पलाइन पर संपर्क करें या उनकी ग्राहक सेवा को ईमेल भेजें।

6. IRCTC मेंटेनेंस का शेड्यूल कैसे जानें?

IRCTC मेंटेनेंस शेड्यूल की जानकारी IRCTC वेबसाइट या सोशल मीडिया चैनलों पर अपडेट की जाती है। मेंटेनेंस के दौरान वैकल्पिक समय पर बुकिंग की योजना बनाएं।

7. IRCTC की सर्वर क्षमता कैसे बढ़ाई जा सकती है?

सर्वर क्षमता बढ़ाने के लिए IRCTC को क्लाउड-आधारित समाधान, बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर, और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करना चाहिए।

8. क्या IRCTC मोबाइल ऐप वेबसाइट से बेहतर है?

IRCTC मोबाइल ऐप कुछ मामलों में वेबसाइट से अधिक तेज़ और उपयोगी साबित हो सकता है, खासकर जब वेबसाइट धीमी हो या डाउन हो।

9. IRCTC के साइबर अटैक से बचने के लिए क्या किया जा रहा है?

IRCTC नियमित रूप से सुरक्षा उपायों को अपडेट करता है, जैसे फायरवॉल, एंटी-वायरस और अन्य उन्नत तकनीकें, ताकि साइबर अटैक से बचा जा सके।

10. IRCTC डाउन समस्या का यात्रियों पर क्या प्रभाव पड़ता है?

IRCTC डाउन होने से यात्रियों को असुविधा होती है, यात्रा योजनाएँ प्रभावित होती हैं, और अन्य महंगे विकल्पों का सहारा लेना पड़ता है।

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मुख्य निर्णय इस प्रकार हैं:

  • नई EV पर 5% जीएसटी: नई इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5% जीएसटी लागू रहेगा, जिससे ग्राहकों को राहत मिलेगी।
  • पुरानी EV पर 18% जीएसटी: पुरानी EV पर जीएसटी दर 12% से बढ़ाकर 18% कर दी गई है, जो कार डीलरों द्वारा खरीदी और बेची जाने वाली पुरानी EV पर लागू होगी।
  • फूड डिलीवरी ऐप्स पर राहत: फूड डिलीवरी ऐप्स जैसे स्विगी और जोमैटो पर जीएसटी दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिससे ग्राहकों को राहत मिलेगी।
  • पॉपकॉर्न पर 5% जीएसटी: सिनेमा घरों में बिकने वाले पॉपकॉर्न पर 5% जीएसटी लागू किया जाएगा।
  • फोर्टिफाइड चावल पर 5% जीएसटी: फोर्टिफाइड चावल पर 5% जीएसटी लागू किया जाएगा, जिससे पोषण स्तर में सुधार होगा।
  • प्रयुक्त कारों पर 18% जीएसटी: प्रयुक्त कारों पर जीएसटी दर 12% से बढ़ाकर 18% कर दी गई है, जो कार डीलरों द्वारा खरीदी और बेची जाने वाली पुरानी कारों पर लागू होगी।

इन निर्णयों से विभिन्न क्षेत्रों में प्रभाव पड़ेगा, और ग्राहकों को विभिन्न उत्पादों और सेवाओं पर नई जीएसटी दरों का सामना करना पड़ेगा।

भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को बढ़ावा देने के लिए जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% करने का बड़ा फैसला किया है। यह कदम पर्यावरण संरक्षण और हरित ऊर्जा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। इससे ईवी अधिक किफायती होंगे, जिससे आम जनता इन्हें अपनाने के लिए प्रेरित होगी। कम जीएसटी दर का उद्देश्य केवल वाहनों की बिक्री बढ़ाना नहीं है, बल्कि इससे बैटरी निर्माण, चार्जिंग स्टेशन, और अन्य संबंधित उद्योगों में नए रोजगार अवसर भी सृजित होंगे। इसके साथ ही, भारत का लक्ष्य 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन हासिल करना है, और यह कदम उस दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

हालांकि, इस बैठक में बीमा और फूड डिलीवरी सेवाओं पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। बीमा सेवाओं पर टैक्स ढांचे में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया गया है ताकि अधिक लोग इन सेवाओं का लाभ उठा सकें। वहीं, फूड डिलीवरी सेवाओं पर टैक्स लगाने को लेकर चर्चा हुई, लेकिन उपभोक्ताओं पर संभावित असर को देखते हुए इसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि जीएसटी में कटौती के बावजूद ईवी को मुख्यधारा में लाने के लिए अतिरिक्त प्रयासों की आवश्यकता है। इसमें चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास, बैटरी की लागत कम करना, और उपभोक्ताओं के बीच जागरूकता फैलाना शामिल है। चार्जिंग स्टेशन की अनुपलब्धता और बैटरी की ऊंची कीमतें अभी भी ईवी को व्यापक रूप से अपनाने में बड़ी बाधा हैं।

जीएसटी परिषद का यह कदम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की छवि को मजबूत करता है। यह विदेशी ईवी निर्माताओं जैसे टेस्ला को भारतीय बाजार में निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगा, जबकि घरेलू कंपनियों जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मदद मिलेगी। इसके अलावा, यह निर्णय भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने और हरित ऊर्जा की ओर अग्रसर करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

हालांकि, बीमा और फूड डिलीवरी सेवाओं पर किसी ठोस निर्णय का न होना कुछ हद तक निराशाजनक है। बीमा क्षेत्र में सुधार और फूड डिलीवरी सेवाओं में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार को अतिरिक्त कदम उठाने की आवश्यकता है। यह जरूरी है कि इन मुद्दों पर भी तेजी से निर्णय लिए जाएं ताकि जीएसटी प्रणाली को और अधिक प्रभावी और समावेशी बनाया जा सके।

जीएसटी परिषद के निर्णय भारतीय उद्योगों, उपभोक्ताओं, और पर्यावरण के लिए कई सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। हालांकि, इन नीतियों का सफल क्रियान्वयन ही उनकी वास्तविक सफलता को तय करेगा। सरकार के इन प्रयासों से यह स्पष्ट है कि भारत हरित ऊर्जा और सतत विकास की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा रहा है।


ईवी पर जीएसटी में कमी क्यों?

इलेक्ट्रिक वाहनों पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% करने का उद्देश्य हरित और स्वच्छ परिवहन को प्रोत्साहन देना है। यह निर्णय निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:

  1. कार्बन उत्सर्जन में कमी: भारत में बढ़ते प्रदूषण के समाधान के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग जरूरी है।
  2. उद्योग का प्रोत्साहन: कम टैक्स से इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं और खरीदारों दोनों को लाभ होगा।
  3. आर्थिक मजबूती: ईवी को सस्ता बनाने से इनकी मांग बढ़ेगी, जो भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान देगा।

बीमा और फूड डिलीवरी सेवाओं पर निर्णय की अनुपस्थिति

फूड डिलीवरी और बीमा सेवाओं पर जीएसटी लगाने को लेकर चर्चा हुई, लेकिन इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया। इससे जुड़ी मुख्य बातें:

  • बीमा सेवाएं: इनके जीएसटी ढांचे में बदलाव पर विचार किया जा रहा है, लेकिन अधिक विचार-विमर्श की आवश्यकता है।
  • फूड डिलीवरी सेवाएं: टैक्स लगाने से अंतिम उपभोक्ता पर इसका प्रभाव पड़ सकता है, जिस पर अभी अध्ययन जारी है।

इस निर्णय के प्रमुख प्रभाव

इन घोषणाओं के देश पर क्या प्रभाव होंगे?

  1. इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग का विकास:
    • जीएसटी दर में कटौती से ईवी की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है।
    • नए स्टार्टअप्स और निवेशकों के लिए बाजार आकर्षक बनेगा।
  2. हरित भारत अभियान को प्रोत्साहन:
    • कम टैक्स का मतलब अधिक लोग ईवी खरीदने की ओर प्रेरित होंगे, जिससे प्रदूषण में कमी आएगी।
  3. वित्तीय स्थिरता:
    • बीमा और फूड डिलीवरी पर कोई निर्णय न होने से इन क्षेत्रों में स्थिरता बनी रहेगी।

जीएसटी परिषद का भविष्य का दृष्टिकोण

यह बैठक जीएसटी परिषद की कार्यप्रणाली और प्राथमिकताओं को उजागर करती है। भविष्य में इन क्षेत्रों पर क्या हो सकता है:

  • फूड डिलीवरी पर स्पष्ट नीति: टैक्स संरचना में बदलाव से सेवा प्रदाताओं और उपभोक्ताओं दोनों को फायदा हो सकता है।
  • बीमा क्षेत्र में सुधार: बीमा सेवाओं पर टैक्स का पुनर्निर्धारण इन्हें सस्ता बना सकता है।

आम जनता के लिए संदेश

इन बदलावों से जनता को सीधे कैसे लाभ होगा?

  • ईवी खरीदारी पर लाभ: ईवी अब अधिक सस्ते और किफायती होंगे।
  • पर्यावरणीय लाभ: अधिक लोग ईवी अपनाएंगे, जिससे प्रदूषण कम होगा।

ईवी पर जीएसटी में कटौती के पीछे की योजना

भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% करने का जो निर्णय लिया है, वह केवल वित्तीय पहलू तक सीमित नहीं है। इसके पीछे कई रणनीतिक उद्देश्यों को ध्यान में रखा गया है:

  1. नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहन:
    • ईवी के उपयोग से पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता घटेगी।
    • सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोतों को प्राथमिकता देने की योजना है।
  2. आर्थिक अवसर:
    • ईवी के निर्माण से नई नौकरियों के अवसर पैदा होंगे।
    • छोटे और मझोले उद्यम (SMEs) को बैटरी निर्माण और चार्जिंग स्टेशन के क्षेत्र में लाभ मिलेगा।

जीएसटी परिषद की अन्य चर्चाएं

जीएसटी परिषद की बैठक में ईवी के अलावा कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई:

  • स्वास्थ्य सेवाओं पर टैक्स का मुद्दा:
    • कुछ सदस्य स्वास्थ्य सेवाओं पर टैक्स लगाने के खिलाफ थे।
    • इस पर अगले सत्र में और चर्चा होगी।
  • डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा:
    • डिजिटल पेमेंट्स को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ विशेष टैक्स रियायतों पर विचार किया गया।
    • ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियों को और पारदर्शिता लाने के लिए टैक्स सुधारों का सुझाव दिया गया।

वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत का कदम

भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय संदर्भ में भी महत्वपूर्ण है।

  1. प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी:
    • टेस्ला और अन्य विदेशी ईवी निर्माताओं के लिए भारतीय बाजार अधिक आकर्षक होगा।
    • घरेलू कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा में मदद मिलेगी।
  2. कार्बन उत्सर्जन कम करने की प्रतिबद्धता:
    • भारत ने 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन का लक्ष्य रखा है।
    • ईवी पर टैक्स में कटौती इस दिशा में एक ठोस कदम है।

क्या यह पर्याप्त है?

विशेषज्ञों का मानना है कि केवल जीएसटी में कटौती से ईवी का विस्तार संभव नहीं होगा। इसके लिए निम्नलिखित अतिरिक्त कदम उठाए जाने चाहिए:

  • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास:
    • ईवी के लिए पर्याप्त चार्जिंग स्टेशन बनाना बेहद जरूरी है।
    • ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में भी इस पर जोर देना होगा।
  • बैटरी की लागत घटाना:
    • बैटरी की कीमत ईवी की कुल लागत का बड़ा हिस्सा होती है।
    • बैटरी निर्माण में रिसर्च और डेवलपमेंट को बढ़ावा देने की जरूरत है।
  • उपभोक्ता जागरूकता:
    • अधिक से अधिक लोगों को ईवी के लाभ समझाने के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

बीमा और फूड डिलीवरी पर क्या होगा?

बीमा और फूड डिलीवरी सेवाओं पर कोई निर्णय न होने के बावजूद, यह तय है कि इन क्षेत्रों में सुधार लाने के लिए सरकार सक्रिय है।

  • बीमा पर संभावित निर्णय:
    • बीमा सेवाओं पर जीएसटी दर घटाकर अधिक लोगों को सस्ती बीमा सेवाएं उपलब्ध कराने की योजना है।
  • फूड डिलीवरी पर पारदर्शिता:
    • रेस्त्रां और डिलीवरी कंपनियों के बीच टैक्स भुगतान को पारदर्शी बनाने के लिए नियम लाए जा सकते हैं।

FAQs: जीएसटी परिषद की बैठक और नई घोषणाएं

1. ईवी पर जीएसटी दर में कटौती का क्या उद्देश्य है?
ईवी पर जीएसटी दर को 12% से घटाकर 5% करने का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों को अधिक किफायती बनाना है। इससे ईवी की मांग बढ़ेगी, जो भारत के कार्बन उत्सर्जन को कम करने और हरित ऊर्जा को प्रोत्साहित करने में मदद करेगा।

2. बीमा और फूड डिलीवरी सेवाओं पर कोई निर्णय क्यों नहीं हुआ?
बीमा और फूड डिलीवरी सेवाओं पर टैक्स संरचना को लेकर अभी अध्ययन जारी है। सरकार इन क्षेत्रों पर संभावित प्रभावों का विश्लेषण कर रही है ताकि उपभोक्ताओं पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।

3. ईवी पर जीएसटी में कटौती से उपभोक्ताओं को कैसे लाभ होगा?
कम जीएसटी दर के कारण ईवी की कीमतें कम होंगी, जिससे ये आम लोगों के लिए अधिक सुलभ बनेंगी। इसके अलावा, ईंधन की बचत और रखरखाव लागत में कमी से उपभोक्ताओं को दीर्घकालिक लाभ होगा।

4. क्या यह कदम ईवी उद्योग के लिए पर्याप्त है?
जीएसटी में कटौती एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। चार्जिंग स्टेशन का विस्तार, बैटरी की कीमतों में कमी, और उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाना भी आवश्यक है।

5. जीएसटी में कटौती का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
ईवी की बढ़ती लोकप्रियता से कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी, जिससे वायु प्रदूषण घटेगा और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। यह हरित भारत अभियान को भी समर्थन देगा।

6. फूड डिलीवरी सेवाओं पर टैक्स लगने से उपभोक्ताओं पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
फूड डिलीवरी सेवाओं पर टैक्स लगाने से उनकी लागत बढ़ सकती है, जो अंततः उपभोक्ताओं को अधिक भुगतान करना पड़ेगा। इसलिए, सरकार इस निर्णय को पारदर्शिता और उचितता के साथ लागू करने की योजना बना रही है।

7. जीएसटी परिषद के अन्य चर्चाओं में कौन से विषय शामिल थे?
जीएसटी परिषद की बैठक में स्वास्थ्य सेवाओं पर टैक्स, डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने, और अन्य क्षेत्रों में टैक्स सुधार जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।

8. क्या ईवी पर जीएसटी कटौती से भारतीय कंपनियों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मदद मिलेगी?
हां, ईवी पर कम टैक्स से घरेलू कंपनियों जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा को अपनी प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में विस्तार करने में मदद मिलेगी।

9. जीएसटी में कटौती से रोजगार के अवसर कैसे बढ़ेंगे?
ईवी की बढ़ती मांग से बैटरी निर्माण, चार्जिंग स्टेशन और संबंधित उद्योगों में नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

10. क्या यह कदम 2070 तक नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन के लक्ष्य में मदद करेगा?
बिल्कुल, ईवी को प्रोत्साहन देना भारत के नेट ज़ीरो कार्बन एमिशन लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

11. क्या बीमा सेवाओं पर टैक्स कम होने की संभावना है?
इस पर अभी चर्चा जारी है, लेकिन बीमा सेवाओं को सस्ता बनाने के लिए जीएसटी दर में कटौती की संभावना है।

12. क्या विदेशी ईवी कंपनियां भारत में निवेश बढ़ा सकती हैं?
हां, कम टैक्स दर और बढ़ते ईवी बाजार के कारण विदेशी कंपनियों जैसे टेस्ला और निसान के लिए भारत अधिक आकर्षक बनेगा।

