पीथमपुर के जहरीले कचरे पर MP हाई कोर्ट का सख्त आदेश, SC ने मामले की सुनवाई से किया इंकार

Bhopal Gas Disaster Toxic Waste in Pithampur: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने हाई कोर्ट में पेश किया शपथ पत्र, यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा पीथमपुर में जलेगा या नहीं इस पर कोर्ट ने दिया अहम फैसला, यहां पढ़ें पूरी खबर

bhopal gas disaster toxic waste in pithampur: मध्य प्रदेश के पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी का जहरीला कचरा जलाने को लेकर एमपी हाई कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। हाई कोर्ट का कहना है कि जब तक सभी पक्ष सहमत नहीं होंगे, तब तक यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने की प्रक्रिया नहीं की जाएगी।

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बता दें कि पीथमपुर में कचरा जलाने को लेकर मध्य प्रदेश सरकार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा और कचरे को जलाने की प्रक्रिया रोकनी पड़ी। मामले को लेकर सोमवार की सुबह राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र पेश किया गया। शपथ पत्र पर हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए पीथमपुर में फिलहाल कचरा जलाने पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट का कहना है कि जब तक सभी पक्ष एक राय नहीं होंगे या अपनी सहमति नहीं देंगे तब तक यूनियन कार्बाइड का कचरा नहीं जलाया जाएगा।

गौरतलब है कि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 3 दिसंबर 2024 को आदेश दिया था कि इस रासायनिक कचरे को वैज्ञानिक विधि से नष्ट किया जाए। आज सोमवार 6 जनवरी को इस मामले में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर में मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैथ की पीठ में सुनवाई हुई है।

वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने दिया सुझाव

वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने कहा कि सरकार को जनता को साथ लेकर चलना पड़ेगा  उनकी भावनाओं को समझना पड़ेगा और हर जानकारी जनता को देनी होगी । उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार चाहे तो कुछ क्वांटिटी में टेस्ट कर सकती है।  इस पर सरकार की ओर से कहा गया कि मीडिया भ्रामक जानकारी दे रही है। उसके चलते भारी जन विरोध है पीथमपुर में।

Union carbide waste in pithampur

मोहन सरकार ने पेश किया शपथ पत्र

राज्य सरकार की ओर से मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने हाई कोर्ट में शपथ पत्र पेश किया। इस शपथ पत्र में जानकारी दी गई कि हाई कोर्ट के आदेशानुसार राज्य सरकार ने ग्रीन कॉरिडोर बनाकर पुलिस, डॉक्टर और प्रशिक्षित लोगों की टीम की निगरानी में कचरे को कंटेनर्स में पैक कर पीथमपुर पहुंचाया है। लेकिन रासायनिक कचरे को नष्ट किया जाता इससे पहले ही पीथमपुर के आसपास जनता ने कानून व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश की। इसकी वजह कुछ फर्जी अफवाहें और खबरें रहीं।

जनता को शांत करने मांगा 6 सप्ताह का समय

वहीं महाधिवक्ता शशांक सिंह ने हाई कोर्ट से प्रार्थना की कि राज्य सरकार पीथमपुर में जनता को शांत करने और समझाइश के लिए 6 सप्ताह का समय चाहती है। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार की इस अर्जी को स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को जनता को समझाइश देकर शांत करने के लिए 6 सप्ताह का समय दे दिया है। मामले पर अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी।

कंटेनर खाली करने की भी मिली अनुमति

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा कि, अभी यह रासायनिक कचरा 12 कंटेनरों में भर कर रखा हुआ है। लेकिन इसे बहुत दिनों तक कंटेनर में नहीं रखा जा सकता। ऐसे में इन कंटेनरों को फैक्ट्री स्टोरेज में खाली करने की अनुमति दी जाए। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को इसके लिए भी अनुमति दे दी है।

MP High Court on Pithampur Case

वहीं इंदौर हाईकोर्ट बैंच में दाखिल याचिका पर डॉक्टर्स के बताए गए अहम बिंदुओं पर ध्यान रखने का सुझाव दिया। तो एक अन्य याचिका सूचीबद्घ नहीं हो सकी। इस पर आगामी दिनों में सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से किया इनकार

यूनियन कार्बाइड का कचरा नष्ट करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने कहा कि यह मामला जब हाईकोर्ट में पहले से चल रहा है, तो हम इसे जनहित याचिका के रूप में नहीं सुन सकते।