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घटना का विवरण

घटना जयपुर-अजमेर नेशनल हाईवे पर भांकरोटा इलाके में हुई, जहां दो टैंकरों की टक्कर के बाद भीषण आग लग गई। इस आग में कम से कम चार लोगों की मौत हो गई और 37 से अधिक लोग घायल हो गए।जयपुर में सीएनजी टैंकर विस्फोट से मची तबाही

हाल ही में जयपुर के भांकरोटा क्षेत्र में एक सीएनजी टैंकर के विस्फोट से भीषण तबाही मच गई। इस घटना में कई लोगों की जान चली गई और दर्जनों घायल हो गए। हादसे के समय टैंकर में मौजूद गैस ने आग को तेजी से फैलने में मदद की, जिससे आसपास के वाहन और संपत्तियां भी चपेट में आ गईं। विस्फोट के कारणों की जांच चल रही है, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट्स में शॉर्ट सर्किट और सुरक्षा उपायों की कमी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। फायर ब्रिगेड ने कई घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक लाखों का नुकसान हो चुका था।

इस घटना ने औद्योगिक क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सीएनजी जैसी ज्वलनशील सामग्री का परिवहन और भंडारण अत्यधिक सतर्कता की मांग करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे हादसे रोकने के लिए नियमित निरीक्षण, ड्राइवरों का प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरणों का सही उपयोग अनिवार्य है। स्थानीय प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने और घायलों के इलाज का खर्च उठाने का आश्वासन दिया है। यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन करना न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि यह अनमोल जिंदगियों को बचाने के लिए भी आवश्यक है।

आग इतनी भयंकर थी कि आसपास के वाहनों और संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा।

प्रभावित लोग और पहचान की चुनौती

इस हादसे में मृतकों की पहचान करना एक बड़ी चुनौती साबित हो रही है, क्योंकि शव बुरी तरह जल चुके हैं। एक महिला की पहचान उसके पैर में पहनी बिछिया से की गई, जिससे पता चला कि वह पुलिस कांस्टेबल अनीता मीणा थीं।

इस प्रकार की घटनाएं दर्शाती हैं कि दुर्घटनाओं के बाद पहचान प्रक्रिया कितनी कठिन हो सकती है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

घटना के तुरंत बाद, स्थानीय प्रशासन और आपातकालीन सेवाएं मौके पर पहुंचीं और घायलों को एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया। मेडिकल सुपरिटेंडेंट सुशील कुमार ने बताया कि अस्पताल में घायलों के इलाज के लिए सभी आवश्यक प्रबंध किए गए हैं।

इसके बावजूद, इस हादसे ने शहर की आपातकालीन सेवाओं की तत्परता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

सुरक्षा मानकों पर सवाल

इस दुर्घटना ने सड़क सुरक्षा और खतरनाक पदार्थों के परिवहन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे हादसों को रोकने के लिए सख्त नियमों का पालन और नियमित निरीक्षण आवश्यक है।

भांकरोटा में हुआ यह हादसा एक गंभीर चेतावनी है कि हमें सड़क सुरक्षा और आपातकालीन सेवाओं की तैयारी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। साथ ही, प्रभावित परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

संबंधित वीडियो

सीएनजी टैंकर विस्फोट कैसे हुआ?

जयपुर के भांकरोटा क्षेत्र में यह हादसा तब हुआ जब एक सीएनजी टैंकर की टक्कर एक अन्य वाहन से हो गई। टक्कर के कारण टैंकर में विस्फोट हुआ और आग फैल गई।

क्या इस घटना में जान-माल का नुकसान हुआ?

हां, इस हादसे में कई लोगों की मौत हो गई और दर्जनों घायल हुए। आग में कई वाहन और आसपास की संपत्तियां भी क्षतिग्रस्त हो गईं।

सीएनजी टैंकर में आग लगने के प्रमुख कारण क्या हो सकते हैं?

  • टक्कर: किसी अन्य वाहन से सीधा टकराव।
  • ज्वलनशील सामग्री: सीएनजी अत्यधिक ज्वलनशील होती है।
  • सुरक्षा उपायों की कमी: आपातकालीन स्थितियों से निपटने की पर्याप्त तैयारी का अभाव।

क्या यह पहली बार हुआ है?

सीएनजी टैंकर विस्फोट दुर्लभ घटनाएं होती हैं, लेकिन यह पहली घटना नहीं है। सुरक्षा उपायों की अनदेखी और अनुचित देखरेख ऐसे हादसों का कारण बनती है।

घायलों के इलाज की क्या व्यवस्था की गई है?

घायलों को जयपुर के एसएमएस अस्पताल और अन्य नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों में भर्ती कराया गया है। डॉक्टरों की विशेष टीम उनकी देखभाल कर रही है।

इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?

  • सुरक्षा मानकों का पालन: सीएनजी टैंकरों के रखरखाव और परिवहन के दौरान सख्त सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए।
  • ड्राइवर प्रशिक्षण: सीएनजी टैंकर चलाने वाले ड्राइवरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
  • आपातकालीन सेवाएं: ऐसे हादसों से निपटने के लिए फायर ब्रिगेड और अन्य आपातकालीन सेवाओं की तत्परता बढ़ानी चाहिए।

सरकार इस हादसे के बाद क्या कदम उठा रही है?

राज्य सरकार ने जांच समिति का गठन किया है और हादसे के कारणों की विस्तृत जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही, पीड़ितों के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की गई है।


जयपुर में सीएनजी टैंकर विस्फोट जैसी घटनाएं हमें यह याद दिलाती हैं कि सुरक्षा मानकों का पालन कितना जरूरी है। हमें सामूहिक रूप से सावधान रहकर ऐसे हादसों को रोकने की दिशा में काम करना चाहिए।

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इंदौर में MPPSC के छात्रों का प्रदर्शन हुआ खत्म

इंदौर शहर में चल रहा मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के छात्रों का प्रदर्शन आखिरकार खत्म हो गया. रविवार की सुबह पांच बजे छात्रों ने प्रदर्शन खत्म कर दिया. करीब 70 घंटे चले प्रदर्शन के बाद शनिवार और रविवार की रात में 3 बजे इंदौर के कलेक्टर ने छात्रों से मुलाकात की और कई बातों पर सहमति बनाई गी, जिसके बाद इस प्रदर्शन में शामिल प्रदेशभर के करीब 2 हजार से ज्यादा छात्रों ने प्रदर्शन खत्म किया, बता दें कि दो अभ्यर्थी आमरण अनशन पर बैठ गए थे, जिनसे कई नेताओं ने भी मुलाकात की थी. वहीं अब छात्र सीएम मोहन यादव से मुलाकात करने के लिए भोपाल के लिए रवाना हो गए हैं. 

इंदौर कलेक्टर ने की मुलाकात 

इंदौर में छात्रों के प्रदर्शन के दौरान इंदौर के कलेक्टर मौके पर पहुंचे और उन्होंने छात्रों से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) ने छात्रों की मांगों को मान लिया है. छात्रों और कलेक्टर के बीच करीब ढाई घंटे तक बातचीत चली उसके बाद मांगों पर सहमति बनी और प्रदर्शन को खत्म किया गया. वहीं छात्रों का छात्रों का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से भोपाल में मुलाकात करेगा और अपनी मांगों से उन्हें अवगत कराएगा. बता दें कि कड़कड़ाती ठंड के बावजूद छात्र जमे हुए थे. छात्र अरविंद सिंह भदौरिया और राधे जाट आमरण अनशन पर बैठे थे, जहां अरविंद सिंह भदौरिया की हालत शनिवार को बिगड़ गई थी, उसके बाद उन्हें ड्रिप भी चढ़ाया गया था. 

इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह और प्रशासन के अधिकारियों ने छात्रों को आश्वासन दिया कि उनकी मांगें मानी जाएगी. आश्वासन मिलने के बाद ही छात्र प्रदर्शन समाप्त करने पर तैयार हुए. बता दें कि इससे पहले देर रात मुख्यालय पर भारी पुलिसबल भी तैनात कर दिया गया था. लेकिन बाद में कलेक्टर ने छात्रों से मुलाकात करके उन्हें आश्वासन दिया. वहीं बताया जा रहा है कि छात्रों की कुछ मांगें फिलहाल कोर्ट में विचाराधीन हैं जिन पर आयोग बैठक करेगा और जल्द ही फैसला करेगा. वहीं प्रदर्शन खत्म होने के बाद छात्रों ने प्रदर्शन स्थल को खाली कर दिया है. 

शनिवार की रात को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी यहां आए थे, जिन्होंने स्टूडेंट्स से मुलाकात करके उनकी मांगों का समर्थन किया था. उमंग सिंघार ने मौके पर मौजूद एडीएम रोशन राय से भी बात की थी. इसके अलावा धार के मनावर से कांग्रेस विधायक डॉ. हिरालाल अलावा और रतलाम के सैलाना से भारतीय आदिवासी पार्टी के विधायक कमलेश्वर डोडियार ने भी छात्रों की मांगों का समर्थन किया था. वहीं आज उनकी मुलाकात सीएम मोहन यादव से हो सकती है. 

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MPPSC Students Protest: इंदौर के कलेक्टर ने नाराज छात्रों से बातचीत की और कई मुद्दों पर सहमति बनाई गई. उन्होंने बताया कि तीन मांगों पर राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव सहमत हुए हैं.

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) राज्य स्तरीय परीक्षाओं का संचालन करता है। हाल के वर्षों में, इन परीक्षाओं में अनियमितताओं और परिणामों में देरी ने छात्रों को विरोध प्रदर्शन के लिए मजबूर कर दिया।

विरोध के कारण

1. अनियमितताएं

एमपीपीएससी परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक, गलत उत्तर कुंजी और पारदर्शिता की कमी प्रमुख समस्याएं रही हैं।

2. परिणामों में देरी

परिणाम घोषित करने में बार-बार देरी ने छात्रों के करियर पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

3. पारदर्शिता की कमी

अभ्यर्थियों को लगता है कि उत्तर कुंजी और परिणाम प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है।

छात्रों की मुख्य मांगें

1. समय पर परिणाम

छात्र चाहते हैं कि परिणाम बिना देरी के घोषित किए जाएं।

2. निष्पक्ष जांच प्रक्रिया

उत्तर कुंजी और चयन प्रक्रिया में निष्पक्षता हो।

3. उत्तरदायी प्रशासन

छात्र प्रशासन से जिम्मेदार और पारदर्शी व्यवहार की मांग कर रहे हैं।

विरोध का स्वरूप और प्रभाव

1. शांतिपूर्ण विरोध

छात्रों ने अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किए हैं।

2. डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जागरूकता

सोशल मीडिया ने छात्रों की आवाज को व्यापक दर्शकों तक पहुंचाया है।

3. व्यापक प्रभाव

इन विरोधों ने समाज और प्रशासन पर दबाव बनाया है कि वे भर्ती प्रक्रियाओं को सुधारें।

विरोध से संबंधित प्रमुख सवाल

1. छात्रों की प्रमुख शिकायतें क्या हैं?

मुख्य शिकायतें अनियमितताएं, देरी, और जवाबदेही की कमी हैं।

2. प्रशासन की प्रतिक्रिया क्या रही है?

प्रशासन ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन छात्रों के अनुसार, यह पर्याप्त नहीं है।

3. छात्रों ने अब तक क्या उपलब्धियां हासिल की हैं?

कई मामलों में प्रशासन ने समस्याओं को सुलझाने के लिए कदम उठाए हैं।

एमपीपीएससी प्रक्रिया के सुधार

1. पारदर्शी प्रक्रियाएं

ई-गवर्नेंस और तकनीकी सुधार पारदर्शिता में सुधार कर सकते हैं।

2. तकनीकी सुधार

ऑनलाइन पोर्टल और डिजिटल तकनीक का उपयोग सुधार में सहायक हो सकता है।

3. जवाबदेही बढ़ाने के उपाय

स्वतंत्र निगरानी तंत्र की स्थापना से जवाबदेही बढ़ाई जा सकती है।प्रशासन ने कई सुधारात्मक कदम उठाने का दावा किया है।

MPPSC Student Protest Ends: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के सामने छात्रों का प्रदर्शन रविवार (22 दिसंबर) को खत्म हो गया है. इंदौर के कलेक्टर ने नाराज छात्रों से बातचीत की और कई मुद्दों पर सहमति बनाई गई. इसके बाद करीब 70 घंटे से चल रहे प्रदर्शन को खत्म करने पर छात्र राजी हुए. इस धरना-प्रदर्शन में राज्य के 2 हजार से अधिक छात्र शामिल हुए थे.

इंदौर प्रशासन और प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच करीब ढाई घंटे तक बातचीत हुई. इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह छात्रों के बीच पहुंचकर उनकी समस्याओं को सुनते हुए समहति बनाई और फिर छात्र मान गए. इंदौर के कलेक्टर ने जानकारी देते हुए बताया है कि तीन मांगों पर राज्य के मुख्यमंत्री मोहन यादव सहमत हुए हैं. 

तीन मांगों पर CM मोहन यादव सहमत

  • 87% के सारे रिजल्ट दिखाए जाएंगे
  • मेन्स परीक्षा की कॉपी दिखाएंगे
  • प्री के पेपर में नहीं होंगी गलतियां

सीएम मोहन यादव से करेंगे मुलाकात

बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग छात्रों की मांगों को लेकर कमेटी गठित करेगी. शनिवार को आमरण अनशन पर बैठे छात्र अरविंद सिंह भदौरिया की तबीयत बिगड़ गई थी. हालांकि ड्रिप लगाने के बाद उनकी हालत में सुधार देखी गई. फिलहाल प्रदर्शन खत्म होने के बाद एक प्रतिनिधि मंडल के सदस्य अपनी मांगों को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात करने वाले हैं.

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा (State Service Examination) के परिणामों में देरी के विरोध में इंदौर में MPPSC के छात्रों ने 70 घंटे तक धरना दिया। प्रदर्शन 2023 में शुरू हुआ और 2024 में समाप्त हुआ। छात्रों ने परीक्षा परिणामों में पारदर्शिता और निष्पक्षता की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि आयोग परीक्षा के लिए एक नई समयरेखा निर्धारित करे।

प्रदर्शन का इतिहास

MPPSC राज्य सेवा परीक्षा मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों के लिए सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक है। परीक्षा में हजारों उम्मीदवार शामिल होते हैं और परिणाम आमतौर पर परीक्षा के कुछ महीनों बाद घोषित किए जाते हैं। हालांकि, 2023 में, MPPSC ने परीक्षा परिणामों की घोषणा में देरी की। इससे छात्रों में भ्रम और निराशा पैदा हुई।

छात्रों ने आयोग पर परीक्षा परिणामों को रोकने का आरोप लगाया ताकि कुछ उम्मीदवारों को लाभ मिल सके। उन्होंने आयोग से परीक्षा परिणामों की जांच करने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की।

छात्रों ने 2023 में इंदौर में MPPSC कार्यालय के बाहर धरना देना शुरू किया। उन्होंने परीक्षा परिणामों की घोषणा तक धरना जारी रखने की कसम खाई। धरना कई महीनों तक चला और इसमें सैकड़ों छात्र शामिल हुए।

प्रदर्शन का अंत

2024 में, MPPSC ने आखिरकार परीक्षा परिणाम घोषित किए। परिणामों ने दिखाया कि छात्रों के आरोप निराधार थे। परीक्षा निष्पक्ष और पारदर्शी थी।

छात्रों ने धरना समाप्त करने का फैसला किया, लेकिन उन्होंने आयोग से परीक्षा प्रक्रिया में सुधार करने की मांग की। उन्होंने यह भी मांग की कि आयोग भविष्य में परीक्षा परिणामों की घोषणा में देरी न करे।

प्रदर्शन का प्रभाव

MPPSC के छात्रों का प्रदर्शन मध्य प्रदेश में एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसने आयोग पर दबाव डाला और परीक्षा प्रक्रिया में सुधार किया। इसने छात्रों को अपनी आवाज उठाने और अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए भी प्रोत्साहित किया।

MPPSC छात्रों का विरोध: निष्पक्षता और सुधार की मांग

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (एमपीपीएससी) लंबे समय से प्रतिष्ठित सरकारी पदों के लिए एक प्रवेश द्वार रहा है, जो हर साल हजारों अभ्यर्थियों को आकर्षित करता है। हालांकि, हाल ही में एमपीपीएससी छात्रों के विरोध प्रदर्शनों ने भर्ती प्रक्रिया में व्याप्त प्रणालीगत समस्याओं की ओर राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है। यह ब्लॉग छात्रों के संघर्ष की प्रेरणाओं, मांगों और व्यापक प्रभावों का विश्लेषण करता है।

विरोध का कारण

एमपीपीएससी परीक्षा प्रक्रिया में अनियमितताओं, परिणामों में देरी, और पारदर्शिता की कमी के आरोपों के चलते इसकी कड़ी आलोचना हुई है। जब कई परीक्षा चक्रों में परिणामों की घोषणा में देरी, उत्तर कुंजी में विसंगतियां, और आयोग की जवाबदेही की कमी देखी गई, तो छात्रों का गुस्सा चरम पर पहुंच गया। ये समस्याएं न केवल असंख्य छात्रों की आकांक्षाओं को खतरे में डालती हैं बल्कि प्रणाली में सार्वजनिक विश्वास को भी कमजोर करती हैं।

मुख्य शिकायतों में समय पर अधिसूचनाओं और निर्धारित कार्यक्रमों का पालन न करना शामिल है। अभ्यर्थी अक्सर इन प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी में वर्षों लगाते हैं, व्यक्तिगत और पेशेवर अवसरों का त्याग करते हैं। देरी उनके करियर की योजनाओं को बाधित करती है, जिससे भावनात्मक और आर्थिक तनाव होता है। कई छात्रों के लिए यह विरोध केवल तत्काल चिंताओं के बारे में नहीं है बल्कि समग्र प्रणाली की अखंडता और दक्षता के बारे में भी है।

विरोध प्रदर्शन: एकजुट आवाज

विरोध प्रदर्शनों में सामाजिक, आर्थिक और क्षेत्रीय विभाजनों को पार करते हुए विभिन्न समूहों के छात्रों ने भाग लिया है। यह एकता उन साझा निराशाओं को रेखांकित करती है जो अपने अधिकारों से वंचित महसूस कर रहे अभ्यर्थियों में है। प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों को व्यक्त करने के लिए सड़कों, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और प्रेस कॉन्फ्रेंस का सहारा लिया है। डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग उनके संदेश को तेज कर रहा है और देश भर से समर्थन प्राप्त कर रहा है।

प्रदर्शनकारियों द्वारा सामना की गई चुनौतियां

हालांकि विरोध प्रदर्शन ने गति पकड़ी है, लेकिन यह चुनौतियों से अछूता नहीं है। छात्रों को अक्सर अधिकारियों से प्रतिरोध और नीति निर्माताओं से तत्काल कार्रवाई की कमी का सामना करना पड़ता है। शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को कभी-कभी पुलिस हस्तक्षेप का सामना करना पड़ा है, जिससे स्थिति और जटिल हो जाती है। इसके अलावा, लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन का वित्तीय और भावनात्मक प्रभाव भारी हो सकता है, विशेष रूप से वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए।

इस मुद्दे को उजागर करने में मीडिया की भूमिका दोधारी तलवार रही है। जबकि कुछ आउटलेट्स ने व्यापक कवरेज प्रदान किया है, अन्य ने प्रदर्शनों को कम महत्व दिया या अलग-अलग घटनाओं पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे मुख्य मुद्दों से ध्यान भटकता है। मीडिया कथा में यह असंगति छात्रों के लिए व्यापक समर्थन प्राप्त करने में एक अतिरिक्त बाधा उत्पन्न करती है।

व्यापक प्रभाव

एमपीपीएससी छात्रों का विरोध केवल परीक्षाओं और परिणामों के बारे में नहीं है; यह भारतीय शिक्षा और भर्ती प्रणालियों में गहरे मुद्दों को दर्शाता है। शिकायतें उन प्रणालीगत अक्षमताओं की ओर इशारा करती हैं जो लाखों भारतीय युवाओं को स्थिर सरकारी नौकरियों की तलाश में प्रभावित करती हैं। इन चिंताओं को संबोधित करने के लिए अस्थायी समाधान से अधिक की आवश्यकता है; यह निष्पक्षता, दक्षता और जवाबदेही को प्राथमिकता देने वाले संरचनात्मक सुधारों की मांग करता है।

विरोध प्रदर्शन सामूहिक कार्रवाई की शक्ति को भी उजागर करते हैं। छात्रों, जिन्हें अक्सर व्यक्तिगत आकांक्षाओं के साथ एक विखंडित समूह के रूप में देखा जाता है, ने प्रणालीगत खामियों को चुनौती देने के लिए एकजुटता दिखाई है। यह एकता इस बात की याद दिलाती है कि जब लोग एक सामान्य उद्देश्य के पीछे खड़े होते हैं तो परिवर्तन की संभावना होती है।

आगे का रास्ता

एमपीपीएससी छात्रों द्वारा उठाए गए मुद्दों को हल करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

  1. तत्काल कार्रवाई: सरकार और एमपीपीएससी को छात्रों की तत्काल चिंताओं को दूर करने के लिए लंबित परिणाम जारी करने, विसंगतियों को सुधारने और आगामी परीक्षाओं के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
  2. सिस्टम में सुधार: दीर्घकालिक समाधान में प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण, सख्त समय सीमा लागू करना, और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र निगरानी तंत्र की स्थापना शामिल है।
  3. संवाद: अधिकारियों को छात्रों के प्रतिनिधियों के साथ सीधे जुड़ना चाहिए, उनकी चिंताओं को समझना चाहिए और समाधान की दिशा में मिलकर काम करना चाहिए।
  4. जागरूकता: छात्रों और कार्यकर्ताओं को अपने कारण के लिए जागरूकता बढ़ाने और सार्वजनिक समर्थन बनाने के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग जारी रखना चाहिए।

एमपीपीएससी छात्रों का विरोध उनके लचीलेपन और न्याय की मांग के प्रति दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। उनका संघर्ष एक ऐसी भर्ती प्रक्रिया की आवश्यकता को रेखांकित करता है जो पारदर्शिता, निष्पक्षता और दक्षता के मूल्यों को बनाए रखे। उनकी मांगों को संबोधित करके, सरकार और एमपीपीएससी के पास प्रणाली में विश्वास बहाल करने और देश भर में इसी तरह के मुद्दों को संबोधित करने के लिए एक मिसाल स्थापित करने का अवसर है।
 

mppsc students protest over cm mohan yadav full fill demands

विस्तार

इंदौर में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) मुख्यालय के सामने चार दिनों से चल रहा छात्रों का प्रदर्शन रविवार सुबह समाप्त हो गया। कलेक्टर आशीष सिंह के आश्वासन के बाद छात्रों ने आंदोलन वापस लिया। देर रात ही छात्रों का एक दल मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिलने के लिए भोपाल भी रवाना हो गया। लगभग 89 घंटे तक चले इस आंदोलन में प्रदेशभर के 2,000 से अधिक छात्र शामिल हुए। 

सुबह 5 बजे समाप्त हुआ आंदोलन
अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे इन छात्रों में से दो अभ्यर्थी, अरविंद सिंह भदौरिया और राधे जाट, आमरण अनशन पर बैठे थे। गुरुवार रात से अनशन कर रहे अरविंद सिंह भदौरिया की हालत शनिवार को बिगड़ गई, जिसके चलते उन्हें चिकित्सा सहायता दी गई। छात्रों की कुछ मांगों को प्रशासन द्वारा स्वीकार कर लिया गया है। आधी रात को कलेक्टर आशीष सिंह और प्रशासन के अन्य अधिकारी प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच पहुंचे और लगभग ढाई घंटे तक चर्चा की। प्रशासन ने छात्रों को उनकी मांगों पर समाधान का आश्वासन दिया, जिसके बाद सुबह 5 बजे आंदोलन समाप्त हो गया। 

कुछ मांगें कोर्ट में होने के कारण पूरी नहीं हो सकती
प्रदर्शन स्थल पर तैनात भारी पुलिस बल और प्रशासन की सक्रियता के बावजूद छात्रों ने ठंड में डटे रहकर अपनी एकजुटता दिखाई। प्रशासन के आश्वासन के बाद छात्रों ने मुख्यालय के बाहर से अपना धरना समाप्त कर दिया। छात्रों का एक प्रतिनिधिमंडल अब मुख्यमंत्री से मुलाकात के लिए भोपाल रवाना हो चुका है। छात्रों से कहा गया कि मुख्यमंत्री सभी मांगों पर लिखित सहमति देंगे। वह खुद इसके बारे में जानकारी जारी करेंगे। प्रदर्शन के दौरान आयोग ने कुछ मांगों पर सहमति जताई, जबकि कुछ मांगे कोर्ट में विचाराधीन होने के कारण उनके संबंध में बाद में निर्णय लिया जाएगा। इन मांगों को पूरा करने के लिए भी आयोग बैठक करेगा। 

कोर्ट वाले मामलों में हम कुछ नहीं कर सकते- आयोग
एमपीपीएससी के ओएसडी डॉ. रवींद्र पंचभाई ने कहा कि हम लगातार स्टूडेंट के संपर्क में हैं। जो विषय हमारे हाथ में है उस पर विचार कर रहे हैं। जो शासन के अधीन है उसे वहां फॉरवर्ड कर दिया है। ऐसे विषय जो हाई कोर्ट में विचाराधीन हैं उस पर हम कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।

FAQs

सवाल 1: एमपीपीएससी में परीक्षा प्रक्रिया कितनी पारदर्शी है?
एमपीपीएससी परीक्षा प्रक्रिया में कई सुधार हुए हैं, लेकिन अभी भी पारदर्शिता में सुधार की आवश्यकता है।

सवाल 2: हालिया विरोधों का क्या परिणाम रहा?
छात्रों ने कई मामलों में प्रशासन को उनके मुद्दों पर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया है।

सवाल 3: छात्रों की क्या-क्या मांगें हैं?
छात्र समय पर परिणाम, निष्पक्षता, और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं।

सवाल 4: प्रशासन द्वारा क्या कदम उठाए गए?
प्रशासन ने डिजिटल प्रक्रियाओं को लागू करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं।

सवाल 5: इन विरोधों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?
इन विरोधों ने भर्ती प्रक्रियाओं में सुधार की मांग को बल दिया है और युवाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया है।

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यूनियन कार्बाइड का कचरा: पीथमपुर में प्रदर्शन, भोपाल गैस पीड़ितों का विरोध,पीथमपुर में कचरे के खिलाफ आंदोलन

यह भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे का निपटान करने का पांचवां प्रयास है, जहां 1984 में गैस रिसाव के कारण 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग बीमार हो गए थे।

भोपाल गैस त्रासदी के बचे लोगों ने पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के स्थानीय लोगों के साथ मिलकर सरकार की उस योजना का विरोध किया है जिसमें यूनियन कार्बाइड के अपशिष्ट को पीथमपुर भस्मक संयंत्र में निपटाने की बात कही गई है। उनका कहना है कि इससे औद्योगिक क्षेत्र और प्रदूषित होगा।

अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री, जहां से जहरीली गैस लीक हुई थी, जिसके कारण 1984 में भोपाल गैस त्रासदी हुई थी। (पीटीआई फोटो)
अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री, जहां से जहरीली गैस लीक हुई थी, जिसके कारण 1984 में भोपाल गैस त्रासदी हुई थी।

यह भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान का पांचवां प्रयास है, जहां 1984 में गैस रिसाव के कारण 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग बीमार हो गए थे।अब अपनी रुचियों से मेल खाने वाली कहानियाँ खोजें—खास तौर पर आपके लिए! यहाँ पढ़ें

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य सरकार और पर्यावरण मंत्रालय ने पीथमपुर में री-सस्टेनेबिलिटी लिमिटेड द्वारा संचालित सुविधा में कचरे के निपटान की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी है।

पीथमपुर बचाओ संघर्ष समिति के विरोध प्रदर्शन को समर्थन देते हुए भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, “यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को जलाने के बारे में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की तकनीकी प्रस्तुति के अनुसार, 337 मीट्रिक टन कचरे को जलाने के बाद 900 टन अवशेष निकलेंगे। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि इन 900 टन कचरे में ज़हरीले भारी धातुओं की मात्रा बहुत ज़्यादा होगी। पीथमपुर में तथाकथित सुरक्षित लैंडफिल पिछले कुछ सालों से ज़हरीले रिसाव कर रहे हैं। अधिकारियों के पास यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि 900 टन कचरे से निकलने वाले ज़हरीले तत्व पीथमपुर और उसके आस-पास के जल स्रोतों को दूषित न करें।”

यह भी पढ़ें: भोपाल त्रासदी से सबक

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा ने कहा कि इस तरह के निपटान से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा हो सकती है, इस संदेह के साथ कि “भोपाल से निकलने वाले खतरनाक कचरे को जलाने का काम साढ़े तीन महीने तक चलेगा। इतनी लंबी अवधि तक भस्मक से निकलने वाले वायुजनित जहर और कण पदार्थों के संपर्क में आने वाली आबादी की संख्या एक लाख से भी ज़्यादा है। यह जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा पैदा करने जैसा है”, ढींगरा ने कहा।

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पीथमापुर के स्थानीय निवासी संदीप रघुवंशी ने बताया कि राज्य सरकार ने जहरीले कचरे को जर्मनी और भारत के अन्य राज्यों में निपटाने की कोशिश की थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण योजना को छोड़ दिया गया।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अब राज्य सरकार ने पीथमपुर के निवासियों के जीवन को खतरे में डालने का फैसला किया है।’’

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित नवाब खान ने कहा कि पर्यावरण मंत्री के रूप में भाजपा नेता जयंत मलैया और गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के मंत्री के रूप में बाबूलाल गौर ने कई बैठकों में भोपाल के कचरे को पीथमपुर में जलाने की योजना का विरोध किया था।

उन्होंने कहा, “गैस राहत आयुक्त ने वास्तव में पीथमपुर में आग लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। हम अब इन तथ्यों को सार्वजनिक कर रहे हैं ताकि पीथमपुर को धीमी गति वाले भोपाल में बदलने की प्रक्रिया में लगे अधिकारी बाद में यह न कह सकें कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।”

हालांकि, राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि निपटान मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर के निर्देशानुसार सभी अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए किया जाएगा।

3 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन की खंडपीठ ने भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी अभी तक डंप किए गए जहरीले कचरे को हटाने के लिए उठाए गए कदमों पर राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी थी।

उच्च न्यायालय के निर्देश सरकार के इस दावे पर आधारित हैं कि सार्वजनिक स्वास्थ्य या पर्यावरण को कोई खतरा पहुंचाए बिना कचरे के निपटान का सफल परीक्षण किया गया है।

वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने यूसीआईएल साइट पर पड़े कचरे को जलाने और उसके पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन करने का आदेश दिया था। इस निर्देश के तहत अगस्त 2015 में पीथमपुर औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन प्राइवेट लिमिटेड (पीआईडब्लूएमपीएल) के उपचार, भंडारण और निपटान सुविधा (टीएसडीएफ) में 10 मीट्रिक टन यूसीआईएल कचरे के निपटान के लिए ट्रायल रन किए गए थे।

भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “अदालत में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी), एमपीपीसीबी और मध्य प्रदेश सरकार (जीओएमपी) की निगरानी में परीक्षण किए गए थे। परीक्षण के नतीजों से पुष्टि हुई है कि भस्मक के सभी पैरामीटर निर्धारित मानदंडों के अनुरूप हैं और लोगों के जीवन के लिए कोई खतरा नहीं है।”

विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा, “प्रक्रिया मानदंडों के अनुसार शुरू हुई। हम कचरे के निपटान के लिए बहुत उच्च मानक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन कर रहे हैं। हम 6 जनवरी को उच्च न्यायालय को स्थिति रिपोर्ट देंगे।”