अगर याचिकाकर्ता हाई कोर्ट के किसी आदेश से प्रभावित है तो वह उसे चुनौती दे सकता है। यदि ऐसा नहीं है तो वह आपनी बात हाईकोर्ट के समक्ष रख सकता है। इसके बाद इंदौर के याचिकाकर्ता विनय मिश्रा ने पीथमपुर में रासायनिक कचरा जलाने को लेकर दी याचिका वापस ले ली। इस याचिका में पीथमपुर में जहरीला कचरा जलाने पर रोक की मांग की गई थी। कहा गया कि इस फैसले से पहले पीथमपुर के लोगों से सलाह नहीं ली गई। रेडिएशन का खतरा हो सकता है, यहां मेडिकल फैसिलिटी भी नहीं है।

तीन स्टेप में पूरी होगी प्रक्रिया

भोपाल गैस पीड़ित संघ के वकील सीनियर एडवोकेट नमन नागरथ के मुताबिक हाई कोर्ट ने यूनियन कार्बाइड के रासायनिक कचरे को जलाने की प्रक्रिया के लिए तीन चरण तय किए थे। पहले चरण में रासायनिक कचरे को इंसुलेटर में जलाकर नष्ट करना, दूसरे चरण में फैक्ट्री डिसमेंटल करना और तीसरे चरण में जमीन के अंदर हुए नुकसान को ठीक करने की प्रक्रिया शामिल थी। पहले चरण के तहत भोपाल गैस त्रासदी का रासायनिक कचरा भोपाल से पीथमपुर पहुंचाया गया है।

MP high court

कड़ी सुरक्षा में रामकी फैक्ट्री

बता दें कि सुनवाई के दौरान पीथमपुर स्थित रामकी एनवायरो फैक्ट्री के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई। तारापुरा गांव में दो अस्थायी पुलिस चौकियां बनाई गई हैं। पुलिस गश्त लगातार की जा रही है। यहां वज्र वाहन और फायर फाइटर भी अलर्ट मोड पर हैं।

तीन दिन तक भड़की हिंसा

बता दें कि पीथमपुर में भोपाल गैस त्रासदी का कचरा जलाने को लेकर तीन दिन तक हिंसक प्रदर्शन का माहौल बना रहा। जिसे देखते हुए सरकार को पीछे हटना पड़ा। पहले से ही विरोध के बावजूद राज्य सरकार ने कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री परिसर से करीब 358 मीट्रिक टन जहरीला कचरा हाई कोर्ट गाइड लाइन को फॉलो करते हुए 12 कंटेनर में भरकर पीथमपुर भेजा गया। यह पूरा घटनाक्रम 1 जनवरी का है।

यहां तारापुर स्थित रामकी एनवायरो फैक्ट्री में इस कचरे को जलाया जाना है। लेकिन जहरीले कचरे को नष्ट करने के खिलाफ स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए। शहर बंद कर दिया गया। आत्मदाह की कोशिश में दो युवक झुलस गए। तो वहीं तीसरे दिन 4 जनवरी शनिवार को रामको एनवायरो फैक्ट्री पर पथराव किया गया। इस दौरान वहां खड़े पुलिस बल ने पथराव कर रही भीड़ को खदेड़ा। पथराव से पुलिस वाहनों के कांच टूट गए। प्रदर्शन करने वाले 100 से ज्यादा लोगों पर मामला दर्ज किय गया। पुलिस ने तीन FIR दर्ज की थीं। इस बीच फैक्ट्री के पास रहने वाले लोगों के घर खाली कर गांव छोड़कर जाने की खबरे भी आईं कि कचरा जलने की दहशत में लोग तारापुर छोड़कर जा रहे हैं।

सीएस अनुराग जैन ने कहा था जनता को भरोसे में लेकर ही आगे बढ़ेंगे

पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को नष्ट करने के विरोध के बीच सीएस अनुराग जैन ने शनिवार को कहा था कि राज्य सरकार इस मामले में हाई कोर्ट से समय मांगेगी, वर्तमान स्थितियों से अवगत कराएगी। साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि हाई कोर्ट की गाइड लाइन के तहत ही कचरा निष्पादन की आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

NGT पहुंचा विवाद

पीथमपूर में यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने के विरोध का मामला नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (NGT) पहुंच गया। यहां जबलपुर के नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने याचिका दायर की है। इस याचिका में मांग की गई है कि राज्य सरकार शपथ पत्र दे कि जहरीले कचरे के निस्तारण से भूमि, जलवायु और जनता के स्वास्थ्य को नुकसान नहीं होगा।

सीएम ने कहा था, ‘न्यायालय जैसा आदेश देगा, हम उसका पालन करने तत्पर रहेंगे’

बता दें कि पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के कचरे को लेकर जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने राजधानी भोपाल में 3 जनवरी को देर रात इमरजेंसी बैठक आयोजित की थी। सीएम ने तब बताया था कि जनभावनाओं का ध्यान रखा जाएगा। उन्होंने कहा था कि जनभावनाओं का आदर करते हुए हाई कोर्ट के सामने सारी परिस्थितियों को रखा जाएगा, साथ ही व्यावहारिक कठिनाइयों को भी कोर्ट को बताएंगे। उसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिए तत्पर

CM Mohan Yadav

पीथमपुर में जहरीले कचरे का मुद्दा: समस्या और समाधान

मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित औद्योगिक क्षेत्र पीथमपुर में हाल ही में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। भोपाल गैस त्रासदी के बाद से यह कचरा एक गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी चिंता का विषय बना हुआ है। स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस कचरे के निपटान के खिलाफ आवाज उठाई है, जिससे क्षेत्र में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

विरोध की पृष्ठभूमि

भोपाल गैस त्रासदी के दौरान यूनियन कार्बाइड संयंत्र से निकला जहरीला कचरा दशकों से सुरक्षित निपटान की प्रतीक्षा में है। हाल ही में इस कचरे को पीथमपुर में लाकर नष्ट करने की योजना बनाई गई, जिससे स्थानीय समुदाय में आक्रोश फैल गया। लोगों का मानना है कि इस कचरे के निपटान से उनके स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

प्रदर्शन और आत्मदाह के प्रयास

विरोध प्रदर्शन के दौरान स्थिति तब गंभीर हो गई जब दो युवकों ने आत्मदाह का प्रयास किया। स्थानीय पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लाठीचार्ज किया, जिससे तनाव और बढ़ गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे अपने क्षेत्र में इस जहरीले कचरे के निपटान की अनुमति नहीं देंगे और इसके खिलाफ उनका आंदोलन जारी रहेगा।

सरकारी रुख और सफाई

सरकार ने इस मुद्दे पर सफाई देते हुए कहा है कि कचरे के निपटान के लिए सभी आवश्यक सुरक्षा मानकों का पालन किया जाएगा। पर्यावरण विशेषज्ञों की देखरेख में यह प्रक्रिया पूरी की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य या पर्यावरणीय हानि न हो। इसके बावजूद, स्थानीय निवासियों का अविश्वास बना हुआ है और वे इस प्रक्रिया को अपने जीवन और पर्यावरण के लिए खतरा मानते हैं।

स्वास्थ्य और पर्यावरणीय चिंताएं

विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रकार के जहरीले कचरे के निपटान में अत्यधिक सावधानी बरतनी आवश्यक है। यदि उचित प्रबंधन नहीं किया गया, तो यह कचरा जल स्रोतों, मिट्टी और वायु को प्रदूषित कर सकता है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। स्थानीय समुदाय की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, सरकार को पारदर्शिता और संवाद के माध्यम से विश्वास बहाली के प्रयास करने चाहिए।

आंदोलन की दिशा और भविष्य

स्थानीय निवासियों और सामाजिक संगठनों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे इस मुद्दे पर पीछे नहीं हटेंगे। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। इस बीच, सरकार और संबंधित एजेंसियों को चाहिए कि वे स्थानीय समुदाय के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकालें, ताकि क्षेत्र में शांति और सुरक्षा बनी रहे।

पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के निपटान को लेकर उपजा विवाद स्थानीय समुदाय की स्वास्थ्य और पर्यावरणीय चिंताओं को उजागर करता है। सरकार और संबंधित एजेंसियों को चाहिए कि वे पारदर्शी और सुरक्षित तरीके से इस समस्या का समाधान निकालें, ताकि स्थानीय निवासियों का विश्वास बहाल हो सके और क्षेत्र में शांति स्थापित हो।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पीथमपुर में जहरीले कचरे के निपटान को लेकर महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाना अवैध माना गया है। इससे पहले, सरकार ने इस कचरे को जलाने की योजना बनाई थी, लेकिन स्थानीय निवासियों और पर्यावरण विशेषज्ञों ने इसका विरोध किया था।

मुख्य बिंदु:

  • उच्च न्यायालय का आदेश: उच्च न्यायालय ने पीथमपुर में जहरीले कचरे को जलाने की प्रक्रिया को अवैध घोषित किया है।
  • स्थानीय विरोध: स्थानीय निवासियों और पर्यावरण संगठनों ने इस कचरे को जलाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था, जिससे सरकार को अपनी योजना पर पुनर्विचार करना पड़ा।
  • सरकार की प्रतिक्रिया: सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश का सम्मान करते हुए, कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए वैकल्पिक उपायों पर विचार करने की बात कही है।

यहां पीथमपुर में जहरीले कचरे को जलाने के मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश से संबंधित कुछ प्रमुख सवाल और उनके उत्तर दिए गए हैं:

FAQs

  1. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने पीथमपुर में जहरीले कचरे को लेकर क्या आदेश दिया?
    • उच्च न्यायालय ने पीथमपुर में जहरीले कचरे को जलाना अवैध करार दिया है। अदालत ने आदेश दिया कि यूनियन कार्बाइड से संबंधित इस खतरनाक कचरे का निपटान जलाने के बजाय अन्य सुरक्षित तरीकों से किया जाए।
  2. पीथमपुर में जहरीले कचरे को जलाने को अवैध क्यों माना गया?
    • जहरीले कचरे को जलाने से पर्यावरण को नुकसान पहुँचता है और यह स्थानीय निवासियों की सेहत के लिए खतरनाक है। इस कारण इसे अवैध माना गया क्योंकि यह पर्यावरण संरक्षण कानूनों का उल्लंघन करता है।
  3. पीथमपुर में जहरीले कचरे का स्रोत क्या है?
    • पीथमपुर में मौजूद जहरीला कचरा यूनियन कार्बाइड की पूर्व गतिविधियों से जुड़ा है, खासकर भोपाल गैस त्रासदी से संबंधित खतरनाक रसायनों से। यह कचरा पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक है।
  4. सरकार का इस कचरे को निपटाने का क्या प्लान था?
    • पहले सरकार ने इस जहरीले कचरे को जलाने की योजना बनाई थी, लेकिन स्थानीय निवासियों और पर्यावरण संगठनों ने इसका विरोध किया था।
  5. अब जब अदालत ने जलाने पर रोक लगा दी है, तो क्या होगा?
    • अदालत के आदेश के बाद सरकार को इस कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए वैकल्पिक तरीके अपनाने होंगे। सरकार को जलाने के बजाय अन्य सुरक्षित निपटान विकल्पों पर विचार करना होगा।
  6. जहरीले कचरे को जलाने का पर्यावरण पर क्या असर होता है?
    • जहरीले कचरे को जलाने से हानिकारक प्रदूषक वायु में घुल जाते हैं, जो श्वसन रोग, कैंसर और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा, यह पारिस्थितिकी तंत्र को भी नुकसान पहुँचाता है।
  7. स्थानीय समुदाय ने सरकार की योजना के खिलाफ कैसे प्रतिक्रिया दी?
    • स्थानीय समुदाय और पर्यावरण संगठनों ने जहरीले कचरे को जलाने की सरकार की योजना का विरोध किया था, क्योंकि यह उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता था।
  8. उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सरकार क्या कदम उठाएगी?
    • सरकार ने अदालत के आदेश का पालन करने की बात की है और अब वह इस कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए अन्य तरीके तलाशेगी, जिनमें जलाने के अलावा अन्य पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित विकल्प शामिल होंगे।
  9. यह मामला भोपाल गैस त्रासदी से कैसे जुड़ा है?
    • पीथमपुर में मौजूद जहरीला कचरा भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ा हुआ है, जहां 1984 में यूनियन कार्बाइड के कारखाने से जहरीली गैसों का रिसाव हुआ था, जिससे हजारों लोगों की जान गई थी और लंबे समय तक पर्यावरण को नुकसान पहुँचा था। यह कचरा त्रासदी के बाद की संपूर्ण प्रदूषण समस्या का हिस्सा है।
  10. भारत में पर्यावरण कानून के लिए इस फैसले के क्या निहितार्थ हैं?
    • यह आदेश पर्यावरण संरक्षण कानूनों को सशक्त बनाता है और खतरनाक कचरे के निपटान के लिए सुरक्षित और जिम्मेदार तरीके अपनाने का उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह सरकार की जिम्मेदारी को स्पष्ट करता है कि उसे सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए।

ये FAQs इस मामले के प्रमुख पहलुओं और इसके व्यापक प्रभावों का संक्षिप्त विवरण प्रदान करते हैं