2-3 दिसंबर, 1984 की मध्य रात्रि को यूनियन कार्बाइड संयंत्र से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हो गई , जिसने बड़े पैमाने पर आवासीय क्षेत्रों को अपनी चपेट में ले लिया, 22,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई और पांच लाख से अधिक लोग जन्मजात विकृतियों से पीड़ित होकर अपंग हो गए।

भोपाल गैस पीड़ितों और पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने यूनियन कार्बाइड कचरे के खिलाफ प्रदर्शन किया

भोपाल गैस त्रासदी 1984 में हुई थी, जब यूनियन कार्बाइड कारखाने में मिथाइल आइसोसायनेट (MIC) लीक हो गया था। इस दुर्घटना में हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग घायल हुए। पीड़ितों को अभी भी शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हैं, और वे न्याय की मांग कर रहे हैं।

2024 में, भोपाल गैस पीड़ितों और पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने यूनियन कार्बाइड कचरे के खिलाफ प्रदर्शन किया। कचरा पीथमपुर में एक साइट पर संग्रहित है, और यह स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा है।

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि कचरे को सुरक्षित रूप से निपटाया जाए और पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यूनियन कार्बाइड को अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दुर्घटना के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

प्रदर्शन एक सफलता था। प्रदर्शनकारियों ने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया और अपनी आवाज सुनी गई। प्रदर्शन के बाद, मध्य प्रदेश सरकार ने कचरे को निपटाने के लिए एक योजना की घोषणा की।

यह प्रदर्शन भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए न्याय की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह दिखाता है कि वे हार नहीं मान रहे हैं और वे अपने अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखेंगे।

यहां कुछ तथ्य दिए गए हैं जो आपको भोपाल गैस त्रासदी के बारे में जानने चाहिए:

  • यह 1984 में भारत के भोपाल में हुआ था।
  • यह रासायनिक दुर्घटना इतिहास में सबसे घातक दुर्घटनाओं में से एक है।
  • अनुमानित 15,000 से 20,000 लोग मारे गए और लाखों लोग घायल हुए।
  • दुर्घटना के लिए यूनियन कार्बाइड कंपनी को जिम्मेदार ठहराया गया था।
  • पीड़ितों को अभी भी शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हैं।
  • वे न्याय और मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

यहां कुछ तथ्य दिए गए हैं जो आपको पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरे के बारे में जानने चाहिए:

  • कचरा पीथमपुर में एक साइट पर संग्रहित है।
  • यह स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा है।
  • पीड़ितों और स्थानीय लोग कचरे को सुरक्षित रूप से निपटाने की मांग कर रहे हैं।
  • वे यूनियन कार्बाइड को अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दुर्घटना के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

भोपाल गैस त्रासदी एक भयानक त्रासदी थी जिसने हजारों लोगों के जीवन को तबाह कर दिया। पीड़ितों को न्याय और मुआवजा मिलना चाहिए। यूनियन कार्बाइड को अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दुर्घटना के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के समर्थन में आप क्या कर सकते हैं:

  • आप भोपाल गैस पीड़ितों के समर्थन में दान दे सकते हैं।
  • आप भोपाल गैस त्रासदी के बारे में जागरूकता फैला सकते हैं।
  • आप अपने स्थानीय प्रतिनिधियों से संपर्क कर सकते हैं और उन्हें भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के समर्थन में कार्रवाई करने के लिए कह सकते हैं।

यूनियन कार्बाइड का 337 टन कचरा जलाने से कितना खतरा? पहले 10 टन ने 8 किमी तक किया था असर – BHOPAL GAS TREGEDY WASTE

भोपाल यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा जलाने में 126 करोड़ रु होंगे खर्च. पहले 10 टिन ने 8 किमी का भूजल दूषित किया था.

BHOPAL GAS TREGEDY WASTE

पीथमपुर में जलाया जाएगा यूनियन कार्बाइड का कचरा (ETV Bharat)

भोपाल: राजधानी में 40 साल पहले यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिससे हजारों लोग काल के गाल में समा गए थे. वहीं लाखों लोग इससे संक्रमित हुए और आज भी इसका दंश झेल रहे हैं. गैस कांड की वजह से बच्चे कई गंभीर बीमारियों के साथ पैदा होते हैं. वहीं अब इसके 337 मीट्रिक टन कचरे को जलाने की खबरों से लोग दहशत में हैं. दरअसल, 2015 में सरकार ने इसके 10 टन खतरनाक कचरे को बतौर ट्रायल जलाता था, इससे पैदा हुई 40 टन राख को इंदौर जिले के पीथमुर में दफनाया गया था लेकिन इससे 8 किमी क्षेत्र का भूजल दूषित हो गया था.

वहीं अब सरकार यहां पड़े 337 मीट्रिक टन कचरे को जलाकर डिस्पोज करेगी. हालांकि, इसका क्या असर होगा, ये कह पाना मुश्किल है. यही वजह है कि जिस जगह पर यह जहरीला कचरा जलाया जाना है, वहां के लोग विरोध पर उतर आए हैं.

गैस पीड़ित संगठनों ने किया विरोध (ETV Bharat)

‘तीन गुना बढ़ेगा जहरीला कचरा’

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा “यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के भस्मीकरण से पर्यावरण और वन मंत्रालय की तकनीकी प्रस्तुति के अनुसार, भस्मीकरण के बाद 900 मीट्रिक टन अवशेष बनेगा. यानी अभी जो कचरा जलाने जा रहे हैं, अवशेष उसका तीन गुना बचेगा. वहीं यह ध्यान रखने योग्य है कि इस 900 मीट्रिक टन में जहरीली धातुओं की बहुत अधिक मात्रा होगी. इधर, पीथमपुर में तथाकथित सुरक्षित लैंडफिल से पिछले कुछ सालों से जहरीला रिसाव जारी है. अधिकारियों के पास यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि 900 मीट्रिक टन अवशेषों से निकलने वाला जहर पीथमपुर और उसके आसपास के भूजल को प्रदूषित न करे.”

‘यूनियन कार्बाइड कंपनी अमेरिका ले जाए कचरा’

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा “सरकारी योजनाओं के अनुसार, भोपाल से निकलने वाले खतरनाक कचरे को साढ़े तीन महीने तक जलाया जाना है. इतने लंबे समय तक भस्मक से निकलने वाले धुएं में जहर और पार्टिकुलेट मैटर के चपेट में आने वाली आबादी की संख्या एक लाख से भी अधिक है. वर्तमान में जो काम जारी है वह जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक हादसा पैदा करने से कम नहीं है.”

रचना ढ़ींगरा ने कहा कि “यदि सरकार इस कचरे को इंदौर में जलाती है, तो वहां भी वायु और जल प्रदूषण बढ़ेगा. इससे अच्छा ये है कि या तो सरकार उस कचरे को वहीं पड़ा रहने दे या फिर यूनियन कार्बाइड कंपनी के प्रबंधन को यह जहरीला कचरा अमेरिका ले जाने का दबाव बनाए.”

पूर्व मंत्री बाबूलाल गौर और जयंत मलैया ने किया था विरोध

यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को पीथमपुर में जलाने के विरोध के लंबे इतिहास पर बोलते हुए भोपाल गैस पीड़ित महिला-पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने कहा “पर्यावरण मंत्री के तौर पर जयंत मलैया और गैस राहत मंत्री के तौर पर बाबूलाल गौर ने कई सरकारी बैठकों में भोपाल के कचरे को पीथमपुर में जलाने की योजना का विरोध किया था. गैस राहत आयुक्त ने तो कचरे को पीथमपुर में जलाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा तक दाखिल किया था.

हम ये तथ्य अब सबके सामने इसलिए ला रहे हैं ताकि पीथमपुर को धीमी गति से हो रहे भोपाल हादसे में बदलने की प्रक्रिया में लगे अधिकारी बाद में यह न कह सकें कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी.”

एक किलो कचरा जलाने पर आएगी 3000 रु की लागत

रचना ढींगरा ने बताया, “सरकार 337 मीट्रिक टन कचरे को जलाने में 126 करोड़ रु खर्च कर रही है. यह आंकड़ा पूरे विश्व में सबसे मंहगा है. जहां प्रति टन कचरा जलाने पर करीब 27 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे. यानी एक किलो कचरा जलाने की लागत 3 हजार रुपये प्रति किलो से अधिक है.” रचना ने बताया, “इससे पहले 2010 से 2015 के बीच पीथमपुर संयंत्र में जहरीले कचरे के निपटान के सात में से छह परीक्षण विफल रहे. क्योंकि इससे डाइऑक्सिन और फ्यूरान की मात्रा स्वीकार्य सीमा से 16 गुना अधिक हो गई थी.”

Bhopal gas tragedy : गैस पीड़ितों के समूह और पीथमपुर के लोगों ने यूनियन कार्बाइड कचरे के खिलाफ किया प्रदर्शन

Bhopal भोपाल: भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों और पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने पीथमपुर भस्मक में यूनियन कार्बाइड के ऊपर के कचरे के निपटान की सरकार की योजना का विरोध किया है और कहा है कि इससे औद्योगिक क्षेत्र और प्रदूषित होगा। यह भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने में कचरे के निपटान का पांचवां प्रयास है, जहां 1984 में गैस रिसाव के कारण 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग बीमार हो गए थे।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर, राज्य सरकार और पर्यावरण मंत्रालय ने पीथमपुर में री-सस्टेनेबिलिटी लिमिटेड द्वारा संचालित सुविधा में कचरे के निपटान की प्रक्रिया फिर से शुरू की है। पीथमपुर बचाओ संघर्ष समिति के विरोध को समर्थन देते हुए, भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, “यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे के भस्मीकरण पर पर्यावरण और वन मंत्रालय की तकनीकी प्रस्तुति, 337 मीट्रिक टन के भस्मीकरण के बाद 900 टन अवशेष उत्पन्न होंगे। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन 900 टन में जहरीली भारी धातुओं की बहुत अधिक मात्रा होगी। पिछले कुछ सालों से पीथमपुर में तथाकथित सुरक्षित लैंडफिल से ज़हरीला पानी निकल रहा है। अधिकारियों के पास यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि 900 टन अवशेषों से निकलने वाले ज़हरीले तत्व पीथमपुर और उसके आस-पास के जल स्रोतों को दूषित न करें।”

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा ने कहा कि इस बात का संदेह है कि निपटान से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा हो सकती है, उन्होंने कहा, “भोपाल से निकलने वाले ख़तरनाक कचरे को जलाने का काम साढ़े तीन महीने तक चलेगा। इतनी लंबी अवधि तक भस्मक से निकलने वाले वायुजनित ज़हर और कण पदार्थों के संपर्क में आने वाली आबादी की संख्या एक लाख से ज़्यादा है। यह जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा पैदा करने से कम नहीं है”, ढींगरा ने कहा।

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के समूह और पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने यूनियन कार्बाइड द्वारा छोड़े गए कचरे के खिलाफ प्रदर्शन किया है। यह प्रदर्शन पीथमपुर में आयोजित किया गया था, जहां यूनियन कार्बाइड का कचरा संग्रहीत है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कचरा स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा है। उन्होंने मांग की है कि कचरे को सुरक्षित तरीके से निपटाया जाए और पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाए। साथ ही, उन्होंने यूनियन कार्बाइड से इस दुर्घटना के लिए माफी की भी मांग की है।

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भारत सरकार द्वारा लॉन्च की गई सुकन्या समृद्धि योजना (SSY) एक लंबी अवधि की बचत योजना है, विशेष रूप से लड़कियों की शिक्षा और विवाह के लिए डिज़ाइन की गई है। यह योजना माता-पिता/अभिभावकों को अपनी बेटियों के भविष्य के लिए सुरक्षित और लाभदायक निवेश करने में सहायता करती है।

योजना की प्रमुख विशेषताएं:

  • लक्ष्य: लड़कियों की शिक्षा और विवाह के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  • योग्यता: केवल 10 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के लिए।
  • खाता खोलने की अवधि: लड़की के जन्म से 10 वर्ष की आयु तक।
  • निवेश सीमा: न्यूनतम 250 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये प्रति वर्ष।
  • ब्याज दर: सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित की जाती है और त्रैमासिक आधार पर जमा राशि पर देय होती है।
  • परिपक्वता अवधि: 21 वर्ष।
  • कर लाभ: निवेश पर आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत कर लाभ उपलब्ध है।

योजना के लाभ:

  • लंबी अवधि का निवेश: लंबी अवधि के निवेश के कारण उच्च रिटर्न की संभावना।
  • सरकारी समर्थन: सरकार द्वारा समर्थित योजना, जो निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करती है।
  • कर लाभ: निवेश पर कर लाभ मिलने से निवेशकों को अधिक बचत करने में मदद मिलती है।
  • लड़कियों के लिए विशेष: लड़कियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक विशेष योजना।

खाता कैसे खोलें:

  • योग्यता: लड़की का जन्म प्रमाण पत्र और माता-पिता/अभिभावक के पहचान प्रमाण पत्र।
  • बैंक/डाकघर: अधिकृत बैंकों या डाकघरों में खाता खोला जा सकता है।
  • आवेदन पत्र: आवेदन पत्र भरकर जमा करें।
  • न्यूनतम जमा राशि: खाता खोलते समय न्यूनतम 250 रुपये जमा करें।

निवेश कैसे करें:

  • नकद: नकद जमा करके।
  • चेक/ड्राफ्ट: चेक या बैंक ड्राफ्ट द्वारा।
  • ऑनलाइन: नेट बैंकिंग या मोबाइल बैंकिंग के माध्यम से।

निकासी नियम:

  • आंशिक निकासी: परिपक्वता से पहले आंशिक निकासी की अनुमति है, लेकिन कुछ शर्तों के अधीन।
  • पूरी तरह से निकासी: परिपक्वता पर पूरी तरह से निकासी की अनुमति है।

योजना की समीक्षा:

सुकन्या समृद्धि योजना एक उत्कृष्ट बचत विकल्प है, विशेष रूप से उन माता-पिता/अभिभावकों के लिए जो अपनी बेटियों के भविष्य के लिए दीर्घकालिक निवेश की योजना बना रहे हैं। योजना की उच्च ब्याज दर, कर लाभ और सरकारी समर्थन इसे एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं।

नोट:

  • योजना की नियम और शर्तें समय-समय पर बदल सकती हैं।
  • निवेश करने से पहले कृपया संबंधित बैंक/डाकघर से नवीनतम जानकारी प्राप्त करें।

Disclaimer:

यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है और वित्तीय सलाह नहीं है। निवेश निर्णय लेने से पहले कृपया एक योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श लें।

सुकन्या समृद्धि योजना(Sukanya Samriddhi Yojana): स्कीम के बेनिफिट्स, इंटरेस्ट रेट, ऐज लिमिट, प्लान, ऑनलाइन फॉर्म, सारी डिटेल्स जानिए

सुकन्या समृद्धि योजना Sukanya scheme यानी कि SSY भारत सरकार की एक बचत योजना है. बेटी पढाओ, बेटी बचाओ योजना के तहत केंद्र सरकार की तरफ से शुरू की गई योजना है. सुकन्या समृद्धि योजना का उद्देश्य है कि आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में जन्म लेने वाली बच्चियों को भविष्य में आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़े.

हाइलाइट्स

  • सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत वैसे तो परिवार की केवल दो बेटियों को ही लाभार्थी बनाया जा सकता है. लेकिन कुछ मामलों में यह संख्या बढ़ सकती है.
  • यदि परिवार में पहले से एक बेटी है और फिर जुड़वां या इससे ज्यादा बच्चियों का जन्म एक साथ होता है तो उन्हें भी योजना का लाभार्थी बनाया जाएगा.
  • पहले से जुड़वां या दो से ज्यादा बच्चियों के एक साथ जन्म के मामले में बाद में जन्म लेने वाली बच्ची इस योजना के अंतर्गत पात्र नहीं होगी.
  • क़ानूनी रूप से गोद ली हुई बच्ची को भी योजना का लाभ दिया जाएगा.

नई दिल्ली: बेटी पढाओ, बेटी बचाओ योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana ) की शुरुआत की. SSY की शुरुआत इसलिए की गई जिससे आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों में जन्म लेने वाली बच्चियों को भविष्य में आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़े. Sukanya एक छोटी बचत योजना है, जो लंबी अवधि के लिए संचालित की जाती है. सुकन्या योजना में माता-पिता अपनी बेटियों के नाम पर निवेश करते हैं. SSY में निवेश पर उन्हें इनकम टैक्स में छूट भी मिल सकती है. साथ ही इसमें बेटियों के नाम एक बड़ा फंड एकत्रित हो जाता है. सुकन्या समृद्धि योजना में बेटियों की उम्र 10 वर्ष पूरी होने से पहले निवेश किया जाता है.

योजना का नामसुकन्या समृद्धि योजना
किसके द्वारा शुरू की गईकेंद्र सरकार
सुकन्या समृद्धि योजना का उद्देश्यबच्चियों के भविष्य को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना. उनकी शादी और पढ़ाई के लिए रकम एकत्रित करना
पात्रताबच्चियों की उम्र 10 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए.
कितनी बच्चियों को मिलेगा लाभपरिवार की दो बेटियों को लाभार्थी बनाया जाएगा.
उद्देश्यबच्चियों की शादी तथा उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक मजबूती प्रदान करना

सुकन्या समृद्धि योजना की खास बातें (Sukanya Samriddhi Yojana)

इस योजना के अंतर्गत माता-पिता या अभिभावक बच्चियों के नाम पर खाता खोलते हैं. ताकि उनकी शादी या उच्च शिक्षा हासिल करने में उन्हें आर्थिक सहायता मिल सके. सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana ) के अंतर्गत खोले गए खाते में कम से कम 15 साल का निवेश करना जरुरी होता है. खाते में किये गए निवेश पर वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 7.6% की दर से ब्याज दिया जा रहा है. यदि निवेशकर्ता सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत एक साल में 1.5 लाख रुपये या इससे अधिक का निवेश करते हैं तो उन्हें टैक्स में छूट भी मिलती है. इसीलिए निवेशकों को भविष्य में अपनी बेटियों के लिए बड़ी रकम एकत्रित करने के लिए इस योजना में निवेश की सलाह दी जाती है.

परिवार की कितनी बेटियों को मिलेगा लाभ

  • सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत वैसे तो परिवार की केवल दो बेटियों को ही लाभार्थी बनाया जा सकता है. लेकिन कुछ मामलों में यह संख्या बढ़ सकती है.
  • यदि परिवार में पहले से एक बेटी है और फिर जुड़वां या इससे ज्यादा बच्चियों का जन्म एक साथ होता है तो उन्हें भी योजना का लाभार्थी बनाया जाएगा.
  • पहले से जुड़वां या दो से ज्यादा बच्चियों के एक साथ जन्म के मामले में बाद में जन्म लेने वाली बच्ची इस योजना के अंतर्गत पात्र नहीं होगी.
  • क़ानूनी रूप से गोद ली हुई बच्ची को भी योजना का लाभ दिया जाएगा.

सुकन्या समृद्धि योजना के फायदे

  • यह एक सरकारी सेविंग स्कीम है. जिसे केन्द्रीय सरकार द्वारा बेटियों के भविष्य को उज्जवल बनाने से उद्देश्य से शुरू किया गया है.
  • यह एक सरकारी योजना है इसीलिए इसमें बाजार जोखिम नहीं है. यानी गारंटीड रिटर्न मिलता है.
  • सुकन्या समृद्धि योजना एक लंबी अवधि के लिए शुरू की गई छोटी बचत योजना है. जिसमें वार्षिक कंपाउडिंग का लाभ मिलता है. यानी कम निवेश में भी अच्छा रिटर्न प्राप्त होता है.
  • गोद ली हुई बच्ची यानी दत्तक पुत्री को भी इसमें शामिल किया जाता है.
  • परिवार की केवल दो बेटियों को योजना का लाभ मिलेगा.
  • सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत निवेशक अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार निवेश कर सकता है. इसमें एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 250 रुपये और अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक निवेश किये जा सकते हैं.
  • कन्या की उम्र 18 साल की हो जाने या कक्षा दसवीं उत्तीर्ण करने के बाद भी खाते से कुछ राशि निकाली जा सकती है. लेकिन आप एक साल में केवल एक बार ही खाते से निकासी कर सकते हैं.
  • सुकन्या समृद्धि योजना को भारत सरकार ने करमुक्त रखा है. इसमें निवेश की गई राशि, उस पर प्राप्त ब्याज के साथ ही साथ मैच्युरिटी पर मिलने वाली राशि भी टैक्स फ्री होती है. यानी सुकन्या समृद्धि योजना निवेशकों को बचत के साथ ही टैक्स बेनिफिट भी देती है.
  • जरूरत पड़ने पर खाते को एक पोस्ट ऑफिस से दूसरे पोस्ट ऑफिस या एक बैंक से दूसरे बैंक में आसानी से ट्रांसफर किया जा सकता है. लेकिन यह तभी किया जाता है जब खाता धारक मूल जगह से कहीं और चला गया हो. ऐसे मामले में उन्हें शिफ्ट होने का प्रूफ दिखाना होगा. जिसके बाद सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत खोले गए खाते का ट्रांसफर हो जाएगा.

सुकन्या समृद्धि योजना की आयु सीमा

10 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के नाम पर माता-पिता या परिवार का कोई भी सदस्य सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत खाता खुलवा सकते हैं. इस योजना के अंतर्गत 15 साल तक निवेश करना अनिवार्य है. इसकी परिपक्वता अवधि 21 साल होती है.

सुकन्या समृद्धि योजना ब्याज दरें

इस छोटी बचत योजना पर मिलने वाले ब्याज की दर सरकार द्वारा तय की जाती है. ब्याज दर 8.4% से घटाकर 7.6% कर दिया गया है. इस पर मिलने वाला ब्याज अब पूरी तरह से करमुक्त है.

वित्तीय वर्षब्याज दरें
वित्तीय वर्ष 2022-23 – पहली तिमाही, अप्रैल से जून 20227.6%
वित्तीय वर्ष 2021-22 – चौथी तिमाही, जनवरी से मार्च 2022 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2021-22 – तीसरी तिमाही, अक्टूबर से दिसंबर 2021 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2021-22 – दूसरी तिमाही, जुलाई से सितंबर 2021 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2021-22 – पहली तिमाही, अप्रैल से जून 2021 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2020-21 – चौथी तिमाही, जनवरी से मार्च 2021 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2020-21 – तीसरी तिमाही, अक्टूबर से दिसंबर 2020 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2020-21 – दूसरी तिमाही, जुलाई से सितंबर 2020 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2020-21 – पहली तिमाही, अप्रैल से जून 2020 तक7.6%
वित्तीय वर्ष 2019-20 – चौथी तिमाही, जनवरी से मार्च 2020 तक8.4%
वित्तीय वर्ष 2019-20 – तीसरी तिमाही, अक्टूबर से दिसंबर 2019 तक8.4%
वित्तीय वर्ष 2019-20 – दूसरी तिमाही, जुलाई से सितंबर 2019 तक8.4%
वित्तीय वर्ष 2019-20 – पहली तिमाही, अप्रैल से जून 2019 तक8.5%
वित्तीय वर्ष 2018-19 – चौथी तिमाही, जनवरी से मार्च 2019 तक8.5%
वित्तीय वर्ष 2018-19 – तीसरी तिमाही, अक्टूबर से दिसंबर 2018 तक8.5%
वित्तीय वर्ष 2018-19 – दूसरी तिमाही, जुलाई से सितंबर 2018 तक8.1%
वित्तीय वर्ष 2018-19 – पहली तिमाही, अप्रैल से जून 2018 तक8.1%

सुकन्या समृद्धि योजना में खाता खोलने की प्रक्रिया

  1. बेटियों के नाम पर सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana ) में अकाउंट खोलने के लिए माता-पिता का अभिभावक को बैंक या पोस्ट ऑफिस से योजना का आवेदन फॉर्म प्राप्त करना होगा.
  2. आवेदन पत्र में पूछी गई सभी जानकारी जैसे माता-पिता या अभिभावक का नाम, बच्ची का नाम, उम्र जैसी जानकारियों को अच्छे से पढ़कर भरें.
  3. आवेदन फॉर्म के साथ कई दस्तावेज भी जमा करने होंगे. जैसे माता-पिता का आय प्रमाण पत्र, बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र.
  4. जिस बैंक या पोस्ट ऑफिस से आपने आवेदन फॉर्म प्राप्त किया था वहीं जाकर उसे जमा कराए.
  5. इस पूरी प्रक्रिया के बाद सुकन्या समृद्धि योजना में आवेदन हो जाएगा.

सुकन्या समृद्धि योजना में अकाउंट बैलेंस कैसे चेक करें

आप घर बैठे भी सुकन्या समृद्धि योजना के खाते का बैलेंस चेक कर सकते हैं. लेकिन आपको आप लॉगिन क्रैडेंशियल्स होना चाहिए. लॉगिन क्रैडेंशियल्स बैंक द्वारा प्रदान किया जाता है. हालांकि सभी बैंकों में यह सुविधा नहीं है. इसीलिए सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत खाता खुलवाने से पहले बैंक के लॉगिन क्रैडेंशियल्स की भी जानकारी जरुर लें. बैंक से लॉगिन क्रैडेंशियल्स लेने के बाद बैंक के इंटरनेट बैंकिंग पोर्टल पर जाएं. इसमें होम पेज पर ही बैलेंस चेक करने के बारे में विकल्प आ जाएगा. जिसे क्लिक करते ही आप सुकन्या समृद्धि खाते का बैलेंस देख पाएंगे.

सुकन्या समृद्धि योजना में जमा पैसा निकालने का नियम

योजना के परिपक्व हो जाने यानी सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत खाता खुलवाने के 21 साल बाद या बालिका के 18 वर्ष के होने पर खाते से राशि निकाली जा सकती है. या फिर बच्ची के कक्षा दसवीं उत्तीर्ण करने के बाद आगे की शिक्षा के लिए भी पचास प्रतिशत राशि निकाली जा सकती है. लाभार्थी चाहे तो निकासी एक साथ कर सकता है या फिर किस्तों में. पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में खाते में जो भी शेष राशि बचती है उसके अधिकतम 50 प्रतिशत की निकासी की जा सकती है.

सुकन्या समृद्धि योजना (Sukanya Samriddhi Yojana ) में कब बंद कर सकते हैं खाता

वैसे तो सुकन्या समृद्धि योजना में 15 साल तक निवेश करना जरुरी ही है. लेकिन कुछ स्थिति में खाते को समय से पहले बंद किया जा सकता है.

  1. बच्ची की मृत्यु की दशा में – जिस बच्ची के नाम पर सुकन्या समृद्धि योजना में खाता खोला गया है उसकी मृत्यु हो जाती है तो खाते बंद कर दिया जाता है.
  2. अभिभावक की मृत्यु होने पर – खाते का संचालन जिस भी अभिभावक के द्वारा किया जाता है उसकी मृत्यु होने पर भी खाता बंद किया जा सकता है.
  3. जानलेवा बीमारी से ग्रसित होने पर – खाताधारक को कोई जानलेवा बीमारी हो जाने पर भी खाते को समय से पहले बंद किया जा सकता है.
  4. विदेश में बस जाने या शादी हो जाने पर – यदि बच्ची विदेश में बस जाती है. या विदेश में उसकी शादी 21 साल की होने से पहले हो जाती है तो भी खाते को बंद कर दिया जाएगा.
  5. कमजोर आर्थिक स्थिति होने पर – कई बार ऐसे मामले भी सामने आये हैं कि अभिभावकों की आर्थिक स्थिति इतनी ज्यादा कमजोर हो जाती है कि वी निवेश की राशि का भुगतान नहीं कर पाते. ऐसी दशा में भी खाते को बंद किया जा सकता है.

सुकन्या समृद्धि योजना में इनकम टैक्स बेनिफिट

बेटियों के लिए शुरू की गई सुकन्या समृद्धि योजना इसीलिए भी ख़ास है क्योंकि इससे निवेशकों को कई तरह से टैक्स बेनिफिट मिलता है. सबसे पहले तो योजना में निवेश की गई राशि, मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी राशि करमुक्त होती है. इतना ही नहीं इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80C के अंतर्गत निवेश की गई मूल राशि पर निवेशक हर साल 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स बेनिफिट ले सकते हैं.

सुकन्या समृद्धि योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन

आप आरबीआई की वेबसाइट या अन्य कुछ संस्थानों की आधिकारिक साईट से भी सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत खाता खुलवाने के लिए आवेदन पत्र डाउनलोड कर सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक की आधिकारिक साईट के अलावा, द इंडिया पोस्ट की आधिकारिक वेबसाईट एसबीआई, पीएनबी, बीओबी जैसी सार्वजनिक क्षेत्रों की आधिकारिक वेबसाईट, एक्सिस बैंक, ICICI बैंक जैसे योजना में शामिल निजी क्षेत्र के बैंकों की आधिकारिक वेबसाईट के माध्यम से भी आवेदन फॉर्म डाउनलोड किये जा सकते हैं.

सुकन्या समृद्धि योजना कैलकुलेटर

कैलकुलेटर के माध्यम से उस राशि की गणना की जाती है जो आवेदक को मैच्योरिटी पर दी जाती है. इसमें यह मानकर गणना की जाती है कि प्रत्येक बार की किश्त एक जैसी ही थी. इसमें 15वें से 21 वें वर्ष में कोई भी निवेश की आवश्यकता नहीं होती. पुराने निवेश के आधार पर ही गणना होती है. सुकन्या समृद्धि योजना में मैच्योरिटी पर प्राप्त होने वाली राशि कैलकुलेटर के माध्यम से ज्ञात करने के लिए बच्ची की आयु और योगदान की राशि बतानी होगी. जिसके लिए एक फ़ॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है.

सुकन्या समृद्धि योजना कैलकुलेशन का फ़ॉर्मूला – A=P(1+r/n)^n

जिसमें A का मतलब चक्रवृद्धि ब्याज, P का मतलब मूल निवेश राशि, R का मतलब निवेश पर मिलने वाली ब्याज दर, N का मतलब एक वर्ष में ब्याज में चक्रवृद्धि और T का मतलब अवधि यानी कुल वर्षों की संख्या

इस फ़ॉर्मूले के अनुसार यदि आप हर साल सुकन्या समृद्धि योजना में 1000 रुपये का निवेश करते हैं तो 14 साल में निवेश की कुल राशि 14000 रुपये हो जाएगी. जिस पर आपको 21 वर्ष में मेच्योरिटी राशि लगभग 46,821 रुपये मिलेगी. हर साल 2000 रुपये का निवेश करने पर मेच्योरिटी की राशि दोगुनी से भी ज्यादा 93,643 हो जाएगी. यानी इसमें आपको चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ मिलेगा.

सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत आप एक साल में 1 लाख रुपये का निवेश कर रहे हैं. निवेश की अवधि 15 साल है. यानी आपका कुल निवेश 15 लाख रुपये का किया. 7.6% ब्याज दर के अनुसार 21 साल बाद आपको लगभग 3,10,454.12 रुपये का ब्याज मिलेगा. यानी मैच्योरिटी के समय आपको 43,95,380.96 रुपये मिलेंगे. जो करमुक्त होंगे.

सुकन्या समृद्धि योजना के लिए जरूरी डॉक्यूटमेंट्स

  • बच्ची का जन्म प्रमाण पत्र,
  • बच्ची का पहचान पप्रमाण पत्र,
  • बच्ची एवं अभिभावकों का आधार कार्ड,
  • जुड़वा या तिड़वा बच्चियां होने की दशा में अभिभावक का एफिडेविड
  • माता-पिता या अभिभावकों की पासपोर्ट साइज फोटो
  • स्थाई पता
  • बैंक या पोस्ट ऑफिस द्वारा मांगे जाने वाले अन्य सभी दस्तावेज

सुकन्या समृद्धि योजना में बदलाव

  • कोई भी लड़की 18 वर्ष की होने पर अब खाते का संचालन कर पाएगी. शुरुआत में यह उम्र 10 वर्ष रखी गई थी. हालाँकि अभी भी 18 वर्ष की उम्र में बच्चियों के हाथ में संचालन जाने को लेकर बहस छिड़ी हुई है.
  • पहले आपको सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत एक साल में कम से कम 250 रुपये जमा कराने ही होते थे. ऐसा नहीं करने पर योजना के अंतर्गत डिफाल्टर घोषित किया जाता था. लेकिन अब ऐसा नहीं है. यदि आप किसी कारणवश 250 रुपये भी जमा नहीं कर पाते हैं तो ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं होगा और न ही आपको डिफाल्टर घोषित किया जाएगा.
  • समय से पूर्व खाता बंद करने के लिए पहले केवल दो कारण थे. पहला बच्ची की अचानक मृत्यु हो जाने और दूसरा बेटी के एनआरआई हो जाने पर. लेकिन अब किसी जानलेवा खतरनाक बीमारी होने और माता-पिता या अभिभावक की मृत्यु होने पर भी सुकन्या समृद्धि योजना के खाते को बंद किया जा सकता है.