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यह भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे का निपटान करने का पांचवां प्रयास है, जहां 1984 में गैस रिसाव के कारण 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग बीमार हो गए थे।

भोपाल गैस त्रासदी के बचे लोगों ने पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के स्थानीय लोगों के साथ मिलकर सरकार की उस योजना का विरोध किया है जिसमें यूनियन कार्बाइड के अपशिष्ट को पीथमपुर भस्मक संयंत्र में निपटाने की बात कही गई है। उनका कहना है कि इससे औद्योगिक क्षेत्र और प्रदूषित होगा।

अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री, जहां से जहरीली गैस लीक हुई थी, जिसके कारण 1984 में भोपाल गैस त्रासदी हुई थी। (पीटीआई फोटो)
अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री, जहां से जहरीली गैस लीक हुई थी, जिसके कारण 1984 में भोपाल गैस त्रासदी हुई थी।

यह भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे के निपटान का पांचवां प्रयास है, जहां 1984 में गैस रिसाव के कारण 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग बीमार हो गए थे।अब अपनी रुचियों से मेल खाने वाली कहानियाँ खोजें—खास तौर पर आपके लिए! यहाँ पढ़ें

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर राज्य सरकार और पर्यावरण मंत्रालय ने पीथमपुर में री-सस्टेनेबिलिटी लिमिटेड द्वारा संचालित सुविधा में कचरे के निपटान की प्रक्रिया फिर से शुरू कर दी है।

पीथमपुर बचाओ संघर्ष समिति के विरोध प्रदर्शन को समर्थन देते हुए भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, “यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को जलाने के बारे में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की तकनीकी प्रस्तुति के अनुसार, 337 मीट्रिक टन कचरे को जलाने के बाद 900 टन अवशेष निकलेंगे। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि इन 900 टन कचरे में ज़हरीले भारी धातुओं की मात्रा बहुत ज़्यादा होगी। पीथमपुर में तथाकथित सुरक्षित लैंडफिल पिछले कुछ सालों से ज़हरीले रिसाव कर रहे हैं। अधिकारियों के पास यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि 900 टन कचरे से निकलने वाले ज़हरीले तत्व पीथमपुर और उसके आस-पास के जल स्रोतों को दूषित न करें।”

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भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा ने कहा कि इस तरह के निपटान से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा हो सकती है, इस संदेह के साथ कि “भोपाल से निकलने वाले खतरनाक कचरे को जलाने का काम साढ़े तीन महीने तक चलेगा। इतनी लंबी अवधि तक भस्मक से निकलने वाले वायुजनित जहर और कण पदार्थों के संपर्क में आने वाली आबादी की संख्या एक लाख से भी ज़्यादा है। यह जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा पैदा करने जैसा है”, ढींगरा ने कहा।

प्रश्न: किस भारतीय शहर में जीवन स्तर सर्वोत्तम है?दिल्लीmumbai

पीथमापुर के स्थानीय निवासी संदीप रघुवंशी ने बताया कि राज्य सरकार ने जहरीले कचरे को जर्मनी और भारत के अन्य राज्यों में निपटाने की कोशिश की थी, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण योजना को छोड़ दिया गया।

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अब राज्य सरकार ने पीथमपुर के निवासियों के जीवन को खतरे में डालने का फैसला किया है।’’

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित नवाब खान ने कहा कि पर्यावरण मंत्री के रूप में भाजपा नेता जयंत मलैया और गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के मंत्री के रूप में बाबूलाल गौर ने कई बैठकों में भोपाल के कचरे को पीथमपुर में जलाने की योजना का विरोध किया था।

उन्होंने कहा, “गैस राहत आयुक्त ने वास्तव में पीथमपुर में आग लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। हम अब इन तथ्यों को सार्वजनिक कर रहे हैं ताकि पीथमपुर को धीमी गति वाले भोपाल में बदलने की प्रक्रिया में लगे अधिकारी बाद में यह न कह सकें कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी।”

हालांकि, राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि निपटान मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर के निर्देशानुसार सभी अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा मानदंडों का पालन करते हुए किया जाएगा।

3 दिसंबर को मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायाधीश विवेक जैन की खंडपीठ ने भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी अभी तक डंप किए गए जहरीले कचरे को हटाने के लिए उठाए गए कदमों पर राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी थी।