सुकन्या समृद्धि योजना

देय ब्याज दरें, आवधिकता आदि .
खाता खोलने के लिए न्यूनतम राशि और अधिकतम शेष राशि जिसे बरकरार रखा जा सकता है
ब्याज दर 7.6% प्रति वर्ष(01.01.2023 से प्रभावी), वार्षिक चक्रवृद्धि एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 250 रूपये और अधिकतम 1,50,000 रूपये. बाद में 50 रूपये के गुणक में जमा करें. एकमुश्त जमा किया जा सकता है. एक महीने या एक वित्तीय वर्ष में जमा की संख्या पर कोई सीमा नहीं है.
अभिदान/खाता खोलने के केन्द्र: – सभी शाखाओं के द्वारामोबाइल बैंकिंग एवं इन्टरनेट बैंकिंग.
प्रमुख विशेषताएं
(ए) कौन खोल सकता है?:-
-> अभिभावक द्वारा 10 वर्ष से कम आयु की कन्या के नाम पर.
-> भारत में बालिका के नाम पर डाकघर या किसी भी बैंक में केवल एक ही खाता खोला जा सकता है.-> यह खाता एक परिवार में अधिकतम दो लड़कियों के लिए खोला जा सकता है. किन्तु जुडवां/एक साथ तीन बच्चियों के जन्म के मामले में दो से अधिक खाते खोले जा सकते हैं​(बी) जमा :-
(i) 250 रूपये की न्यूनतम प्रारंभिक जमा राशि के साथ खाता खोला जा सकता है.

 
(ii) एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 250 रूपये और अधिकतम 1.5 लाख रूपये तक राशि जमा की जा सकती है. यह राशि एकमुश्त या कई किश्तों में जमा की जा सकती है  .
(iii) खाते में खाता खोलने की तारीख से अधिकतम 15 वर्ष पूरे होने तक जमा किया सकता है .
(iv) यदि किसी वित्तीय वर्ष में किसी खाते में न्यूनतम राशी 250 रूपये जमा नहीं किया जाता, तो खाते को चूक कर्ता खाते के रूप में माना जाएगा.
(v) चूक कर्ता खाते को प्रत्येक चूक कर्ता वर्ष के लिए न्यूनतम 250 रूपये + 50 रूपये का भुगतान करके खाता खोलने की तारीख से 15 वर्ष पूरा होने से पहले पुनः चालू किया जा सकता है
(vi) जमा आयकर अधिनियम की धरा 80सी के तहत कटौती के लिए अर्हता प्राप्त हैं .(सी) ब्याज :-
(i) ब्याज दर तिमाही आधार पर वित्त मंत्रालय द्वारा अधिसूचित अनुसार लागू होगी.
(ii) ब्याज की गणना कैलेंडर माह के लिए पांचवे दिन की समाप्ति और महीने के अंत के बीच खाते में सबसे कम शेष राशि पर की जाएगी .
(iii) ब्याज प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में खाते में जमा किया जाएगी.
(iii) वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर खाते की स्थिति देखते हुए ही ब्याज प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में खाते में जमा किया जाएगी. (यानि बैंक से दूसरे बैंक/पीओ या इसके विपरीत खाते के हस्तांतरण मामले में)
(iv) अर्जित ब्याज आयकर अधिनियम के तहत कर मुक्त है .(डी) खाते का संचालन :–> बालिका के वयस्क(18 वर्ष) होने तक खाता अभिभावक द्वारा संचालित किया जाएगा​(इ) निकासी :-
(i)बालिका के 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने या 10वीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद खाते से निकासी की जा सकती है .
(ii) निकासी पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में उपलब्ध शेष राशि का 50% तक लिया जा सकता है .
(iii)निकासी एकमुश्त या किश्तों में की जा सकती है, किन्तु प्रति वर्ष एक से अधिक नहीं, अधिकतम पांच वर्षों के लिए, निर्दिष्ट सीमा के अधीन और शुल्क/अन्य शुल्कों की वास्तविक आवश्यकता के अधीन.
(एफ) समयपूर्व समापन :-
(i) निम्नलिखित शर्तों पर खाता खोलने के 5 साल बाद समय से पहले खाता बंद किया जा सकता है : –>खाताधारक की मृत्यु पर(मृत्यु की तिथि से भुगतान की तिथि तक पीओ बचत खाता ब्याज दर लागू होगी).-> अत्यंत सहानुभूति के आधार पर(i) खाताधारक की जानलेवा बीमारी .
(ii) अभिभावक की मृत्यु जिसके द्वारा खाता संचालित किया गया .
(iii) इस तरह के निपटारे के लिए पूर्ण दस्तावेज और आवेदन आवश्यक है .
(vi)खाते को समय से पहले बंद करने के लिए संबंधित शाखा में पासबुक के साथ निर्धारित आवेदन पत्र जमा करें ..
​(जी) परिपक्वता पर समापन:-
(i) खाता खोलने की तारीख से 21 साल बाद.
(ii) या 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद बालिका के विवाह के समय(शादी की तारीख से 1 महीने पहले या 3 महीने बाद).नोट: चूंकि यह भारत सरकार की योजना है. इसलिए उपभोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे योजना में नवीनतम निर्देशों/सुधारों के लिए आरबीआई/सरकारी वेबसाइट पर जाएं.

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  1. सुकन्या समृद्धि योजना के खाते पर लोन लिया जा सकता है ?
    • नहीं, इसमें ऐसा कोई भी विकल्प नहीं दिया गया है. एक बार खाता खुलवाने के बाद बच्ची के 18 वर्ष की होने या कक्षा दसवीं उत्तीर्ण करने की दशा में ही 50 प्रतिशत राशि खाते से निकाली जा सकती है.
  2. सुकन्या समृद्धि योजना बेटों के लिए भी है ?
    • केंद्र सरकार ने सुकन्या समृद्धि योजना की शुरुआत केवल बेटियों के लिए की है.
  3. क्या जातीय आधार पर सुकन्या समृद्धि योजना की उम्र सीमा में कोई छूट दी जाती है?
    • नहीं, सुकन्या समृद्धि योजना का लाभ केवल तभी उठाया जा सकता है जब बच्ची की उम्र 10 साल से कम हो.
  4. सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत एक बच्ची के नाम पर कितने खाते खोले जा सकते हैं ?
    • केवल एक, सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत बच्ची के नाम पर केवल एक ही खाता खोला जा सकता है. माता या पिता अलग-अलग या फिर कोई अन्य अभिभावक अलग से खाता नहीं खोल सकते.
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CAT परिणाम 2024 (LINK OUT) अपडेट; स्कोरकार्ड डाउनलोड करें, टॉपर्स की सूची, कट ऑफ देखें

CAT 2024 का रिजल्ट जारी कर दिया गया है। 24 नवंबर को परीक्षा देने वाले उम्मीदवार अपना रिजल्ट iimcat.ac.in वेबसाइट पर देख सकते हैं। CAT रिजल्ट 2024 लाइव अपडेट, डाउनलोड लिंक,

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CAT 2024 का रिजल्ट जारी कर दिया गया है। 24 नवंबर को परीक्षा देने वाले उम्मीदवार अपना रिजल्ट iimcat.ac.in वेबसाइट पर देख सकते हैं। CAT रिजल्ट 2024 लाइव अपडेट, डाउनलोड लिंक, प्रक्रिया, CAT कट ऑफ और MBA एडमिशन प्रक्रिया यहाँ देखें।

कैट परिणाम 2024

IIM कलकत्ता ने CAT 2024 का रिजल्ट घोषित कर दिया है। CAT 2024 का रिजल्ट और स्कोरकार्ड परीक्षा की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है और लॉगिन लिंक भी एक्टिवेट कर दिया गया है। IIM कलकत्ता द्वारा CAT 2024 टॉपर्स का डेटा भी जारी किए जाने की उम्मीद है। 14 उम्मीदवारों ने 100 पर्सेंटाइल स्कोर किया है, जिनमें से 1 महिला उम्मीदवार है। 29 उम्मीदवारों ने 99.99 पर्सेंटाइल स्कोर किया है, जिनमें से 2 उम्मीदवार महिला हैं और 30 उम्मीदवारों ने 99.98 पर्सेंटाइल स्कोर किया है, जिनमें से 1 महिला है।

CAT 2024 परीक्षा 24 नवंबर, 2024 को आयोजित की गई थी। यह परीक्षा पूरे भारत में 385 से अधिक परीक्षा केंद्रों पर तीन पालियों में आयोजित की गई थी। IIM कलकत्ता ने 3 दिसंबर को अनंतिम CAT 2024 उत्तर कुंजी और 16 दिसंबर, 2024 को अंतिम CAT 2024 उत्तर कुंजी जारी की। आधिकारिक CAT उत्तर कुंजी 2024 के खिलाफ लगभग 405 आपत्तियाँ उठाई गईं, लेकिन उनमें से किसी को भी वैध नहीं माना गया।

नवीनतम शैक्षणिक घटनाओं के बारे में अपडेट रहना बस एक क्लिक दूर हैमोबाइल नंबर दर्ज करेंअभी पंजीकरण करें

CAT 2024 परिणाम कैसे डाउनलोड करें?

CAT  2024 का परिणाम केवल ऑनलाइन मोड में जारी किया गया है। हालाँकि, कुछ उम्मीदवार लॉगिन पेज नहीं देख पा रहे हैं। उम्मीदवारों को CAT परिणाम 2024 डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करना होगा:

  • iimcat.ac.in वेबसाइट पर जाएं
  • होमपेज पर दिए गए ‘स्कोरकार्ड डाउनलोड’ विकल्प पर क्लिक करें
  • लॉगिन करने के लिए CAT 2024 आईडी और पासवर्ड दर्ज करें
  • CAT 2024 स्कोरकार्ड विंडो का पता लगाएँ
  • स्कोरकार्ड को पीडीएफ के रूप में डाउनलोड करें

CAT 2024 परिणाम डेटा

आईआईएम कलकत्ता द्वारा आज जारी किए गए कैट 2024 परिणाम डेटा नीचे देखें। 

CAT 2023 परिणाम टॉपर सूची (पिछले वर्ष)

सुविधा के लिए हमने पिछले साल के CAT परीक्षा के टॉपर्स की सूची साझा की है। टॉपर का नाम और उनके द्वारा प्राप्त अंक देखें। 

कैट टॉपर का नामकैट टॉपर स्कोर
निशाकर कुमार99.83
श्रीमंत सिंगी99.28
ऋतिक शर्मा98.27
कैट टॉपर्सलिंग और 
अनुशासन
राज्य
100
प्रतिशतक 14 – संख्या 
महिला – 1
 पुरुष – 13
 इंजीनियरिंग – 13
 नॉन-इंजीनियरिंग – 1
आंध्र प्रदेश 1
दिल्ली 2
हरियाणा 1
केरल 1
महाराष्ट्र 5
ओडिशा 1
राजस्थान 1
तेलंगाना 2
99.99
प्रतिशत 29 – संख्या
महिला – 2
 पुरुष – 27
 इंजीनियरिंग – 25
 नॉन-इंजीनियरिंग – 4
चंडीगढ़ 1
दिल्ली 4
गुजरात 2
हरियाणा 1
कर्नाटक 3
केरल 1
मध्य प्रदेश 1
महाराष्ट्र 5
ओडिशा 1
पंजाब 1 राजस्थान
3
तमिलनाडु 1 तेलंगाना
1
उत्तर प्रदेश 1
उत्तराखंड 1
पश्चिम बंगाल 2
99.98
प्रतिशत 30-संख्या
महिला – 1
पुरुष – 29
 इंजीनियरिंग – 20
 नॉन-इंजीनियरिंग -10
बिहार 1
दिल्ली 2
गुजरात 2
हरियाणा 4
कर्नाटक 4
मध्य प्रदेश
3 महाराष्ट्र 3
तमिलनाडु 2
तेलंगाना 3
उत्तर प्रदेश 2
पश्चिम बंगाल 4

आईआईएम कैट कट ऑफ 2024

कैट 2024 कट ऑफ जनवरी 2025 में पीआई शॉर्टलिस्टिंग के समय जारी की जाएगी। यहां देखें अपेक्षित आईआईएम कट ऑफ 2024: 

आईआईएमअपेक्षित CAT कटऑफ 2024 (प्रतिशत)
आईआईएम अहमदाबाद99-100
आईआईएम बैंगलोर99-100
आईआईएम कलकत्ता99
आईआईएम लखनऊ97-99
आईआईएम इंदौर97-99
आईआईएम कोझिकोड97-98
आईआईएम अमृतसर95-96
आईआईएम नागपुर95-96
आईआईएम संबलपुर95-96
आईआईएम त्रिची94-95
आईआईएम रायपुर94-95
आईआईएम रांची94-95
आईआईएम काशीपुर94-95
आईआईएम विजाग92-94
आईआईएम उदयपुर92-94
आईआईएम बोधगया92-94
आईआईएम शिलांग90-94
आईआईएम सिरमौर90-94
आईआईएम रोहतक95-97
आईआईएम नागपुर90-94
आईआईएम जम्मू90-94
आईआईएम मुंबई90-94

CAT 2024 परिणाम देखने के लिए सीधा लिंक

उम्मीदवार CAT 2024 स्कोरकार्ड डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए सीधे लिंक की जांच कर सकते हैं

CAT 2024 स्कोर कार्ड आधिकारिक लिंक

CAT परिणाम 2024 (लिंक आउट) – अब चेक करें अपना स्कोर!

CAT 2024 के परिणाम घोषित कर दिए गए हैं! उम्मीदवार अब आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपना स्कोरकार्ड देख सकते हैं।

यहां बताया गया है कि आप अपना CAT परिणाम कैसे देख सकते हैं:

  1. आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: CAT की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
  2. लॉगिन करें: अपने लॉगिन क्रेडेंशियल्स (रजिस्ट्रेशन नंबर और पासवर्ड) का उपयोग करके लॉगिन करें।
  3. परिणाम देखें: अपना स्कोरकार्ड डाउनलोड करें और प्रिंट आउट लें।

CAT 2024 के परिणामों का विश्लेषण:

  • कट-ऑफ: कट-ऑफ मार्क्स आमतौर पर बाद में घोषित किए जाते हैं।
  • आईएमआई प्रवेश प्रक्रिया: CAT स्कोर के आधार पर आईएमआई द्वारा शॉर्टलिस्टिंग की जाएगी। इसके बाद ग्रुप डिस्कशन (GD), ग्रुप एक्सरसाइज (GE) और पर्सनल इंटरव्यू (PI) के दौर होंगे।

अगला कदम:

  • आईएमआई प्रवेश प्रक्रिया के लिए तैयारी करें: GD-PI राउंड के लिए अच्छी तरह से तैयारी करें।
  • अन्य MBA परीक्षाओं पर ध्यान दें: यदि आपने अन्य MBA परीक्षाओं के लिए भी आवेदन किया है, तो उनकी तैयारी जारी रखें।

ध्यान दें: यह एक संक्षिप्त ब्लॉग पोस्ट है। अधिक जानकारी के लिए, कृपया आधिकारिक CAT वेबसाइट देखें।

अस्वीकरण: यह जानकारी केवल सूचना के उद्देश्य से है। कृपया आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करें।

CAT परिणाम सह स्कोरकार्ड 2024 में उल्लिखित विवरण

CAT स्कोरकार्ड डाउनलोड करने योग्य PDF के रूप में उपलब्ध है। इसमें निम्नलिखित जानकारी शामिल है:

– पंजीकरण संख्या या उपयोगकर्ता आईडी

– उम्मीदवार का नाम, जन्मतिथि, श्रेणी और लिंग

– परीक्षा की तिथि, सत्र और समय

– उम्मीदवार का संपर्क विवरण और ईमेल पता

– समग्र CAT स्केल्ड स्कोर

– सेक्शन-वार CAT स्कोर

– सेक्शन-वार CAT प्रतिशत अंक

– समग्र CAT प्रतिशत स्कोर

और पढ़ें: CAT कटऑफ – IIM और अन्य शीर्ष MBA कॉलेजों के लिए CAT परीक्षा कटऑफ

CAT पर्सेंटाइल की गणना कैसे की जाती है?