उच्च न्यायालय के निर्देश सरकार के इस दावे पर आधारित हैं कि सार्वजनिक स्वास्थ्य या पर्यावरण को कोई खतरा पहुंचाए बिना कचरे के निपटान का सफल परीक्षण किया गया है।

वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने यूसीआईएल साइट पर पड़े कचरे को जलाने और उसके पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन करने का आदेश दिया था। इस निर्देश के तहत अगस्त 2015 में पीथमपुर औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन प्राइवेट लिमिटेड (पीआईडब्लूएमपीएल) के उपचार, भंडारण और निपटान सुविधा (टीएसडीएफ) में 10 मीट्रिक टन यूसीआईएल कचरे के निपटान के लिए ट्रायल रन किए गए थे।

भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “अदालत में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी), एमपीपीसीबी और मध्य प्रदेश सरकार (जीओएमपी) की निगरानी में परीक्षण किए गए थे। परीक्षण के नतीजों से पुष्टि हुई है कि भस्मक के सभी पैरामीटर निर्धारित मानदंडों के अनुरूप हैं और लोगों के जीवन के लिए कोई खतरा नहीं है।”

विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा, “प्रक्रिया मानदंडों के अनुसार शुरू हुई। हम कचरे के निपटान के लिए बहुत उच्च मानक राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन कर रहे हैं। हम 6 जनवरी को उच्च न्यायालय को स्थिति रिपोर्ट देंगे।”

2-3 दिसंबर, 1984 की मध्य रात्रि को यूनियन कार्बाइड संयंत्र से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस लीक हो गई , जिसने बड़े पैमाने पर आवासीय क्षेत्रों को अपनी चपेट में ले लिया, 22,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई और पांच लाख से अधिक लोग जन्मजात विकृतियों से पीड़ित होकर अपंग हो गए।

भोपाल गैस पीड़ितों और पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने यूनियन कार्बाइड कचरे के खिलाफ प्रदर्शन किया

भोपाल गैस त्रासदी 1984 में हुई थी, जब यूनियन कार्बाइड कारखाने में मिथाइल आइसोसायनेट (MIC) लीक हो गया था। इस दुर्घटना में हजारों लोग मारे गए और लाखों लोग घायल हुए। पीड़ितों को अभी भी शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हैं, और वे न्याय की मांग कर रहे हैं।

2024 में, भोपाल गैस पीड़ितों और पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने यूनियन कार्बाइड कचरे के खिलाफ प्रदर्शन किया। कचरा पीथमपुर में एक साइट पर संग्रहित है, और यह स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा है।

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि कचरे को सुरक्षित रूप से निपटाया जाए और पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यूनियन कार्बाइड को अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दुर्घटना के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

प्रदर्शन एक सफलता था। प्रदर्शनकारियों ने मीडिया का ध्यान आकर्षित किया और अपनी आवाज सुनी गई। प्रदर्शन के बाद, मध्य प्रदेश सरकार ने कचरे को निपटाने के लिए एक योजना की घोषणा की।

यह प्रदर्शन भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए न्याय की लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह दिखाता है कि वे हार नहीं मान रहे हैं और वे अपने अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखेंगे।

यहां कुछ तथ्य दिए गए हैं जो आपको भोपाल गैस त्रासदी के बारे में जानने चाहिए:

  • यह 1984 में भारत के भोपाल में हुआ था।
  • यह रासायनिक दुर्घटना इतिहास में सबसे घातक दुर्घटनाओं में से एक है।
  • अनुमानित 15,000 से 20,000 लोग मारे गए और लाखों लोग घायल हुए।
  • दुर्घटना के लिए यूनियन कार्बाइड कंपनी को जिम्मेदार ठहराया गया था।
  • पीड़ितों को अभी भी शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हैं।
  • वे न्याय और मुआवजे की मांग कर रहे हैं।

यहां कुछ तथ्य दिए गए हैं जो आपको पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड कचरे के बारे में जानने चाहिए:

  • कचरा पीथमपुर में एक साइट पर संग्रहित है।
  • यह स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा है।
  • पीड़ितों और स्थानीय लोग कचरे को सुरक्षित रूप से निपटाने की मांग कर रहे हैं।
  • वे यूनियन कार्बाइड को अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दुर्घटना के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

भोपाल गैस त्रासदी एक भयानक त्रासदी थी जिसने हजारों लोगों के जीवन को तबाह कर दिया। पीड़ितों को न्याय और मुआवजा मिलना चाहिए। यूनियन कार्बाइड को अपनी जिम्मेदारी लेनी चाहिए और दुर्घटना के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के समर्थन में आप क्या कर सकते हैं:

  • आप भोपाल गैस पीड़ितों के समर्थन में दान दे सकते हैं।
  • आप भोपाल गैस त्रासदी के बारे में जागरूकता फैला सकते हैं।
  • आप अपने स्थानीय प्रतिनिधियों से संपर्क कर सकते हैं और उन्हें भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के समर्थन में कार्रवाई करने के लिए कह सकते हैं।

यूनियन कार्बाइड का 337 टन कचरा जलाने से कितना खतरा? पहले 10 टन ने 8 किमी तक किया था असर – BHOPAL GAS TREGEDY WASTE

भोपाल यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा जलाने में 126 करोड़ रु होंगे खर्च. पहले 10 टिन ने 8 किमी का भूजल दूषित किया था.

BHOPAL GAS TREGEDY WASTE

पीथमपुर में जलाया जाएगा यूनियन कार्बाइड का कचरा (ETV Bharat)

भोपाल: राजधानी में 40 साल पहले यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से जहरीली गैस का रिसाव हुआ था, जिससे हजारों लोग काल के गाल में समा गए थे. वहीं लाखों लोग इससे संक्रमित हुए और आज भी इसका दंश झेल रहे हैं. गैस कांड की वजह से बच्चे कई गंभीर बीमारियों के साथ पैदा होते हैं. वहीं अब इसके 337 मीट्रिक टन कचरे को जलाने की खबरों से लोग दहशत में हैं. दरअसल, 2015 में सरकार ने इसके 10 टन खतरनाक कचरे को बतौर ट्रायल जलाता था, इससे पैदा हुई 40 टन राख को इंदौर जिले के पीथमुर में दफनाया गया था लेकिन इससे 8 किमी क्षेत्र का भूजल दूषित हो गया था.

वहीं अब सरकार यहां पड़े 337 मीट्रिक टन कचरे को जलाकर डिस्पोज करेगी. हालांकि, इसका क्या असर होगा, ये कह पाना मुश्किल है. यही वजह है कि जिस जगह पर यह जहरीला कचरा जलाया जाना है, वहां के लोग विरोध पर उतर आए हैं.

गैस पीड़ित संगठनों ने किया विरोध (ETV Bharat)

‘तीन गुना बढ़ेगा जहरीला कचरा’

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा “यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे के भस्मीकरण से पर्यावरण और वन मंत्रालय की तकनीकी प्रस्तुति के अनुसार, भस्मीकरण के बाद 900 मीट्रिक टन अवशेष बनेगा. यानी अभी जो कचरा जलाने जा रहे हैं, अवशेष उसका तीन गुना बचेगा. वहीं यह ध्यान रखने योग्य है कि इस 900 मीट्रिक टन में जहरीली धातुओं की बहुत अधिक मात्रा होगी. इधर, पीथमपुर में तथाकथित सुरक्षित लैंडफिल से पिछले कुछ सालों से जहरीला रिसाव जारी है. अधिकारियों के पास यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि 900 मीट्रिक टन अवशेषों से निकलने वाला जहर पीथमपुर और उसके आसपास के भूजल को प्रदूषित न करे.”

‘यूनियन कार्बाइड कंपनी अमेरिका ले जाए कचरा’

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा “सरकारी योजनाओं के अनुसार, भोपाल से निकलने वाले खतरनाक कचरे को साढ़े तीन महीने तक जलाया जाना है. इतने लंबे समय तक भस्मक से निकलने वाले धुएं में जहर और पार्टिकुलेट मैटर के चपेट में आने वाली आबादी की संख्या एक लाख से भी अधिक है. वर्तमान में जो काम जारी है वह जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक हादसा पैदा करने से कम नहीं है.”

रचना ढ़ींगरा ने कहा कि “यदि सरकार इस कचरे को इंदौर में जलाती है, तो वहां भी वायु और जल प्रदूषण बढ़ेगा. इससे अच्छा ये है कि या तो सरकार उस कचरे को वहीं पड़ा रहने दे या फिर यूनियन कार्बाइड कंपनी के प्रबंधन को यह जहरीला कचरा अमेरिका ले जाने का दबाव बनाए.”