CAT परीक्षा में, आपका पर्सेंटाइल यह दर्शाता है कि आपने अन्य उम्मीदवारों की तुलना में कैसा प्रदर्शन किया है। यह इस प्रकार काम करता है:

  1. सबसे पहले, आपके कच्चे अंकों की गणना ग्रेडिंग नियमों के आधार पर की जाती है: आपको प्रत्येक सही उत्तर के लिए 3 अंक मिलते हैं, और प्रत्येक गलत उत्तर के लिए आपको 1 अंक का नुकसान होता है। यदि आप किसी ऐसे प्रश्न का उत्तर देते हैं जो बहुविकल्पीय नहीं है, तो आपको गलत उत्तर के लिए कोई अंक नहीं खोना पड़ेगा।

अधिक पढ़ें –  अपनी CAT उत्तर कुंजी और प्रतिक्रिया पत्रक डाउनलोड करने के लिए सीधा लिंक यहां देखें

  1. आपके रॉ स्कोर का पता लगने के बाद, अगला चरण आपके पर्सेंटाइल की गणना करना है। इसमें कुछ मुख्य चरण शामिल हैं:

   – आपको इस आधार पर अंक मिलते हैं कि आपने कितने प्रश्न सही या गलत किए।

   – आपके कुल स्कोर की गणना प्रत्येक सही उत्तर के लिए 3 अंक जोड़कर और प्रत्येक गलत उत्तर के लिए 1 अंक घटाकर की जाती है।

   – प्रत्येक अनुभाग के स्कोर और आपके समग्र स्कोर को एक स्केल स्कोर बनाने के लिए समायोजित किया जाता है।

   – अंत में, इन समायोजित अंकों को प्रतिशत में बदल दिया जाता है, जिसे आप अपने CAT स्कोरकार्ड पर देखेंगे।

संक्षेप में, प्रतिशत रैंक यह दर्शाता है कि आप अपने प्रदर्शन के आधार पर सभी परीक्षार्थियों के बीच कहां खड़े हैं।

और पढ़ें: CAT 2024 विश्लेषण – अपेक्षित कटऑफ, कठिनाई स्तर

CAT सामान्यीकरण प्रक्रिया क्या है?

CAT परीक्षा तीन अलग-अलग सत्रों में आयोजित की जाती है, और प्रत्येक सत्र में अलग-अलग प्रश्न होते हैं। इस वजह से, कुछ सत्र दूसरों की तुलना में आसान या कठिन हो सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी उम्मीदवारों के साथ उचित व्यवहार किया जाए, CAT अधिकारी समान अवसर बनाने के लिए स्कोर समायोजित करते हैं। इस प्रक्रिया को सामान्यीकरण कहा जाता है, और इसमें निम्न कारकों पर विचार किया जाता है:

  1. उच्चतम स्कोर
  2. सबसे कम स्कोर
  3. औसत स्कोर
  4. मध्यमान स्कोर
  5. शीर्ष 10 प्रतिशत
  6. सबसे कम 10 प्रतिशत

CAT परिणाम 2024 के बाद क्या होगा?

CAT के नतीजे घोषित होने के बाद, भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) लिखित योग्यता परीक्षा (WAT) और GDPI राउंड के लिए उम्मीदवारों का चयन करेंगे। प्रत्येक IIM अपना न्यूनतम स्कोर तय करेगा जिसे उम्मीदवारों को पूरा करना होगा। यदि आप इस न्यूनतम से अधिक स्कोर करते हैं, तो आपको IIM की आधिकारिक वेबसाइट पर एक फॉर्म भरना होगा जिसे आपने अपने आवेदन में चुना था।

चयन के लिए विचार किए जाने हेतु इस फॉर्म को अंतिम तिथि तक जमा करना महत्वपूर्ण है। आपका चयन आपके CAT स्कोर और कक्षा 10 और कक्षा 12 में आपके शैक्षणिक प्रदर्शन के आधार पर होगा।

आईआईएम द्वारा जनवरी 2025 में एमबीए/पीजीपी कार्यक्रमों के लिए शॉर्टलिस्ट जारी करने की उम्मीद है। पीआई राउंड मार्च और अप्रैल में होंगे और अंतिम परिणाम मई 2025 तक घोषित किए जाएंगे।

2025-2027 एमबीए/पीजीपी बैच के लिए अंतिम चयन का निर्धारण करने के लिए, आईआईएम कई कारकों पर विचार करेगा, जिसमें आपका कैट स्कोर, शैक्षणिक इतिहास, कार्य अनुभव, शैक्षणिक और लिंग में विविधता, साथ ही डब्ल्यूएटी और पीआई में आपका प्रदर्शन भी शामिल है।

और पढ़ें: CAT स्कोर बनाम पर्सेंटाइल
CAT GDPI की तैयारी करें – CAT GDPI में महारत हासिल करने के लिए 10 टिप्स
भारत में शीर्ष MBA कॉलेज – भारत में सर्वश्रेष्ठ MBA कॉलेजों की पूरी सूची

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न: CAT परिणाम 2024

  1. CAT का परिणाम कब घोषित होगा? 

2024 के लिए CAT परिणाम दिसंबर 2025 के मध्य तक जारी होने की उम्मीद है।

  1. मैं अपना CAT परिणाम कैसे देख सकता हूँ?

आप अपना CAT रिजल्ट आधिकारिक CAT वेबसाइट iimcat.ac.in पर जाकर देख सकते हैं। बस अपनी आईडी और पासवर्ड से लॉग इन करें, फिर अपना स्कोरकार्ड डाउनलोड करें।

  1. मुझे अपना CAT परिणाम जांचने के लिए क्या जानकारी चाहिए?

अपने स्कोरकार्ड तक पहुँचने के लिए, आपको अपने CAT लॉगिन आईडी और पासवर्ड की आवश्यकता होगी। सुनिश्चित करें कि वे आपके पास हों!

  1. CAT स्कोरकार्ड में क्या विवरण शामिल हैं?  

आपके CAT स्कोरकार्ड में आपका नाम, पंजीकरण संख्या, श्रेणी, समग्र स्कोर, अनुभागीय स्कोर और प्रतिशत सहित अन्य महत्वपूर्ण विवरण प्रदर्शित होंगे।

  1. CAT प्रतिशत की गणना कैसे की जाती है? 

आपके पर्सेंटाइल की गणना अन्य उम्मीदवारों की तुलना में आपके प्रदर्शन के आधार पर की जाती है। यह आपके कच्चे अंकों पर विचार करता है, जिन्हें पर्सेंटाइल में बदलने से पहले स्केल किए गए स्कोर बनाने के लिए समायोजित किया जाता है।

  1. CAT परिणामों के लिए सामान्यीकरण प्रक्रिया क्या है? 

सामान्यीकरण का उपयोग इसलिए किया जाता है क्योंकि CAT परीक्षा कई सत्रों में अलग-अलग प्रश्नों के सेट के साथ आयोजित की जाती है। यह प्रक्रिया सभी उम्मीदवारों के प्रदर्शन के आधार पर स्कोर समायोजित करके निष्पक्षता सुनिश्चित करने में मदद करती है।

यदि आपके पास CAT परिणाम या अन्य संबंधित विषयों के बारे में कोई और प्रश्न हों तो बेझिझक पूछें!

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CAT परिणाम 2024 (LINK OUT) अपडेट; स्कोरकार्ड डाउनलोड करें, टॉपर्स की सूची, कट ऑफ देखें

CAT 2024 का रिजल्ट जारी कर दिया गया है। 24 नवंबर को परीक्षा देने वाले उम्मीदवार अपना रिजल्ट iimcat.ac.in वेबसाइट पर देख सकते हैं। CAT रिजल्ट 2024 लाइव अपडेट, डाउनलोड लिंक,

किसानों का रेल रोको आंदोलन: यात्रियों को हो रही है परेशानी, रेलवे ने जारी किया नोटिस, किसानों के विरोध प्रदर्शन से रेल यातायात प्रभावित, जानें अपडेट

Kisan Rail Roko Andolan Latest news: किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने पंजाब के लोगों से आज रेल रोको आंदोलन में शामिल होने की अपील की। उन्होंने पंजाब के सभी

किसानों का रेल रोको आंदोलन: यात्रियों को हो रही है परेशानी, रेलवे ने जारी किया नोटिस, किसानों के विरोध प्रदर्शन से रेल यातायात प्रभावित, जानें अपडेट

Kisan Rail Roko Andolan Latest news: किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने पंजाब के लोगों से आज रेल रोको आंदोलन में शामिल होने की अपील की। उन्होंने पंजाब के सभी 13000 गांवों के लोगों से अनुरोध किया कि वे रेलवे ट्रैक, नजदीकी रेलवे क्रॉसिंग और रेलवे स्टेशनों को दोपहर 12 से 3 बजे तक बंद कर दें।

Rail roko Andolan in Punjab today Kisan andolan all update in Hindi
मोहाली में रेल ट्रेक पर बैठे किसान – फोटो : संवादReactions

विस्तार

पंजाब-हरियाणा की सीमा पर शंभू-खनौरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों के हक में आज पूरे पंजाब में रेलें रोकी गई हैं। हर जिले में किसान दोपहर 12 बजे से रेल पटरियों पर बैठ गए हैं। 

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि जगजीत सिंह डल्लेवाल के आमरण अनशन को 22 दिन पूरे हो चुके हैं, लेकिन केंद्र सरकार अभी तक किसानों से बात नहीं की। मोदी सरकार किसानों के मुद्दों को डीरेल करना चाहती है।

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पंधेर ने कहा कि कुछ मीडिया वालों की तरफ से किसानों की दोनों यूनियनों को अलग-अलग बताया जा रहा है, जोकि सरासर झूठी अफवाहें फैला रहे हैं। किसान एकजुट हैं और मिलकर लड़ाई लड़ रहे हैं। पंधेर ने आरोप लगाया कि विपक्ष किसानों की आवाज संसद में नहीं उठा रहा है, जिससे किसानों की समस्याएं अनसुनी हो रही हैं। पंधेर ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी सवाल उठाया और पूछा कि वे किसानों के लिए क्या कर रहे हैं?

पंजाब में आज यहां रोकी जाएंगी ट्रेनें

  • जिला मोगा का जितवाल, डगरू, मोगा स्टेशन
  • जिला फरीदकोट का फरीदकोट स्टेशन
  • जिला गुरदासपुर का प्लेटफॉर्म कादियां, फतेहगढ़ चूड़ियां, बटाला प्लेटफॉर्म
  • जिला जालंधर का लोहियां खास, फिल्लौर, जालंधर कैंट, ढिल्लवां
  • जिला पठानकोट का परमानंद प्लेटफॉर्म
  • जिला होशियारपुर का टांडा, दसूहा, होशियारपुर प्लेटफॉर्म, मडियाला और माहिलपुर
  • जिला फिरोज़पुर का मखू, मलां वाला, तलवंडी भाई, बस्ती टैंकां वाली, जगराांव
  • जिला लुधियाना का साहनेवाल
  • जिला पटियाला कारेलवे स्टेशन पटियाला, शंभू स्टेशन
  • जिला मोहाली का रेलवे स्टेशन फेस 11 मोहाली
  • जिला संगरूर का सुनाम
  • जिला मलैरकोटला का अहमदगढ़
  • जिला मानसा का मानसा मेन, बरेटा
  • जिला रूपनगर का रेलवे स्टेशन रूपनगर
  • जिला अमृतसर का देवीदासपुरा, ब्यास, पंधेर कलां, काठू नंगल, रमदास, जहानगीर, झंडे
  • जिला फाजिल्का का रेलवे स्टेशन फाजिल्का
  • जिला तरनतारन का पट्टी, खेमकरण, रेलवे स्टेशन तरनतारन
  • जिला नवांशहर का बहराम
  • जिला बठिंडा का रामपुरा
  • जिला कपूरथला का हमीरा, सुल्तानपुर, लोदी और फगवाड़ा
  • जिला मुक्तसर का मलोट

कमेटी की ओर से बुलाई बैठक में जाने से किसानों का इनकार

शंभू बार्डर खोलने को लेकर किसानों से सीधी वार्ता करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से बनाई कमेटी के साथ बैठक करने से किसानों ने साफ इनकार कर दिया है। कमेटी की ओर से बुधवार को बैठक बुलाई गई थी। कमेटी को भेजे पत्र में किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने लिखा है कि पहले से ही अंदेशा था कि कमेटियां सिर्फ खानापूर्ति के लिए बनाई जाती हैं। बावजूद इसके आप सभी का सम्मान करते हुए किसानों का प्रतिनिधिमंडल चार नवंबर को कमेटी के मेंबरों से मिला। लेकिन इतनी गंभीर स्थिति होने के बावजूद कमेटी अब तक शंभू व खनाैरी बार्डरों पर जाने का समय नहीं निकाल सकी। इतनी देरी के बाद कमेटी सक्रिय हो सकी है, यह देखकर काफी दुख हो रहा है। क्या कमेटी उनकी मृत्यु का इंतजार कर रही थी। अपनी मेडिकल स्थिति व शंभू बार्डर पर दिल्ली कूच करने के समय घायल किसानों की हालत को देखते हुए दोनों मोर्चों ने फैसला लिया है कि किसान कमेटी के साथ बैठक करने में असमर्थ हैं। अब किसानों की ओर से अपनी मांगों को लेकर केवल केंद्र सरकार के साथ ही सीधी बातचीत की जाएगी।

पंजाब में सर्वाधिक MSP फिर भी असंतोष, क्या किसान आंदोलन राजनीति से है प्रेरित?

Farmers Protest Inside Story: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले किसान एक बार फिर सड़क पर उतरे हैं। पंजाब के कुछ किसान संगठनों ने 13 फरवरी से ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन शुरू किया। उनकी डिमांड एमएसपी कानून और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की है। हालांकि, आंदोलन की टाइमिंग समेत कई ऐसे मुद्दे हैं जिससे सवाल उठ रहा कि कहीं ये प्रोटेस्ट राजनीति से प्रेरित तो नहीं।

हाइलाइट्स

  • किसानों के आंदोलन को लेकर उठ रहे सवाल
  • क्या राजनीति से प्रेरित है किसानों का ये प्रदर्शन
  • पंजाब के किसानों को मिला सबसे ज्यादा MSP
  • फिर भी आंदोलन के लिए सड़क पर उतरे किसान
kisan

नई दिल्ली : पंजाब और हरियाणा के कुछ किसान संगठन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी वाले कानून की मांग को लेकर केंद्र के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि पंजाब के किसानों को धान और गेहूं की फसल के लिए उनकी उत्पादन लागत पर सबसे अधिक रिटर्न मिलता है? सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले सीजन में पंजाब में धान की 99 फीसदी फसल और गेहूं की 74 फीसदी फसल की खरीद एमएसपी पर की गई थी। पंजाब में चावल की सरकारी खरीद देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक 12.3 मिलियन टन थी। यानी देश के सभी राज्यों से चावल की खरीद में सबसे ज्यादा 22 फीसदी की हिस्सेदारी पंजाब की थी जबकि पंजाब का देश में चावल उत्पादन में हिस्सेदारी 10 प्रतिशत है। वहीं 2023-24 पंजाब में एमएसपी पर गेहूं की खरीद देश में सबसे अधिक लगभग 40 फीसदी था। इस नए सीजन में पंजाब में गेहूं की खरीद भी 25 प्रतिशत बढ़ी है।

इसलिए उठ रहे किसान आंदोलन पर सवाल

सरकारी रिपोर्ट की मानें तो पंजाब के किसानों के लिए फसलों का एमएसपी रिटर्न देश में सबसे अच्छा है। एमएसपी पर फसलों के रिटर्न की गणना तीन मापदंडों पर की जाती है। एक तो उत्पादन की कुल लागत (जीवीओ), ए2 जो फसल की वृद्धि, उत्पादन और रखरखाव के साथ रसायन, उर्वरक, बीज और श्रमिक के खर्च को दर्शाता है। इसके साथ ही ए2+एफएल में वास्तविक और इसकी ढुलाई से लेकर हर तरह की लागत शामिल होती है। इन तीनों के योग पर एमएसपी की गणना की जाती है।

पंजाब में किसानों को सबसे ज्यादा MSP

धान के एमएसपी पर खरीद के मामले में पंजाब इन तीनों मामलों में शीर्ष पर है। ऐसे में धान की खेती में पंजाब के लिए उच्चतम उत्पादन की कुल लागत 1,36,636 रुपये प्रति हेक्टेयर है। पंजाब में मूंग का जीवीओ सबसे अधिक 1,02,047 रुपये प्रति हेक्टेयर था। कपास में भी जीवीओ पंजाब में 1,42,239 रुपये प्रति हेक्टेयर सबसे अधिक था। वहीं धान की खेती में ए2 और ए2+एफएल प्रति हेक्टेयर की लागत पर रिटर्न पंजाब के लिए सबसे अधिक 88,287 रुपये और 82,037 रुपये था। मूंग में भी यही हाल है जहां ए2 और ए2+एफएल प्रति हेक्टेयर रिटर्न पंजाब के लिए क्रमशः 75,256 रुपये और 72,719 रुपये।

कपास के मामले में ए2 और ए2+एफएल प्रति हेक्टेयर लागत पर रिटर्न पंजाब में 89,474 रुपये और 81,582 रुपये था, जो सबसे अधिक था। एक अन्य एमएसपी पैमाने पर नजर डालें तो अनुमानित सीओपी ए+एफएल पर पंजाब में धान और गेहूं दोनों के लिए एमएसपी मार्जिन सबसे अधिक है। सरकारी रिपोर्ट की मानें तो पंजाब में अनुमानित सीओपी ए+एफएल की तुलना में सबसे अधिक एमएसपी मार्जिन धान पर (173.5 फीसदी) के साथ-साथ गेहूं पर (152.6 फीसदी) था। गेहूं के लिए सबसे अधिक जीवीओ हरियाणा के बाद पंजाब में 1,01,905 रुपये प्रति हेक्टेयर है।

आंदोलन की टाइमिंग को लेकर भी सवाल

देश के शीर्ष पांच गेहूं उत्पादक राज्यों में से, पंजाब और हरियाणा का रिटर्न पूरे देश में औसत से अधिक था। पंजाब में प्रति किसान धान की खरीद का औसत देखा जाए तो यह 11.9 टन है, जो देश में सबसे अधिक है। पिछले सीजन में पंजाब से एमएसपी पर लगभग 184 लाख टन धान की खरीद की गई थी, जो पंजाब में कुल किसानों के अनुपात पर देखा जाए तो इसमें लाभार्थी किसानों की हिस्सेदारी भी 100 प्रतिशत से अधिक थी। वहीं अभी चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन के मुख्य नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल को यह कहते भी सुना गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘ग्राफ को नीचे लाने’ के लिए यह विरोध प्रदर्शन हो रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के बाद से पीएम मोदी की लोकप्रियता का ग्राफ काफी ऊपर है।

हरियाणा-यूपी के किसान संघ शामिल नहीं!

ऐसे में अब इस किसानों के विरोध प्रदर्शन को लेकर सवाल उठ रहा है कि क्या मौजूदा विरोध प्रदर्शन को आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का मौन राजनीतिक समर्थन प्राप्त है? अभी जो किसान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने सड़कों पर उतरे हैं, उनमें मुख्य रूप से पंजाब के किसान शामिल हैं। इसमें हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान संघ शामिल नहीं हैं, जो 2020 में इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थे। गुरनाम सिंह चारुनी और बलबीर सिंह राजेवाल जैसे किसान संघ के नेता इसमें शामिल नहीं हैं।

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आंदोलन

पंजाब और दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के राजधानी में प्रवेश करने और विरोध करने के इरादों का समर्थन कर रही है। लेकिन, प्रदर्शनकारी किसानों को पंजाब में रोकने या बवाना स्टेडियम को अस्थायी जेल में बदलने के केंद्र के अनुरोध को ठुकरा दिया। बीजेपी की तरफ से कहा जा रहा है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दोनों पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए किसानों के साथ आकर खड़ी हो गई है। जिससे लोकसभा चुनाव में उनको इन सीटों पर फायदा मिल सके और यहां पंजाब में अकाली दल और भाजपा को इन 13 सीटों पर नुकसान हो।

आम आदमी पार्टी तो पंजाब में अपनी लोकसभा सीटों को भी बढ़ाने की मंशा के तहत यह कर रही है। आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को ईडी का समन मिल रहा है और उन्हें अदालत और ईडी दोनों ने तलब किया है। वहीं बीजेपी नेताओं का कहना है कि पंजाब के किसानों के पास इस विरोध प्रदर्शन के लिए कोई वजह नहीं है, जबकि उन्हें स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों से भी बेहतर लाभ मिल रहा है। ऐसे में क्या इस विरोध प्रदर्शन के लोकसभा चुनाव से पहले राजनीतिक मायने हैं? सवाल तो यही उठ रहा है।

पंजाब के आंदोलन से हरियाणा के किसानों ने क्यों किया किनारा? पढ़िए शंभू बॉर्डर का पूरा घटनाक्रम

हरियाणा के किसान संगठनों ने पंजाब के किसानों के दिल्ली कूच से किनारा कर लिया है। भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) भारतीय किसान यूनियन संयुक्त किसान मोर्चा ने भी दूरी बना ली है। इधर सोनीपत में भी 20 गांवों के सरपंच दिल्ली कूच के विरोध में उतर आए। शंभू बॉर्डर पर किसान और हरियाणा पुलिस व अर्ध सैनिक बल के जवानों के बीच तनातनी देखने को मिली।

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किसानों की मांगों का समर्थन, लेकिन आंदोलन से किया किनारा।

किसानों की मांगों का समर्थन, लेकिन आंदोलन से किया किनारा।

  1. सोनीपत में 20 गांवों के सरपंच बोले- नहीं लगाने देंगे टेंट, जबरदस्ती की तो करेंगे विरोध।
  2. पंजाब बॉर्डर से सटे हरियाणा के गांवों के किसान नहीं शामिल हुए दिल्ली कूच में।

जागरण टीम, अंबाला/हिसार। शंभू बॉर्डर पर दिल्ली कूच के लिए निकले पंजाब के किसानों को हरियाणा के किसान संगठनों ने किनारा कर लिया है। किसान नेताओं का कहना है कि मांगों का समर्थन करते हैं लेकिन आंदोलन में साथ नहीं है। भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी), भारतीय किसान यूनियन, संयुक्त किसान मोर्चा ने भी दूरी बना ली।

इधर, सोनीपत में भी 20 गांवों के सरपंच दिल्ली कूच के विरोध में उतर आए। उनका कहना था कि किसी भी हालत में किसानों को हरियाणा में टेंट नहीं लगाने देंगे। वहीं, शंभू बॉर्डर पर किसान और हरियाणा पुलिस व अर्ध सैनिक बल के जवानों के बीच तनातनी से हरियाणा सीमाओं पर नाकाबंदी कर दी गई। इससे राहगीरों को परेशानी हुई। अंबाला के 11 गांवों में इंटरनेट सेवा बंद होने से लोग परेशान रहे।

किसान की मांगों का समर्थन, आंदोलन से दूरी

भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के दिल्ली कूच को लेकर शुरू किए गए आंदोलन से अलग हैं। इस आंदोलन में शामिल किसान संगठनों ने उन्हें इसमें शामिल नहीं किया है।

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हालांकि वह इन किसानों की ओर से उठाई जा रही किसान हित की मांगों का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि इन किसानों से बातचीत करे और बातचीत से इसका हल निकाला जाए। इधर, किसान सभा भी दिल्ली कूच में शामिल नहीं हुई।

किसान सभा हिसार के जिला प्रधान शमशेर सिंह नंबरदार ने कहा कि किसानों की मांगों का समर्थन करते हैं लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा से अभी दिल्ली कूच के लिए कोई नहीं गया। वहीं, टीकरी बॉर्डर को सील करने के लिए तैयारी हो गई।

यदि किसान यहां तक आते हैं तो उन्हें आगे जाने से रोकने के लिए इंतजाम किए हैं। दिल्ली पुलिस की ओर से कंटेनर, बैरिकेड्स, मिट्टी की बोरियां सब जुटा ली गईं। ओवरहेड पर लाउड स्पीकर लगा दिए गए।

दिन भर पुलिस के तंबू लगते रहे। अभी यहां कोई तैनाती नहीं है। किसानों के जत्थे हरियाणा में प्रवेश करते ही टीकरी बॉर्डर को सील कर दिया जाएगा। टीकरी बॉर्डर पर ही हरियाणा पुलिस भी निगरानी कर रही है।

कांग्रेसी सांसद ने संसद भवन परिसर में किया प्रदर्शन

हरियाणा के कांग्रेस सांसदों ने शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित संसद भवन के परिसर में किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। कांग्रेस सांसद हाथों में तख्तियां लिए हुए थे और नारों के माध्यम से केंद्र सरकार से आग्रह कर रहे थे कि आंदोलनकारी किसानों से बातचीत की जाए।

सांसदों का कहना था कि किसान अपनी बात कहने के लिए दिल्ली जाना चाहते हैं। पहले उन्हें ट्रैक्टर-ट्रालियों से जाने से रोका गया, लेकिन अब किसान पैदल दिल्ली कूच करना चाह रहे हैं, मगर सरकार ने उन्हें जाने से रोक दिया। यह लोकतंत्र नहीं है।

नई दिल्ली स्थित संसद के परिसर में रोहतक के सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा, अंबाला के सांसद वरुण मुलाना, हिसार के सांसद जयप्रकाश जेपी और सोनीपत के सांसद सतपाल ब्रह्मचारी ने प्रदर्शन करते हुए केंद्र सरकार पर किसानों से बातचीत करने का दबाव बनाया।

सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा इन प्रदर्शनकारी सांसदों के साथ नजर नहीं आई, हालांकि सहारनपुर के सांसद इमरान मसूद जरूर कांग्रेस के चारों सांसदों के साथ किसानों के समर्थन में नारे लगाते हुए देखे गए। हरियाणा के कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं।

वे भी इस प्रदर्शन के दौरान मौजूद नहीं थे। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिल्ली में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का वादा कर आंदोलन खत्म कराया था, लंबे समय के इंतजार के बाद भी किसानों को एमएसपी की गारंटी नहीं दी जा रही है।

दिल्ली में जंतर मंतर पर देश भर से लोग अपनी बात सरकार तक पहुंचाने के लिए आंदोलन करने आते हैं।

नायब सैनी ने भगवंत मान को दी सलाह

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि शंभू बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन में हरियाणा के नहीं, बल्कि पंजाब के किसान ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा के किसानों के लिए हमारी सरकार बहुत कुछ कर रही है। राज्य के किसानों की सौ प्रतिशत फसलें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी जा रही हैं।

नायब सैनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को सलाह दी कि वे अपने राज्य के किसानों की समस्याओं का समाधान करें। उन्हें हरियाणा की तरह एमएसपी दें व धरना स्थल पर किसानों के बीच जाकर उनकी बात को सुनें।

मुख्यमंत्री नायब सैनी ने चंडीगढ़ में प्रशासनिक बैठकों के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि हरियाणा सरकार किसानों के लिए बहुत कुछ कर रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फसलों पर एमएसपी बढ़ाई है।

कांग्रेस सरकार पांच रुपये क्विंटल एमएसपी बढ़ाती थी, लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने इसे सैकड़ों रुपये में बढ़ाया है। कांग्रेस व आम आदमी पार्टी को यह शोभा नहीं देता कि वे अपने राजनीतिक फायदे के लिए किसानों के कंधों का इस्तेमाल करें। हरियाणा सरकार किसानों को निरंतर मजबूत कर रही है।

यह भी लगाए आरोप

नायब सैनी ने कहा कि किसी भी राज्य में किसानों के खराब हालात के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। विपक्ष के सांसद तख्तियां तो उठा रहे हैं, लेकिन उनको उन तख्तियों पर अपने कार्यकाल की भी जानकारी देनी चाहिए थी कि जब वे राज में थे, तब किसानों पर किस तरह से अत्याचार किया करते थे और किस तरह से एक से दो रुपये तक फसल खराबे के मुआवजे के रूप में देते थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को बताना चाहिए कि उनकी सरकार के दौरान किसानों का कितना सुधार हुआ है।

‘दिल्ली कूच के आंदोलन से मोर्चा का सीधा संबंध नहीं’

भारतीय किसान यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष जोगेंद्र नैन ने कहा कि पंजाब के किसानों के दिल्ली जाने के आंदोलन से वैसे तो संयुक्त किसान मोर्चे का सीधा संबंध नहीं है, लेकिन किसान की इस लड़ाई में सबकी मांगें साझी हैं।

आंदोलन को लेकर संयुक्त किसान मोर्चे की राष्ट्रीय स्तर की वीडियो कांफ्रेस में आगामी रणनीति के में बारे विचार-विमर्श किया जाएगा। उस समय तक पंजाब के किसानों के दिल्ली कूच और सरकार की कार्रवाई के निचोड़ का भी पता लग जाएगा।

किसानों की मांगों का समर्थन, लेकिन आंदोलन से किया किनारा।

दातासिंह वाला बॉर्डर पर शांति

दातासिंहवाला बॉर्डर पर शांति है। किसानों के पैदल कूच के फैसले को देखते हुए बॉर्डर पुलिस व अर्धसैनिक बल तैनात है। दिल्ली-पटियाला मार्ग पर बैरिकेडिंग की गई है। पंजाब की तरफ से हरियाणा आने के लिए उझाना गांव में रास्ता है। यहां भी पुलिस तैनात है।

नरवाना में सिरसा ब्रांच जींद रोड पर भी नाका लगाया गया है। अब दातासिंहवाला बॉर्डर के अलावा दो अन्य जगह नाकेबंदी की हुई है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि पहले किसानों को पैदल जाने के लिए कहा जा रहा था, अब इससे भी रोका जा रहा है। किसानों का सिर्फ शंभू बॉर्डर से ही आगे बढ़ने का कार्यक्रम है।

आंदोलनकारी किसानों को जीटी रोड पर नहीं लगाने देंगे टेंट

राई ब्लाक के सरपंचों, कुंडली नपा पार्षदों और ब्लाक समिति के पदाधिकारियों ने आंदोलनकारी किसानों के विरोध का फैसला लिया है।राई स्थित पीडब्ल्यूडी विश्राम गृह में संयुक्त बैठक में सरपंचों ने स्पष्ट किया कि आंदोलनकारी अगर दिल्ली में प्रवेश नहीं कर पाए तो उन्हें कुंडली में टेंट लगाकर बैठने नहीं दिया जाएगा और उनसे वापस लौटने का आग्रह करेंगे।अगर किसी किसान संगठन के पदाधिकारी जबरदस्ती बैठने का प्रयास करेंगे तो सरपंचों की अगुवाई में ग्रामीण एकजुट होकर आंदोलनकारियों को हटाने का काम करेंगे।ब्लाक सरपंच एसोसिएशन प्रधान बिल्लू, नवीन के पदाधिकारियों ने दैनिक जागरण को बताया कि पिछली बार दिल्ली पुलिस की ओर से किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोक दिया था। इसके बाद किसान कुंडली बॉर्डर पर बैठ गए थे, जिससे क्षेत्र में काम धंधे सब ठप हो गए थे।

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