पूर्व मंत्री बाबूलाल गौर और जयंत मलैया ने किया था विरोध

यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे को पीथमपुर में जलाने के विरोध के लंबे इतिहास पर बोलते हुए भोपाल गैस पीड़ित महिला-पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने कहा “पर्यावरण मंत्री के तौर पर जयंत मलैया और गैस राहत मंत्री के तौर पर बाबूलाल गौर ने कई सरकारी बैठकों में भोपाल के कचरे को पीथमपुर में जलाने की योजना का विरोध किया था. गैस राहत आयुक्त ने तो कचरे को पीथमपुर में जलाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा तक दाखिल किया था.

हम ये तथ्य अब सबके सामने इसलिए ला रहे हैं ताकि पीथमपुर को धीमी गति से हो रहे भोपाल हादसे में बदलने की प्रक्रिया में लगे अधिकारी बाद में यह न कह सकें कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी.”

एक किलो कचरा जलाने पर आएगी 3000 रु की लागत

रचना ढींगरा ने बताया, “सरकार 337 मीट्रिक टन कचरे को जलाने में 126 करोड़ रु खर्च कर रही है. यह आंकड़ा पूरे विश्व में सबसे मंहगा है. जहां प्रति टन कचरा जलाने पर करीब 27 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे. यानी एक किलो कचरा जलाने की लागत 3 हजार रुपये प्रति किलो से अधिक है.” रचना ने बताया, “इससे पहले 2010 से 2015 के बीच पीथमपुर संयंत्र में जहरीले कचरे के निपटान के सात में से छह परीक्षण विफल रहे. क्योंकि इससे डाइऑक्सिन और फ्यूरान की मात्रा स्वीकार्य सीमा से 16 गुना अधिक हो गई थी.”

Bhopal gas tragedy : गैस पीड़ितों के समूह और पीथमपुर के लोगों ने यूनियन कार्बाइड कचरे के खिलाफ किया प्रदर्शन

Bhopal भोपाल: भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों और पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने पीथमपुर भस्मक में यूनियन कार्बाइड के ऊपर के कचरे के निपटान की सरकार की योजना का विरोध किया है और कहा है कि इससे औद्योगिक क्षेत्र और प्रदूषित होगा। यह भोपाल में यूनियन कार्बाइड कारखाने में कचरे के निपटान का पांचवां प्रयास है, जहां 1984 में गैस रिसाव के कारण 20,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग बीमार हो गए थे।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर, राज्य सरकार और पर्यावरण मंत्रालय ने पीथमपुर में री-सस्टेनेबिलिटी लिमिटेड द्वारा संचालित सुविधा में कचरे के निपटान की प्रक्रिया फिर से शुरू की है। पीथमपुर बचाओ संघर्ष समिति के विरोध को समर्थन देते हुए, भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, “यूनियन कार्बाइड के खतरनाक कचरे के भस्मीकरण पर पर्यावरण और वन मंत्रालय की तकनीकी प्रस्तुति, 337 मीट्रिक टन के भस्मीकरण के बाद 900 टन अवशेष उत्पन्न होंगे। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इन 900 टन में जहरीली भारी धातुओं की बहुत अधिक मात्रा होगी। पिछले कुछ सालों से पीथमपुर में तथाकथित सुरक्षित लैंडफिल से ज़हरीला पानी निकल रहा है। अधिकारियों के पास यह सुनिश्चित करने का कोई तरीका नहीं है कि 900 टन अवशेषों से निकलने वाले ज़हरीले तत्व पीथमपुर और उसके आस-पास के जल स्रोतों को दूषित न करें।”

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा ने कहा कि इस बात का संदेह है कि निपटान से सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा हो सकती है, उन्होंने कहा, “भोपाल से निकलने वाले ख़तरनाक कचरे को जलाने का काम साढ़े तीन महीने तक चलेगा। इतनी लंबी अवधि तक भस्मक से निकलने वाले वायुजनित ज़हर और कण पदार्थों के संपर्क में आने वाली आबादी की संख्या एक लाख से ज़्यादा है। यह जानबूझकर सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा पैदा करने से कम नहीं है”, ढींगरा ने कहा।

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के समूह और पीथमपुर के स्थानीय लोगों ने यूनियन कार्बाइड द्वारा छोड़े गए कचरे के खिलाफ प्रदर्शन किया है। यह प्रदर्शन पीथमपुर में आयोजित किया गया था, जहां यूनियन कार्बाइड का कचरा संग्रहीत है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह कचरा स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए खतरा है। उन्होंने मांग की है कि कचरे को सुरक्षित तरीके से निपटाया जाए और पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाए। साथ ही, उन्होंने यूनियन कार्बाइड से इस दुर्घटना के लिए माफी की भी मांग की है।

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